चेन्नई। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बाद अब तमिलनाडु में भी राज्यपाल और सरकार के बीच ठन गई है। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन. रवि की उस टिप्पणी को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नीत सरकार ने निशाने पर लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें विधानमंडल से पारित विधेयकों को रोककर रखने का अधिकार है। पार्टी ने रवि की इस टिप्पणी का विरोध करते हुए कहा कि विधेयकों पर मंजूरी देने में राज्यपाल द्वारा अनावश्यक रूप से देरी करना कर्तव्य की उपेक्षा के समान है।
Tamil Nadu
Jharkhand : दिल्ली के करोलबाग से चोरी के 6.54 करोड़ रुपये बरामद, आरोपी गिरफ्तार
राज्यपाल के बयान का विरोध
राज्यपाल की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि रवि विधेयकों को ठंडे बस्ते में नहीं रख सकते। उन्होंने कहा कि दबाव पड़ने पर राज्यपाल प्रश्न पूछेंगे और इसे सरकार को वापस भेज देंगे। इसके साथ ही उनका कर्तव्य पूरा हो जाता है। राजभवन में ‘थिंक टू डेयर’ श्रृंखला के तहत सिविल सेवा के उम्मीदवारों के साथ बातचीत के दौरान रवि ने राष्ट्रपति की सहमति के लिए उनके पास भेजे गए विधानसभा विधेयकों पर टिप्पणी की और कहा कि राज्यपाल के पास तीन विकल्प होते हैं : सहमति दें, रोककर रखें और तीसरा विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजना। इनमें से किस विकल्प का इस्तेमाल करना है, यह राज्यपाल का विवेकाधिकार होता है।
Tamil Nadu
Corona Virus : फिर तेजी से बढ़ने लगे कोरोना के केस, 6050 नए मामले
विधेयकों में देरी राज्यपाल की आदत
स्टालिन ने कहा कि यह संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अशोभनीय है, जो विधेयकों को साहसपूर्वक स्वीकार करने या विरोध करने के बिना इसे रोककर रखता है। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि राज्यपाल को जनप्रतिनिधियों द्वारा परिकल्पित उन विधेयकों, अध्यादेशों और संशोधनों में देरी करने की आदत हो गई है, जिन्हें उन्हें मंजूरी के लिए भेजा जाता है।
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।