1 जनवरी से बदल जाएगी डिजिटल बैंकिंग की तस्वीर, RBI ने जारी किए नए नियम
करीब छह महीने से चल रही इस exercise को अंतिम रूप देते हुए RBI ने 5673 पुराने सर्कुलर खत्म कर दिए हैं, ताकि नियमों की भीड़ कम हो और सिस्टम ज्यादा साफ–सुथरा बने। जो 1 जनवरी 2026 से पूरे देश में लागू होंगे।

RBI Regulation : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल बैंकिंग को लेकर बड़ा बदलाव शुरू कर दिया है। नई डिजिटल रेगुलेशन पॉलिसी के तहत अब बैंकों पर पहले की तुलना में कम कागजी बोझ रहने की उम्मीद है। करीब छह महीने से चल रही इस exercise को अंतिम रूप देते हुए RBI ने 5673 पुराने सर्कुलर खत्म कर दिए हैं, ताकि नियमों की भीड़ कम हो और सिस्टम ज्यादा साफ–सुथरा बने।
डिजिटल बैंकिंग के लिए 7 नए मास्टर डायरेक्शन
पिछले कुछ वर्षों में UPI, नेट बैंकिंग और मोबाइल ऐप के ज़रिए होने वाले डिजिटल पेमेंट्स ने रिकॉर्ड तोड़ बढ़त दर्ज की है, लेकिन इसी के साथ साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी के मामले भी चिंताजनक रफ्तार से ऊपर गए हैं। इसी बदलती हकीकत को देखते हुए RBI ने डिजिटल बैंकिंग के पूरे ढांचे को नया रूप देने के लिए 7 नए ‘मास्टर डायरेक्शन’ जारी किए हैं, जो 1 जनवरी 2026 से पूरे देश में लागू होंगे।
इन नई गाइडलाइंस के पीछे RBI का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है
- ग्राहक की डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत करना।
- अलग–अलग और उलझे हुए नियमों की भीड़ को कम करके सिस्टम को सरल बनाना।
- बैंकों और NBFCs के लिए कंप्लायंस की प्रक्रिया को ज्यादा साफ, सीधी और व्यवहारिक बनाना ।
कागजी कार्रवाई और पुरानी झंझटों से राहत
RBI ने कुल 244 मास्टर डायरेक्शन तैयार किए हैं, जिनमें से 7 डायरेक्शन सिर्फ और सिर्फ डिजिटल बैंकिंग के लिए डेडिकेटेड हैं। अब तक हालात यह थे कि डिजिटल बैंकिंग से जुड़े नियम दर्जनों अलग–अलग सर्कुलर और गाइडलाइन में बिखरे पड़े थे, जिन्हें समझना भी मुश्किल और लागू करना उससे ज्यादा झंझट वाला काम था। अब इन्हीं बिखरे हुए नियमों को समेटकर एक कॉम्पैक्ट और व्यवस्थित फ्रेमवर्क में बदल दिया गया है।
इस नए सेट–अप के तीन बड़े फायदे साफ दिखते हैं
- बैंकों और NBFCs पर बेकार की कागजी औपचारिकताओं का बोझ हल्का होगा, जिससे फोकस असल काम पर रह सकेगा ।
- ऑपरेशन हो या कंप्लायंस, दोनों मोर्चों पर स्पष्टता, गति और जवाबदेही बढ़ेगी ।
- रेगुलेटर, बैंक और ग्राहक – तीनों के लिए ही नियमों को समझना, समझाना और पालन करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा ।
किन–किन बैंकों पर लागू होंगे नए नियम?
RBI के ये नए डिजिटल डायरेक्शन लगभग हर तरह के बैंक पर लागू होंगे, जैसे–
- बड़े कमर्शियल बैंक
- स्मॉल फाइनेंस बैंक
- पेमेंट बैंक
- लोकल एरिया बैंक
- रीजनल रूरल बैंक (RRB)
- शहरी सहकारी बैंक
- ग्रामीण सहकारी बैंक
यानि, शहर से लेकर गांव तक, जहां–जहां बैंकिंग सर्विस है, वहां ये डिजिटल नियम लागू होंगे।
हर बैंक को बनानी होगी अपनी डिजिटल पॉलिसी
नए फ्रेमवर्क के तहत अब हर बैंक को अपनी अलग डिजिटल बैंकिंग पॉलिसी तैयार करनी होगी। इस पॉलिसी में साफ–साफ लिखना होगा कि –
- इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और UPI में
- ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
- डेटा और ट्रांजेक्शन की मॉनिटरिंग कैसे होगी?
- लिक्विडिटी (Liquidity) मैनेजमेंट कैसे होगा?
- किसी तकनीकी गड़बड़ी, सिस्टम फेलियर या साइबर अटैक की स्थिति में बैंक की तुरंत क्या कार्रवाई होगी? यानी अब डिजिटल सर्विस सिर्फ ‘ऐप लॉन्च’ करने तक सीमित नहीं रहेगी, उसके पीछे की पूरी जिम्मेदारी लिखित पॉलिसी में दर्ज करनी पड़ेगी।
ग्राहकों के लिए क्या बदलेगा, क्या फायदा होगा?
