शुरू हुआ ई-वोटिंग का युग, अब वोट डालने के लिए पोलिंग बूथ की जरूरत नहीं

क्या है ई-वोटिंग और कैसे करता है काम?
ई-वोटिंग यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मतदाता अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप या किसी अधिकृत कियोस्क से घर बैठे वोट डाल सकते हैं। इसके लिए एक विशेष ऐप ‘e-SECBHR’ बनाया गया है, जो फिलहाल केवल एंड्रॉयड मोबाइल पर उपलब्ध है।कैसे कर सकेंगे ई-वोटिंग?
वोटर को ऐप डाउनलोड कर रजिस्ट्रेशन करना होगा। मोबाइल नंबर को वोटर लिस्ट में दर्ज मोबाइल नंबर से लिंक करना होगा। पहचान के लिए वोटर ID का वेरिफिकेशन किया जाएगा। एक मोबाइल नंबर से अधिकतम दो वोटर्स लॉगिन कर सकेंगे। एक बार वोट डालने के बाद दोबारा वोट डालना संभव नहीं होगा। मतदान सिर्फ तय तिथि को ही किया जा सकेगा।कितनी सुरक्षित है ई-वोटिंग?
इस पूरी प्रणाली को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए सुरक्षित बनाया गया है, जिससे डाले गए वोट को कोई बदल नहीं सकता। इसके अलावा, फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) से पहचान सुनिश्चित की जाती है OCR (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन) से वोटों की गिनती तेज और सटीक होती है। ईवीएम स्ट्रॉन्गरूम की तर्ज पर डिजिटल लॉक से डेटा की सुरक्षा होती है। ई-वोटिंग में EVM की तरह VVPAT जैसी ऑडिट ट्रेल भी जोड़ी गई है। चुनाव आयोग ने बताया कि यह प्रणाली खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकते जैसे प्रवासी मजदूर, दिव्यांग, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मतदाता।दुनिया में कब शुरू हुई थी ई-वोटिंग?
ई-वोटिंग की शुरुआत सबसे पहले एस्टोनिया ने साल 2005 में की थी। इसके बाद बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस जैसे देशों में भी इसे अपनाया गया। हालांकि, कई देशों ने इसे बाद में सुरक्षा कारणों से स्थगित या बंद भी कर दिया।क्या कहता है यह कदम?
बिहार का यह कदम न सिर्फ तकनीकी नवाचार की ओर इशारा करता है, बल्कि यह लोकतंत्र को ज्यादा समावेशी, सुविधाजनक और आधुनिक बनाने की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है। अब देखना होगा कि भविष्य में यह प्रणाली कितने बड़े स्तर पर अपनाई जाती है और देश के अन्य राज्यों तक कब पहुंचती है। E-Votingभारत में पहली बार मोबाइल ऐप से होगी वोटिंग – जानिए क्या है प्रक्रिया ?
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ई-वोटिंग यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मतदाता अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप या किसी अधिकृत कियोस्क से घर बैठे वोट डाल सकते हैं। इसके लिए एक विशेष ऐप ‘e-SECBHR’ बनाया गया है, जो फिलहाल केवल एंड्रॉयड मोबाइल पर उपलब्ध है।कैसे कर सकेंगे ई-वोटिंग?
वोटर को ऐप डाउनलोड कर रजिस्ट्रेशन करना होगा। मोबाइल नंबर को वोटर लिस्ट में दर्ज मोबाइल नंबर से लिंक करना होगा। पहचान के लिए वोटर ID का वेरिफिकेशन किया जाएगा। एक मोबाइल नंबर से अधिकतम दो वोटर्स लॉगिन कर सकेंगे। एक बार वोट डालने के बाद दोबारा वोट डालना संभव नहीं होगा। मतदान सिर्फ तय तिथि को ही किया जा सकेगा।कितनी सुरक्षित है ई-वोटिंग?
इस पूरी प्रणाली को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए सुरक्षित बनाया गया है, जिससे डाले गए वोट को कोई बदल नहीं सकता। इसके अलावा, फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) से पहचान सुनिश्चित की जाती है OCR (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन) से वोटों की गिनती तेज और सटीक होती है। ईवीएम स्ट्रॉन्गरूम की तर्ज पर डिजिटल लॉक से डेटा की सुरक्षा होती है। ई-वोटिंग में EVM की तरह VVPAT जैसी ऑडिट ट्रेल भी जोड़ी गई है। चुनाव आयोग ने बताया कि यह प्रणाली खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकते जैसे प्रवासी मजदूर, दिव्यांग, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मतदाता।दुनिया में कब शुरू हुई थी ई-वोटिंग?
ई-वोटिंग की शुरुआत सबसे पहले एस्टोनिया ने साल 2005 में की थी। इसके बाद बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस जैसे देशों में भी इसे अपनाया गया। हालांकि, कई देशों ने इसे बाद में सुरक्षा कारणों से स्थगित या बंद भी कर दिया।क्या कहता है यह कदम?
बिहार का यह कदम न सिर्फ तकनीकी नवाचार की ओर इशारा करता है, बल्कि यह लोकतंत्र को ज्यादा समावेशी, सुविधाजनक और आधुनिक बनाने की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है। अब देखना होगा कि भविष्य में यह प्रणाली कितने बड़े स्तर पर अपनाई जाती है और देश के अन्य राज्यों तक कब पहुंचती है। E-Votingभारत में पहली बार मोबाइल ऐप से होगी वोटिंग – जानिए क्या है प्रक्रिया ?
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