UP की 10 दमदार सरकारी योजनाएं, करोड़ों लोगों को मिल रहा सीधा लाभ

UP की 10 दमदार सरकारी योजनाएं, करोड़ों लोगों को मिल रहा सीधा लाभ
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 08:25 AM
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भारत के 78वें स्वतंत्रता वर्ष (2025) के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार कई ऐसी जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही है जो जनता को सीधे लाभ पहुंचा रही हैं। ये योजनाएं महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीब तबकों के जीवन स्तर को उठाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। यहां 10 प्रमुख योजनाओं की संक्षिप्त जानकारी दी गई है, जिनसे इस साल प्रदेश के लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। Uttar Pradesh News 

मुफ्त राशन वितरण योजना (निःशुल्क खाद्यान्न योजना)

उत्तर प्रदेश में गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए मुफ्त राशन वितरण जारी है। राज्य में करीब 15 करोड़ लोग इस योजना से हर माह निःशुल्क अनाज पा रहे हैं। कोविड महामारी से उपजे संकट के बाद शुरू हुई इस पहल को सरकार ने पारदर्शी ई-पॉस सिस्टम से सुचारु रखा है। यह योजना गरीब परिवारों के रसोई खर्च में बड़ी राहत बनकर उभरी है और इसे 2024 तक बढ़ाया भी गया।

आयुष्मान भारत व मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना (स्वास्थ्य बीमा)

प्रदेश में केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना और राज्य की मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना मिलकर लोगों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज दे रही हैं। अब तक उत्तर प्रदेश में 5 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं और आयुष्मान पात्रता से वंचित लगभग 49 लाख परिवारों को राज्य की योजना के तहत स्वास्थ्य कवर मिला है। इस पहल से गरीबों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिली है, जिससे गंभीर बीमारियों में महंगे इलाज का बोझ कम हुआ है।

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना

यह योजना प्रदेश में बालिकाओं के जन्म से स्नातक तक चरणबद्ध आर्थिक मदद प्रदान करती है। वार्षिक ₹3 लाख तक आय वाले परिवारों की दो बेटियां इसमें शामिल हो सकती हैं। जन्म, टीकाकरण, स्कूल में प्रवेश और स्नातक स्तर तक कुल ₹25,000 सहायता राशि छह किश्तों में दी जाती है। 2023 में सहायता राशि ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 की गई। इस योजना से अब तक प्रदेश की करीब 24–25 लाख बेटियां लाभान्वित हुई हैं, जिससे बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य को प्रोत्साहन मिला है।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना

गरीब परिवारों की बेटियों की शादी का खर्च बांटने वाली इस योजना के तहत सरकार सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित कराती है। 2025 से प्रति जोड़ा अनुदान ₹51,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 किया गया है, जिसमें नकद राशि सीधा वधू के खाते में और बाकी राशि उपहार सामग्रियों व समारोह व्यय हेतु शामिल है। वार्षिक आय सीमा भी ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹3 लाख की गई है। अब तक इस योजना में लगभग 4.76 लाख जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है, जिसमें दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक समुदायों के हजारों परिवार शामिल हैं। यह योजना दहेज प्रथा पर रोक लगाने और निर्धन परिवारों को सम्मानजनक तरीके से विवाह कराने में मददगार साबित हुई है।

मिशन शक्ति कार्यक्रम

मिशन शक्ति मुख्यमंत्री योगी द्वारा आरंभ दो-चरणीय व्यापक अभियान है, जिसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन सुनिश्चित करना है। पहले चरण (अक्तूबर 2020 – अप्रैल 2021) में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियानों के साथ 40,000 से ज्यादा स्कूलों में सेल्फ-डिफेंस प्रशिक्षण चलाए गए। नवीन चरणों में यह कार्यक्रम और विस्तृत हुआ है। अब तक 10 लाख से अधिक छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण, 80,000 से ज्यादा को स्काउट-गाइड प्रशिक्षण, तथा 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को डिजिटल व वित्तीय साक्षरता प्रदान की गई है। मिशन शक्ति ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में महिला हेल्पडेस्क, कन्या फंड, और रात में पुलिस गश्त जैसी पहल के जरिए महिलाओं में सुरक्षा का विश्वास बढ़ाया है, जिससे वे अधिक आत्मनिर्भर महसूस कर रही हैं।

