UP News : दुनिया के कई देश इस समय बेहद ही गंभीर परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। इन देशों में हो रहा आपसी युद्ध पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। रूस–यूक्रेन और इजराइल–फिलिस्तीन में पहले से ही युद्ध जारी है। अब लाल सागर भी चपेट में आ गया है। लाल सागर में मालवाहक पोत पर हमले हो रहे हैं। दुनिया की इन लड़ाईयां यूपी के एक शहर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इस शहर के कारोबारी बर्बाद की कगार पर पहुंच गए हैं। दुनिया के उक्त देशों में छिड़ रही जंग के कारण यूपी के इस शहर के कारोबारियों के करीब 150 करोड़ रुपये के इंपोर्ट आर्डर बीच में ही अटक गए हैं।
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का सहारनपुर शहर वुड कार्विंग के लिए पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। लेकिन यूपी के इस शहर के कारोबारी इस वक्त बेहद ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। रूस–यूक्रेन और इजराइल–फिलिस्तीन युद्ध तथा लाल सागर में मालवाहक पोत पर हो रहे हमलों के कारण सहारनपुर के वुड़ कार्विंग उद्योग से जुड़े कारोबारियों के समक्ष इस समय आर्थिक संकट गहरा गया है। लाल सागर में हो रहे हमलों के कारण शिपिंग कंपनियों को वैकल्पिक मार्ग से गंतव्य पर जाना पड़ रहा है। इसके चलते माल-भाड़े में हुए इज़ाफे के कारण विदेशी बॉयर्स ने करोड़ों रुपये के इंपोर्ट ऑर्डर होल्ड कर दिए हैं। करीब 150 करोड रुपये के ऑर्डर स्थगित हो जाने के कारण सहारनपुर का वुड कार्विंग उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच गया है।
काम नहीं होने के चलते बहुत से लकड़ी नक्कासी से जुड़े कारीगर अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी कर रहे हैं। कुछ कारीगर तो काम की तलाश में सहारनपुर से पलायन भी कर गए हैं। जिस कारण गुड कार्विंग के कारखाने बड़ी संख्या में बंद हो गए है।
आपको बता दें कि सहारनपुर के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर घर-घर में वुड कार्विंग का काम होता है। शहर के नयाबास, खाता खेड़ी, शाह जी की सराय, मंडी समिति रोड, ईदगाह रोड, चिलकाना रोड और इंडस्ट्रीयल एरिया में हजारों की संख्या में वुड कार्विंग कारोबार की छोटी बड़ी यूनिट लगी हुई है। लाखों लोगों की रोजी-रोटी वुड कार्विंग के कारोबार से चलती है। पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी वुड कार्विंग के काम को करते हैं। करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा भारत को देने वाले वुड कार्विंग उद्योग पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
माल भाड़े में इजाफा होने से बढ़ी कीमत
वुड कार्विंग कारोबार के प्रमुख निर्यातक और सीआईएस के अध्यक्ष रविंद्र मिगलानी का कहना है कि उनका परिवार लंबे समय से इस कारोबार से जुड़ा है। पिछले 25-30 साल में हमने ऐसी मंदी नहीं देखी है। जैसा दो ढाई महीने से महसूस हो रहा है। उन्होंनेे बताया कि यूक्रेन–रूस, इजराइल–फिलिस्तीन युद्ध तथा अन्य कई वजह भी इसमें शामिल है। इसके अलावा जब युद्ध हुआ तो मालवाहक जहाजों पर समुद्र में हमले भी हुए। इसके चलते शिपिंग कंपनियों को रूट डायवर्ट करना पड़ा और माल भाड़े में इजाफा होने से विदेशी बॉयर्स की कॉस्ट बढ़ गई। इसीलिए बायर्स ने करोड़ों रुपये के आर्डर होल्ड कर दिए हैं।
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वुड कार्विंग एक्सपोर्ट में लगे शिबान हनफी का कहना था कि सहारनपुर से हर साल करीब 1500 करोड रुपये का एक्सपोर्ट होता है, जो अब 90% तक घट गया है। विश्व में हो रहे झगडों से यहां के कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है। बड़ी संख्या में लकड़ी के कारखाने बंद हो गए हैं। कारीगरों के पास काम नहीं है। कारीगर मजदूरी और ई रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।
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