Gujrat Political News : भावनगर ने महान नेता दिए हैं, लेकिन भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट सरकारों ने भावनगर को कुछ नहीं दिया : राघव चड्ढा

Raghav 1
Bhavnagar has given great leaders, but corrupt leaders and corrupt governments have given nothing to Bhavnagar: Raghav Chadha
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:17 PM
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Ahmedabad/Bhavnagar : अहमदाबाद/भावनगर (गुजरात)। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और गुजरात प्रदेश सह प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि आज मैं भावनगर की ऐतिहासिक धरती पर मौजूद हूं और भावनगर के महाराज कृष्ण कुमार सिंह जी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मैं उनकी भावनाओं और उनकी देशभक्ति को सलाम करता हूं और भावनगर में अपना कार्यक्रम शुरू करता हूं। भावनगर ने न केवल गुजरात को, बल्कि पूरे देश को बड़ी हस्तियां दीं। भावनगर ने महान नेता और महान विद्वान दिए हैं। आज गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी भावनगर से आते हैं। लेकिन, यह अफसोस की बात है कि भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट सरकारों ने भावनगर को कुछ नहीं दिया।

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मीडिया से बातचीत के दौरान राघव चड्ढा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गुजरात के शिक्षा मंत्री भावनगर से आते हैं, लेकिन यहां स्कूलों की हालत 27 साल में दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लोगों का मजाक बनाया जा रहा है। अस्पताल की बड़ी इमारत दूर से दिखाई देती है, लेकिन उसके अंदर न डॉक्टर है, न दवा है, न नर्स है और न बिस्तर है। आज भावनगर की स्थिति ऐसी है कि लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए अहमदाबाद और राजकोट तक भागना पड़ता है। इतने बड़े बड़े मंत्री और नेता देने के बाद तो भावनगर में सड़क की स्थिति अच्छी होनी चाहिए थी। मैं दस साल पहले भावनगर आया था, तब भावनगर की सड़कों की हालत जितनी खराब थी, उससे ज्यादा आज खराब है। सड़कों से ज्यादा गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। जंगली जानवर सड़कों पर घूमते रहते हैं। भावनगर के लोगों के साथ हर मामले में धोखा दिया गया है, चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर हो या सड़कें या उद्योग या रोजगार। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े नेता मंत्री बन गए हैं, लेकिन उन्होंने कभी अपने भावनगर जिले के बारे में नहीं सोचा। 27 साल की घमंडी बीजेपी सरकार ने सौराष्ट्र के साथ सौतेला बर्ताव किया है। बीजेपी ने सौतेला सौराष्ट्र बनाया, लेकिन अरविंद केजरीवाल ‘सुनहरा सौराष्ट्र’ बनाएंगे। मैं सौराष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति से विनती करने आया हूं और ‘सुनहरे सौराष्ट्र’ बनाने के लिए उनका समर्थन मांगता हूं।

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गुजरात का सालाना बजट ढाई लाख करोड़ रुपये का है, यानी की गुजरात सरकार हर साल अस्पताल बनवाने में, स्कूल बनवाने में, सड़क बनवाने में, डिस्पेंसरी बनवाने पर, फ्लाईओवर बनवाने पर, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने पर ढाई लाख करोड़ रुपये खर्च किये। मैं भावनगर कि जनता से पूछना चाहता हूं कि क्या आपको इसमें से कोई पैसा मिला? अगर आपको इस ढाई लाख करोड़ रुपयों में से एक धेला भी नहीं पहुंचा तो कौन वो नेता है, जो पैसा निगल गए। उन्होंने कहा कि गुजरात की कुल आबादी साढे़ छह करोड़ है और गुजरात का सालाना बजट ढाई लाख करोड़ रुपये का है तो प्रति व्यक्ति गुजरात सरकार कागजों पर हर साल 38 हजार रुपये खर्च करती है। मैं पूछना चाहता हूं कि यह पैसे किसी तक पहुंचे? यह विकास के नाम पर गुजरात सरकार ने विश्वासघात किया है। अब 27 साल की अहंकारी सरकार को दूर करने के लिए गुजरात की जनता को एक साथ आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने के लिए आगे आना होगा। अरविंद केजरीवाल बताते हैं कि मैंने दिल्ली के हर व्यक्ति को 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी, हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त दिया, मोहल्ला क्लीनिक और बढ़िया इलाज दिया, शानदार अस्पताल बनाएं, हर बच्चे को शानदार शिक्षा दी, बुजुर्गों को बड़े-बड़े मंदिरों के दर्शन कराने का काम किया, दिल्ली की महिलाओं को मुफ्त में बस की यात्रा दी, और उन्हीं सारे काम के आधार पर अरविंद केजरीवाल वोट मांगते हैं।

