1 जनवरी से बदल जाएगी डिजिटल बैंकिंग की तस्वीर, RBI ने जारी किए नए नियम

करीब छह महीने से चल रही इस exercise को अंतिम रूप देते हुए RBI ने 5673 पुराने सर्कुलर खत्म कर दिए हैं, ताकि नियमों की भीड़ कम हो और सिस्टम ज्यादा साफ–सुथरा बने। जो 1 जनवरी 2026 से पूरे देश में लागू होंगे।

UPI से नेट बैंकिंग तक, 2026 से बदलेगा आपके डिजिटल पेमेंट्स का तरीका
UPI से नेट बैंकिंग तक, 2026 से बदलेगा आपके डिजिटल पेमेंट्स का तरीका
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userअभिजीत यादव
calendar29 Nov 2025 11:22 AM
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RBI Regulation : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल बैंकिंग को लेकर बड़ा बदलाव शुरू कर दिया है। नई डिजिटल रेगुलेशन पॉलिसी के तहत अब बैंकों पर पहले की तुलना में कम कागजी बोझ रहने की उम्मीद है। करीब छह महीने से चल रही इस exercise को अंतिम रूप देते हुए RBI ने 5673 पुराने सर्कुलर खत्म कर दिए हैं, ताकि नियमों की भीड़ कम हो और सिस्टम ज्यादा साफ–सुथरा बने।

डिजिटल बैंकिंग के लिए 7 नए मास्टर डायरेक्शन

पिछले कुछ वर्षों में UPI, नेट बैंकिंग और मोबाइल ऐप के ज़रिए होने वाले डिजिटल पेमेंट्स ने रिकॉर्ड तोड़ बढ़त दर्ज की है, लेकिन इसी के साथ साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी के मामले भी चिंताजनक रफ्तार से ऊपर गए हैं। इसी बदलती हकीकत को देखते हुए RBI ने डिजिटल बैंकिंग के पूरे ढांचे को नया रूप देने के लिए 7 नए ‘मास्टर डायरेक्शन’ जारी किए हैं, जो 1 जनवरी 2026 से पूरे देश में लागू होंगे।

इन नई गाइडलाइंस के पीछे RBI का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है

  1. ग्राहक की डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत करना
  2. अलग–अलग और उलझे हुए नियमों की भीड़ को कम करके सिस्टम को सरल बनाना
  3. बैंकों और NBFCs के लिए कंप्लायंस की प्रक्रिया को ज्यादा साफ, सीधी और व्यवहारिक बनाना

कागजी कार्रवाई और पुरानी झंझटों से राहत

RBI ने कुल 244 मास्टर डायरेक्शन तैयार किए हैं, जिनमें से 7 डायरेक्शन सिर्फ और सिर्फ डिजिटल बैंकिंग के लिए डेडिकेटेड हैं। अब तक हालात यह थे कि डिजिटल बैंकिंग से जुड़े नियम दर्जनों अलग–अलग सर्कुलर और गाइडलाइन में बिखरे पड़े थे, जिन्हें समझना भी मुश्किल और लागू करना उससे ज्यादा झंझट वाला काम था। अब इन्हीं बिखरे हुए नियमों को समेटकर एक कॉम्पैक्ट और व्यवस्थित फ्रेमवर्क में बदल दिया गया है।

इस नए सेट–अप के तीन बड़े फायदे साफ दिखते हैं

  1. बैंकों और NBFCs पर बेकार की कागजी औपचारिकताओं का बोझ हल्का होगा, जिससे फोकस असल काम पर रह सकेगा
  2. ऑपरेशन हो या कंप्लायंस, दोनों मोर्चों पर स्पष्टता, गति और जवाबदेही बढ़ेगी
  3. रेगुलेटर, बैंक और ग्राहक – तीनों के लिए ही नियमों को समझना, समझाना और पालन करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा

किन–किन बैंकों पर लागू होंगे नए नियम?

