2026 वर्ल्ड कप ने खोला कमाई का दरवाजा, भारत क्यों रह गया पीछे?

ऐसे में सवाल सिर्फ खेल का नहीं रह गया किकऑफ टाइम, कूलिंग ब्रेक, मेडिकल तैयारियां, पानी की उपलब्धता और ट्रैफिक-मैनेजमेंट से लेकर पूरे टूर्नामेंट की ऑपरेशनल प्लानिंग तक, हर स्तर पर ‘हीट प्लान’ की परीक्षा होने वाली है।

फीफा विश्व कप 2026
फीफा विश्व कप 2026
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 01:43 PM
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Fifa World Cup 2026 : संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा में होने वाले फीफा विश्व कप 2026 की उलटी गिनती तेज़ हो चुकी है, लेकिन आयोजकों की सबसे बड़ी “टेंशन” किसी दिग्गज टीम की रणनीति नहीं मैच डे पर उतरती भीषण गर्मी है। बढ़ता तापमान खिलाड़ियों के स्टैमिना और रिकवरी को चुनौती दे रहा है, वहीं स्टेडियम में घंटों बैठे दर्शकों के लिए हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और भीड़-प्रबंधन जैसी चिंताएं भी बढ़ा रहा है। ऐसे में सवाल सिर्फ खेल का नहीं रह गया किकऑफ टाइम, कूलिंग ब्रेक, मेडिकल तैयारियां, पानी की उपलब्धता और ट्रैफिक-मैनेजमेंट से लेकर पूरे टूर्नामेंट की ऑपरेशनल प्लानिंग तक, हर स्तर पर ‘हीट प्लान’ की परीक्षा होने वाली है।

स्टेडियम के भीतर ‘कूलिंग की तैयारी’

लॉस एंजिल्स के सोफी स्टेडियम (जहां आठ मैच होने हैं) में गर्मी से निपटने के लिए विशेष इंतज़ाम तैयार रखे गए हैं। यहां औद्योगिक मिस्टिंग फैन (धुंध छोड़ने वाले बड़े पंखे) स्टैंडबाय मोड पर हैं, जिन्हें तापमान 80°F (लगभग 26.7°C) के पार जाते ही स्टेडियम के अलग-अलग हिस्सों में लगाया जाएगा। स्टेडियम की ऊंचाई पर मौजूद छत दर्शकों को सीमित छाया देती है, जबकि किनारों के खुले हिस्से समुद्री हवा को अंदर आने देकर एक तरह का प्राकृतिक वेंटिलेशन बनाते हैं। स्टेडियम प्रबंधन से जुड़े अधिकारी मानते हैं कि जब एक ही जगह 70,000 लोगों की भीड़, ऊर्जा और गर्म मौसम साथ मिलते हैं, तो जोखिम स्वतः बढ़ जाता है और उसी के अनुसार तैयारी भी करनी पड़ती है। समस्या यह है कि सभी 16 स्टेडियम एक जैसे आधुनिक नहीं हैं। टूर्नामेंट का समय भी चुनौतीपूर्ण है 11 जून से 19 जुलाई के बीच गर्मी अपने चरम पर रह सकती है। यही वजह है कि कुछ मेजबान शहरों में गर्मी को लेकर चिंता ज्यादा गहरी है।

शोध की चेतावनी

हाल ही में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में आगाह किया गया कि अत्यधिक गर्मी खिलाड़ियों और मैच अधिकारियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम बन सकती है। इस अध्ययन में मॉन्टेरी, मियामी, कैनसस सिटी, बोस्टन, न्यूयॉर्क और फिलाडेल्फिया जैसे शहरों को अपेक्षाकृत अधिक जोखिम वाले स्थानों के रूप में रेखांकित किया गया। इसी से जुड़ी एक रिपोर्ट में WBGT (वेट-बल्ब ग्लोब टेम्परेचर) का जिक्र करते हुए बताया गया कि कई शहरों में कुछ दिनों के दौरान यह स्तर 35°C से ऊपर तक पहुंचा—और इसे मानव शरीर की सहन-सीमा के ऊपरी सिरे के करीब माना जाता है क्योंकि इसमें नमी का असर भी शामिल होता है।

