Birth Anniversary : ‘सिंहासन खाली करो, जनता आती है’ के नारे ने जेपी को बना दिया लोकनायक

Jp final
The slogan 'Empty the throne, people come' made JP a Lok Nayak
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:18 AM
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गांधी के देश में एक और महात्मा का उदय हुआ था, जिसे जयप्रकाश नारायण के नाम से जाना जाता है। उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व ने उन्हें ‘लोकनायक’ बना दिया। देश की आजादी से पहले गांधी जी के नमक आंदोलन ने अंग्रेजी हूकुमत की चूलें हिलाकर रख दी थीं। ठीक वैसा ही एक आंदोलन आजादी के बाद राजनीतिक अराजकता के खिलाफ था, जिसकी अगुवाई जयप्रकाश नारायण ने की थी। बिहार से उठी आंदोलन की छोटी सी चिंगारी पूरे देश में ज्वाला बनकर भड़क उठी। देशभर के युवा जयप्रकाश नारायण के पीछे चल पड़े। यद्यपि वह आजादी के आंदोलन में भी बेहद सक्रिय थे, लेकिन आजादी के बाद उनके आंदोलन ने उन्हें लोकनायक बना दिया। जब सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद 1974 में ‘सिंहासन खाली करो, जनता आती है’ के नारे के साथ वे मैदान में उतरे तो सारा देश उनके पीछे चल पड़ा, जैसे किसी संत महात्मा के पीछे चल रहा हो।

Birth Anniversary :

11 अक्टूबर, 1902 को जन्मे जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ भी उनके नाम पर है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही। उसमें अनेक पड़ाव आए, उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं, बल्कि आम जनजीवन को एक नई दिशा दी, नए मानक गढ़े। जैसे- भौतिकवाद से अध्यात्म, राजनीति से सामाजिक कार्य तथा जबरन सामाजिक सुधार से व्यक्तिगत दिमाग में परिवर्तन। वे विदेशी सत्ता से देशी सत्ता, देशी सत्ता से व्यवस्था, व्यवस्था से व्यक्ति में परिवर्तन और व्यक्ति में परिवर्तन से नैतिकता के पक्षधर थे। वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयत्न भी किए। जयप्रकाश नारायण का संपूर्ण जीवन भारतीय समाज की समस्याओं के समाधान के लिए प्रकट हुआ, एक अवतार की तरह, एक मसीहा की तरह। वे भारतीय राजनीति में सत्ता की कीचड़ में केवल सेवा के कमल कहलाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने भारतीय समाज के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन सार्वजनिक जीवन में जिन मूल्यों की स्थापना वे करना चाहते थे, वे मूल्य बहुत हद तक देश की राजनीतिक पार्टियों को स्वीकार्य नहीं थे। क्योंकि ये मूल्य राजनीति के तत्कालीन ढांचे को चुनौती देने के साथ-साथ स्वार्थ एवं पदलोलुपता की स्थितियों को समाप्त करने के पक्षधर थे, राष्ट्रीयता की भावना एवं नैतिकता की स्थापना उनका लक्ष्य था, राजनीति को वे सेवा का माध्यम बनाना चाहते थे।

Birth Anniversary :

महात्मा गांधी जयप्रकाश की साहस और देशभक्ति के प्रशंसक थे। उनका हजारीबाग जेल से भागना काफी चर्चित रहा और इसके कारण से वे असंख्य युवकों के सम्राट बन चुके थे। वे अत्यंत भावुक थे, लेकिन महान क्रांतिकारी भी थे। वे संयम, अनुशासन और मर्यादा के पक्षधर थे। इसलिए कभी भी मर्यादा की सीमा का उल्लंघन नहीं किया। विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपना अध्ययन नहीं छोड़ा और आर्थिक तंगी ने भी उनका मनोबल नहीं तोड़ा। यह उनके किसी भी कार्य की प्रतिबद्धता को ही निरूपित करता था, उनके दृढ़ विश्वास को परिलक्षित करता है। जयप्रकाश नारायण को 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए उन्होंने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नामक आंदोलन चलाया। लोकनायक ने कहा कि संपूर्ण क्रांति में सात क्रांतियां शामिल हैं, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रांति होती है। संपूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जयप्रकाश नारायण की हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी संपूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में ज्वाला बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालमुनि चौबे, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।

Birth Anniversary :

