Big Breaking Rajasthan : संघर्ष के प्रतीक थे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

Kirori
Kirori Singh Bainsla passes away
locationभारत
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calendar31 Mar 2022 04:36 PM
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Kirori Singh Bainsla Passes Away: गुर्जर आंदोलन के मुखिया रहे कर्नल किरोड़ी बैंसला का निधन (Kirori Singh Bainsla) हो गया है. आपको बता दू, वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मणिपाल हॉस्पिटल (जयपुर) ले जाया गया. जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके बेटे विजय बैंसला (Vijay Bainsla) ने पिता के निधन की पुष्टि की.

बता दू कि, कर्नल किरोड़ी बैंसला (Colonel Kirori Bainsla) लंबे समय से गुर्जरों को आरक्षण (Gujjars Reservation) दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

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कौन थे किरोड़ी सिंह बैंसला (Kirori Singh Bainsla)?

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म करौली जिले (राजस्थान) के मुंडिया गांव में हुआ था. गुर्जर समुदाय (Gujjar community) से आने वाले बैंसला ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी पर, पिता के फौज में होने के कारण से उनका रुझान फौज की तरफ ज्यादा था.

इस वजहसे उन्होंने उन्होंने भी सेना में जाने का मन बनाया और सिपाही के रूप में भारत माँ की सेवा करने लग गए. किरोड़ी सिंह बैंसला, सेना की राजपूताना राइफल्स (Rajputana Rifles) में भर्ती हुए थे.

सेना में रहते हुए उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध (India-China War) और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (India Pakistan war) में हिस्सा लिया था.

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पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे थे बैंसला

किरोड़ी सिंह पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे थे. उन्हें 2 उप-नामों से जाना जाता था. सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर की चट्टान' (Gibraltar ki Chattan) और बाकी साथी कमांडो उन्हें 'इंडियन रेम्बो' (Indian Rambo) कह कर बुलाते थे. वो किरोड़ी सिंह बैंसला की जांबाजी ही थी कि, सेना में मामूली सिपाही के तौर पर भी तरक्की पाते हुए वह कर्नल की रैंक (Rank of Colonel) तक पहुंचे थे. बैंसला की 4 संतानें हैं. एक बेटी रेवेन्यू सर्विस (Revenue Service) में है और 2 बेटे सेना में हैं. वहीं 1 बेटा निजी कंपनी में है. किरोड़ी सिंह बैंसला की पत्नी का निधन पहली ही हो चुका था और किरोड़ी सिंह अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते थे. >> यह भी पढ़े:- पेट्रोल-डीजल की कीमत में आज फिर 80-80 पैसे प्रति लीटर बढ़े

रिटायर होने के बाद शुरू किया गुर्जर आंदोलन

सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी सिंह बैंसला अपने जन्म स्थल राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए संघर्ष करना शुरू कीया. गुर्जर आंदोलन (Gurjar Movement) के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी और पटरियों पर धरना दिया था. इस आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे थे. किरोड़ी सिंह बैंसला का कहना था कि, राजस्थान के ही मीणा समुदाय (Meena community) को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया गया है. जिससे उन्हें सरकारी नौकरी (Government Job) में सही प्रतिनिधित्व मिला.  लेकिन गुर्जरों समुदाय के साथ ऐसा नहीं हुआ. गुर्जरों को भी उनका हक मिलना चाहिए. >> यह भी पढ़े:-  अखिलेश से नाराजगी की खबरों के बीच CM योगी से मिलने पहुंचे शिवपाल
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Dharam Karma : वेद वाणी

Rigveda 1
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:02 AM
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Sanskrit : वपुर्नु तच्चिकितुषे चिदस्तु समानं नाम धेनु पत्यमानम्। मर्तेष्वन्यद्दोहसे पीपाय सकृच्छुक्रं दुदुहे पृश्निरूधः॥ ऋग्वेद ६-६६-१॥ Hindi: दो प्रकार की धनु माताएं हैं, एक तो वह जो पृथ्वी पर है। जो हमें और हमारी संतानों को दूध देकर पोषण करती है। दूसरी, वो जो आकाश में मेघ रूपी हैं और जल वृष्टि करके हमारा पालन करती है। (ऋग्वेद ६-६६-१) English : There are two types of Dhenu mothers, one who is on earth. Who nourishes our children and us by giving milk. Second, the one who is in the form of cloud in the sky, gives us water by rain. (Rig Veda 6-66-1)
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Health : रोग निवारक है गुणकारी 'प्याज'