क्लब वर्ल्ड कप और 1994 का ‘सबक’

अमेरिका में आयोजित हालिया क्लब विश्व कप में भी गर्मी का मुद्दा तेज़ी से उभरा था खिलाड़ियों और कोचों ने खुले तौर पर असहज स्थितियों की शिकायतें कीं। इससे पहले 1994 विश्व कप भी भीषण गर्मी की वजह से चर्चा में रहा था।

फीफा का जवाब

गर्मी के बढ़ते खतरे को देखते हुए फीफा ने अब मौसम की परवाह किए बिना विश्व कप मैचों में 22वें और 67वें मिनट पर कूलिंग ब्रेक अनिवार्य किया है। ड्रॉ के बाद जारी संकेतों के मुताबिक दिन के समय के कई मैच वातानुकूलित स्टेडियमों (जैसे डलास/ह्यूस्टन/अटलांटा) में रखने की दिशा में योजना बनी है, जबकि अधिक जोखिम वाले स्थानों पर मुकाबलों को शाम के समय शिफ्ट करने पर जोर है। खिलाड़ी संघों का कहना है कि शेड्यूलिंग में स्वास्थ्य और प्रदर्शन की चिंताओं को जगह मिलना एक सकारात्मक कदम है।

फिर भी कुछ मैच ‘हाई-रिस्क’

खिलाड़ी संघों के मुताबिक, कई मुकाबले अब भी ऐसे हैं जिन्हें गर्मी के लिहाज़ से उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा जा सकता है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि जब WBGT 28°C के ऊपर जाए, तो मैच स्थगित करने जैसी सख्त सिफारिशें भी विकल्प में रहनी चाहिए। चिंता खासतौर पर उन मुकाबलों को लेकर बताई गई है जो न्यूयॉर्क, बोस्टन और फिलाडेल्फिया में दिन के समय रखे जा सकते हैं और यहां तक कि न्यूयॉर्क में दोपहर 3 बजे शुरू होने वाले फाइनल को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कुछ मौसम विशेषज्ञों और अधिकारियों का कहना है कि चर्चा अक्सर खिलाड़ियों तक सीमित रह जाती है, जबकि स्टेडियम और फैन जोन में मौजूद दर्शक भी गंभीर जोखिम में हो सकते हैं। दर्शक जब लगातार नारे लगाते हैं, उछलते-कूदते हैं, तो शरीर में मेटाबॉलिक हीट बढ़ती है और हृदय गति तेज़ होती है। पेशेवर एथलीटों की तुलना में आम दर्शकों की फिटनेस अलग स्तर की होती है कई लोगों में पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं (को-मॉर्बिडिटीज) जोखिम बढ़ा सकती हैं। ऊपर से स्टेडियम के आसपास का कंक्रीट, डामर और धातु “अर्बन हीट आइलैंड” प्रभाव पैदा कर तापमान को और ऊपर धकेल देते हैं।

क्या-क्या जरूरी है

विशेषज्ञों के मुताबिक, पर्याप्त वेंटिलेशन, छायादार जगहें, और हाइड्रेशन सबसे अहम हैं। हालांकि शराब का सेवन अक्सर हाइड्रेशन को बाधित करता है यह व्यावहारिक चुनौती भी है। एक बड़ा सवाल अभी खुला है: क्या दर्शकों को स्टेडियम में रीफिल होने वाली पानी की बोतलें लाने की अनुमति होगी? या पानी की उपलब्धता/बिक्री का मॉडल क्या होगा इस पर फिलहाल स्पष्टता कम दिखती है। मौसम विशेषज्ञों की राय में प्राथमिकता “डैमेज कंट्रोल” नहीं, बल्कि रोकथाम होनी चाहिए खासकर उन विदेशी प्रशंसकों के लिए जो स्थानीय जलवायु से परिचित नहीं हैं। क्लब विश्व कप से एक सीख यह भी सामने आई कि गर्मी से जुड़ी सुरक्षा चेतावनियां बहुभाषी और बेहद स्पष्ट होनी चाहिए, ताकि हर देश का प्रशंसक जोखिम समझ सके और सही निर्णय ले सके। Fifa World Cup 2026