लोकनायक के शब्द को असलियत में चरितार्थ करने वाले जयप्रकाश नारायण अत्यंत समर्पित जननायक और मानवतावादी चिंतक तो थे ही, इसके साथ-साथ उनकी छवि अत्यंत शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है। उनका समाजवाद का नारा आज भी हर तरफ गूंज रहा है। भले ही उनके नारे पर राजनीति करने वाले उनके सिद्धान्तों को भूल रहे हों, क्योंकि उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति का नारा एवं आन्दोलन जिन उद्देश्यों एवं बुराइयों को समाप्त करने के लिये किया था, वे सारी बुराइयां इन राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं में व्याप्त है। संपूर्ण क्रांति के आह्वान में उन्होंने कहा था कि ‘भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना आदि ऐसी चीजें हैं, जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं, क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं, जब संपूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रांति, ‘सम्पूर्ण क्रांति’ आवश्यक है। इसलिए आज एक नयी सम्पूर्ण क्रांति की जरूरत है। यह क्रांति व्यक्ति सुधार से प्रारंभ होकर व्यवस्था सुधार पर केन्द्रित हो। कुर्सी पर कोई भी बैठे, लेकिन मूल्य प्रतिष्ठापित होने जरूरी है। ऐसा करके ही हम एक महान लोकनायक को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे।
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UP Politics : ठाकुर अमर सिंह के द्वारा पूंजीवाद की बड़ी साजिश का शिकार हुए थे मुलायम सिंह यादव

Amar singh
Mulayam Singh Yadav was the victim of a big conspiracy of capitalism by Amar Singh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:12 AM
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घोर निराशा में, आशा का दीप जला कर चले गए, दीन दुखी के जीवन में, उम्मीद जगाकर चले गए, गांधी, लोहिया के सपनों की याद दिला कर चले गए, सबका हृदय जीत लेने की कला सिखाकर चले गए, सहमति और असहमति पर एक सेतु बना कर चले गए, किन्तु, शिकायत है असमय में हाथ छुड़ाकर चले गए। ये पंक्तियां दुनिया के प्रसिद्ध कवि व शायर उदय प्रताप सिंह ने अपने सबसे प्रिय शिष्य मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देते हुए लिखी है। ऐसा लग रहा है कि मानो धरती पुत्र के नाम से प्रसिद्ध नेता जी के सम्मान से विभूषित अपने शिष्य का पूरा जीवन दर्शन गुरुजी ने मात्र 6 पंक्तियों में रेखांकित कर दिया हो। खैर, आज जब देश की राजधानी दिल्ली में हम इस आलेख को लिख रहे हैं। ठीक उसी समय दिल्ली से मात्र 350 किलोमीटर दूर सैफई गांव में समाजवाद के इतिहास पुरुष मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार चल रहा है। भीड़ है, लोग हैं, नेता हैं, नारे हैं, फूल हैं, भावुकता है, लेकिन यदि कोई नहीं है तो नहीं है 5 दशक से भी अधिक समय तक भारत में समाजवाद का झंडा बुलंद रखने वाले गांव, गरीब, झोपड़ी, भूखे, दबे, कुचले की आवाज को सत्ता के शिखर तक ले जाने वाले नेता जी, नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव। नेताजी को नेताजी की उपाधि किसी राज सत्ता अथवा नेता ने नहीं दी थी, यह उपाधि उन्हें दी थी उनसे प्यार करने वाले ढेर सारे किसानों, गरीबों, मजदूरों एवं मजलूमों ने। आइये! समाजवाद के उस पुरोधा को अंतिम नमन करते हुए उनके जीवन को जानने का प्रयास करते हैं।

UP Politics :

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर की शुरुआत बड़े संघर्ष के बीच शुरू हुई। वह महज 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बन गए थे। इमरजेंसी के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और वह 19 महीने तक जेल में रहे। साल 1977 में वह पहली बार राज्य मंत्री बने। 1980 में उत्तर प्रदेश में लोक दल के अध्यक्ष बने, जो बाद में जनता दल बन गया। मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। इस वक्त तक नेताजी युवा तुर्क रहे चंद्रशेखर की पार्टी जनता दल सोशलिस्ट पार्टी में थे। साल 1992 में उन्होंने अपनी समाजवादी पार्टी की नींव रखी और साल 1993 में ही उन्होंने ऐसा राजनीतिक दांव चला, जिससे उत्तर प्रदेश में बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो गया। राज्य में मुख्यमंत्री रहते हुए केंद्र में प्रमुख भूमिका निभाने की इच्छा को लेकर उन्होंने 2004 में मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्होंने यह सीट जीती और पार्टी का प्रदर्शन भी शानदार रहा। मुलायम सिंह यादव एक ऐसे नेता थे जो अपने करीबियों को हमेशा साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। और वह अपने हर नेता या साथी को हमेशा विश्वास में रखते थे।