RBI के ये नए डिजिटल डायरेक्शन लगभग हर तरह के बैंक पर लागू होंगे, जैसे–

  • बड़े कमर्शियल बैंक
  • स्मॉल फाइनेंस बैंक
  • पेमेंट बैंक
  • लोकल एरिया बैंक
  • रीजनल रूरल बैंक (RRB)
  • शहरी सहकारी बैंक
  • ग्रामीण सहकारी बैंक

यानि, शहर से लेकर गांव तक, जहां–जहां बैंकिंग सर्विस है, वहां ये डिजिटल नियम लागू होंगे।

हर बैंक को बनानी होगी अपनी डिजिटल पॉलिसी

नए फ्रेमवर्क के तहत अब हर बैंक को अपनी अलग डिजिटल बैंकिंग पॉलिसी तैयार करनी होगी। इस पॉलिसी में साफ–साफ लिखना होगा कि –

  1. इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और UPI में
  2. ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
  3. डेटा और ट्रांजेक्शन की मॉनिटरिंग कैसे होगी?
  4. लिक्विडिटी (Liquidity) मैनेजमेंट कैसे होगा?
  5. किसी तकनीकी गड़बड़ी, सिस्टम फेलियर या साइबर अटैक की स्थिति में बैंक की तुरंत क्या कार्रवाई होगी? यानी अब डिजिटल सर्विस सिर्फ ‘ऐप लॉन्च’ करने तक सीमित नहीं रहेगी, उसके पीछे की पूरी जिम्मेदारी लिखित पॉलिसी में दर्ज करनी पड़ेगी।

ग्राहकों के लिए क्या बदलेगा, क्या फायदा होगा?

इन नए मास्टर डायरेक्शन का सबसे बड़ा असर सीधे उस जगह दिखेगा, जहाँ इसका मतलब सबसे ज़्यादा है – ग्राहक की जेब और उसके डिजिटल बैंकिंग अनुभव पर।

  1. अब नई डिजिटल सर्विसेज को लॉन्च करने में महीनों की देरी नहीं होगी। क्लियर गाइडलाइन होने से बैंक तेजी से नई सुविधाएँ शुरू कर सकेंगे।
  2. साइबर फ्रॉड पर नकेल कसने के लिए कड़े और आधुनिक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल लागू करना बैंकों की ज़िम्मेदारी होगी, जिससे ठगी के जोखिम में कमी आएगी।
  3. छोटे और क्षेत्रीय बैंक भी अब सिर्फ पासबुक–चेकबुक तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि बड़े प्राइवेट बैंकों की तर्ज पर हाइ–टेक डिजिटल सर्विस दे सकेंगे।
  4. किसी भी गड़बड़ी या शिकायत की स्थिति में कब, क्या और कैसे कार्रवाई होगी – इसकी टाइमलाइन पहले से तय और पारदर्शी रहेगी, जिससे मामलों का निपटारा तेज हो सकेगा। कुल मिलाकर, इन बदलावों के बाद डिजिटल बैंकिंग सिर्फ “सुविधा” नहीं, बल्कि ज़्यादा भरोसेमंद, ज्यादा सुरक्षित और बेहतर तरीके से संगठित सिस्टम के रूप में सामने आएगी, जिसमें ग्राहक खुद को ज्यादा प्रोटेक्टेड और एम्पावर्ड महसूस करेगा।

RBI का विजन

आरबीआई की सोच साफ है बैंकिंग को आम आदमी के लिए उतना ही आसान बना दिया जाए, जितना रोजमर्रा का कोई साधारण काम। इसी लक्ष्य के तहत पुराने, उलझाने वाले नियमों की मोटी फाइलें हटाकर अब एक नई, साफ और समझने लायक rulebook तैयार की जा रही है। सरल शब्दों में कहें तो 2026 के बाद आपका मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग और UPI पहले से कहीं ज्यादा तेज, सुरक्षित और स्मूद होने वाला है। लेन–देन करते वक्त हर स्टेप पर सिस्टम आपके साथ खड़ा होगा, न कि आपके खिलाफ। सबसे बड़ी बात आपको न कागज़ी झंझटों में फंसना पड़ेगा, न ही नियम समझने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत होगी; डिजिटल बैंकिंग खुद–ब–खुद आसान हो जाएगी। RBI Regulation

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अकाउंट जीरो, फिर भी मिलेंगे 10,000 रुपये! जानिए यह आसान तरीका

इस खाते में न्यूनतम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं होती, और सबसे अहम बात यह कि जरूरत पड़ने पर आप अपने जीरो बैलेंस अकाउंट से भी 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट के रूप में निकाल सकते हैं। मतलब, जेब खाली हो या खाता इमरजेंसी में आपके पास हमेशा एक भरोसेमंद कैश बैकअप मौजूद रहता है।

