आज लोकसभा में पेश होगा "एक देश-एक चुनाव" बिल, विरोध में विपक्षी दल

One nation one election
One Nation One Election Bill
locationभारत
userचेतना मंच
calendar17 DEC 2024 11:43 AM
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One Nation One Election Bill : लोकसभा में आज (17 दिसंबर) "एक देश, एक चुनाव" बिल पेश किया जाएगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसे 12 बजे सदन में पेश करेंगे। यह बिल, जिसे 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली थी, 129वें संविधान संशोधन के रूप में प्रस्तुत होगा। इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीव्र बहस हो रही है और इस मुद्दे पर विरोध भी बढ़ता जा रहा है।

विकास कार्यों पर कितना होगा असर?

बीजेपी, शिवसेना और अन्य NDA सहयोगी दल "एक देश, एक चुनाव" के समर्थन में खड़े हैं। इन दलों का कहना है कि इस योजना से चुनावी खर्च में कमी आएगी, चुनावों की प्रक्रिया सरल होगी और आचार संहिता केवल एक बार लागू होगी। इसके अतिरिक्त, वे यह भी दावा कर रहे हैं कि इससे लोकतंत्र में ज्यादा भागीदारी होगी, क्योंकि एक ही समय में चुनाव होने से मतदान बढ़ सकता है। इसके अलावा, सरकार का कहना है कि इससे विकास कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह सरकार को जवाबदेह बनाए रखेगा। इस बिल के समर्थन में भाजपा और शिवसेना ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है, जिसमें उन्हें सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है।

बिल के विरोध में विपक्षी दल

वहीं सपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया है। उनका कहना है कि "एक देश, एक चुनाव" से सरकार की निरंकुशता बढ़ेगी और लोकतांत्रिक जवाबदेही कम हो जाएगी। विपक्ष का कहना है कि जब पांच साल में एक बार चुनाव होगा, तो सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा और इसके कारण क्षेत्रीय मुद्दों की अनदेखी हो सकती है। साथ ही वे इसे संविधान के खिलाफ मानते हैं, क्योंकि यह कई राज्य सरकारों के लिए चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है। विपक्ष यह भी कह रहा है कि इस बिल का मुख्य उद्देश्य असल मुद्दों से ध्यान हटाना और जनता को भटकाना है। इसके अलावा, उनके मुताबिक यह बिल देश के लोकतांत्रिक तंत्र को कमजोर कर सकता है।

क्या है रामनाथ कोविंद कमेटी की सिफारिशें?

  • सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाया जाए।
  • यदि किसी विधानसभा में हंगामा हो या नो कॉन्फिडेंस मोशन पास हो तो उसके लिए नए चुनाव कराए जाएं।
  • पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं।
  • दूसरे चरण में 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं।
  • चुनाव आयोग एक एकल वोटर लिस्ट तैयार करेगा, जिससे चुनाव की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित होगी।

आने वाले दिनों में छिड़ सकती है बहस

लोकसभा में आज "एक देश एक, चुनाव" बिल को पेश किया जाएगा और इसे जेपीसी (जॉइंट पेरलियामेंटरी कमेटी) के पास भेजे जाने की संभावना है, ताकि इस पर विस्तार से चर्चा की जा सके। इस बिल का विरोध करने वाले विपक्षी दलों का कहना है कि, इस पर गहरी विचार-विमर्श की आवश्यकता है जबकि सरकार इसे जल्दी से जल्दी लागू करने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और बहस हो सकती है क्योंकि यह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और चुनावी प्रक्रिया पर गहरा असर डाल सकता है।

विपक्ष बिखरा, कांग्रेस का साथ टीएमसी ने भी छोड़ा

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सुजाता ने किया भगवान गौतम बुद्ध का नामकरण, फैला नाम

