3,000 कुत्तों का बसेरा: दुनिया के सबसे बड़े डॉग शेल्टर की अद्भुत कहानी !

3,000 कुत्तों का बसेरा: दुनिया के सबसे बड़े डॉग शेल्टर की अद्भुत कहानी !
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:43 PM
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दिल्ली-NCR में बेघर कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश ने देश में बहस को जन्म दिया है। इस फैसले के बाद लोगों की राय बंट गई है कहीं इसे सही कदम माना जा रहा है तो कहीं इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसी व्यवस्थाएं हमारे देश में मौजूद हैं और दुनिया में कुत्तों के लिए सबसे बड़ी देखभाल का केंद्र कहां स्थापित है। बता दें कि डॉग शेल्टर होम वे खास स्थल होते हैं, जहां आवारा कुत्तों की देखभाल, उनका पालन-पोषण और इलाज बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहां कुत्तों को उचित भोजन, स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षित वातावरण मुहैया कराया जाता है ताकि उनकी जिंदगी बेहतर हो सके।  Stray Dogs

दुनिया का सबसे बड़ा डॉग शेल्टर कहाँ है ?

दुनिया का सबसे बड़ा डॉग शेल्टर रोमानिया के पिटेस्टी शहर के पास स्थित है। इसे मई 2001 में जर्मन-रोमानियाई संयुक्त प्रयास के तहत शुरू किया गया था, जिसका मकसद बेघर कुत्तों को नया आशियाना और चिकित्सा सहायता प्रदान करना था। इस शेल्टर की खासियत यह है कि यहां करीब 3,000 कुत्तों को लगभग 45,543 वर्ग मीटर के विशाल क्षेत्र में रखा और संभाला जाता है। इतना ही नहीं, इस शेल्टर को अपनी भव्यता के चलते गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है। यहां न केवल कुत्तों का नियमित इलाज किया जाता है, बल्कि उनकी नसबंदी जैसी प्रक्रियाएं भी की जाती हैं, जिससे उनकी संख्या नियंत्रित रहे और वे स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें। यह व्यवस्था कुत्तों की देखभाल के उच्च मानकों का उदाहरण पेश करती है।

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क्यों शेल्टर होम भेजे जा रहे हैं दिल्ली के कुत्ते ?

भारत में फिलहाल आवारा कुत्तों के लिए इस तरह का व्यापक और व्यवस्थित शेल्टर सिस्टम विकसित नहीं हुआ है, इसलिए दिल्ली-एनसीआर में इस दिशा में कदम उठाना बड़ी चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि आवारा कुत्तों से बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और राजधानी में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या का समाधान निकाला जा सके।

अब देखना होगा कि क्या भारत में भी रोमानिया जैसे डॉग शेल्टर की स्थापना संभव हो पाएगी और किस तरह से यहां के आवारा कुत्तों के लिए बेहतर देखभाल की व्यवस्था की जा सकेगी। शेल्टर होम में कुत्तों को उचित भोजन, इलाज और सुरक्षा प्रदान करना न केवल पशु कल्याण के लिहाज से आवश्यक है, बल्कि इससे मानव-जीवन की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। यह कदम एक संतुलित और संवेदनशील समाज की ओर एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा सकता है।

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जाट की ताकत, बिहार की धाक, साउथ की चाल, उपराष्ट्रपति की रेस में बीजेपी की जबरदस्त चाल !

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userचेतना मंच
calendar12 Aug 2025 02:15 PM
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देश के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव का राजनीतिक ड्रामा शुरू हो चुका है, जो बिहार विधानसभा चुनाव की गरमाहट के बीच और भी अहमियत रखता है। अचानक इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ के स्थान पर बीजेपी के लिए उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनना अब एक चुनौतीपूर्ण समीकरण बन चुका है, जिसमें जातीय, क्षेत्रीय और राजनीतिक गठजोड़ों का बेहतरीन तालमेल बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस अहम फैसले की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, जबकि बीजेपी ने संभावित उम्मीदवारों की सूची लगभग अंतिम रूप दे दी है। यह चुनाव सिर्फ एक पद भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उत्तर, बिहार और दक्षिण भारत के बीच पार्टी की राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की रणनीति का भी अहम हिस्सा है।  Vice President Election

बीजेपी की जटिल राजनीतिक बिसात

धनखड़ के इस्तीफे से जाट समुदाय में खिंचाव उत्पन्न हुआ है, क्योंकि वे जाट राजनीति में बीजेपी की पैठ का प्रतीक माने जाते थे। जाटों के अलावा, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यहां के सियासी समीकरणों को संतुलित करना है। बिहार में अकेले बीजेपी की सरकार बनाना मुश्किल रहा है, इसलिए उपराष्ट्रपति पद पर किसी ऐसे चेहरे को लाना होगा जो बिहार के विभिन्न सामाजिक समूहों का विश्वास जीत सके। साथ ही, दक्षिण भारत के लिए भी बीजेपी का दांव बेहद महत्वपूर्ण होगा, जहां उसकी राजनीतिक पकड़ अभी तक अपेक्षित मजबूती नहीं जुटा पाई है। तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में पार्टी की कमज़ोर स्थिति को देखते हुए, दक्षिण भारतीय नेतृत्व को उपराष्ट्रपति पद के लिए उठाना पार्टी के लिए राजनीतिक रणनीति में नई जान फूंक सकता है।