जनधन खाते के जरिए बिना बैलेंस भी मिल सकता है तगड़ा कैश बैकअप
जनधन खाते के जरिए बिना बैलेंस भी मिल सकता है तगड़ा कैश बैकअप
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userअभिजीत यादव
calendar28 Nov 2025 04:28 PM
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Jan Dhan Account Overdraft : अगर आपके बैंक खाते में बैलेंस शून्य हो और अचानक पैसों की सख्त जरूरत पड़ जाए, तो घबराहट स्वाभाविक है। लेकिन जनधन खाता रखने वालों के लिए यह चिंता अब पुरानी बात हो चुकी है। आमतौर पर हम सोचते हैं कि खाली खाते से एटीएम क्या, एक रुपया भी नहीं निकाला जा सकता मगर प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) इस सोच को पूरी तरह उलट देती है। इस खाते में न्यूनतम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं होती, और सबसे अहम बात यह कि जरूरत पड़ने पर आप अपने जीरो बैलेंस अकाउंट से भी 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट के रूप में निकाल सकते हैं। मतलब, जेब खाली हो या खाता इमरजेंसी में आपके पास हमेशा एक भरोसेमंद कैश बैकअप मौजूद रहता है।

जीरो बैलेंस अकाउंट से भी निकलेगा पैसा

जनधन खाता एक तरह का बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA) होता है, जिसमें न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की कोई अनिवार्यता नहीं है। इसके बावजूद ऐसे खाते के धारक को, बैंक की शर्तों के अनुसार, 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट मिल सकता है।

सीधी भाषा में समझें तो:

  1. खाते में बैलेंस जीरो हो
  2. फिर भी इमरजेंसी में आप बैंक से कुछ रकम निकाल सकते हैं
  3. बाद में जब भी खाते में पैसा आएगा, बैंक अपनी दी हुई रकम और उस पर ब्याज काट लेगा

ओवरड्राफ्ट क्या होता है?

ओवरड्राफ्ट दरअसल बैंक की ओर से दी जाने वाली एक तरह की अल्पकालिक उधार सुविधा है।

  1. आपके खाते में पैसे न हों या बैलेंस जीरो के आसपास हो
  2. फिर भी बैंक आपको तय सीमा तक पैसा निकालने देता है
  3. यह रकम आपके खाते में भविष्य में आने वाली इनकम के खिलाफ एडजस्ट हो जाती है

ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस रकम पर ब्याज लगता है। हालांकि प्रक्रिया लोन जैसी लंबी और जटिल नहीं होती, इसलिए अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर यह विकल्प बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।

जनधन अकाउंट में और क्या-क्या सुविधाएं?

PMJDY के तहत खुलने वाले ज्यादातर खातों के साथ RuPay डेबिट कार्ड दिया जाता है।

  1. इस कार्ड से एटीएम, POS मशीन और ऑनलाइन पेमेंट किए जा सकते हैं
  2. कार्ड के साथ दुर्घटना बीमा कवर भी मिलता है, जिसकी राशि आमतौर पर 2 लाख रुपये तक होती है (बैंक और नियमों के आधार पर)

ओवरड्राफ्ट सुविधा कैसे मिलेगी?

सिर्फ जनधन अकाउंट होना ही काफी नहीं, ओवरड्राफ्ट एक्टिव कराने के लिए कुछ औपचारिकताएँ भी हैं–

  1. ग्राहक को अपने बैंक ब्रांच से संपर्क कर ओवरड्राफ्ट के लिए आवेदन करना होता है
  2. बैंक आपकी ट्रांजैक्शन हिस्ट्री, खाते की एक्टिविटी और पुराने व्यवहार को देखकर फैसला करता है
  3. जिन ग्राहकों का खाता नियमित रूप से संचालित हो रहा हो, उनके आवेदन को आमतौर पर जल्दी मंजूरी मिल जाती है

हर बैंक की पॉलिसी अलग हो सकती है, इसलिए सीमा, ब्याज दर और अन्य शर्तों की जानकारी अपने शाखा से लेना जरूरी है।

ओवरड्राफ्ट के फायदे

  • इमरजेंसी में तुरन्त राहत – मेडिकल इमरजेंसी, अचानक सफर, फीस या जरूरी पेमेंट जैसे कामों के लिए तुरंत पैसा मिल जाता है।
  • लोन जैसी भागदौड़ नहीं – न लंबा फॉर्म, न बार–बार कागज जमा करने की झंझट।
  • जीरो बैलेंस में भी मदद – खाते में रकम न होने के बावजूद खर्च संभालने के लिए एक सुरक्षा कुशन जैसा काम करता है।

क्या हैं जोखिम और नुकसान?