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Bhagwan Gautam Buddha
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 DEC 2024 02:08 PM
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Bhagwan Gautam Buddha : भगवान गौतम बुद्ध का नाम पूरे संसार में प्रसिद्ध नाम है। भगवान गौतम बुद्ध अमर थे, अमर हैं तथा अमर ही रहेंगे। भगवान गौतम बुद्ध के जीवन के अनसुने तथा अनकहे किस्से हम आपको बता रहे हैं। लगातार 6 साल की कठोर तपस्या के बाद भगवान गौतम बुद्ध को परम सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था। परम सत्य का ज्ञान प्राप्त होने से पहले भगवान गौतम बुद्ध का नाम सिद्धार्थ गौतम था। सिद्धार्थ गौतम शाक्य साम्राज्य के युवराज थे। परम सत्य की खोज में उन्होंने अपना राजपाठ त्याग दिया था।

देवी सुजाता ने रखा था बुद्ध का नाम

आपको बता दें कि युवराज सिद्धार्थ का बुद्ध नाम देवी सुजाता ने रखा था। देवी सुजाता वही देवी थीं जिन्होंने कठोर तप के दौरान बेहोश हो गए युवराज सिद्धार्थ को खीर खिलाकर नया जीवन दिया था। पूर्णिमा की जिस रात में सिद्धार्थ को परम सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था उस रात की सुबह सबसे पहले देवी सुजाता ने ही सिद्धार्थ के अद्भुत रूप तथा स्वरूप के दर्शन किए थे। संन्यासी बन चुके सिद्धार्थ गौतम का अपूर्व रूप तथा स्वरूप देखकर देवी सुजाता ने सबसे पहले उन्हें बुद्ध कहकर पुकारा था। देवी सुजाता के गांव बकरौर के किनारे स्थित एक बरगद के पेड़ के नीचे ही सिद्धार्थ गौतम को परम सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था। बकरौर गांव आज के बौद्धगया का हिस्सा है। देवी सुजाता ने जिस समय भगवान गौतम बुद्ध का नया नामकरण किया थ उस समय देवी सुजाता के साथ बकरौर गांव की रहने वाली स्वाती, चपलीका, पूर्वा तथा बालगुप्ता भी देवी सुजाता के साथ थे। इन्हीं पांचों को भगवान गौतम बुद्ध ने अपने जीवन का पहला प्रवचन दिया था।

सदैव अमर रहेगी भगवान गौतम बुद्ध की वाणी

भगवान गौतम बुद्ध 2500 साल पहले हुए थे। पिछले 2500 सालों से भगवान गौतम बुद्ध की दी गई शिक्षा पूरी दुनिया में फैली हुई है। भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा को मानने वाले करोड़ों लोग पृथ्वी के हर कोने पर मौजूद हैं। भगवान गौतम बुद्ध के मानने वालों का स्पष्ट मत है कि दुनिया में पूरी वैज्ञानिकता के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने वाले भगवान गौतम बुद्ध अकेले महापुरुष हुए हैं। बुद्धत्व प्राप्त होने के बाद भगवान गौतम बुद्ध घूम-घूमकर परम ज्ञान तथा परम सत्य का संदेश देते थे। भगवान गौतम बुद्ध भिक्षा ग्रहण करके अपना जीवन यापन करते थे। भिक्षा ग्रहण करने को मिश्राटन कहा जाता है। एक दिन भगवान गौतम बुद्ध एक गांव में मिश्राटन कर रहे थे। तभी एक व्यक्ति ने उनका घनघोर अपमान किया। उस व्यक्ति ने भगवान गौतम बुद्ध को ढोंगी, पाखंडी, झूठा और ना जाने क्या-क्या कहा। इतने अपमानजनक शब्द सुनकर भी भगवान गौतम बुद्ध जरा भी विचलित नहीं हुए। उनके विचलित ना होते देखकर अपमान करने वाले को भी आश्चर्य हुआ। उसने भगवान गौतम बुद्ध से पूछा कि मैं आपका अपमान कर रहा हूं। आपके ऊपर कोई प्रभाव क्यों नहीं पड़ रहा है ? इस भगवान गौतम बुद्ध ने कहा कि यह बताओ कि यदि कोई व्यक्ति किसी को उपहार (गिफ्ट) दे। सामने वाला व्यक्ति उस गिफ्ट को लेने की बजाय कहे कि यह गिफ्ट आप ही रख लो तो वह गिफ्ट किसका हुआ? उस पर वह व्यक्ति बोला कि इस प्रकार तो वह गिफ्ट उस देने वाला का ही हुआ। बुद्ध बोले कि बस इतनी सी ही बात है कि आप मुझे गिफ्ट पर गिफ्ट दे रहे थे किन्तु मैंने आपका वह गिफ्ट (अपमानजनक शब्द) लिया ही नहीं। यह शिक्षा सुनकर वह व्यक्ति भगवान गौतम बुद्ध के चरणों में गिर गया और भगवान गौतम बुद्ध का भिक्षुक बन गया। इस प्रकार एक छोटे से संकेत से भगवान बुद्ध ने बहुत बड़ी शिक्षा दे दी थी।