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (MYUVA)

प्रदेश के युवाओं में स्व-रोजगार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस फ्लैगशिप योजना की शुरुआत की गई। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के तहत उद्यम शुरू करने के लिए आसान ऋण एवं मार्गदर्शन दिया जाता है। वित्त वर्ष 2025-26 के पहले चार महीनों में ही इस योजना को 1.96 लाख से अधिक आवेदन मिले, जो वार्षिक लक्ष्य 1.5 लाख से भी ज्यादा हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 42,000 से ज्यादा युवाओं को ऋण स्वीकृत हुए हैं और कुल 1.58 लाख आवेदनों को बैंकों को अग्रसारित किया गया। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार तेज निष्पादन से 28,000 से बढ़कर 42,000 युवा उद्यमियों को लाभ मिला है। युवाओं में उद्यमिता के प्रति बढ़ते उत्साह ने यूपी को स्टार्टअप्स का नया केंद्र बनाने में मदद की है।

मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना (निःशुल्क कोचिंग)

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है। मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अंतर्गत यूपी के सभी 75 ज़िलों में निःशुल्क कोचिंग सेंटर खोले गए हैं। यूपी सरकार समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस योजना में सिविल सेवा, नीट, जेईई, बैंकिंग जैसी परीक्षाओं की तैयारी मुफ्त कराई जाती है। हाल ही में 1 जुलाई 2025 से नए सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें 30,000 से अधिक छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया है। अनुभवी आईएएस, आईपीएस अधिकारी व विषय-विशेषज्ञ निशुल्क मार्गदर्शन देते हैं। यह पहल प्रतिभावान युवा दिमागों को अवसर देकर सामाजिक बराबरी लाने की दिशा में अहम कदम है।

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना

किसानों के लिए सुरक्षा कवच बनी यह योजना किसी दुर्घटना में किसान की मृत्यु या स्थायी विकलांगता पर आर्थिक सहायता देती है। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत पीड़ित किसान के परिवार को ₹5 लाख तक की अनुदान राशि प्रदान की जाती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक प्रदेश के 11,690 किसानों के दावों को मंजूरी देकर ₹561.86 करोड़ की सहायता वितरित की गई है। हाल ही में जून 2025 में एक ही दिन अंबेडकर नगर में 431 लाभार्थी किसानों को ₹20.78 करोड़ की सहायता दी गई। सरकार ने इस योजना का बजट बढ़ाकर 2025-26 में ₹1,050 करोड़ कर दिया है, जो किसानों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है। यह योजना खेतीहर परिवारों को आपदा की स्थिति में संबल देकर उनकी आजीविका को सुरक्षित रखने में मदद कर रही है।

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

कोविड-19 सहित अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों की परवरिश में सहारा देने वाली इस योजना ने कई जीवन रोशन किए हैं। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चों को प्रति माह ₹2,500 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यदि बच्चा कोविड-से अनाथ हुआ है तो राशि ₹4,000 प्रतिमाह है। साथ ही इन बच्चों की निःशुल्क शिक्षा के लिए उन्हें अटल आवासीय विद्यालयों या कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में प्रवेश की सुविधा, 18 वर्ष होने पर लैपटॉप और कन्या होने पर शादी के लिए ₹1,01,000 की सहायता जैसे प्रावधान भी हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में इस योजना के तहत 29,029 बच्चों की पहचान कर उन्हें सहायता पहुंचाई गई। यह पहल महामारी में माता-पिता गंवा चुके एवं अन्य बेसहारा बच्चों को नई आशा और आत्मनिर्भर भविष्य का आधार प्रदान कर रही है।