इन नए मास्टर डायरेक्शन का सबसे बड़ा असर सीधे उस जगह दिखेगा, जहाँ इसका मतलब सबसे ज़्यादा है – ग्राहक की जेब और उसके डिजिटल बैंकिंग अनुभव पर।
- अब नई डिजिटल सर्विसेज को लॉन्च करने में महीनों की देरी नहीं होगी। क्लियर गाइडलाइन होने से बैंक तेजी से नई सुविधाएँ शुरू कर सकेंगे।
- साइबर फ्रॉड पर नकेल कसने के लिए कड़े और आधुनिक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल लागू करना बैंकों की ज़िम्मेदारी होगी, जिससे ठगी के जोखिम में कमी आएगी।
- छोटे और क्षेत्रीय बैंक भी अब सिर्फ पासबुक–चेकबुक तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि बड़े प्राइवेट बैंकों की तर्ज पर हाइ–टेक डिजिटल सर्विस दे सकेंगे।
- किसी भी गड़बड़ी या शिकायत की स्थिति में कब, क्या और कैसे कार्रवाई होगी – इसकी टाइमलाइन पहले से तय और पारदर्शी रहेगी, जिससे मामलों का निपटारा तेज हो सकेगा। कुल मिलाकर, इन बदलावों के बाद डिजिटल बैंकिंग सिर्फ “सुविधा” नहीं, बल्कि ज़्यादा भरोसेमंद, ज्यादा सुरक्षित और बेहतर तरीके से संगठित सिस्टम के रूप में सामने आएगी, जिसमें ग्राहक खुद को ज्यादा प्रोटेक्टेड और एम्पावर्ड महसूस करेगा।
RBI का विजन
आरबीआई की सोच साफ है बैंकिंग को आम आदमी के लिए उतना ही आसान बना दिया जाए, जितना रोजमर्रा का कोई साधारण काम। इसी लक्ष्य के तहत पुराने, उलझाने वाले नियमों की मोटी फाइलें हटाकर अब एक नई, साफ और समझने लायक rulebook तैयार की जा रही है। सरल शब्दों में कहें तो 2026 के बाद आपका मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग और UPI पहले से कहीं ज्यादा तेज, सुरक्षित और स्मूद होने वाला है। लेन–देन करते वक्त हर स्टेप पर सिस्टम आपके साथ खड़ा होगा, न कि आपके खिलाफ। सबसे बड़ी बात आपको न कागज़ी झंझटों में फंसना पड़ेगा, न ही नियम समझने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत होगी; डिजिटल बैंकिंग खुद–ब–खुद आसान हो जाएगी। RBI Regulation
RBI Regulation : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल बैंकिंग को लेकर बड़ा बदलाव शुरू कर दिया है। नई डिजिटल रेगुलेशन पॉलिसी के तहत अब बैंकों पर पहले की तुलना में कम कागजी बोझ रहने की उम्मीद है। करीब छह महीने से चल रही इस exercise को अंतिम रूप देते हुए RBI ने 5673 पुराने सर्कुलर खत्म कर दिए हैं, ताकि नियमों की भीड़ कम हो और सिस्टम ज्यादा साफ–सुथरा बने।
डिजिटल बैंकिंग के लिए 7 नए मास्टर डायरेक्शन
पिछले कुछ वर्षों में UPI, नेट बैंकिंग और मोबाइल ऐप के ज़रिए होने वाले डिजिटल पेमेंट्स ने रिकॉर्ड तोड़ बढ़त दर्ज की है, लेकिन इसी के साथ साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी के मामले भी चिंताजनक रफ्तार से ऊपर गए हैं। इसी बदलती हकीकत को देखते हुए RBI ने डिजिटल बैंकिंग के पूरे ढांचे को नया रूप देने के लिए 7 नए ‘मास्टर डायरेक्शन’ जारी किए हैं, जो 1 जनवरी 2026 से पूरे देश में लागू होंगे।
इन नई गाइडलाइंस के पीछे RBI का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है
- ग्राहक की डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत करना।
- अलग–अलग और उलझे हुए नियमों की भीड़ को कम करके सिस्टम को सरल बनाना।
- बैंकों और NBFCs के लिए कंप्लायंस की प्रक्रिया को ज्यादा साफ, सीधी और व्यवहारिक बनाना ।
कागजी कार्रवाई और पुरानी झंझटों से राहत
RBI ने कुल 244 मास्टर डायरेक्शन तैयार किए हैं, जिनमें से 7 डायरेक्शन सिर्फ और सिर्फ डिजिटल बैंकिंग के लिए डेडिकेटेड हैं। अब तक हालात यह थे कि डिजिटल बैंकिंग से जुड़े नियम दर्जनों अलग–अलग सर्कुलर और गाइडलाइन में बिखरे पड़े थे, जिन्हें समझना भी मुश्किल और लागू करना उससे ज्यादा झंझट वाला काम था। अब इन्हीं बिखरे हुए नियमों को समेटकर एक कॉम्पैक्ट और व्यवस्थित फ्रेमवर्क में बदल दिया गया है।
इस नए सेट–अप के तीन बड़े फायदे साफ दिखते हैं
- बैंकों और NBFCs पर बेकार की कागजी औपचारिकताओं का बोझ हल्का होगा, जिससे फोकस असल काम पर रह सकेगा ।
- ऑपरेशन हो या कंप्लायंस, दोनों मोर्चों पर स्पष्टता, गति और जवाबदेही बढ़ेगी ।
- रेगुलेटर, बैंक और ग्राहक – तीनों के लिए ही नियमों को समझना, समझाना और पालन करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा ।
किन–किन बैंकों पर लागू होंगे नए नियम?
