RCB खिलाड़ी की बढ़ी मुश्किलें, नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप

पीड़िता का दावा है कि, क्रिकेटर यश दयाल ने करियर गाइडेंस के बहाने उसे होटल में बुलाया जहां उसके साथ दुष्कर्म किया गया। एफआईआर में यह भी बताया गया कि बाद में भी आईपीएल 2025 के दौरान सीतापुरा स्थित एक होटल में उसे बुलाकर फिर से दुष्कर्म किया गया।

Yash Dayal
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calendar01 Dec 2025 10:02 PM
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Yash Dayal: आईपीएल 2025 के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन कर सुर्खियों में आए क्रिकेटर यश दयाल अब एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक युवती ने उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया है। यह यश दयाल के खिलाफ दर्ज हुआ दूसरा दुष्कर्म का केस है।

क्या हैं नए आरोप?


जयपुर के सांगानेर थाने में दर्ज FIR के अनुसार, पीड़िता का आरोप है कि क्रिकेट में करियर बनाने का सपना दिखाकर उसे इमोशनल ब्लैकमेल किया गया और दो वर्षों तक शारीरिक शोषण होता रहा। युवती ने बताया कि वह पहली बार यश दयाल से दो साल पहले मिली थी, जब वह नाबालिग थी। उस समय जयपुर में आईपीएल मैच के दौरान दयाल से संपर्क हुआ। पीड़िता का दावा है कि दयाल ने करियर गाइडेंस के बहाने होटल में बुलाया जहां उसके साथ दुष्कर्म किया गया। एफआईआर में यह भी बताया गया कि बाद में भी आईपीएल 2025 के दौरान सीतापुरा स्थित एक होटल में उसे बुलाकर फिर से दुष्कर्म किया गया।

पॉक्सो एक्ट के तहत भी मामला दर्ज


पीड़िता के अनुसार, जब पहली बार उसके साथ शोषण हुआ तब वह नाबालिग थी। इसी आधार पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की धाराओं को भी शामिल किया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और यश दयाल से पूछताछ की तैयारी की जा रही है। बता दें कि, इससे पहले जुलाई में यश दयाल पर गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना क्षेत्र में एक युवती ने शादी का झांसा देकर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करवाई थी।

यश दयाल का क्रिकेट करियर


27 वर्षीय यश दयाल का क्रिकेट करियर अब तक उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ओर से आईपीएल 2025 में खेले और टीम की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इस सीजन में 5 मैचों में 13 विकेट झटके थे। इससे पहले वे गुजरात टाइटंस की ओर से भी खेल चुके हैं। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है और भारत A टीम तथा 2022 में हार्दिक पंड्या की कप्तानी में टीम इंडिया स्क्वॉड का हिस्सा भी रहे हैं, हालांकि उन्हें अब तक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका नहीं मिला।

अब तक नहीं आया कोई बयान

पहले दर्ज मामले को लेकर यश दयाल ने अपनी सफाई में संबंधित युवती के खिलाफ ब्लैकमेलिंग और बदनामी का आरोप लगाते हुए काउंटर शिकायत भी दर्ज करवाई है। हालांकि, जयपुर के नए मामले में उनकी ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह मामला केवल एक खिलाड़ी की छवि पर नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट की गरिमा और खिलाड़ियों की सामाजिक जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े करता है। पुलिस जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी लेकिन मामला गंभीर और संवेदनशील है। 

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अनिल अंबानी ने किया है 13 हजार करोड़ से भी बड़ा खेला

Anil Ambani
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locationभारत
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calendar25 Jul 2025 06:14 PM
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Anil Ambani: अनिल अंबानी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। बृहस्पतिवार को अनिल अंबानी के ठिकानों पर ED की रेड के बाद हर तरफ अनिल अंबानी की चर्चा हो रही है। ED के अंतरंग सूत्रों ने अनिल अंबानी को लेकर बड़ा दावा किया है। ED के सूत्रों का दावा है कि अनिल अंबानी का घोटाला 13 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक का घोटाला है। अनिल अंबानी के मामले में  ED ने यस बैंक के साथ सांठ-गांठ करके तीन हजार करोड़ रुपए के घपले की जांच शुरू की थी। जांच में पता चला है कि तीन हजार करोड़ के यस बैंक के घपले के साथ ही अनिल अंबानी ने 10 हजार करोड़ रूपये के दूसरे कर्ज का भी दुरूपयोग किया है।

अनिल अंबानी के 35 से अधिक ठिकानों पर हुई  ED की रेड

बृहस्पतिवार को मुंबई में अचानक हड़कंप मच गया। इस हड़कंप की वजह यह थी कि अनिल अंबानी जैसे बड़े उद्योगपति के 35 से अधिक ठिकानों पर ED ने एक साथ रेड मारी है। अनिल अंबानी के ठिकानों पर ED की रेड की खबर मुंबई से लेकर दुनिया भर में फैल गई। हर कोई जानना चाहता था कि अनिल अंबानी के ऊपर ED की रेड किस मामले में हुई है। जांच पड़ताल के बाद पता चला कि अनिल अंबानी के ऊपर ED की रेड यस बैंक के साथ सांठगांठ करके लिए गए तीन हजार करोड़ रुपए के कर्ज को लेकर हुई है। खबर फैलते ही अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर भी धड़ाम से नीचे आ गए। यह अलग बात है कि अनिल अंबानी की कंपनियों के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि ED की रेड का अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर पर कोई असर नहीं पड़ा है।