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वैभव सूर्यवंशी के नाम एक और उपलब्धि, PMRBP पुरस्कार से हुए सम्म्मानित

बिहार के इस युवा क्रिकेटर को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) से नवाजा गया। राष्ट्रपति भवन में हुए विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वैभव सूर्यवंशी को पुरस्कार सौंपते हुए उन बच्चों की श्रेणी में शामिल किया, जिनकी प्रतिभा और उपलब्धियां देश के लिए प्रेरणा बनती हैं।

राष्ट्रपति भवन में सम्मानित हुए वैभव सूर्यवंशी
राष्ट्रपति भवन में सम्मानित हुए वैभव सूर्यवंशी,मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 12:26 PM
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Vaibhav Suryavanshi : बिहार के उभरते क्रिकेट सितारे वैभव सूर्यवंशी ने कम उम्र में बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। बिहार से निकले वैभव सूर्यवंशी के नाम में अब सिर्फ “उभरता क्रिकेटर” नहीं, बल्कि “राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित प्रतिभा” भी जुड़ गया है। बिहार के इस युवा क्रिकेटर को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) से नवाजा गया। राष्ट्रपति भवन में हुए विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वैभव सूर्यवंशी को पुरस्कार सौंपते हुए उन बच्चों की श्रेणी में शामिल किया, जिनकी प्रतिभा और उपलब्धियां देश के लिए प्रेरणा बनती हैं।

क्या है प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार?

यह कोई साधारण पुरस्कार नहीं है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की उम्र में असाधारण काम कर दिखाने वाले बच्चों के लिए देश की सबसे बड़ी पहचान मानी जाती है। बहादुरी से लेकर खेल तक, कला-संस्कृति से लेकर विज्ञान व नवाचार तक सात श्रेणियों में चयनित बच्चों को यह सम्मान मिलता है। वैभव सूर्यवंशी का नाम इस सूची में शामिल होना बताता है कि उनकी उपलब्धियों को अब देश ने आधिकारिक तौर पर सलाम किया है; विजेताओं को पदक, प्रमाणपत्र और प्रशस्ति पुस्तिका दी जाती है।

विजय हजारे ट्रॉफी के मैचों से बाहर रहेंगे वैभव

पुरस्कार समारोह के चलते वैभव सूर्यवंशी विजय हजारे ट्रॉफी के अगले मुकाबलों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। वैभव ने टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में 190 रनों की शानदार पारी खेलकर सबका ध्यान खींचा था, लेकिन इसके बाद वे अगले राउंड में प्लेइंग-11 का हिस्सा नहीं रहे। वैभव के बचपन के कोच मनीष ओझा के मुताबिक, टीम से बाहर रहने की वजह पुरस्कार समारोह में शामिल होना है। उन्होंने बताया कि वैभव प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार ग्रहण करने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके थे, इसलिए वे मणिपुर के खिलाफ शुक्रवार का मुकाबला नहीं खेल पाए। कोच के अनुसार, वैभव को समारोह के लिए सुबह 7 बजे रिपोर्टिंग करनी थी, जिसमें उन्होंने भाग लिया।

अंडर-19 टीम के साथ जुड़कर वर्ल्ड कप की तैयारी

कोच ने साफ किया कि वैभव सूर्यवंशी अब विजय हजारे ट्रॉफी के आगामी मैचों के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे। बताया जा रहा है कि वे जल्दी ही अंडर-19 टीम के अन्य खिलाड़ियों के साथ जुड़ेंगे और इसके बाद जिम्बाब्वे दौरे के लिए रवाना होंगे। भारतीय अंडर-19 टीम अगले वर्ल्ड कप को लक्ष्य बनाकर तैयारी कर रही है, जिसकी शुरुआत 15 जनवरी से संभावित मानी जा रही है। Vaibhav Suryavanshi

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2008 की बोली से 10 टीमों तक: IPL कैसे बना क्रिकेट का सबसे बड़ा ब्रांड?

नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची।

2008 की बोली से शुरू हुआ IPL का ब्रांड-युग
2008 की बोली से शुरू हुआ IPL का ब्रांड-युग
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 02:27 PM
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History of IPL : आईपीएल (IPL) भारत की प्रोफेशनल टी20 लीग है, लेकिन 2008 में शुरू होते ही इसने क्रिकेट को सिर्फ “खेल” नहीं रहने दिया इसे एक हाई-वोल्टेज शो में बदल दिया। यहां हर गेंद के साथ कहानी बनती है, हर ओवर में दबाव का नया ट्विस्ट आता है और हर मैच स्टारडम, रणनीति और रिकॉर्ड्स की नई पटकथा लिखता है। बीसीसीआई के मंच से निकला यह टूर्नामेंट कुछ ही वर्षों में भारत का सबसे बड़ा “लाइव एंटरटेनमेंट फेस्टिवल” बन गया जहां स्टेडियम की चीखें, टीवी-स्क्रीन की धड़कनें और डिजिटल दुनिया की ट्रेंडिंग लहरें एक साथ दौड़ती हैं। IPL ने क्रिकेट को तेज, रोमांचक और दर्शक-केंद्रित बनाया; और उसी के साथ ब्रांड वैल्यू, ग्लोबल स्पॉन्सरशिप और खिलाड़ियों की मार्केट पावर को भी नई ऊंचाई दी। आज नई पीढ़ी के लिए आईपीएल सिर्फ चौके-छक्कों का खेल नहीं, एक पूरा अनुभव है जहां बल्ला-गेंद के साथ पैसा, पॉप कल्चर और परफॉर्मेंस भी बराबरी से मैदान में उतरते हैं।

2008: शुरुआत और उसी दिन से ‘बड़ी बोली’ का दौर

जनवरी 2008 में मुंबई में हुई पहली फ्रेंचाइज़ी नीलामी ने उसी दिन साफ कर दिया था कि आईपीएल सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, एक नया “बिज़नेस-तमाशा” बनने जा रहा है। मैदान के बाहर की इस बोली में कॉरपोरेट दिग्गज, बॉलीवुड के चमकते चेहरे और मीडिया समूह सब टीमों के मालिकाना हक के लिए आमने-सामने थे। नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची। यही वो पल था, जब आईपीएल ने बता दिया कि यहां रन सिर्फ पिच पर नहीं, बोर्डरूम में भी बनेंगे।

शुरुआती 8 टीमें और नाम बदलने की कहानी

आईपीएल ने आठ संस्थापक फ्रेंचाइज़ियों के साथ उड़ान भरी मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (बाद में 2024 में “रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु”), डेक्कन चार्जर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स (2019 से “दिल्ली कैपिटल्स”), किंग्स XI पंजाब (2021 से “पंजाब किंग्स”), कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स। लीग की पहचान समय के साथ बदलती रही कहीं ब्रांडिंग बदली, कहीं टीम संरचना; और कहीं विवादों ने पूरी कहानी को मोड़ दिया।

विस्तार और उतार-चढ़ाव: कौन आया, कौन गया

आईपीएल की कहानी सिर्फ नई टीमों के जुड़ने तक सीमित नहीं रही—यह लीग कई बार विवादों, कॉन्ट्रैक्ट टूटने और वित्तीय खींचतान के बीच अपनी शक्ल बदलती रही। 2011 में पुणे वॉरियर्स इंडिया और कोच्चि टस्कर्स केरल की एंट्री ने विस्तार का संकेत दिया, लेकिन कोच्चि की टीम एक ही सीजन में “आकर-गायब” हो गई और अनुबंध खत्म होते ही बाहर हो गई। इसके बाद डेक्कन चार्जर्स का अध्याय 2012 में बंद हुआ और 2013 से सनराइजर्स हैदराबाद ने उसकी जगह लेकर नई पहचान बनाई, जबकि पुणे टीम भी आर्थिक विवादों के चलते 2013 में लीग से हट गई। 2015 में स्पॉट-फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण ने आईपीएल को सबसे बड़ा झटका दिया चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स दो सीजन के लिए निलंबित हुए और 2016-17 में उनकी जगह राइजिंग पुणे सुपरजायंट व गुजरात लायंस को मैदान में उतारा गया। 2018 में जब सीएसके और राजस्थान की वापसी हुई तो ये दोनों अस्थायी फ्रेंचाइज़ियां इतिहास बन गईं। फिर 2022 में गुजरात टाइटन्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की एंट्री के साथ आईपीएल दोबारा 10 टीमों की लीग बन गया और एक बार फिर साबित हुआ कि आईपीएल में बदलाव सिर्फ क्रिकेटिंग नहीं, कॉर्पोरेट और प्रशासनिक फैसलों से भी तय होते हैं।