Onion 1
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calendar01 Dec 2025 01:09 PM
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विनय संकोची Health : प्याज(Onion)  को तमाम लोग बड़े शौक से खाते हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो प्याज को पसंद नहीं करते हैं। नापसंदगी के अपने-अपने कारण हो सकते हैं। प्याज को तामसिक प्रवृत्ति का माना जाता है, इसलिए सात्विक आहार को प्राथमिकता देने वाले प्याज से दूर रहते हैं। मान्यता है कि तामसिक पदार्थों का सेवन करने से शरीर में यौन उत्तेजना में वृद्धि होती है। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि प्याज इसलिए नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। बावजूद इसके प्याज खूब खाई जाती है। कुछ सब्जियां, कुछ व्यंजन जो बिना प्याज के न तो बनते हैं, न स्वादिष्ट लगते हैं। आयुर्वेद में प्याज को उसके पोषक तत्वों के कारण औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसका मतलब प्याज की आयुर्वेद में औषधि के रूप में स्वीकार्यता है। कच्चे प्याज में सोडियम, पोटेशियम, फॉलेट्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, आयरन, विटामिन ए, सी और ई आदि पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। प्याज में एंटी इन्फ्लेमेट्री, एंटी एलर्जिक, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण पाए जाते हैं, जो प्याज को एक सुपर फूड बनाते हैं। आइए जानते हैं प्याज के गुण और उपयोग के बारे में। • प्याज मधुमेह को नियंत्रित रखने में सहायक होती है। प्याज में पाए जाने वाले क्वीरसेटिन और सल्फर की पर्याप्त मात्रा बढ़ते ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का काम करती है। नियमित संतुलित मात्रा में प्याज के सेवन से ब्लड शुगर में काफी राहत मिल सकती है। • कच्चा प्याज रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। मतलब कच्चा प्याज रक्तचाप नियंत्रक है और इसे अपनी खुराक में शामिल करना लाभदायक है। जिन्हें रक्तचाप की शिकायत है, उन्हें प्रतिदिन प्याज खाने की आदत बना लेनी चाहिए। • सामान्य आकार की प्याज में 25.3 मिलीग्राम कैल्शियम होता है और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होता है। यदि नियमित रूप से प्याज का सेवन किया जाए तो हड्डियों की कमजोरी से बचा जा सकता है। हड्डियों को मजबूत बनाए रखा जा सकता है। • प्याज हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। प्याज में पाया जाने वाला फ्लेवोनॉयड्स खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त प्याज में मौजूद थियोसल्फाइनेट्स रक्त की प्रवाह गति को सही रखने में सहायक होता है। इन तत्वों की सक्रियता के कारण हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा कई गुना कम हो जाता है। कच्ची प्याज के सेवन से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की शिकायत भी नहीं होती है। प्याज में मौजूद अमीनो एसिड गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाकर दिल को रोगों से बचाता है। • कच्चा प्याज पाचन में बहुत उपयोगी होता है। कच्चे प्याज में फाइबर पर्याप्त मात्रा में होता है, जो खाने को पचाने में सहायता करता है। कच्चा प्याज पेट को साफ रखता है और कब्ज की शिकायत नहीं होने देता। • कच्ची प्याज में मौजूद सल्फर शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। यही कारण है कि कच्चा प्याज खाने से कैंसर से लड़ने की क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि होती है। • प्याज में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन-सी के स्तर को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं। • प्याज में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड अस्थमा और एलर्जी जैसी परेशानियों को कम करने में सहायक हैं। • प्याज के नियमित सेवन से रक्त वाहिकाओं में थक्के नहीं जमते हैं, जिससे दिल के दौरे से बचाव होता है। • प्याज का नियमित सेवन तनाव से मुक्ति दिलाने और अच्छी नींद लाने में सहायक है। सेरोटेनिन और डोपामाइन आदि अच्छे हार्मोन अच्छी नींद लाने लाते हैं और मनोदशा पर भी अच्छा ही प्रभाव डालते हैं। • प्रतिदिन कच्ची प्याज का उपयोग करने से रूखी-सूखी त्वचा कोमल और चिकनी चमकदार हो जाती है। प्याज खून को साफ करती है, जिससे त्वचा के विकार नष्ट हो जाते हैं। 10 चम्मच शहद में 5 चम्मच प्याज का रस मिलाकर नियमित पीने से चेहरे की चमक बढ़ती है। • प्याज के रस को यत्नपूर्वक बालों की जड़ों में नियमित लगाने से, न केवल बालों का गिरना कम हो जाता है अपितु बाल सफेद होना भी कम हो जाता है। प्याज का रस जूओं को भी मार डालता है। • प्याज और अदरक के रस तथा घी समान मात्रा (एक-एक चम्मच) कुछ सप्ताह तक नियमित लेने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त सर्दी-जुकाम, लू लगने, जोड़ों के दर्द आदि में भी प्याज का सेवन बहुत लाभकारी पाया गया है। प्याज के अत्यधिक मात्रा में सेवन से नुकसान भी हो सकता है। जैसे ज्यादा प्याज खाने से ब्लड शुगर का स्तर बहुत अधिक गिर सकता है, जो बहुत अधिक हानिकारक होता है। { विशेष : प्याज निश्चित रूप से रोग निवारक और लाभदायक है। यहां प्याज के औषधीय गुणों की सामान्य जानकारी दी गई है, जिसे चिकित्सा परामर्श के रूप में अपनाने की सलाह हम नहीं देते हैं। रोग विशेष में औषधि के रूप में प्याज का उपयोग किसी योग्य चिकित्सक के परामर्श के बिना करना उचित नहीं होगा।}