सामरिक समन्वय की जरूरत

बीजेपी को इस बार अपने सहयोगी दलों के साथ-साथ कुछ विपक्षी दलों के समर्थन को भी साधना होगा ताकि उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस-वोटिंग के जरिए विपक्षी एकता को तोड़ा जा सके। इसके लिए उम्मीदवार का संसदीय अनुभव, संतुलित वक्तृत्व कला और निष्पक्ष छवि जरूरी होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी नज़र इस चुनाव पर है। संघ भले ही सरकार के कामकाज में सीधी दखलअंदाजी कम करना चाहता हो, लेकिन वह चाहता है कि सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठने वाला व्यक्ति पूरी तरह से पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित हो। यही वजह है कि बीजेपी नेतृत्व इस बार ऐसे उम्मीदवार की खोज में है जो वैचारिक रूप से भी मजबूत हो।

9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होनी है। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद पर किसी बिहार से संबंध रखने वाले नेता को लाना बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति में मददगार साबित हो सकता है। सवर्ण और ओबीसी वर्गों में संभावित नामों की चर्चा जोरों पर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी बिहार के सामाजिक-सांस्कृतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन करेगी।

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जाट समुदाय का भावनात्मक जोड़

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने जाट समुदाय में बीजेपी की राजनीतिक पकड़ पर सवालिया निशान लगा दिया है। जाट समाज के अनेक नेताओं और संगठनों ने पार्टी पर अनदेखी और उपेक्षा का कड़ा आरोप लगाते हुए अपने नाराजगी जताई है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वह उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के माध्यम से जाटों को वह सम्मान और राजनीतिक प्रतिष्ठा लौटाए, जो समुदाय के दिलों में पार्टी के प्रति विश्वास और सम्मान को फिर से मजबूत कर सके। जाट समाज की राजनीतिक सक्रियता और उनकी भावनाओं को भांपते हुए, बीजेपी को इस संवेदनशील समीकरण को ध्यान में रखकर रणनीति बनानी होगी ताकि यह निर्णायक वोट बैंक पार्टी के साथ बना रहे।

उत्तर भारत पर मजबूत पकड़ के बावजूद दक्षिण भारत में बीजेपी की राजनीतिक स्थिति नाजुक है। ऐसे में दक्षिण भारत के किसी नेता को उपराष्ट्रपति पद पर लाना पार्टी की रणनीतिक मजबूती के लिहाज से फायदेमंद होगा। खासकर केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह कदम बीजेपी की सियासी गहराई बढ़ा सकता है।  Vice President Election

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37 लाख डॉग बाइट, 54 मौतें… अब नहीं रहेंगे स्ट्रीट डॉग्स सड़क पर

37 लाख डॉग बाइट, 54 मौतें… अब नहीं रहेंगे स्ट्रीट डॉग्स सड़क पर
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calendar12 Aug 2025 01:19 PM
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देश की राजधानी और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों की समस्या अब खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। डॉग बाइट, रेबीज से मौतें और लगातार बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है। सोमवार को अदालत ने दिल्ली-NCR में मौजूद सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह के भीतर शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इन कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद फिर से सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। Stray Dogs

आंकड़े डराने वाले हैं

2024 में पूरे भारत में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट केस दर्ज हुए। इनमें से 5.19 लाख पीड़ित 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे। सिर्फ दिल्ली में जनवरी से जून 2024 के बीच 35,198 डॉग बाइट की घटनाएं दर्ज की गईं। रेबीज से 54 मौतें दर्ज की गईं, जो 2023 के मुकाबले अधिक हैं। डॉग बाइट मामलों में 143% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्ते, जिनमें से 50% से कम की ही नसबंदी हुई है।

कोर्ट के निर्देश क्या हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से जुड़ी समस्या को “गंभीर और जनस्वास्थ्य के लिए खतरा” बताया। कोर्ट ने कहा, 8 हफ्तों में सभी स्ट्रीट डॉग्स को शेल्टर होम में भेजा जाए।वहां नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य रूप से किया जाए। डॉग बाइट की शिकायतों के लिए एक सप्ताह में हेल्पलाइन नंबर शुरू किया जाए। जो भी व्यक्ति शेल्टर की प्रक्रिया में बाधा डालेगा, उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। दिल्ली सरकार को वैक्सीन स्टॉक और इलाज से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। कम से कम 5,000 कुत्तों की क्षमता वाले शेल्टर होम बनें और प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती की जाए।

समय पर वैक्सीन ही उपाय

रेबीज एक जानलेवा वायरस संक्रमण है जो मुख्यतः कुत्तों के काटने से फैलता है। एक बार लक्षण दिखने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है, इसलिए समय पर वैक्सीन लेना बेहद जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में होने वाली कुल रेबीज मौतों में से 36% भारत में होती हैं। यह आंकड़ा हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था और पशु प्रबंधन पर सवाल उठाता है।

कहां चूकी सरकारें?

पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम 2023 के तहत नसबंदी और टीकाकरण जरूरी है लेकिन अभी तक दिल्ली में इसके क्रियान्वयन में भारी लापरवाही देखी गई है। 10 लाख में से आधे से भी कम कुत्तों की नसबंदी हुई है। ऐसे में आबादी लगातार बढ़ रही है, और साथ में बढ़ रहा है आम जनता का खतरा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर समाज में दो राय देखने को मिल रही है। एक ओर लोग डॉग अटैक से त्रस्त हैं और इस आदेश को राहत की तरह देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एनिमल एक्टिविस्ट्स और पेट लवर्स इसे अत्यधिक और क्रूर कदम मान रहे हैं।

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अब आगे क्या?

साफ है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बार आवारा कुत्तों के मुद्दे को टालने की बजाय हल करने की दिशा में कदम उठाया है। यह देखने वाली बात होगी कि दिल्ली और एनसीआर की सरकारें कोर्ट के आदेशों का कितना पालन करती हैं, और क्या ये कदम वास्तव में जनहित और पशुहित के संतुलन को बना पाएगा। Stray Dogs