अंक तालिका और प्लेऑफ की जंग

आईपीएल का लीग स्टेज असल में एक लंबी “पॉइंट्स की रेस” है, जहां हर टीम को 14 मुकाबलों में खुद को बार-बार साबित करना होता है। जीत पर 2 अंक मिलते हैं, टाई या नो-रिजल्ट की स्थिति में 1 अंक, जबकि हार सीधे शून्य पर ले जाती है। जब अंक बराबर हो जाएं तो असली जंग नेट रन रेट (NRR) पर आ टिकती है यही वह पैमाना है जो मामूली अंतर में भी प्लेऑफ की तस्वीर पलट देता है। ग्रुप चरण के बाद टॉप-4 टीमें प्लेऑफ में पहुंचती हैं, जहां फॉर्मेट टीमों को “दूसरा मौका” भी देता है और दबाव की परीक्षा भी लेता है। टॉप-2 टीमें क्वालिफायर-1 खेलती हैं जीतने वाली सीधे फाइनल में, और हारने वाली के पास एक और रास्ता बचा रहता है। वहीं तीसरी-चौथी टीम एलिमिनेटर में भिड़ती हैं, जहां हार का मतलब टूर्नामेंट से सीधा बाहर। एलिमिनेटर की विजेता क्वालिफायर-2 में क्वालिफायर-1 की हारी टीम से टकराती है और यहां से जो जीतता है, वही फाइनल का दूसरा दावेदार बनता है। कुल मिलाकर, आईपीएल का प्लेऑफ सिस्टम ऐसा है कि “टॉप पर रहने का फायदा” भी मिलता है और “एक गलती की कीमत” भी तुरंत चुकानी पड़ती है। पहला आईपीएल 44 दिनों तक चला और खिताब राजस्थान रॉयल्स ने जीता एक ऐसी फ्रेंचाइज़ी जिसे उस समय “छोटा बाजार” माना जाता था। कप्तानी शेन वॉर्न के हाथ में थी और वहीं से आईपीएल ने बता दिया कि यहां सिर्फ नाम नहीं, रणनीति और मंच का दबाव जीत तय करता है।

फ्रेंचाइज़ी की कीमत कैसे उछली

आईपीएल का सबसे बड़ा ‘गेम-चेंजर’ यही रहा कि उसने क्रिकेट को मैदान से निकालकर निवेश, ब्रांड और मीडिया इकोनॉमी के केंद्र में ला खड़ा किया। जहां 2009 के आसपास 8 टीमों के दौर में एक फ्रेंचाइज़ी की औसत कीमत करीब 67 मिलियन डॉलर बताई जाती थी, वहीं 2022 तक 10 टीमों के साथ यही औसत मूल्यांकन 1.04 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की चर्चा हुई यानी कुछ ही वर्षों में लीग ने वैल्यूएशन की परिभाषा ही बदल दी। इस उछाल के पीछे सबसे बड़ा इंजन रहा ‘मीडिया राइट्स’ का बूम। 2023 से शुरू होने वाले पांच वर्षीय चक्र (2023–27) के लिए स्ट्रीमिंग और टीवी अधिकार लगभग 6 अरब डॉलर में बिकने का उल्लेख है जिसने यह साफ कर दिया कि आईपीएल अब सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, भारत का सबसे बड़ा लाइव कंटेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां हर ओवर के साथ ब्रांड वैल्यू भी रन बनाती है।