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एक जनपद, एक उत्पाद (ODOP) कार्यक्रम

प्रदेश के पारंपरिक उत्पादों और शिल्प को वैश्विक पहचान देने के लिए शुरू किया गया “एक जनपद, एक उत्पाद” (One District-One Product) कार्यक्रम आज यूपी की अर्थव्यवस्था का मजबूत इंजन बन गया है। इस योजना के तहत हर जिले की खास उत्पाद या शिल्प को चुनकर उसके उत्पादन, मार्केटिंग और निर्यात को बढ़ावा दिया जाता है। परिणामस्वरूप प्रदेश के लाखों कारीगरों, बुनकरों और उद्यमियों को नए रोजगार मिले हैं और उनके उत्पाद विदेशों तक पहुंचे हैं। उदाहरण के लिए, सिद्धार्थनगर जिले के काला नमक चावल की खेती 2018 के 2,000 हेक्टेयर से बढ़कर 20,000 हेक्टेयर तक फैल गई है, जिससे स्थानीय किसानों की आय बढ़ी है। समग्र रूप से उत्तर प्रदेश से ODOP उत्पादों का निर्यात बढ़कर ₹2 लाख करोड़ सालाना तक पहुंच गया है, जो 2017 में मात्र ₹86,000 करोड़ था। इस पहल के लिए यूपी को 2024 में राष्ट्रीय ODOP अवार्ड में देश में प्रथम स्थान मिला। ODOP ने पारंपरिक उद्योगों को नई जान देकर गांव-गांव में आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया है। Uttar Pradesh News 
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इन 3 एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा पूरा उत्तर प्रदेश, जानिए कब तक पूरे होंगे?

इन 3 एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा पूरा उत्तर प्रदेश, जानिए कब तक पूरे होंगे?
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calendar13 Aug 2025 12:49 PM
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उत्तर प्रदेश में सड़क और राजमार्ग इंफ्रास्ट्रक्चर 2025 में एक नए दौर से गुजर रहा है। पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड तक कई महत्वपूर्ण हाईवे परियोजनाएं इस वर्ष पूरी हो रही हैं या अंतिम चरण में हैं, जिससे दूरवर्ती जिलों के बीच आवागमन तेज और सुगम होगा। इन परियोजनाओं के पूरा होने से न केवल यात्रा का समय घटेगा बल्कि क्षेत्रीय विकास और व्यापार को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। Uttar Pradesh News 

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे

पूर्वांचल क्षेत्र को राजधानी से जोड़ने वाला 91.35 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे इस साल 20 जून को जनता के लिए खोल दिया गया। यह पूर्ण रूप से नियंत्रित-प्रवेश (एक्सेस कंट्रोल्ड) एक्सप्रेसवे गोरखपुर बाईपास (राष्ट्रीय राजमार्ग-27) पर जैतपुर गांव से शुरू होकर आजमगढ़ जिले के सालारपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से मिलता है। चार लेन का यह ग्रीनफील्ड मार्ग गोरखपुर, संतकबीरनगर, अंबेडकरनगर और आजमगढ़ जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों से होकर गुजरता है। एक्सप्रेसवे के शुरू होने से गोरखपुर से लखनऊ की यात्रा लगभग साढ़े तीन घंटे में पूरी हो सकेगी, जबकि पहले लगभग साढ़े चार घंटे लगते थे। इससे पूर्वांचल से लखनऊ होते हुए आगरा और यमुना एक्सप्रेसवे के जरिये दिल्ली तक का सफर भी आसान हो गया है। बेहतर कनेक्टिविटी के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास और रोजगार में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। Uttar Pradesh News 

गाजीपुर-बलिया एक्सप्रेसवे (बलिया लिंक एक्सप्रेसवे)