ब्राह्मणों के पूरे गांव ने दी भगवान गौतम बुद्ध को गालियां

एक बार भगवान गौतम बुद्ध अपने सैकड़ों भिक्षुकों के साथ गांव दर गांव भ्रमण कर रहे थे। मार्ग में ब्राहमणों का एक गांव पड़ता था। भगवान गौतम बुद्ध के भिक्षुक आनंद ने उनसे कहा कि हमें इस गांव के अंदर से ना जाकर बाहर ही बाहर आगे जाना चाहिए। आनंद जानते थे कि वह गांव भगवान गौतम बुद्ध के घोर विरोधियों का गांव था। भगवान गौतम बुद्ध ने कहा कि हम इस गांव के लोगों को भी ज्ञान का संदेश जरूर देंगे। भगवान गौतम बुद्ध ने जैसे ही ब्राहमणों के उस गांव में प्रवेश किया तो पूरा गांव उनके पीछे एकत्र हो गया। गांव वालों ने भगवान गौतम बुद्ध को गालियां देनी शुरू कर दी। गांव वालों ने उन्हें इतनी गालियां दी कि गिनी भी नहीं जा सकती थीं। भगवान बुद्ध प्रेम पूर्वक आगे बढ़ते रहे। धीरे-धीरे भगवान गौतम बुद्ध उस गांव से बाहर निकल गए। उस गांव की सीमा ठाकुर समाज के एक गांव से मिलती थी। दोनों गांव में आपस में बैर था। बैर भी इतना था कि एक-दूसरे के गांव की सीमा में जाने वाले की हत्या तक कर दी जाती थी। ब्राहमण समाज के लोग भगवान गौतम बुद्ध को अपने ही गांव की सीमा पर घेरकर खड़े हो गए। उन्होंने पूछा कि हमने आपको इतनी गालियां दी हैं किन्तु आपने एक भी गाली का उत्तर नहीं दिया। इस पर भगवान गौतम बुद्ध ने प्रेम पूर्वक उत्तर दिया कि आप लोगों ने मुझे कुछ देने का प्रयास किया किन्तु मैंने आपके दिए हुए को ग्रहण ही नहीं किया। भगवान बुद्ध की इस सहनशीलता तथा क्रोध पर नियंत्रण के कारण उस गांव के सभी नागरिक भगवान गौतम बुद्ध के अनुयाई हो गए तथा उनसे परम शांति का ज्ञान प्राप्त किया।