आईपीएल का असर

आईपीएल की कामयाबी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही इसने क्रिकेट की पूरी “लीग-इकोनॉमी” का नक्शा बदल दिया। इसी असर का नतीजा था कि बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को भी उसी बड़े मंच पर लाने का फैसला किया और महिला प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत की, जिसका पहला सीजन मार्च 2023 में खेला गया। आईपीएल मॉडल ने बाकी क्रिकेट देशों को भी संदेश दे दिया कि टी20 अब सिर्फ फॉर्मेट नहीं, एक इंडस्ट्री है यही वजह है कि दुनिया भर में घरेलू टी20 लीगों की प्रतिस्पर्धा तेज होती चली गई। अमेरिका की मेजर लीग क्रिकेट (MLC) भी इसी वैश्विक लहर का हिस्सा है, जहां कुछ टीमों में आईपीएल फ्रेंचाइज़ियों के मालिकों के निवेश की बात सामने आती है और कई जाने-पहचाने आईपीएल खिलाड़ी वहां मैदान में उतरते दिखते हैं। कुल मिलाकर, आईपीएल ने क्रिकेट को ‘लोकल टूर्नामेंट’ से उठाकर ‘ग्लोबल लीग कल्चर’ में बदल दिया जहां खेल, पैसा और ब्रांडिंग एक ही पिच पर साथ खेलते हैं।

 विवादों से भी रहा है गहरा नाता

आईपीएल की कहानी जितनी रोशनी और रिकॉर्ड्स से भरी है, उतनी ही विवादों की परतें भी इसके साथ चलती रही हैं। लीग के शुरुआती वर्षों में ही 2010 के दौरान राजस्थान रॉयल्स और किंग्स XI पंजाब पर स्वामित्व/शेयरहोल्डिंग नियम तोड़ने के आरोप लगे, जिन्हें बाद में कानूनी लड़ाई के बाद 2011 से बहाल किया गया। उसी दौर में कोच्चि फ्रेंचाइज़ी को लेकर हितों के टकराव, कथित अनुचित लाभ और राजनीतिक खींचतान ने आईपीएल को सुर्खियों में ला दिया। फिर ललित मोदी पर वित्तीय अनियमितताओं और कदाचार के आरोपों की जांच हुई और उनके खिलाफ आजीवन प्रतिबंध तक की चर्चा सामने आई। 2013 में मैच से जुड़ी अनियमितताओं और सट्टेबाजी के आरोपों ने लीग की साख को बड़ा झटका दिया, जिसके बाद खिलाड़ियों और फ्रेंचाइज़ी अधिकारियों पर कड़े प्रतिबंध/निलंबन की कार्रवाइयां हुईं। 2015 में लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स का दो साल का निलंबन आईपीएल के इतिहास का सबसे कठोर कदम माना गया। आगे चलकर 2021 में कोविड मामलों के चलते टूर्नामेंट बीच में रोकना पड़ा और शेष मुकाबले यूएई में कराने पड़े। वहीं 2025 में भारत–पाक सीमा पर तनाव के बाद लीग का अस्थायी स्थगन और फिर दोबारा शुरू होकर सीजन पूरा होना बताता है कि आईपीएल सिर्फ खेल नहीं यह देश की परिस्थितियों, सुरक्षा और प्रशासनिक फैसलों से भी सीधे प्रभावित रहने वाली एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुका है।

चैंपियंस की सूची

  1. 2008: राजस्थान रॉयल्स
  2. 2009: डेक्कन चार्जर्स
  3. 2010: चेन्नई सुपर किंग्स
  4. 2011: चेन्नई सुपर किंग्स
  5. 2012: कोलकाता नाइट राइडर्स
  6. 2013: मुंबई इंडियंस
  7. 2014: कोलकाता नाइट राइडर्स
  8. 2015: मुंबई इंडियंस
  9. 2016: सनराइजर्स हैदराबाद
  10. 2017: मुंबई इंडियंस
  11. 2018: चेन्नई सुपर किंग्स
  12. 2019: मुंबई इंडियंस
  13. 2020: मुंबई इंडियंस
  14. 2021: चेन्नई सुपर किंग्स
  15. 2022: गुजरात टाइटन्स
  16. 2023: चेन्नई सुपर किंग्स
  17. 2024: कोलकाता नाइट राइडर्स
  18. 2025: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु History of IPL

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