Suicide City Kota सुसाइड सिटी बन रहा राजस्थान का कोटा शहर

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Suicide City Kota
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:19 AM
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Suicide City Kota / राजस्थान के कोटा को इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग का गढ़ माना जाता है। यहाँ हर साल हज़ारों बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए आते रहे हैं। इस साल जिन 27 छात्रों ने कोटा में आत्महत्या की, उनमें से आधे से ज़्यादा छात्र नाबालिग थे। 12 छात्र ऐसे थे, जिन्होंने कोटा पहुँचने के छह महीने के भीतर ही आत्महत्या कर ली।

Suicide City Kota in india

आत्महत्या करने वाले ज़्यादातर लडक़े थे और ये छात्र मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। ये छात्र उत्तर भारत ख़ासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे। इस साल अब तक 27 छात्रों ने आत्महत्या की है। साल 2015 के बाद से ये पहली बार है, जब छात्रों ने इतनी संख्या में आत्महत्या की है। साल 2015 से सरकार ने आत्महत्या के इस आंकड़े को जुटाना पहली बार शुरू किया था। राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थाओं के दो महीने तक टेस्ट लिए जाने पर रोक लगाई है।

आत्महत्या करने वाला सबसे कम उम्र का छात्र बुलंदशहर से था, उम्र 15 साल। एक महीने पहले ही छात्र कोटा आया था। आत्महत्या करने वाला सबसे बड़ा छात्र प्रयागराज से था, उसकी उम्र 22 साल थी। आठ छात्र यूपी से थे और आठ छात्र बिहार से थे। चार छात्र राजस्थान से थे और एक मध्य प्रदेश से था।

आत्महत्या करने वाला एक छात्र महाराष्ट्र से भी था। 27 में से 17 छात्र नीट की तैयारी कर रहे थे और छह छात्र जेईई की। 17 साल के एक छात्र ने कोटा पहुंचने के एक महीने के भीतर ही आत्महत्या कर ली थी। 15 छात्र गरीब या निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से थे। आत्महत्या करने वाले छात्रों में किसी के पिता नाई, किसी के पिता गाड़ी साफ़ करने वाले और कुछ के पिता छोटे किसान थे।

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अबीर-गुलाल में रंगे भगवान गणेश के भक्त, विदा हुए लालबागचा राजा

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Ganesh Visarjan 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:40 PM
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Ganesh Visarjan 2023: मुंबई की सडक़ों पर बृहस्पतिवार को अदभुत नजारा देखने को मिला। गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति के विसर्जन के दौरान बड़े-बड़े जुलूस निकाले गये। इस दौरान भगवान गणेश के भक्त अबीर और गुलाल उड़ाते नजर आए।

Ganesh Visarjan 2023 in Maharashtra

समाचार एजेंसी ANI द्वारा जारी की गई वीडियो में साफ-साफ देख सकते हैं कि भगवान गणपति को विसर्जन के दौरान भक्तों में कितने गजब का उल्लास है।

https://twitter.com/ManchChetna/status/1707308794819297785?t=SoDSrSbvnLvxC7EU-Nahdw&s=08

पूरे महाराष्ट्र में अद्भुत नजारा

आपको बता दें कि महाराष्ट्र प्रदेश में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बेहद हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लगातार 11 दिन तक घरों व मंदिरों में भगवान गणपति की पूजा की जाती है। अनेक स्थानों पर उनकी मूर्तियां बैठाई जाती है। इस दौरान तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पूरे 11 दिन ऐसा लगता है कि मानो पूरा महाराष्ट्र व मुंबई भगवान गणेश के रंग में रंग गया हो। पूरे 11 दिन बाद गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की मूर्तियों को सागर में विसर्जित किया जाता है। बृहस्पतिवार यानि 28 सितंबर (आज) गणेश चतुर्थी के मौके पर अदभुत नजारे देखने को मिले हैं।

लालबागचा राजा की अद्भुत विदाई

मुंबई के लालबाग में स्थित गणपति के प्रसिद्ध मंदिर का भगवान गणेश के भक्तों के लिए विशेष महत्व है। इस मंदिर में हर साल गणपति पूजा के लिए भगवान गणेश की मूर्ति बैठाई जाती है। इस मंदिर की गणेश पूजा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस पूजा का पूरा प्रबंध लालबागचा सार्वजनिक गणेश मंडल नाम की समिति द्वारा किया जता है। इस समिति को हर साल करोड़ों रूपये का चढ़ावा मिलता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर बृहस्पतिवार को लालबागचा राजा भगवान गणेश की भव्य विसर्जन यात्रा निकाली गई।

इस दौरान गणपति के भक्त एक दूसरे पर गुलाल उड़ाते व जश्न मनाते नजर आए। जिस-जिस रास्ते से विसर्जन यात्रा गुजरी वहां-वहां इतनी भीड़ थी कि भक्तों को ठीक से पैर रखने का स्थान भी नहीं मिल रहा था। अधिकतर भक्त भगवान गणेश की मूर्ति छूकर उनसे आशीर्वाद लेने का प्रयास कर रहे थे। यात्रा के अंत में भगवान गणपति की प्रतिमा को गोरेगांव स्थित चौपाटी पर अरब सागर में विसर्जित कर दिया जाएगा। यह समाचार लिखे जाने तक भगवान गणेश की विसर्जन यात्रा चल रही थी। इस समाचार को अपडेट किया जा रहा है।

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शहीद-ए-आजम भगत सिंह क्यों हैं आज भी युवाओं के ह्रदय सम्राट ?

