PM Cares Fund: ‘पीएम केयर्स फंड’ ऑडिट और RTI के दायरे में क्यों नहीं: कांग्रेस

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PM Cares Fund
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 03:44 AM
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PM Cares Fund / नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है तथा यह किसी ऑडिट या सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में नहीं आता है।

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने यह भी कहा कि इस कोष में पांच हजार करोड़ रुपये आए हैं और ऐसे में इसका ऑडिट होना चाहिए तथा इसे आरटीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए।

PM Cares Fund

उन्होंने कहा कि ‘पीएम केयर्स’ में जो भी धन आया, उनमें से 60 प्रतिशत कुछ सार्वजनिक उपक्रमों से आया है तथा यह संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि बिना किसी कानूनी वैधता के ‘धन एकत्र’ किया जा रहा है।

सिंघवी ने सवाल किया कि आप (सरकार) हर महीने वेबसाइट पर पीएम केयर्स फंड का पूरा खर्चा, प्राप्त राशि, दानदाता के नाम साझा क्यों नहीं करते हैं? कैग को रिपोर्ट क्यों नहीं देते? पारदर्शिता के लिए आप आरटीआई का जवाब क्यों नहीं देते हैं? किसी विधायिका का सहयोग क्यों नहीं लेते या किसी एक्ट के तहत कोई नोटिफिकेशन जारी क्यों नहीं करते हैं?

उन्होंने यह भी पूछा कि इसे आंशिक रूप से कानून का रूप क्यों नहीं देते? इतने वर्षों में आपने एक भी श्वेत पत्र क्यों नहीं जारी किया? पीएम केयर्स फंड का रुपया कहां खर्च हो रहा है? किसी भी क्षेत्र में पैसा खर्च करने का फैसला किस मापदंड के तहत लिया जाता है? कोरोना महामारी के समय ‘पीएम केयर्स फंड’ का गठन किया गया था।

Sexual Harassment: सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

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Sexual Harassment: सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 09:13 AM
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Sexual Harassment : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने की मांग कर रही सात महिला पहलवानों की याचिका पर मंगलवार को दिल्ली पुलिस और अन्य को नोटिस जारी किया।

Sexual Harassment

शीर्ष न्यायालय ने महिला पहलवानों द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीर बताया और कहा कि इस पर न्यायालय को विचार करने की जरूरत है।

न्यायालय ने शुरूआत में कहा कि याचिका को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध किया जाए। हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की कुछ दलीलें सुनने के बाद इसने तुरंत मामले की सुनवाई करने का फैसला किया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि आम तौर पर, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (संज्ञेय मामलों की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों की शक्ति) के तहत पुलिस से संपर्क करने का उपाय उपलब्ध है।

क्या हैं आरोप

पीठ ने सवाल किया कि क्या आरोप हैं। सिब्बल ने कहा कि एक नाबालिग पहलवान सहित सात पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, लेकिन इस पहलू पर बहुत स्पष्ट कानून होने के बावजूद अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।

उन्होंने कहा कि ये महिला पहलवान हैं...एक नाबालिग समेत सात (पहलवान) हैं। एक समिति की रिपोर्ट है जो सार्वजनिक नहीं की गई है और कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।

अदालती फैसलों का हवाला देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि इस तरह के अपराध में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए पुलिसकर्मी पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है।

दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं पहलवानों ने याचिका में गंभीर आरोप लगाए हैं। न्यायालय को इस पर गौर करने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा कि याचिका पर सुनवाई की जा रही है। याचिकाकर्ताओं की पहचान जाहिर नहीं की जाए। सिर्फ संपादित याचिका सार्वजनिक की जाए। नोटिस जारी किया जाए। शुक्रवार तक जवाब दाखिल किया जाए। दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करने की छूट दी जाती है।

न्यायालय ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में दी गयी शिकायतों को फिर से सीलबंद किया जाए और उन्हें याचिका के साथ लगाया जाए। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भी हैं।

महिला पहलवानों ने अपनी याचिका में दलील दी है कि शिकायतें दायर करने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की।

दिल्ली पुलिस द्वारा नहीं की गई कार्रवाई

याचिका में कहा गया है कि 21 अप्रैल 2023 से लेकर 24 अप्रैल 2023 तक, तीन दिन गुजर जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यह मानवाधिकारों का स्पष्ट रूप से हनन है।

पहलवानों ने दावा किया कि सिंह एवं उनके करीबी सहयोगियों द्वारा कई मौकों पर यौन, भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किये जाने के बाद, उन्होंने (पहलवानों ने) इस तरह के कृत्य के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की हिम्मत जुटाई और आरोपियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की मांग करते हुए जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गईं।

खेल मंत्रालय ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के मद्देनजर आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित करने का फैसला किया था। यह जानकारी 23 जनवरी 2023 को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में दी गई थी।

सार्वजनिक नहीं की जा रही रिपोर्ट

याचिका में कहा गया है कि यह हताशाजनक है कि समिति का गठन किये जाने के बावजूद इस मुद्दे के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें मीडिया में आई खबरों से जानकारी मिली कि मामले में आरोपों की जांच कर रही समिति ने सिंह को क्लीन चिट दे दी है और समिति की रिपोर्ट खेल मंत्रालय में पड़ी हुई है तथा अनुरोध किये जाने के बावजूद इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा।

कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पहलवान, सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की सरकार से मांग करते हुए यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। Sexual Harassment

Modi Surname Case : राहुल गांधी ने सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में दायर की अपील दायर

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Modi Surname Case : राहुल गांधी ने सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में दायर की अपील दायर

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Modi Surname Case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Apr 2023 02:30 AM
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Modi Surname Case: अहमदाबाद। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर सूरत की सत्र अदालत के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें ‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। एक वकील ने यह जानकारी दी।

कांग्रेस नेता के वकील बी एम मंगुकिया ने पुष्टि की कि राहुल गांधी ने सत्र अदालत के पिछले सप्ताह के आदेश के खिलाफ यहां हाईकोर्ट में अपील दायर की है।

Modi Surname Case

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

सूरत की सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी अर्जी 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी। गांधी इस मामले में फिलहाल जमानत पर हैं।

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