UP Politics :

बेहद अभाव भरे परिवार में जन्म लेकर भूख व गरीबी के दर्द को जीने वाले मुलायम सिंह यादव भारतीय समाजवाद के सच्चे जनक राम मनोहर लोहिया के असली अनुयाई थे। किसानों और मजदूरों को जगाकर दिल्ली के सिंहासन तक ले जाने वाले चौधरी चरण सिंह के वे सच्चे वारिस भी थे, किन्तु पूंजीवाद की एक साजिश से जीते जी मुलायम सिंह यादव को बड़ा धक्का लगा। यदि वह साजिश ना हुई होती तो मुलायम सिंह का निधन केवल तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं हुआ होता। बल्कि, वे देश के प्रधानमंत्री बने होते और यह भी हो सकता था कि आज भी प्रधानमंत्री होते। आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता था? बताता हूं, दरअसल गांव, गरीब, दलित, भूखे, पिछड़े, शोषित जैसे तमाम वे वर्ग, जिनसे मिलकर भारत का बहुजन समाज यानि सबसे अधिक जनसंख्या वाला समाज बनता है। इस बहुजन समाज की देश में कुल आबादी 80 प्रतिशत है। यह पूरा समाज धीरे-धीरे मुलायम सिंह यादव को नेता मानने लगा था। उसी समय एक साजिश के तहत पूंजीवादी व्यवस्था का प्रतीक रहे अमर सिंह नामक एक विलेन नेता जी के मित्र बन गए। जी हां, वही अमर सिंह जिसे खुल्लम-खुल्ला अनिल अंबानी जैसे पूंजीपतियों का दलाल माना जाता था। इसी अमर सिंह ने समाजवाद के सच्चे पुरोधा को पूंजीवाद की तरफ धकेल डाला, फिर सारे देश ने देेखा ही है कि ना तो मुलायम समाजवादी रह पाए और ना ही पूरी तरह पूंजीवादी बन पाए। हां, जनता ने उनका हाथ जरूर छिटक दिया। फिर जो हुआ वह आपके सामने है।

UP Politics :

आज धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देते हुए देश में गांव व गरीब की राजनीति करने वाले प्रत्येक राजनीतिक कार्यकर्ता खासतौर से मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव को यह प्रण लेना पड़ेगा कि यदि कभी उन्हें नेता जी की ऊंचाई तक जाने का अवसर मिला तो वे पूंजीवाद की साजिशों से सावधान रहेंगे और भारत की असली समस्या गांव, गरीब, भूखे एवं झोपड़ी को केन्द्र में रखकर ही राजनीति करेंगे।
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Gujrat Political News : भाजपा सरकार ने गुजरात के हर व्यक्ति को 58 हजार का कर्जदार बनाया : राघव चड्ढा

Raghav chaddha
BJP government made every person in Gujarat a debtor of 58 thousand: Raghav Chadha
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 11:52 PM
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Ahmedabad/Amreli : अहमदाबाद/अमरेली (गुजरात)। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और गुजरात प्रदेश के सह-प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि अमरेली जिले में पिछले 27 सालों में भाजपा की अहंकारी सरकार ने एक भी हाईस्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल नहीं बनाई। ऐसा लगता है कि अमरेली जिले को जानबूझकर पिछड़ा रखा गया। अमरेली में पानी की भयंकर समस्या है। तीन-चार दिन में एक बार पानी आता है। अमरेली एक ऐसा जिला है, जहां की आबादी साल दर साल घटती जा रही है। क्योंकि लोग पलायन करके दूसरी जगह जा रहे हैं। अमरेली में ना कोई इंडस्ट्री है और ना ही रोजगार।

Gujrat Political News :

मीडिया से बातचीत के दौरान राघव चड्ढा ने कहा कि अमरेली जिले में गुजरात और देश को काफी सारे विधायक सांसद और मंत्री दिए हैं। लेकिन, इन नेताओं ने अमरेली जिले को कुछ नहीं दिया। सौराष्ट्र के साथ भाजपा की 27 साल पुरानी सरकार ने हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। लेकिन, आने वाले समय में आम आदमी पार्टी की सरकार इस सौतेलेपन को दूर करके सौराष्ट्र में विकास के कार्य करेगी। यहां पर किसानों को भी काफी समस्या है। वे बिजली, पानी, जंगली जानवरों की समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य न मिलना भी बड़ी समस्या है। इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर अमरेली के लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। यहां सड़कों पर जगह जगह गड्ढे नजर आते हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि अमरेली की जनता अपील की कि जैसे दिल्ली और पंजाब के लोगों ने दशकों पुरानी पारंपरिक पार्टियों को उखाड़ फेंका और नई राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी को मौका दिया, इसी तरह आप भी अरविंद केजरीवाल को एक मौका दें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आप एक बार नहीं, बल्कि बार-बार आम आदमी पार्टी को वोट देंगे। ऐसा काम हम अमरेली जिले और पूरे सौराष्ट्र में करके दिखाएंगे। उन्होंने भाजपा पर सौराष्ट्र के साथ सौतेला बर्ताव करने का आरोप लगाया और कहा कि हम ‘अपना सौराष्ट्र’ बनाएंगे।

