बैंक खाता है तो ध्यान दें, होने वाला है कुछ बड़ा!
2026 में भारत सरकार सरकारी बैंकों का महा‑मर्जर करने की तैयारी कर रही है। यह कदम सरकारी बैंकों को मजबूत बनाने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उठाया जा रहा है। आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच प्रारंभिक बातचीत शुरू हो चुकी है।

नए साल के लिए बस 1 ही दिन बाकी है। ऐसे में जहां जनता साल 2026 को लेकर एक्साइडेट है वहीं सरकार 2026 तक भारतीय बैंकों के नक्शे को पूरी तरह बदलने की तैयारी कर रही है। इसका उद्देश्य देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU Banks) को मजबूत बनाना और उन्हें दुनिया के बड़े बैंकों के मुकाबले खड़ा करना है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और केंद्र सरकार के बीच शुरुआती बातचीत शुरू हो चुकी है। अगर यह योजना सफल होती है, तो सरकारी बैंकों का भविष्य पूरी तरह बदल सकता है।
सरकारी बैंकों की ताकत बढ़ाने की तैयारी
वर्तमान में भारत में कुल 12 सरकारी बैंक हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर हमारी स्थिति अभी कमजोर है। फिलहाल सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ही दुनिया के टॉप 50 बैंकों में शामिल है। प्राइवेट सेक्टर का दिग्गज HDFC बैंक भी ग्लोबल टॉप 100 में शामिल नहीं है। सरकार का उद्देश्य अब बिल्कुल स्पष्ट है भारत के बैंक इतने मजबूत हों कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को आसानी से फंड कर सकें और वैश्विक मार्केट के झटकों का सामना कर सकें।
पहले भी हुआ है मेगा मर्जर
यह पहली बार नहीं है जब सरकारी बैंकों का विलय होने की चर्चा हो रही है। 2019-20 में हुए मेगा मर्जर ने देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटाकर सिर्फ 12 कर दी थी। उस दौरान कई बड़े विलय हुए थे जैसे-ओरिएंटल बैंक और यूनाइटेड बैंक का Punjab National Bank (PNB) में विलय, सिंडिकेट बैंक का Canara Bank में शामिल होना, इलाहाबाद बैंक का Indian Bank में विलय और आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का Union Bank में समाहित होना। एसबीआई ने 2017 में अपने सहयोगी बैंकों को खुद में मिलाकर अपनी संपत्ति 44 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी थी।
वित्तीय मजबूती और विदेशी भरोसा
सरकार के लिए यह कदम उठाना आसान इसलिए है क्योंकि सरकारी बैंक अब मजबूत स्थिति में हैं। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ही 12 सरकारी बैंकों ने करीब 93,675 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 खत्म होने तक यह मुनाफा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इस मजबूती के कारण ही सरकार बड़े और निर्णायक कदम उठा रही है। वहीं, IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर लगातार बढ़ रहा है।
भारतीय बैंकिंग सिस्टम होगी मजबूत
अगर सब योजना के अनुसार चलता है तो 2026 में भारत बैंकिंग इतिहास का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। यह कदम न केवल भारतीय बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाएगा बल्कि देश को वैश्विक स्तर पर आर्थिक महाशक्ति बनाने में भी मदद करेगा। 2026 तक सरकारी बैंकों का नक्शा बदलना न केवल उनके आकार और ताकत को बढ़ाएगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभाएगा। अगर आपके पास बैंक खाता है तो इस बदलाव पर नजर रखना बेहद जरूरी है।
नए साल के लिए बस 1 ही दिन बाकी है। ऐसे में जहां जनता साल 2026 को लेकर एक्साइडेट है वहीं सरकार 2026 तक भारतीय बैंकों के नक्शे को पूरी तरह बदलने की तैयारी कर रही है। इसका उद्देश्य देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU Banks) को मजबूत बनाना और उन्हें दुनिया के बड़े बैंकों के मुकाबले खड़ा करना है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और केंद्र सरकार के बीच शुरुआती बातचीत शुरू हो चुकी है। अगर यह योजना सफल होती है, तो सरकारी बैंकों का भविष्य पूरी तरह बदल सकता है।
सरकारी बैंकों की ताकत बढ़ाने की तैयारी
वर्तमान में भारत में कुल 12 सरकारी बैंक हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर हमारी स्थिति अभी कमजोर है। फिलहाल सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ही दुनिया के टॉप 50 बैंकों में शामिल है। प्राइवेट सेक्टर का दिग्गज HDFC बैंक भी ग्लोबल टॉप 100 में शामिल नहीं है। सरकार का उद्देश्य अब बिल्कुल स्पष्ट है भारत के बैंक इतने मजबूत हों कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को आसानी से फंड कर सकें और वैश्विक मार्केट के झटकों का सामना कर सकें।
पहले भी हुआ है मेगा मर्जर
यह पहली बार नहीं है जब सरकारी बैंकों का विलय होने की चर्चा हो रही है। 2019-20 में हुए मेगा मर्जर ने देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटाकर सिर्फ 12 कर दी थी। उस दौरान कई बड़े विलय हुए थे जैसे-ओरिएंटल बैंक और यूनाइटेड बैंक का Punjab National Bank (PNB) में विलय, सिंडिकेट बैंक का Canara Bank में शामिल होना, इलाहाबाद बैंक का Indian Bank में विलय और आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का Union Bank में समाहित होना। एसबीआई ने 2017 में अपने सहयोगी बैंकों को खुद में मिलाकर अपनी संपत्ति 44 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी थी।
वित्तीय मजबूती और विदेशी भरोसा
सरकार के लिए यह कदम उठाना आसान इसलिए है क्योंकि सरकारी बैंक अब मजबूत स्थिति में हैं। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ही 12 सरकारी बैंकों ने करीब 93,675 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 खत्म होने तक यह मुनाफा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इस मजबूती के कारण ही सरकार बड़े और निर्णायक कदम उठा रही है। वहीं, IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर लगातार बढ़ रहा है।
भारतीय बैंकिंग सिस्टम होगी मजबूत
अगर सब योजना के अनुसार चलता है तो 2026 में भारत बैंकिंग इतिहास का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। यह कदम न केवल भारतीय बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाएगा बल्कि देश को वैश्विक स्तर पर आर्थिक महाशक्ति बनाने में भी मदद करेगा। 2026 तक सरकारी बैंकों का नक्शा बदलना न केवल उनके आकार और ताकत को बढ़ाएगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभाएगा। अगर आपके पास बैंक खाता है तो इस बदलाव पर नजर रखना बेहद जरूरी है।


