Summer Special :
सैय्यद अबू साद
Summer Special : समर विकेशन होते ही ठंडे हिल स्टेशनों पर घूमने के लिए दिल ललायित हो जाता है। जैसे ही हिल स्टेशन घूमने की बात आती है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में हिमाचल प्रदेश का नाम आता है। कुछ लोग होते हैं, जो घूमने और मौसम का मजा लेने के साथ वहां के इतिहास के बारे में भी जानना पसंद करते हैं, तो ऐसे लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश का चैल हिल स्टेशन बेस्ट डेस्टीनेशन हो सकता है। यहां न सिर्फ ठंडी पहाड़ियां आपको पसंद आएंगी, बल्कि यहां का शांत वातावरण और खानपान भी आपको लुभाएगा। आपको बता दें कि चैल हिल स्टेशन की खोज 130 साल पहले पटियाला के राजा महाराजा भूपिंदर सिंह ने की थी। आइये आपको इस हिल स्टेशन के बारे में बताते हैं।
Summer Special :
समुद्र तल से 2250 मीटर की ऊंचाई पर चैल
हिमाचल का चैल एक छोटा हिल स्टेशन है, लेकिन खूबसूरती के मामले में अच्छे-अच्छे हिल स्टेशनों को कड़ी टक्कर दे देता है। इस जगह पर भीड़-भाड़ काफी कम देखने को मिलती है, यही कारण है इसे एक सीक्रेट हिल स्टेशन भी कह देते हैं। ये जगह समुद्र तल से 2250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस हिल स्टेशन की सैर करने के बाद आप ऊर्जा से भर उठेंगे। यहां आपको निश्चित तौर पर मन की शांति और सुकून मिलेगा। प्रदूषण से मुक्त इस हिल स्टेशन के आसपास कई अन्य पर्यटक स्थल भी हैं, जहां टूरिस्ट खुद को एक्सप्लोर कर सकते हैं। चैल पोलो और क्रिकेट प्रेमियों का पसंदीदा स्थल माना जाता है। चैल हिल स्टेशन में न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी टूरिस्ट सैर के लिए यहां आते हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं हिल स्टेशन हमें सड़ी गर्मी से राहत दिलाते हैं, लेकिन यहां की खूबसूरती ऐसी होती है जो अच्छे-अच्छे लोगों को अपना दीवाना बना देती है। दुनियाभर में कई लोग तो ऐसे हैं जो प्रकृति के बीच रहने के लिए यहां बस जाते हैं।
1893 में महाराजा भूपिंदर सिंह ने खोजा
इस खूबसूरत और छोटे-से हिल स्टेशन को 1893 में पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने खोजा था। दरअसल 1891 में महाराजा भूपिंदर सिंह को पटियाला राज्य से निर्वासित कर दिया गया था, तब उन्होंने हिमाचल के पहाड़ों में अपना ठिकाना बनाया। 1893 में इस जगह को उन्होंने चैल नाम दिया और यहीं अपना पैलेस बनवाकर उन्होंने रहना आरंभ किया। यहां पर महाराजा भूपिंदर सिंह ने एक मैदान की स्थापना भी करवाई थी, जो कि अब विश्व का सबसे ऊंचाई पर बना क्रिकेट ग्राउंड है। यहां पोलो भी खेला जाता है। यह हिल स्टेशन ट्रैकर्स और एडवेंचर लवर्स के बीच भी काफी पॉपुलर है। सैलानी इसे देखने के लिए जा सकते हैं। यह क्रिकेट ग्राउंड समुद्र तल से 2444 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
चैल में घूमने की जगह
चैल के आसपास टूरिस्टों के घूमने के लिए यहां कई सारी जगह मौजूद हैं, चलिए आपको उन स्थानों के बारे में बताते हैं।
चैल पैलेस
