Thursday, 2 May 2024

Same Sex Marriage : समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देना परिवार व्यवस्था के साथ अन्याय : गिरजाघर

कोच्चि। समलैंगिक विवाह के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के रुख की सराहना करते हुए केरल के एक प्रभावशाली…

Same Sex Marriage : समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देना परिवार व्यवस्था के साथ अन्याय : गिरजाघर

कोच्चि। समलैंगिक विवाह के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के रुख की सराहना करते हुए केरल के एक प्रभावशाली कैथोलिक गिरजाघर ‘सिरो-मालाबार गिरजाघर’ ने कहा कि ऐसे रिश्तों को कानूनी मान्यता देना अप्राकृतिक है। यह देश में मौजूद परिवार व्यवस्था के साथ अन्याय है। गिरजाघर ने कहा कि समलैंगिक विवाह पुरुष और महिला के बीच प्राकृतिक संबंधों के कारण बच्चों के पैदा होने और पलने-बढ़ने के अधिकारों का भी उल्लंघन है।

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ऐसे तो हो सकती यौन विकारों को वैध बनाने की मांग

‘सिरो-मालाबार गिरजाघर’ के सार्वजनिक मामलों के आयोग ने कहा कि इसे कानूनी मान्यता देने से बच्चों, जानवरों आदि के प्रति शारीरिक आकर्षण जैसे यौन विकारों को वैध बनाने की मांग भी शुरू हो सकती है। गिरजाघर ने कहा कि उसने इस मामले पर अपने विचार भारत के राष्ट्रपति को आधिकारिक तौर पर सौंप दिए हैं। सार्वजनिक मामलों के आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर केंद्र द्वारा नागरिक समाज से मांगी गई राय के जवाब में गिरजाघर ने राष्ट्रपति के समक्ष अपने विचार रखे हैं, जैसा कि शीर्ष अदालत ने उनसे कहा था।

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गिरजाघर ने की सरकार के रुख की सराहना

गिरजाघर ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। इसने कहा कि केंद्र का रुख भारतीय संस्कृति के अनुसार है, जहां विवाह विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के बीच का संबंध है। एक परिवार में एक जैविक पुरुष और जैविक महिला और उनके बच्चे होते हैं। वह ऐसे (समलैंगिक) संबंधों को कानूनी मान्यता देने के प्रयास का भी कड़ा विरोध करता है, क्योंकि यह उसके शास्त्रों, परंपराओं और शिक्षाओं के खिलाफ है। इसने कहा कि समलैंगिक विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंधों के प्राकृतिक क्रम की उपेक्षा है। यह परिवार की अवधारणा और नागरिक समाज के साथ भी अन्याय है। बयान में गिरजाघर ने यह भी कहा कि वह समलैंगिक अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूति रखता है, लेकिन उसका दृढ़ता से मानना है कि विवाद पुरुष और महिला के बीच संबंध है।

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पांच सदस्यीय संविधान पीठ कर रही सुनवाई

गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं को खारिज करने का उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करते हुए कहा कि जीवनसाथी चुनने के अधिकार का मतलब कानूनी तौर पर स्थापित प्रक्रिया से परे शादी का अधिकार नहीं होता है।

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