पूर्वांचल के पूर्वी छोर पर ग्रीनफील्ड गाजीपुर-बलिया एक्सप्रेसवे तेजी से बनकर तैयार हो रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अनुसार 132 किलोमीटर लंबे इस फोर-लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य सितंबर 2025 तक पूरा करके यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। यह एक्सप्रेसवे गाजीपुर के जंगीपुर से शुरू होकर बलिया जनपद में गंगा नदी स्थित मांझीघाट तक जाएगा, साथ ही इससे एक 17 किमी लंबी अतिरिक्त लिंक सड़क बिहार के बक्सर तक जोड़ी जाएगी। करीब ₹5500 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के पूरा होने पर गाजीपुर, बलिया सहित आसपास के जिलों की कनेक्टिविटी में भारी सुधार होगा। पूर्वांचल के इन सीमावर्ती इलाकों से लखनऊ, वाराणसी, पटना और दिल्ली जैसे महानगरों की दूरी समय में सिमटेगी। क्षेत्रीय व्यापार को भी बल मिलेगा, क्योंकि बलिया तथा आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों की सब्जी, अनाज, दुग्ध आदि उत्पाद तेजी से बड़े बाजारों तक पहुंच सकेंगे।

गंगा एक्सप्रेसवे

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पूर्वी उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला महत्वाकांक्षी गंगा एक्सप्रेसवे भी 2025 में पूर्ण होने की ओर है। लगभग 594 किलोमीटर लंबा यह छह-लेन (विस्तार योग्य आठ-लेन) एक्सप्रेसवे मेरठ जिले के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज जिले के जूदापुर दांडू गांव तक जाएगा, और मार्ग में मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ समेत कुल 12 जिलों को कवर करेगा। राज्य सरकार के अनुसार परियोजना नवंबर 2025 तक पूरी होकर चालू होने की उम्मीद है। इसके शुरू होने पर मेरठ-प्रयागराज के बीच यात्रा का समय वर्तमान ~12 घंटों से घटकर मात्र 6-7 घंटे रह जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे के बन जाने से पूर्वांचल के प्रयागराज सहित दर्जनों जिलों की राजधानी क्षेत्र व पश्चिमी यूपी से सीधी कनेक्टिविटी स्थापित होगी, जिससे आवागमन तेज़ होने के साथ-साथ इन मार्गों पर बसे क्षेत्रों में औद्योगिक-वाणिज्यिक विकास को नई गति मिलेगी।

यह भी पढ़े: 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक पार्क, कहां लग रहे हैं और कितना होगा फायदा?

इन परियोजनाओं के माध्यम से 2025 में प्रदेश में सड़क नेटवर्क का परिदृश्य बदल रहा है। पूर्वांचल से बुंदेलखंड तक तेज़ रफ्तार मार्गों के विस्तार से दूरस्थ जिलों के बीच की दूरी घटी है और यातायात सुगमता बढ़ी है। बेहतर सड़क संपर्क से गाँव-कस्बों को बड़े शहरों से जोड़ने में मदद मिल रही है, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था, व्यापार और पर्यटन को प्रोत्साहन मिल रहा है। 2025 के भीतर पूर्ण हो रहीं ये राजमार्ग परियोजनाएं उत्तर प्रदेश को बुनियादी ढांचे के नए स्तर पर ले जाकर पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड के संतुलित विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। Uttar Pradesh News 
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2025 में उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक पार्क, कहां लग रहे हैं और कितना होगा फायदा?