इस प्रकार चली अनिल अंबानी के ऊपर ED की पूरी कार्यवाही

बृहस्पतिवार को ED की अलग-अलग टीमों ने अनिल अंबानी के 35 से अधिक ठिकानों पर एक साथ रेड शुरू की। ED के सूत्रों के मुताबिक, ईडी 2017 और 2019 के बीच अनिल अंबानी के समूह की कंपनियों को यस बैंक से दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपये के कर्ज के दुरुपयोग के आरोपों की जांच कर रहा है। ईडी की दिल्ली से पहुंची टीमों ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत छापों में दस्तावेज और कंप्यूटर में रिकॉर्ड डाटा जब्त किए हैं। ईडी को जानकारी मिली थी कि कर्ज दिए जाने से ठीक पहले यस बैंक के प्रवर्तकों की कारोबारी संस्थाओं में धन आया था। ईडी रिश्वत और कर्ज के इस गठजोड़ की जांच कर रहा है। साथ ही ईडी अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को यस बैंक की ओर से ऋण स्वीकृतियों में घोर उल्लंघन के आरोपों की भी जांच कर रहा है। इसमें पिछली तारीख के क्रेडिट अनुमोदन ज्ञापन (सीएएम), बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/क्रेडिट विश्लेषण के निवेश जैसे आरोप शामिल हैं।

यह भी पढ़े: देश पूछ रहा सबसे बड़ा सवाल: आखिर ED के निशाने पर अनिल अंबानी क्यों?

अनिल अंबानी ने मुखौटा कंपनियों में खपाया धन

ED के आंतरिक सूत्रों का दावा है कि अनिल अंबानी शातिर व्यक्ति है। अनिल अंबानी ने संबंधित संस्थाओं ने कर्ज की रकम को कई समूह एवं मुखौटा कंपनियों में लगा दिया गया। सेबी के मुताबिक, रिलायंस होम फाइनेंस लि. के कॉर्पोरेट ऋण में वृद्धि देखी गई। यह वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपये हो गया। आपको यह भी बता दें कि समूह की कंपनियों के कुछ और कर्ज के साथ विदेशी संपत्तियां भी ईडी जांच के दायरे में हैं। केंद्र सरकार ने हाल में संसद में बताया था, अनिल अंबानी व आरकॉम को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने धोखेबाज घोषित किया है। सीबीआई को भी इसकी शिकायत की गई है। आरकॉम की केनरा बैंक से 1,050 करोड़ रुपये की बैंक कर्ज धोखाधड़ी का मामला भी ईडी की नजर में है। रिलायंस म्यूचुअल फंड ने 2,850 करोड़ रुपये एटी-1 बॉन्ड में निवेश किए थे। इसमें भी ईडी को गड़बड़ी की आशंका है। ये बॉन्ड बैंक की ओर से जारी किए जाते हैं। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 10 हजार करोड़ की कर्ज राशि को दूसरी जगह इस्तेमाल करने का भी आरोप है।
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देश पूछ रहा सबसे बड़ा सवाल: आखिर ED के निशाने पर अनिल अंबानी क्यों?

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calendar25 Jul 2025 05:14 PM
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Anil Ambani: देश के जाने-माने उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के घेरे में हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर ED ने इतने बड़े उद्योगपति अनिल अंबानी फिर क्यों तलब किया है और जांच की जड़ में असल में क्या चल रहा है? चलिए समझते हैं कि आखिर यह मामला है क्या और अनिल अंबानी पर सवाल क्यों उठ रहे हैं। यह पूरा विवाद साल 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा रिलायंस समूह की कंपनियों को दिए गए करीब ₹3,000 करोड़ के लोन से जुड़ा है। आरोप है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले समूह ने इन फंड्स का गलत इस्तेमाल किया और पैसों को कथित तौर पर शेल कंपनियों में डायवर्ट कर दिया गया। ईडी को संदेह है कि ये लोन रकम अपने मूल उद्देश्य से हटकर दूसरी कंपनियों में निवेश और अंदरूनी लेन-देन के लिए प्रयोग की गई जो कि बैंकिंग नियमों का उल्लंघन है।

ईडी की जांच में क्या सामने आया?

प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच में जो बातें सामने आई हैं वो हैरान करने वाली हैं। लोन मंजूर करते समय जरूरी वैरिफिकेशन नहीं किया गया। बैंकिंग नियमों और क्रेडिट पॉलिसी का खुला उल्लंघन हुआ। कई मामलों में पुराने और अप्रासंगिक दस्तावेजों के आधार पर लोन दिए गए। लोन को तय योजना के बजाय अन्य जगह ट्रांसफर किया गया।

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रिश्वत का भी शक

सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियों को शक है कि यस बैंक के कुछ आला अधिकारियों और प्रमोटरों को रिश्वत दी गई, जिससे ये लोन बिना जांच-पड़ताल के पास हो गए। अगर यह साबित होता है तो मामला सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि आपराधिक श्रेणी में चला जाएगा। इस पूरे मामले में दो कंपनियां खास तौर पर जांच के केंद्र में हैं।रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) इसके कॉरपोरेट लोन पोर्टफोलियो में अचानक हुई बढ़ोतरी ने जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा है।रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) एसबीआई पहले ही इसे फ्रॉड घोषित कर चुका है।

पहले से ही डगमगाई हुई है स्थिति

अनिल अंबानी पहले ही आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं। इस जांच ने उनकी कारोबारी साख पर और गहरा असर डाला है। उनकी कई कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं और शेयर बाजार में इनकी स्थिति पहले से ही डगमगाई हुई है। फिलहाल जांच जारी है लेकिन जिस रफ्तार से ईडी कार्रवाई कर रही है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। यह मामला सिर्फ एक उद्योगपति की आर्थिक गड़बड़ियों तक सीमित नहीं है बल्कि यह भारत के बैंकिंग सिस्टम, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और नियामकीय व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।