उत्तर प्रदेश में विराजते हैं ‘सखी’ हनुमान, 500 साल से जारी है अनोखी पूजा

उत्तर प्रदेश में विराजते हैं ‘सखी’ हनुमान, 500 साल से जारी है अनोखी पूजा
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Aug 2025 11:18 AM
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उत्तर प्रदेश की धरती केवल ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विरासत के लिहाज से भी अद्वितीय मानी जाती है। उत्तर प्रदेश की इसी धरती पर, झांसी के पास स्थित है वह अनोखा मंदिर, जो भगवान हनुमान के एक ऐसे स्वरूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। ‘सखी के हनुमान मंदिर’ - भारत का इकलौता ऐसा स्थल है, जहां बजरंगबली की स्त्री स्वरूप में आराधना होती है। पारंपरिक रूपों - जैसे वीर हनुमान, संकटमोचन या पंचमुखी से इतर, यहां भगवान हनुमान माता सीता की सखी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।  Uttar Pradesh Samachar

500 साल पुरानी हैं मान्यता

आस्था की भूमि उत्तर प्रदेश, जहां हर कोना किसी न किसी दिव्य कथा से जुड़ा है, वहीं झांसी की पवित्र धरती पर स्थित ‘सखी के हनुमान मंदिर’ की उत्पत्ति भी एक अलौकिक अनुभव से जुड़ी है। जनश्रुतियों के अनुसार, लगभग 500 वर्ष पहले ओरछा में एक तपस्वी संत ‘सखी बाबा’ को रात्रि में एक दिव्य स्वप्न प्राप्त हुआ। स्वप्न में स्वयं भगवान हनुमान ने उन्हें स्त्री स्वरूप में दर्शन दिए और निर्देश दिया कि इस दुर्लभ रूप की मूर्ति को किसी विशेष स्थान पर स्थापित किया जाए। संत ने आदेश का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश की झांसी धरती को चुना और यहां ‘सखी रूप’ में बजरंगबली की प्रतिमा की स्थापना की—जो आज करोड़ों श्रद्धालुओं की भक्ति का केंद्र बन चुकी है।

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धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख

आनंद रामायण में इस रहस्य का उल्लेख मिलता है, जिसमें कहा गया है - चारुशिला नामक सखी सदा रहत सिय संग, इत दासी उत दास हैं, त्रिया तन्य बजरंग। इस चौपाई के अनुसार, माता सीता की सेवा के लिए हनुमान जी ने स्त्री रूप धारण किया था और चारुशिला नाम की सखी बनकर उनके साथ रहीं। उसी स्वरूप की आराधना इस मंदिर में की जाती है। बता दें कि हर साल हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर में भव्य दो दिवसीय महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस दौरान मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, विशेष श्रृंगार, और विशाल भंडारे का आयोजन होता है। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। पूरा क्षेत्र भक्ति और आस्था के रंग में रंग जाता है।  Uttar Pradesh Samachar

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संभल में नियमों की अनदेखी पड़ी भारी, मस्जिद कमेटी प्रमुख पर केस

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 11:38 PM
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उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद प्रबंध समिति के अध्यक्ष जफर अली एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। मुरादाबाद जेल से रिहा होने के बाद भव्य स्वागत और जुलूस निकालने को लेकर अब उनके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। अली के साथ उनके 50 से 60 समर्थक भी इस कानूनी कार्रवाई की जद में आ गए हैं।  मंगलवार देर रात संभल पुलिस की ओर से जारी बयान में बताया गया कि कोतवाली में दरोगा आशीष तोमर की तहरीर के आधार पर जफर अली सहित सरफराज, ताहिर और हैदर को नामजद किया गया है, जबकि 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा के उल्लंघन के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के अंतर्गत यह कार्रवाई की गई है।  Uttar Pradesh Samachar

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो बना सबूत

1 अगस्त को जेल से रिहा हुए जफर अली का कारवां जब मुरादाबाद से संभल की ओर रवाना हुआ, तो रास्ते में उनका जगह-जगह ज़ोरदार स्वागत हुआ। लगभग 40 किलोमीटर के इस रोड शो में नारेबाज़ी, आतिशबाज़ी और पुष्पवर्षा के दृश्य खुलेआम देखे गए।  इस पूरे आयोजन का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की।

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क्यों हुई थी गिरफ्तारी?