2025 में उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक पार्क, कहां लग रहे हैं और कितना होगा फायदा?
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calendar29 Nov 2025 03:04 AM
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उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पारदर्शी नीतियां और मजबूत रणनीति अब धरातल पर असर दिखा रही हैं। उत्तर प्रदेश में उद्योगों का नक्शा तेजी से बदल रहा है। यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) अब सिर्फ जमीन बांटने वाला विभाग नहीं बल्कि एक मजबूत आर्थिक इंजन बन चुका है जो निवेश बढ़ा रहा है रोजगार पैदा कर रहा है और उद्योगों के लिए जरूरी ढांचा खड़ा कर रहा है। Uttar Pradesh News 

अब सिर्फ नोएडा नहीं पूरे प्रदेश में बन रहे हैं औद्योगिक हब

अब तक उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास की पहचान नोएडा, गाजियाबाद जैसे गिने-चुने शहरों तक ही सीमित थी। लेकिन अब सरकार की योजना है कि हर क्षेत्र में औद्योगिक ग्रोथ पहुंचे। बुंदेलखंड और पूर्वांचल जैसे पिछड़े इलाकों को खास रियायतें देकर वहां निवेश बढ़ाया जा रहा है। यूपीसीडा के साथ-साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गोरखपुर आदि में औद्योगिक प्राधिकरण अपने-अपने क्षेत्रों में आधुनिक औद्योगिक पार्क और क्लस्टर तैयार कर रहे हैं। कानपुर में बन रहे मेगा लेदर पार्क से 50,000 लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। वहीं डिफेंस कॉरिडोर के जरिए अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ जैसे शहरों में रक्षा उत्पादों की यूनिट्स तैयार हो रही हैं।

निवेश और रोजगार में जबरदस्त उछाल

पिछले तीन सालों में यूपीसीडा ने 1,600 से ज्यादा इंडस्ट्रियल प्लॉट निवेशकों को दिए हैं। सिर्फ 2024–25 में ही 798 प्लॉट आवंटित हुए हैं। इसका सीधा मतलब है हजारों नए रोजगार के मौके और निवेशकों का बढ़ता भरोसा। औद्योगिक निवेश नीति 2022 के तहत निवेशकों को सब्सिडी, टैक्स में छूट और दूसरी सुविधाएं दी जा रही हैं। टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों के लिए खास पॉलिसी लागू की गई है। सरकार ने निजी औद्योगिक पार्क योजना शुरू की है जिसमें जमीन खरीदने पर 100% स्टांप ड्यूटी माफी और पूंजी निवेश का 25% तक सब्सिडी (₹40–80 करोड़ तक) दी जा रही है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल के लिए ये सब्सिडी और ज्यादा बढ़ाई गई है ताकि इन क्षेत्रों में भी तेजी से उद्योग लग सकें।

बुंदेलखंड को मिल रहा नया नोएडा

सरकार झांसी और आसपास के क्षेत्र में बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण (BIDA) बना रही है। यहां 35,000 एकड़ ज़मीन पर नया औद्योगिक शहर विकसित किया जाएगा जो नोएडा की तर्ज पर काम करेगा। मुख्यमंत्री योगी ने हाल ही में 5 बड़े एक्सप्रेसवे के किनारे 27 इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स क्लस्टर (IMLCs) लॉन्च किए हैं। ये क्लस्टर 13,000 एकड़ में फैले होंगे और हजारों लोगों के लिए रोजगार लेकर आएंगे।

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निवेशकों के लिए डबल फायदे

फ्रंटएंड (पहले) में स्टांप ड्यूटी छूट (100% तक), सस्ती दर पर प्लॉट, 1% ब्याज दर पर लोन। बैकएंड (बाद में) में, पूंजी सब्सिडी (₹40–100 करोड़ तक), SGST में छूट, बिजली दर में छूट, स्किल डेवलपमेंट और हॉस्टल सब्सिडी। सरकार का साफ लक्ष्य है उत्तर प्रदेश को देश की औद्योगिक रीढ़ बनाना। निवेश, रोजगार और अवसंरचना के मोर्चे पर जो तेजी देखी जा रही है वो बताती है कि यूपी अब सिर्फ कृषि प्रधान राज्य नहीं बल्कि मैन्युफैक्चरिंग का नया हब बन चुका है। Uttar Pradesh News