जब एक दुश्मन ने भगवान गौतम बुद्ध के ऊपर थूक दिया था

भगवान गौतम बुद्ध एक पेड़ के नीचे बैठकर अपने शिष्यों को ज्ञान दे रहे थे। तभी वहां पर उनका एक दुश्मन आया और प्रवचन करते समय ही भगवान गौतम बुद्ध के मुंह पर थूक दिया। भगवान गौतम बुद्ध ने अपने अंगोछे से थूक को साफ किया और दोनों हाथ जोडक़र थूकने वाले व्यक्ति से कहा कि क्या आप कुछ और भी कहना चाहते हैं? इस पर भगवान बुद्ध के शिष्य आनंद से नहीं रहा गया। आनंद बोले कि भगवान आप हमें आज्ञा दें तो हम इस व्यक्ति को उचित दंड देना चाहते हैं। इस पर भगवान बुद्ध ने कहा कि आनंद यह व्यक्ति कुछ कहना चाहता था किन्तु इसकी भाषा कमजोर है। इसी कारण इस व्यक्ति ने ऐसा व्यवहार किया है। यह सुनते ही वह व्यक्ति भगवान गौतम बुद्ध के चरणों में लेटकर माफी मांगने लगा। भगवान गौतम बुद्ध ने आनंद से कहा कि देखों उसकी भाषा अभी भी कमजोर है। फिर भगवान गौतम बुद्ध ने उस व्यक्ति को दीक्षा प्रदान की और परम सत्य का ज्ञान व दिया। इसी प्रकार की अनेक घटनाएं भगवान गौतम बुद्ध के जीवन में घटी। इन घटनाओं के बीच भगवान गौतम बुद्ध ने इशारों ही इशारों में बहुत बड़ा ज्ञान पूरी मानवता को दिया था। यहां तक कि उनकी हत्या का प्रयास करने वालों को भी भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान दिया था। Bhagwan Gautam Buddha

भगवान गौतम बुद्ध ने इशारों ही इशारों में दे दी बड़ी शिक्षा

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इस लाइलाज बीमारी से हुआ उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन, जान ले लक्षण और बचाव के तरीके

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 DEC 2024 00:22 PM
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Zakir Hussain Death: मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया है। ये 3 हफ्ते से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे। जहां सोमवार, 16 दिसंबर को उन्होंने आखिरी सबसे ली। शुरुआत में खबर सामने आई थी कि जाकिर हुसैन को दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन अब ऑफिशियल लोग में उन्हें एक गंभीर बीमारी होने की खबर सामने आई है। ऐसा बताया जा रहा है कि जाकिर हुसैन को एक ऐसी बीमारी थी जिसका कोई इलाज ही नहीं था।

गंभीर बीमारी से हुई उस्ताद जाकिर हुसैन की मौत:

प्राप्त जानकारी के अनुसार उस्ताद जाकिर हुसैन को इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की एक गंभीर बीमारी थी। और इसी गंभीर बीमारी के चलते उनका निधन हुआ है। जानकारी के लिए आपको बता दे यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज ही संभव नहीं है।

क्या है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी:

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस पेपर से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में फेफड़ों के टिश्यूज में फाइब्रोसिस यानी घाव के धब्बे सा पड़ने लगता है। जिसके परिणाम स्वरूप फेफड़ों की एलविओलर वॉल मोटी होने लगती है। इससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, और धीरे-धीरे फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता कम हो जाती है। यह एक लाइलाज बीमारी है, जो पूरी तरह से ठीक नहीं होती है। मेडिसिन की मदद से इसे बस कंट्रोल किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण:

यह बीमारी अधिकतर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को पड़ती है । शुरुआती तौर पर इसमें सूखी खांसी शुरू होती है जो बाद में बढ़ने लगती है। इस बीमारी के होने पर एक्सरसाइज करने में, सीढ़ियां चढ़ने में या कोई भी मेहनत वाला काम करने में सांस फूलने लगता है। शरीर में थकान बनी रहती है और नाखून मोटे होने लगते हैं। यह बीमारी इम्यून सिस्टम के कमजोर होने से, वायरल इंफेक्शन होने से या स्मोकिंग की वजह से हो सकती है, इसके साथ ही यह बीमारी जेनेटिक भी होती है। 50 के बाद और 60 से 70 साल की उम्र में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

कैसे करें इससे बचाव:

इस बीमारी से बचने का एक ही तरीका है कि हेल्दी रूटीन को फॉलो किया जाए। खाने में बैलेंस डाइट ले। स्मोकिंग से दूर रहे, और साथ ही समय-समय पर निमोनिया और फ्लू की वैक्सीन लेते रहे। तबले की थाप से दिल जीतने वाले Zakir Hussain ने दुनिया को कहा अलविदा, दौड़ी शौक की लहर