24 नवंबर को जामा मस्जिद में हुए सर्वेक्षण के दौरान जो बवाल हुआ था, उसमें जफर अली की भूमिका को लेकर गंभीर आरोप सामने आए थे। उन्हें आपराधिक साजिश रचने और झूठे बयान देकर पुलिस को गुमराह करने के मामले में 23 मार्च को गिरफ्तार कर मुरादाबाद जेल भेजा गया था। अब जब उनकी रिहाई हुई, तो कानून-व्यवस्था की अनदेखी करते हुए जिस प्रकार का जुलूस निकाला गया, उस पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के आयोजनों से शहर की शांति भंग होने की आशंका बनती है, इसलिए कार्रवाई करना अनिवार्य हो गया था।  Uttar Pradesh Samachar

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अवैध कब्जा या जातीय एजेंडा ? यादव - मुस्लिम पर आदेश से भड़के अखिलेश

अवैध कब्जा या जातीय एजेंडा ? यादव - मुस्लिम पर आदेश से भड़के अखिलेश
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calendar05 Aug 2025 04:01 PM
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उत्तर प्रदेश के पंचायती राज निदेशालय की ओर से जारी एक कथित जातिवादी आदेश ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। आदेश में यादव और मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की गई कथित अवैध कब्जेदारी के खिलाफ विशेष कार्रवाई की बात कही गई थी। जैसे ही यह निर्देश सार्वजनिक हुआ, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने इसे 'संविधान विरोधी' करार देते हुए कड़ा विरोध जताया। यह मामला तब और तूल पकड़ गया जब बलिया के जिला पंचायती राज अधिकारी ने इसे लेकर ज़मीनी स्तर पर निर्देश जारी किए।  Uttar Pradesh Samachar

अखिलेश यादव ने उठाए सवाल 

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस आदेश को संविधान की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर कुछ अवैध है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन जाति या धर्म विशेष को निशाना बनाकर कार्रवाई करना सीधा-सीधा भेदभाव है। न्यायपालिका को इसका स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। हम अदालत का रुख करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को जितनी प्रताड़ना दी जाएगी, उनकी एकता उतनी ही मजबूत होगी।

चंद्रशेखर आजाद ने भी लगाया बड़ा आरोप

नगीना से सांसद और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने आदेश को 'राजनीति से प्रेरित, असंवैधानिक और सामाजिक समरसता के खिलाफ' बताया। उन्होंने मांग की कि "सिर्फ निलंबन नहीं, बल्कि दोषी अधिकारियों पर FIR दर्ज कर सेवा से बर्खास्त करने जैसी कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि यह आदेश न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है, बल्कि सरकारी सेवा आचरण नियमावली की भी अवहेलना करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से जातीय और धार्मिक आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध है।

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क्या था विवादित आदेश?

दरअसल, 29 जुलाई को पंचायती राज निदेशालय द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए एक पत्र में प्रदेश की 57,691 ग्राम पंचायतों में यादव और मुस्लिम समुदाय द्वारा की गई कथित अवैध कब्जेदारियों को हटाने का निर्देश दिया गया था।इस पत्र में पंचायत की जमीन, तालाब, खाद-गड्ढे, श्मशान घाट, खेल मैदान और पंचायत भवन आदि की सूची शामिल थी, जिन्हें कथित तौर पर विशेष जाति और धर्म के लोगों ने कब्जा किया है। निर्देश में जिलाधिकारियों से ऐसे कब्जों को चिन्हित कर मुक्त कराने की बात कही गई थी।इसके साथ ही बलिया के डीपीआरओ अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने भी ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को फॉलो-अप आदेश भेजकर “नामित समुदायों” के कब्जे हटवाने का अभियान चलाने को कहा था, जिससे मामला और भड़क गया।

जैसे ही विवाद बढ़ा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मामले में हस्तक्षेप करते हुए आदेश को रद्द कर दिया और जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। सीएम ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में किसी भी प्रकार की जातिगत या सांप्रदायिक भेदभावपूर्ण कार्रवाई की कोई जगह नहीं है।  Uttar Pradesh Samachar