26 साल बाद फिर वही कहानी: इस बार चाय नहीं, मॉर्निंग वॉक पर पालाबदल!

तमिलनाडु में बीजेपी को तगड़ा झटका
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को करारा झटका देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को एनडीए (NDA) गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी। दिलचस्प बात यह रही कि इस घोषणा से कुछ घंटे पहले ही ओपीएस की मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन से मॉर्निंग वॉक के दौरान मुलाकात हुई थी। इसके बाद ओपीएस ने अपने करीबी नेताओं के साथ बैठक कर यह अहम फैसला लिया।1999 की चाय पार्टी से 2025 की मॉर्निंग वॉक तक
यह सियासी घटनाक्रम 1999 की उस चाय पार्टी की याद दिलाता है जब जयललिता ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिराने की पटकथा लिखी गई थी। आज ठीक 26 साल बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी OPS ने मॉर्निंग वॉक पर स्टालिन से मिलकर एक नई कहानी की शुरुआत कर दी।पीएम मोदी से मुलाकात न होना बना बड़ी वजह
ओपीएस की नाराजगी काफी समय से भीतर ही भीतर सुलग रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की कोशिश के बावजूद उन्हें समय नहीं मिला, जिससे वे बेहद आहत थे। उन्होंने मोदी को पत्र भी लिखा लेकिन मुलाकात न हो पाने से उनका भरोसा कमजोर हुआ। इसके बाद ही उन्होंने एनडीए से अलग होने की ठान ली।स्टालिन के साथ ठहलकशी और रणनीति?
गुरुवार सुबह ओपीएस और स्टालिन की साथ मॉर्निंग वॉक पर हुई मुलाकात अब चर्चा का विषय बन चुकी है। दोनों नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक बातचीत के बाद ओपीएस ने अचानक बीजेपी से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी। क्या यह केवल संयोग था या फिर एक रणनीतिक मुलाकात? इस पर तमिलनाडु की सियासत में बहस तेज हो चुकी है।अब ओपीएस का अगला कदम क्या?
ओपीएस के करीबी सलाहकार पंरुती एस रामचंद्रन ने ऐलान किया कि अब उनकी समिति एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि पन्नीरसेल्वम जल्द ही तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे और भविष्य में गठबंधन को लेकर फैसला लेंगे। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में ओपीएस के पास दो बड़े विकल्प नजर आ रहे हैं। पहला अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके और दूसरा मुख्यमंत्री स्टालिन की डीएमके। सूत्रों की मानें तो ओपीएस, शशिकला के भतीजे और AIADMK से बागी नेता टीटीवी दिनाकरण को भी अपने साथ ला सकते हैं।यह भी पढ़े: जनाब जरा गौर फरमाइए! आज है बहुत बड़ा दिन
बीजेपी की मुश्किलें बढ़ीं
तमिलनाडु में बीजेपी के लिए यह एक और बड़ा झटका है। AIADMK से पहले ही रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं और अब ओपीएस का समर्थन भी खोना, चुनावी रणनीति को कमजोर बना सकता है। ओपीएस तमिलनाडु के प्रभावशाली थेवर समुदाय से आते हैं, जिनकी आबादी राज्य में 10-12% है। यह वोटबैंक बीजेपी और AIADMK के लिए अहम था। अगर ओपीएस अकेले या डीएमके के साथ चुनाव लड़ते हैं, तो विपक्ष को सीधी बढ़त मिल सकती है। वहीं अगर वो तीसरा मोर्चा बनाते हैं, तो वोटों का बंटवारा तय है।अगली खबर पढ़ें
तमिलनाडु में बीजेपी को तगड़ा झटका
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को करारा झटका देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को एनडीए (NDA) गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी। दिलचस्प बात यह रही कि इस घोषणा से कुछ घंटे पहले ही ओपीएस की मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन से मॉर्निंग वॉक के दौरान मुलाकात हुई थी। इसके बाद ओपीएस ने अपने करीबी नेताओं के साथ बैठक कर यह अहम फैसला लिया।1999 की चाय पार्टी से 2025 की मॉर्निंग वॉक तक
यह सियासी घटनाक्रम 1999 की उस चाय पार्टी की याद दिलाता है जब जयललिता ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिराने की पटकथा लिखी गई थी। आज ठीक 26 साल बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी OPS ने मॉर्निंग वॉक पर स्टालिन से मिलकर एक नई कहानी की शुरुआत कर दी।पीएम मोदी से मुलाकात न होना बना बड़ी वजह
ओपीएस की नाराजगी काफी समय से भीतर ही भीतर सुलग रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की कोशिश के बावजूद उन्हें समय नहीं मिला, जिससे वे बेहद आहत थे। उन्होंने मोदी को पत्र भी लिखा लेकिन मुलाकात न हो पाने से उनका भरोसा कमजोर हुआ। इसके बाद ही उन्होंने एनडीए से अलग होने की ठान ली।स्टालिन के साथ ठहलकशी और रणनीति?
गुरुवार सुबह ओपीएस और स्टालिन की साथ मॉर्निंग वॉक पर हुई मुलाकात अब चर्चा का विषय बन चुकी है। दोनों नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक बातचीत के बाद ओपीएस ने अचानक बीजेपी से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी। क्या यह केवल संयोग था या फिर एक रणनीतिक मुलाकात? इस पर तमिलनाडु की सियासत में बहस तेज हो चुकी है।अब ओपीएस का अगला कदम क्या?
ओपीएस के करीबी सलाहकार पंरुती एस रामचंद्रन ने ऐलान किया कि अब उनकी समिति एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि पन्नीरसेल्वम जल्द ही तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे और भविष्य में गठबंधन को लेकर फैसला लेंगे। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में ओपीएस के पास दो बड़े विकल्प नजर आ रहे हैं। पहला अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके और दूसरा मुख्यमंत्री स्टालिन की डीएमके। सूत्रों की मानें तो ओपीएस, शशिकला के भतीजे और AIADMK से बागी नेता टीटीवी दिनाकरण को भी अपने साथ ला सकते हैं।यह भी पढ़े: जनाब जरा गौर फरमाइए! आज है बहुत बड़ा दिन
बीजेपी की मुश्किलें बढ़ीं
तमिलनाडु में बीजेपी के लिए यह एक और बड़ा झटका है। AIADMK से पहले ही रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं और अब ओपीएस का समर्थन भी खोना, चुनावी रणनीति को कमजोर बना सकता है। ओपीएस तमिलनाडु के प्रभावशाली थेवर समुदाय से आते हैं, जिनकी आबादी राज्य में 10-12% है। यह वोटबैंक बीजेपी और AIADMK के लिए अहम था। अगर ओपीएस अकेले या डीएमके के साथ चुनाव लड़ते हैं, तो विपक्ष को सीधी बढ़त मिल सकती है। वहीं अगर वो तीसरा मोर्चा बनाते हैं, तो वोटों का बंटवारा तय है।संबंधित खबरें
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