फायदे के साथ कुछ सावधानियाँ भी जरूरी हैं

  • इस पर सामान्य सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है
  • बार–बार ओवरड्राफ्ट लेने और समय पर भुगतान न करने पर खाता लंबे समय तक निगेटिव बैलेंस में जा सकता है
  • तय समय पर रकम वापस न करने से आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और बैंक के साथ विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है
  • अलग–अलग बैंकों की फीस, चार्ज और शर्तें अलग होती हैं, जिसे समझे बिना इस्तेमाल करना महंगा साबित हो सकता है

कब और कैसे करें ओवरड्राफ्ट का इस्तेमाल?

ओवरड्राफ्ट को हमेशा अपनी फाइनेंशियल लाइफ का इमरजेंसी ब्रेक समझें, न कि रोजमर्रा के खर्च चलाने का साधन। इसे तभी इस्तेमाल करें, जब हालात वाकई आपके हाथ से निकलते दिखें, जैसे–

  1. अचानक मेडिकल इमरजेंसी आ जाए
  2. किसी जरूरी बिल या किस्त का तुरंत भुगतान करना हो
  3. थोड़ी सी कमी की वजह से बड़ा नुकसान या शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती हो

ऐसी परिस्थितियों में यह सुविधा आपकी तुरंत मदद कर सकती है, लेकिन याद रखिए, यह राहत अस्थायी होती है, स्थायी आमदनी का विकल्प नहीं।

कुछ जरूरी सावधानियाँ हमेशा ध्यान में रखें–

  1. ओवरड्राफ्ट से उतनी ही राशि निकालें, जितनी वास्तव में मजबूरी हो
  2. जैसे ही आपके खाते में सैलरी या कोई इनकम आए, सबसे पहले ओवरड्राफ्ट की रकम और उस पर लगा ब्याज चुका दें
  3. समय पर भुगतान करने की आदत न सिर्फ आपका क्रेडिट रिकॉर्ड बेहतर बनाती है, बल्कि बैंक की नजर में आपकी साख भी मजबूत करती हैJan Dhan Account Overdraft


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खुशखबरी: मजबूत क्रेडिट स्कोर वालों के लिए RBI का बड़ा तोहफा

इसके बाद अब ऐसा नहीं होगा कि आपका क्रेडिट स्कोर सुधरे और बैंक सालों तक चुप बैठा रहे। जो ग्राहक समय पर EMI भरते हैं और जिनका क्रेडिट स्कोर मजबूत है, उन्हें पहले के मुकाबले ज़्यादा जल्दी और सीधे तौर पर कम ब्याज दर का फायदा मिल सकेगा।

RBI का बड़ा फैसला मजबूत क्रेडिट स्कोर वालों के लिए घर का सपना हुआ और करीब
RBI का बड़ा फैसला: मजबूत क्रेडिट स्कोर वालों के लिए घर का सपना हुआ और करीब
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userअभिजीत यादव
calendar01 Dec 2025 03:35 PM
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RBI Spread Rule Change : अगर आप अपना पहला घर खरीदने का सपना देख रहे हैं या पहले से होम लोन की किस्तें भर रहे हैं, तो आरबीआई का नया फैसला आपके लिए किसी ‘गुड न्यूज़ अलर्ट’ से कम नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने फ्लोटिंग-रेट लोन पर लगने वाले स्प्रेड के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके बाद अब ऐसा नहीं होगा कि आपका क्रेडिट स्कोर सुधरे और बैंक सालों तक चुप बैठा रहे। जो ग्राहक समय पर EMI भरते हैं और जिनका क्रेडिट स्कोर मजबूत है, उन्हें पहले के मुकाबले ज़्यादा जल्दी और सीधे तौर पर कम ब्याज दर का फायदा मिल सकेगा।

पहले क्या था नियम, अब क्या बदला?