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राघव चड्ढा ने कहा कि यदि पिछले 62 वर्षों से कांग्रेस और बीजेपी आपके जीवन को बेहतर नहीं बना सकीं और गरीबी को नहीं मिटा सकीं, तो वे आने वाले दिनों में भी ऐसा नहीं कर पाएंगे। गुजरात की जनता से मेरा निवेदन है कि सिर्फ पांच साल अरविंद केजरीवाल को देकर देखिए। अगर आपको पांच साल में हमारा काम पसंद नहीं आया तो पांच साल बाद हमें वोट नहीं देना। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आम आदमी पार्टी के नेशनल ज्वाइंट सेक्रेटरी इंद्रनील राजगुरु भी मौजूद रहे थे।
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Gujrat Political News : भाजपा के साथ कांग्रेस के प्रचार की भी जिम्मेदारी ले रहे हैं पीएम मोदी : इसुदान गढ़वी

Gadhvi
PM Modi is also taking responsibility for campaigning of Congress along with BJP: Isudan Gadhvi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:05 AM
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Ahmedabad : अहमदाबाद (गुजरात)। आम आदमी पार्टी के नेशनल जवाइंट जनरल सेक्रेटरी इसुदान गढ़वी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता चल गया है कि मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच है। इतना ही नहीं, भाजपा का हर नेता जानता है कि आम आदमी पार्टी गांवों में भी घुस चुकी है। लेकिन, हमें आश्चर्य है कि प्रधानमंत्री भाजपा के साथ ही कांग्रेस को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी ले रहे हैं। अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस गांवों तक जा पहुंची है, जबकि कांग्रेस अब कहीं पर नहीं है। फिर भी प्रधानमंत्री कांग्रेस को जिंदा रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूत हो। इसका साफ मतलब है कि भाजपा 27 साल से इसलिए सत्ता में थी, क्योंकि उनकी कांग्रेस के साथ मिलीभगत थी। जरूरत पड़ने पर वह कांग्रेस के विधायकों को खरीद लेते थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यह जानते हुए भी कांग्रेस को मजबूत कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी ने गांवों, शहरों, गलियों में जा घुसी है। अगर कांग्रेस जिन्दा रह जाती है और आठ या दस सीटें भी हासिल कर लेती है, तो खानापूर्ति का सवाल आने पर भाजपा कांग्रेस के सभी एमएलए को खरीद सकती है। गुजरात की जनता सब कुछ जान गई है, हर एक चाल को समझ चुकी है। पिछले दस सालों में कांग्रेस के 65 बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए हैं, इतना ही नहीं आंदोलनकारी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसका साफ मतलब है कि भाजपा किस तरह लोगों को डराकर, धमकाकर और पैसे देकर लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करती है। लेकिन, इस बार गुजराती जनता ने फैसला किया है, इस बार न भाजपा, न कांग्रेस, सिर्फ आम आदमी पार्टी।
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Birth Anniversary : ‘सिंहासन खाली करो, जनता आती है’ के नारे ने जेपी को बना दिया लोकनायक

Jp final
The slogan 'Empty the throne, people come' made JP a Lok Nayak
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:18 AM
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गांधी के देश में एक और महात्मा का उदय हुआ था, जिसे जयप्रकाश नारायण के नाम से जाना जाता है। उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व ने उन्हें ‘लोकनायक’ बना दिया। देश की आजादी से पहले गांधी जी के नमक आंदोलन ने अंग्रेजी हूकुमत की चूलें हिलाकर रख दी थीं। ठीक वैसा ही एक आंदोलन आजादी के बाद राजनीतिक अराजकता के खिलाफ था, जिसकी अगुवाई जयप्रकाश नारायण ने की थी। बिहार से उठी आंदोलन की छोटी सी चिंगारी पूरे देश में ज्वाला बनकर भड़क उठी। देशभर के युवा जयप्रकाश नारायण के पीछे चल पड़े। यद्यपि वह आजादी के आंदोलन में भी बेहद सक्रिय थे, लेकिन आजादी के बाद उनके आंदोलन ने उन्हें लोकनायक बना दिया। जब सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद 1974 में ‘सिंहासन खाली करो, जनता आती है’ के नारे के साथ वे मैदान में उतरे तो सारा देश उनके पीछे चल पड़ा, जैसे किसी संत महात्मा के पीछे चल रहा हो।