Gujrat Political News :

उन्होंने कहा कि आंकड़ों पर गौर करें तो आपको पता चलेगा कि गुजरात में पिछले 27 साल से भाजपा की सरकार है और इससे पहले करीब 35 साल कांग्रेस की सरकार थी। यानी गुजरात की जनता ने कांग्रेस और भाजपा को 62 साल दिए। ये दोनों ने मिलकर गुजरात को बर्बाद कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि पिछले 62 वर्षों से ये पार्टियां आपके जीवन को बेहतर नहीं बना सकीं और गरीबी को नहीं मिटा सकी, तो वे आने वाले दिनो में भी ऐसा नहीं कर पाएंगी। गुजरात की जनता से निवेदन है कि आप सिर्फ पांच साल आम आदमी पार्टी को देकर देखिये। अगर आपको पांच साल में हमारा काम पसंद नहीं आया तो पांच साल बाद हमें वोट नहीं देना। लेकिन, आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को एक मौका दे कर देखो। दिल्ली की जनता ने दिल्ली में 15 साल पुरानी सरकार को हटाकर आम आदमी पार्टी को मौका दिया और पंजाब की जनता ने 50 साल पुरानी कांग्रेस और अकाली दल की सरकार को उखाड़ फेंका और आम आदमी पार्टी को मौका दिया। अब इसी तरह गुजरात के लोग कांग्रेस और भाजपा के 62 साल के शासन को उखाड़ फेंकें और आम आदमी पार्टी को एक मौका दें।

Gujrat Political News :

आप नेता ने कहा कि मैं सीए हूं। मुझे आंकड़ों की समझ है। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि गुजरात की भ्रष्ट सरकार ने गुजरात को साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज में जकड़ रखा है। गुजरात की जनता को जितनी व्यापार की समझ है, उतनी समझ किसी को नहीं है। यहां की आबोहवा में व्यापार है। गुजराती लोग घाटे के कारोबार को भी मुनाफे में बदल देते हैं, लेकिन गुजरात के भ्रष्ट नेताओं ने मुनाफाखोरी करने वाली सरकार को कर्जदार बना दिया है। गुजरात की कुल आबादी साढ़े छह करोड़ है और साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज है, गुजरात के प्रति व्यक्ति पर 58 हजार का कर्ज है। गुजरात में एक बच्चा पैदा होते ही उन पर 58 हजार का कर्ज बढ़ जाता है। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि गुजरात को कर्ज मुक्त करने के लिए एक मौका अरविंद केजरीवाल को दें। राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि गुजरात में आम आदमी पार्टी जहां भी अपने पोस्टर बैनर लगाती है, वहां भाजपा, पुलिस या स्थानीय प्रशासन की मदद से उन्हें फाड़ देती है। भाजपा कांग्रेस के बैनर नहीं फाड़ रही है, केवल आम आदमी पार्टी के बैनर फाड़ रही है और दूसरी ओर, भाजपा के लोग हर गली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ पोस्टर लगा रहे हैं। भाजपा के लोग कांग्रेस के खिलाफ होर्डिंग, पोस्टर, बैनर नहीं लगाते। भाजपा के लोग इन दिनों कांग्रेस के लोगों को गालियां भी नहीं दे रहे हैं और न ही उनके खिलाफ कोई बयान दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं का भूत रात को भी भाजपा को डराता है।

Gujrat Political News :

उन्होंने कहा कि भाजपा इतनी डरी हुई है कि उन्होंने हमारे बैनर, पोस्टर फाड़ दिए, हमारे नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, आम आदमी पार्टी द्वारा बनाए गए गणेश पंडाल को गिरा दिया। उस इमारत को बुलडोजर से गिरा दिया, जहां ‘आप’ की सभाएं होती हैं। संभव है कि भाजपा के लोग इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अमरेली सर्किट हाउस पर बुलडोजर चला दें। भाजपा को एहसास हो गया है कि 2022 के विधानसभा चुनाव की रेस में आम आदमी पार्टी भाजपा से आगे निकल गई है।