होम लोन ही नहीं, ज्यादातर फ्लोटिंग–रेट लोन की ब्याज दर असल में दो हिस्सों से मिलकर बनती है। पहला हिस्सा होता है एक्सटर्नल बेंचमार्क जैसे RBI का रेपो रेट, टी–बिल यील्ड वगैरह, जो बाज़ार की बड़ी तस्वीर से जुड़ा रहता है। दूसरा हिस्सा है स्प्रेड, जिसे बैंक अपने खर्च, आपके क्रेडिट रिस्क और मुनाफे को ध्यान में रखते हुए जोड़ते हैं। अब तक खेल यह था कि बैंक आम तौर पर हर तीन साल में ही स्प्रेड की समीक्षा करते थे। मतलब बीच में आपका क्रेडिट स्कोर चाहे जितना अच्छा हो जाए, बैंक पर स्प्रेड घटाने की कोई मजबूरी नहीं थी। आरबीआई के नए नियमों ने इसी ‘लॉक–इन पीरियड’ की जंजीर तोड़ी है। अब जैसे ही किसी ग्राहक का क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है, बैंक उसके लोन पर लगने वाला स्प्रेड कम कर सकते हैं और इसका सीधा असर दिखेगा ।

कैसे मिलेगा कम ब्याज का फायदा?

आरबीआई ने साफ संदेश दे दिया है कि सिर्फ चुपचाप बैठे रहने से सस्ता होम लोन अपने–आप नहीं मिलने वाला, इसके लिए कदम आपको ही बढ़ाना होगा। सबसे पहले तो आपको अपने क्रेडिट स्कोर पर नियमित नज़र रखनी होगी। अगर लोन लेने के बाद आपका स्कोर पहले से बेहतर हो गया है, तो अगला कदम आपका है आप अपने बैंक को इंट्रेस्ट रेट रिव्यू के लिए लिखित तौर पर रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसके बाद बैंक आपकी पूरी क्रेडिट प्रोफाइल और रीपेमेंट हिस्ट्री का दोबारा आकलन करेगा। अगर बैंक की नज़र में आपका रिस्क अब कम हो चुका है, तो वह या तो आपके लोन पर लगने वाला स्प्रेड घटाकर ब्याज दर नीचे ला सकता है, या फिर लोन की अवधि कम करके कुल ब्याज का बोझ हल्का कर सकता है। दोनों ही हालात में फायदा आपके ही नाम लिखा है – या तो हर महीने की किस्त कम होगी, या फिर वही किस्त चुकाते–चुकाते लोन पहले खत्म हो जाएगा।

छोटी सी कटौती, लेकिन बड़ी बचत

होम लोन आमतौर पर लंबे समय के लिए लिया जाता है और रकम भी 50–60 लाख रुपये या उससे ज़्यादा तक पहुंच जाती है। ऐसे में अगर ब्याज दर में सिर्फ 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की ही कमी हो जाए, तो भी महीने की ईएमआई में सीधे हजारों रुपये की बचत हो सकती है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर लगातार अच्छा रहता है या और बेहतर होता है, तो आगे चलकर यह बचत और भी बढ़ सकती है।

पुराने और नए ग्राहकों को बराबरी का मौका

अभी तक होता यह था कि: नए ग्राहक – बैंक कम रेट वाली नई स्कीम लेकर आते तो नए ग्राहकों को उसका फायदा तुरंत मिल जाता। पुराने ग्राहक – उन्हें वही फायदा पाने के लिए स्प्रेड रिव्यू या रीप्राइसिंग के नाम पर 3 साल तक इंतज़ार करना पड़ता था। आरबीआई के नए नियमों के बाद अब मौजूदा और नए दोनों तरह के ग्राहकों को समान मौका मिलेगा। जैसे ही किसी मौजूदा ग्राहक के क्रेडिट स्कोर में सुधार दिखेगा, वह भी तुरंत कम ब्याज दर की मांग कर सकता है।

आपके लिए सीधी सलाह

  • समय–समय पर अपना क्रेडिट स्कोर जांचते रहें।
  • लोन लेते समय और उसके बाद भी क्रेडिट कार्ड की लिमिट, रीपेमेंट, ओवरड्यू EMI जैसी चीज़ों पर सख्ती से कंट्रोल रखें।
  • अगर स्कोर बेहतर हुआ है, तो खुद बैंक के पास जाएं, सिर्फ SMS या नोटिफिकेशन का इंतज़ार न करें।
  • लिखित में स्प्रेड रिव्यू की मांग करें और जरूरत हो तो बैंक के कस्टमर केयर या ब्रांच मैनेजर से डिटेल में बात करें। RBI Spread Rule Change