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Bhagat Singh Jayanti
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:01 PM
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Bhagat Singh Jayanti 2023: शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज जयंती है। वह आज भी युवाओं के हृदय सम्राट हैं। देश की खातिर मात्र 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने वाले शहीद ए आजम भगत सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत को नाको चने चबाने का काम अपने जीवनकाल में किया है। वह आज भी युवाओं के हृदय सम्राट हैं। उनकी जयंती पर आइए जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े वो रोचक किस्से जो युवाओं में देशप्रेम की भावना को जाग्रत करते हैं।

Bhagat Singh Jayanti 2023

शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब, भारत (अब पाकिस्तान में) एक सिख परिवार में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए मात्र 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था। राजनीतिक अवज्ञा के लिए वे कई हिंसक प्रदर्शनों में शामिल हुए और उन्हें कई बार गिरफ्तार हुए। भगत सिंह को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या का दोषी पाया गया था और 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।

भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख नाम है। ‘युवा आदर्श’ भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के सेनानियों में से एक थे। उनकी देशभक्ति अंग्रेजों के खिलाफ मजबूत हिंसक विस्फोट की तरह थी। भगत सिंह आज के समय में युवा आदर्श बने हुए हैं।

भगत सिंह का जीवन

28 सितंबर 1907 को पंजाब, भारत (अब पाकिस्तान में) के लैलपुर जिले के बंगा गांव में एक सिख परिवार में भगत सिंह का जन्म हुआ था। सरदार किशन सिंह और विद्यावती के तीसरे बेटे भगत सिंह के पिता और चाचा गफ्फार पार्टी के सदस्य थे। यह परिवार राष्ट्रवाद में डूबा हुआ था और आजादी के लिए आंदोलनों में शामिल था। उनके पिता राजनीतिक आंदोलन में सक्रिय थे यहाँ तक कि भगत सिंह के जन्म के समय जेल में थे।

देश पर किया सब कुछ न्यौछावर

माता-पिता द्वारा उनके विवाह करने की योजना का उन्होंने जोरदार तरीके से विरोध किया। विवाह से बचने के लिए घर से भाग गये और संगठन नौजवान भारत सभा के सदस्य बन गए। हालांकि माता-पिता से आश्वासन मिलने के बाद कि वे उसे विवाह करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे, वे लाहौर लौट आए। जब भगत सिंह 13 साल के हुए, तब तक वे क्रांतिकारी गतिविधियों से भलीभांति परिचित हो गए थे और राष्ट्र सेवा के लिए पढ़ाई तक छोड़ दी।

अहिंसक धर्मयुद्ध से मोहभंग

भगत सिंह के पिता महात्मा गांधी के इतने बड़े समर्थक थे कि उनके द्वारा आह्वान करने पर सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए भगत सिंह ने स्कूल छोड़ दिया। तत्पश्चात भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज लाहौर में प्रवेश लिया, जहां उन्हें क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन करने का अवसर मिला। वहीं वे अन्य क्रांतिकारियों जैसे भगवती चरण, सुखदेव और अन्य के संपर्क में आए।

भगत सिंह 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड से बेहद दुखी थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था, लेकिन जब गांधी ने चौरी चौरा घटना के बाद आंदोलन बंद बुलाया तो उन्हें निराशा हाथ लगी। कुछ समय बाद, उनका महात्मा गांधी के अहिंसक धर्मयुद्ध से मोहभंग हो गया। उन्हें विश्वास हो गया कि सशस्त्र संघर्ष ही राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए एक मात्र रास्ता है।

तेज तर्रार युवा नेता

भगत सिंह समाजवाद की ओर काफी आकर्षित हुए। उन्होंने 1926 में, ‘नौजावन भारत सभा (यूथ सोसाइटी ऑफ इंडिया) की स्थापना की। भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के नेताओं और संस्थापकों में से एक थे।

भगत सिंह पुलिस की दृष्टि में संदिग्ध व्यक्ति बन चुके थे और मई 1927 में उन्हें पिछले अक्टूबर में बमबारी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कई सप्ताह के बाद जब उन्हें छोड़ा गया तो उन्होंने क्रांतिकारी अखबारों के लिए लिखना शुरू किया।

एक कट्टरपंथी क्रांतिकारी

1928 में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन को भारतीय लोगों के लिए स्वायत्तता पर चर्चा के लिए नियुक्त किया। कई भारतीय राजनीतिक संगठनों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया क्योंकि आयोग में कोई भारतीय प्रतिनिधि नहीं था। अक्टूबर में लाला लाजपत राय ने आयोग के विरोध में मार्च का नेतृत्व किया था। पुलिस ने बड़ी भीड़ को भगाने का प्रयास किया तो हाथापाई के दौरान पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट ने राय को घायल कर दिया। राय की दो हफ्ते बाद मौत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने ऐसी किसी भी बात को मानने से इनकार कर दिया जिससे सरकार की गलती साबित हो।

लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने दो अन्य लोगों के साथ पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट को मारने की योजना बनाई, लेकिन दूसरे पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉंडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी। भगत सिंह और उनके साथियों की सभी कोशिशों के बावजूद गिरफ्तारी नहीं हो पाई।

23 मार्च 1931 को दी गई फांसी

8 अप्रैल 1929 में भगत सिंह ने अपने सहयोगी के साथ सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक के कार्यान्वयन के विरोध में दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा पर बमबारी की। उसके बाद कोर्ट में गिरफ्तारी दी। भगत सिंह, सुख देव और राज गुरु को अदालत ने विध्वंसक गतिविधियों के लिए मौत की सजा सुनाई थी। उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी। Bhagat Singh Jayanti

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