RSS Chief Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने बहुत ही स्वष्ट मत (विचार) दुनिया के सामने रखा है। दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक संगठन के रूप में स्थापित RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि दुनिया को जीतना नहीं बल्कि पूरे विश्व को जोडऩा भारत का असली दर्शन है। संघ प्रमुख मोहन भागवत को लगता है कि भारतीय दर्शन ही विश्व का सर्वश्रेष्ठ दर्शन है।
क्या कहा मोहन भागवत ने
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ RSS के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत सोमवार को देश की राजधानी दिल्ली में थे। दिल्ली में आयोजित भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा ही सारगर्भित उदबोधन दिया। अपने उदबोधन में डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सबको साथ ले कर चलने की भारत की परंपरा और दर्शन दुनिया को जीतना नहीं जोडऩा सिखाती है। हमारी सामूहिक शक्ति दुनिया जीतने के लिए नहीं बल्कि उसे शांति की राह में ले जाने के लिए है। उन्होंने कहा भोग को सत्य मानने के कारण अलग- अलग मोर्चे पर बेहाल दुनिया अब भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। जिसने देखा है कि भारत ने कैसे अपने महान दर्शन और परंपराओं के सहारे क्रांति की जगह शांति और उत्क्रांति सेे बेहतर व्यवस्था का निर्माण किया था। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सच्चे और शाश्वत सुख की तलाश में भारत व दुनिया की धारा अलग थी। दुनिया ने भोग को ही शाश्वत सच मानकर प्रतिस्पर्धा वाली व्यवस्था की नींव रखी। जहां आज भी जंगल का कानून चलता है। वहीं भारतीय परंपरा और दर्शन के आंतरिक सुख की खोज की।
आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हम न मानने और मानने वालों में भेद करने वालों में नहीं हैं। इसलिए सही अर्थों में देश में विविधता में एकता नहीं बल्कि एकता की ही विविधता है। देश में अलग- अलग वर्ग-संप्रदाय हैं। हालांकि शाश्वत सुख और आंतरिक सुख की सबकी परिभाषा एक है। इसलिए हम जीव में भेद नहीं करते।
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