चैल पैलेस इस हिल स्टेशन का सबसे फेमस पर्यटक आकर्षण है, जिसे पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा बनाया गया था। 75 एकड़ भूमि में फैली ये जगह शाही फर्नीचर के साथ राजसी नजारों से भी घिरी हुई है। महल में कई तरह के कमरे हैं जैसे कॉटेज, सुइट्स और भी कई कमरों में इस पैलेस को वर्गीकृत किया गया है। हर कमरों को काफी अच्छे से डिजाइन किया गया है, इनमें आपको गर्म और ठंडे पानी की सुविधा वाले बाथरूम भी मिल जाएंगे। यहां रेस्तरां, डॉक्टर, बैडमिंटन कोर्ट और न जाने क्या-क्या यहां मौजूद है।
साधुपाल झील
चैल में घूमने के लिए खूबसूरत जगहों की सूची में साधुपाल झील भी आती है। ये सुंदर और शांत झील साधुपुल नाम के एक छोटे से शहर में स्थित है, जो चैल और सोलन के बीच स्थित है। साधुपुल झील के आसपास कई रेस्तरां भी हैं, जहां लकड़ी की टेबल और चेयर रखी गई हैं, आपको देखते ही एकदम गांव जैसा फील आने लगेगा। इन रेस्तरां में आप मोमोज, मैगी, ब्रेड-ऑमलेट जैसी चीजों का मजा ले सकते हैं, तो बस झील को देखते हुए खाने का मजा लीजिए।
काली का टिब्बा
काली का टिब्बा उर्फ काली देवी मंदिर पहाड़ी के ठीक ऊपर स्थित चैल में घूमने के लिए लोकप्रिय स्थानों में से एक है। ये जगह आपको कुछ समय के लिए मन की शांति देने में मदद करेगी, मंदिर देवी काली को समर्पित है और इसमें काली मां, भगवान शिव, भगवान गणेश और कई अन्य देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां स्थापित की गई हैं। चूंकि मंदिर के आसपास केवल पहाड़ियां ही पहाड़ियां हैं, इसलिए यहां आपको काफी शांति का भी एहसास हो सकता है।
सिद्ध बाबा का मंदिर
राजगढ़ और पंधवा के बीच 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित चैल में सिद्ध बाबा मंदिर है, जो सिद्ध बाबा को समर्पित है। मंदिर को चैल का रक्षक माना जाता है। ये जगह न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती है, बल्कि यहां की सुंदरता भी लोगों को यहां बसने पर मजबूर कर देगी।
चैल वन्यजीव अभयारण्य
अगर आप प्राकृतिक जगहों पर घूमने के साथ-साथ वन्यजीव अभयारण्य भी घूमने का शौक रखते हैं, तो आपके लिए चैल वन्यजीव अभयारण्य से बेहतरीन कोई जगह नहीं हो सकती हैं। क्योंकि, यह अभयारण्य कई दुर्लभ जानवर और पक्षियों का घर है। घने जंगल और देवदार के पेड़ इस जगह में चार चांद लगाने का काम करते हैं। आपको बता दें कि चैल के मुख्य पर्यटन गंतव्य में इसे गिना जाता है। यहां हिमालयन भालू, रेड डियर आदि कई दुर्लभ जानवर देख सकते हैं। यह पक्षी विहार के लिए भी एक शानदार जगह है।
कैसे पहुंचे चैल
चंडीगढ़ से महज 110 किमी की दूरी पर है खूबसूरत चैल हिल स्टेशन।
आप अगर ट्रेन से चैल आ रहे हैं, तो उसका सबसे पास रेलवे स्टेशन कालका में है, जो 86 किमी की दूरी पर स्थित है। चैल तक पहुंचने के लिए, आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं। यदि आप हवाईजहाज से जाना चाहते हैं, तो शिमला का जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा चैल से पास का हवाई अड्डा है, जो लगभग 63 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा नियमित उड़ानों के माध्यम से दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप हवाई अड्डे से चैल के लिए एक टैक्सी या जीप किराए पर ले सकते हैं। आपको सड़क द्वारा यात्रा करके आना है, तो बस व टैक्सी सबसे अच्छा विकल्प है। चैल चंडीगढ़ और सोलन के रास्ते दिल्ली से करीबन 333 किमी दूर है। कंडाघाट और चैल के बीच की दूरी सिर्फ 29 किमी है। आप राज्य द्वारा संचालित बसों या निजी बसों से भी चैल जा सकते हैं।