RBI के ये नए डिजिटल डायरेक्शन लगभग हर तरह के बैंक पर लागू होंगे, जैसे–
- बड़े कमर्शियल बैंक
- स्मॉल फाइनेंस बैंक
- पेमेंट बैंक
- लोकल एरिया बैंक
- रीजनल रूरल बैंक (RRB)
- शहरी सहकारी बैंक
- ग्रामीण सहकारी बैंक
यानि, शहर से लेकर गांव तक, जहां–जहां बैंकिंग सर्विस है, वहां ये डिजिटल नियम लागू होंगे।
हर बैंक को बनानी होगी अपनी डिजिटल पॉलिसी
नए फ्रेमवर्क के तहत अब हर बैंक को अपनी अलग डिजिटल बैंकिंग पॉलिसी तैयार करनी होगी। इस पॉलिसी में साफ–साफ लिखना होगा कि –
- इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और UPI में
- ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
- डेटा और ट्रांजेक्शन की मॉनिटरिंग कैसे होगी?
- लिक्विडिटी (Liquidity) मैनेजमेंट कैसे होगा?
- किसी तकनीकी गड़बड़ी, सिस्टम फेलियर या साइबर अटैक की स्थिति में बैंक की तुरंत क्या कार्रवाई होगी? यानी अब डिजिटल सर्विस सिर्फ ‘ऐप लॉन्च’ करने तक सीमित नहीं रहेगी, उसके पीछे की पूरी जिम्मेदारी लिखित पॉलिसी में दर्ज करनी पड़ेगी।
ग्राहकों के लिए क्या बदलेगा, क्या फायदा होगा?
इन नए मास्टर डायरेक्शन का सबसे बड़ा असर सीधे उस जगह दिखेगा, जहाँ इसका मतलब सबसे ज़्यादा है – ग्राहक की जेब और उसके डिजिटल बैंकिंग अनुभव पर।
- अब नई डिजिटल सर्विसेज को लॉन्च करने में महीनों की देरी नहीं होगी। क्लियर गाइडलाइन होने से बैंक तेजी से नई सुविधाएँ शुरू कर सकेंगे।
- साइबर फ्रॉड पर नकेल कसने के लिए कड़े और आधुनिक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल लागू करना बैंकों की ज़िम्मेदारी होगी, जिससे ठगी के जोखिम में कमी आएगी।
- छोटे और क्षेत्रीय बैंक भी अब सिर्फ पासबुक–चेकबुक तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि बड़े प्राइवेट बैंकों की तर्ज पर हाइ–टेक डिजिटल सर्विस दे सकेंगे।
- किसी भी गड़बड़ी या शिकायत की स्थिति में कब, क्या और कैसे कार्रवाई होगी – इसकी टाइमलाइन पहले से तय और पारदर्शी रहेगी, जिससे मामलों का निपटारा तेज हो सकेगा। कुल मिलाकर, इन बदलावों के बाद डिजिटल बैंकिंग सिर्फ “सुविधा” नहीं, बल्कि ज़्यादा भरोसेमंद, ज्यादा सुरक्षित और बेहतर तरीके से संगठित सिस्टम के रूप में सामने आएगी, जिसमें ग्राहक खुद को ज्यादा प्रोटेक्टेड और एम्पावर्ड महसूस करेगा।
RBI का विजन
आरबीआई की सोच साफ है बैंकिंग को आम आदमी के लिए उतना ही आसान बना दिया जाए, जितना रोजमर्रा का कोई साधारण काम। इसी लक्ष्य के तहत पुराने, उलझाने वाले नियमों की मोटी फाइलें हटाकर अब एक नई, साफ और समझने लायक rulebook तैयार की जा रही है। सरल शब्दों में कहें तो 2026 के बाद आपका मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग और UPI पहले से कहीं ज्यादा तेज, सुरक्षित और स्मूद होने वाला है। लेन–देन करते वक्त हर स्टेप पर सिस्टम आपके साथ खड़ा होगा, न कि आपके खिलाफ। सबसे बड़ी बात आपको न कागज़ी झंझटों में फंसना पड़ेगा, न ही नियम समझने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत होगी; डिजिटल बैंकिंग खुद–ब–खुद आसान हो जाएगी। RBI Regulation