Birth Anniversary :

11 अक्टूबर, 1902 को जन्मे जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ भी उनके नाम पर है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही। उसमें अनेक पड़ाव आए, उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं, बल्कि आम जनजीवन को एक नई दिशा दी, नए मानक गढ़े। जैसे- भौतिकवाद से अध्यात्म, राजनीति से सामाजिक कार्य तथा जबरन सामाजिक सुधार से व्यक्तिगत दिमाग में परिवर्तन। वे विदेशी सत्ता से देशी सत्ता, देशी सत्ता से व्यवस्था, व्यवस्था से व्यक्ति में परिवर्तन और व्यक्ति में परिवर्तन से नैतिकता के पक्षधर थे। वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयत्न भी किए। जयप्रकाश नारायण का संपूर्ण जीवन भारतीय समाज की समस्याओं के समाधान के लिए प्रकट हुआ, एक अवतार की तरह, एक मसीहा की तरह। वे भारतीय राजनीति में सत्ता की कीचड़ में केवल सेवा के कमल कहलाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने भारतीय समाज के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन सार्वजनिक जीवन में जिन मूल्यों की स्थापना वे करना चाहते थे, वे मूल्य बहुत हद तक देश की राजनीतिक पार्टियों को स्वीकार्य नहीं थे। क्योंकि ये मूल्य राजनीति के तत्कालीन ढांचे को चुनौती देने के साथ-साथ स्वार्थ एवं पदलोलुपता की स्थितियों को समाप्त करने के पक्षधर थे, राष्ट्रीयता की भावना एवं नैतिकता की स्थापना उनका लक्ष्य था, राजनीति को वे सेवा का माध्यम बनाना चाहते थे।

Birth Anniversary :

महात्मा गांधी जयप्रकाश की साहस और देशभक्ति के प्रशंसक थे। उनका हजारीबाग जेल से भागना काफी चर्चित रहा और इसके कारण से वे असंख्य युवकों के सम्राट बन चुके थे। वे अत्यंत भावुक थे, लेकिन महान क्रांतिकारी भी थे। वे संयम, अनुशासन और मर्यादा के पक्षधर थे। इसलिए कभी भी मर्यादा की सीमा का उल्लंघन नहीं किया। विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपना अध्ययन नहीं छोड़ा और आर्थिक तंगी ने भी उनका मनोबल नहीं तोड़ा। यह उनके किसी भी कार्य की प्रतिबद्धता को ही निरूपित करता था, उनके दृढ़ विश्वास को परिलक्षित करता है। जयप्रकाश नारायण को 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए उन्होंने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नामक आंदोलन चलाया। लोकनायक ने कहा कि संपूर्ण क्रांति में सात क्रांतियां शामिल हैं, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रांति होती है। संपूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जयप्रकाश नारायण की हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी संपूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में ज्वाला बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालमुनि चौबे, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।

Birth Anniversary :

लोकनायक के शब्द को असलियत में चरितार्थ करने वाले जयप्रकाश नारायण अत्यंत समर्पित जननायक और मानवतावादी चिंतक तो थे ही, इसके साथ-साथ उनकी छवि अत्यंत शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है। उनका समाजवाद का नारा आज भी हर तरफ गूंज रहा है। भले ही उनके नारे पर राजनीति करने वाले उनके सिद्धान्तों को भूल रहे हों, क्योंकि उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति का नारा एवं आन्दोलन जिन उद्देश्यों एवं बुराइयों को समाप्त करने के लिये किया था, वे सारी बुराइयां इन राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं में व्याप्त है। संपूर्ण क्रांति के आह्वान में उन्होंने कहा था कि ‘भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना आदि ऐसी चीजें हैं, जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं, क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं, जब संपूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रांति, ‘सम्पूर्ण क्रांति’ आवश्यक है। इसलिए आज एक नयी सम्पूर्ण क्रांति की जरूरत है। यह क्रांति व्यक्ति सुधार से प्रारंभ होकर व्यवस्था सुधार पर केन्द्रित हो। कुर्सी पर कोई भी बैठे, लेकिन मूल्य प्रतिष्ठापित होने जरूरी है। ऐसा करके ही हम एक महान लोकनायक को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे।