Mahakal Corridor यहां बन रहा है भारत का पहला नाइट गार्डन, जानें इसकी खासियत

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Mahakal Corridor
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 12:41 AM
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Mahakal Corridor : मध्य प्रदेश के उज्जैन में देश का पहला नाइट गार्डन तैयार किया जा रहा है। महाकाल कॉरिडोर के नाम से बनाया जा रहा यह धार्मिक नाइट गार्डन होगा, जो 20 हेक्टेयर में तैयार किया जा रहा है। आगामी 11 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे। इसे भोलेनाथ, माता पार्वती, देवी दुर्गा और पौराणिक धार्मिक कथाओं से जुड़ी लगभग 200 प्रतिमाएं यहां पर स्थापित की गई है। इसके साथ ही भित्ति चित्र से भी इसे सजाया गया है। यह प्रोजेक्ट में 793 करोड़ का है।

Mahakal Corridor

[caption id="attachment_35465" align="alignnone" width="556"]Mahakal Corridor Mahakal Corridor[/caption]

इस प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा होने वाला है। इस प्रोजेक्ट के लिए जहां मध्य प्रदेश सरकार 421 करोड रूपये खर्च कर रही है, वहीं केंद्र सरकार 271 करोड़ रूपये दिए है। इस प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस सरकार ने 80 करोड़ और महाकाल मंदिर समिति ने 21 करोड़ रूपये दिए है।

आपको बता दें कि तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बनाया था। उस वक्त कमलनाथ सरकार ने 300 करोड़ रूपये की योजना बनाई थी। लेकिन 2020 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद शिवराज सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर नए सिरे से काम शुरू किया। इस प्रोजेक्ट के लिए मंत्रियों की त्रिस्तरीय सदस्यीय समिति भी बनाई गई है।

अपने उज्जैन प्रवास के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महाकाल कॉरिडोर देश का पहला ऐसा धार्मिक स्थल होगा, जो पौराणिक सरोवर रुद्रसागर के किनारे विकसित हो रहा है। करीब 200 देवी देवताओं की प्रतिमाओं से सुसज्जित इस पार्क श्रद्धालु शिव की अनसुनी कथाएं इनसे जानेंगे। सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल में विराजित शिव, 108 स्तम्भों में शिव के आनंद तांडव, शिव स्तम्भ, भव्य प्रवेश द्वार पर विराजित नंदी की विशाल प्रतिमाएं हैं। यहां देश का पहला नाइट गार्डन भी बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि 793 करोड़ रुपए के इस विस्तार प्रोजेक्ट के पहले चरण के कामों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसमें महाकाल पथ, महाकाल वाटिका, रुद्रसागर तालाब के किनारे का विकास शामिल है। इसका प्रोजेक्ट यह फायदा होगा कि उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को महाकाल के दर्शन आसान होंगे और दर्शन के साथ लोग धार्मिक पर्यटन भी कर पाएंगे। यहां पर यात्रियों में घूमने, ठहरने, आराम करने से लेकर तमाम सुविधाएं मौजूद होंगी।

[caption id="attachment_35464" align="alignnone" width="559"]Mahakal Corridor Mahakal Corridor[/caption]

महाकाल प्रोजेक्ट के दौरान आठ महीने बाद उज्जैन में बदलाव की एक और बड़ी तस्वीर सामने आई है। यहां महाकाल पथ से सटा हुआ रुद्रसागर तालाब निखर उठा है। आठ महीने पहले तक यहां इतनी जलकुंभी थी कि पानी ढूंढना मुश्किल था। तालाब को साफ-सुथरा बनाने के लिए 40 लोगों ने डेढ़ महीने जलकुंभी हटाने के लिए दिन-रात एक कर दिए। 2016 के सिंहस्थ के बाद पहली बार इस तालाब पर फोकस किया गया।

आपको बता दें कि उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर का आकार काशी विश्वनाथ मंदिर से बड़ा है। कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किया जा रहा है। परिसर में ई-रिक्शा के माध्यम से उन श्रद्धालुओं का आवागमन कराया जाएगा, जिन्हें चलने में दिक्कत होगी। प्रसाद आदि खरीदने के लिए परिसर में ही दुकानें भी रहेंगी।

अगर भारत में तीर्थ पर्यटन पर गौर करें, तो पिछले कुछ साल में इस ओर काफी विकास किया जा रहा है। हृदय” योजना, प्रसाद, धार्मिक सर्किट जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। दरअसल इसका कारण यह है कि भारत में पर्यटन का आकार काफी बड़ा है। पर्यटन एक उद्योग जगत का रूप ले चुका है, भारत में यात्रा व पर्यटन उद्योग करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है एवं देश के कुल रोजगार में पर्यटन उद्योग की 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।

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Fighter Plane : अब दुनिया देखेगी आसमान में भारत का दम

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Now the world will see India's power in the sky
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calendar28 Nov 2025 06:31 AM
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Fighter Plane : दुनिया के तेजी से बदलते परिदृश्य में सुरक्षा एक अहम विषय बन गया है। आज के दौर में जब सुरक्षा का मुद्दा किसी देश के लेवल पर हो तो और अधिक महत्व बढ़ जाता है। नए-नए वैज्ञानिक आविष्कारों ने देश की सुरक्षा को तकनीकी रूप से काफी सजग बना दिया है, जिसका इस्तेमाल सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए किया जा रहा है। सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि आज के समय में भारतीय सुरक्षाबल तमाम तरह की आधुनिक तकनीक से लैस है। इसी क्रम को और आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने एलसीए तेजस एमके-2 की बहुप्रतीक्षित परियोजना को मंजूरी दी थी, जो भारत के लिए भविष्य में हवाई युद्ध का महत्वपूर्ण हथियार बनने की उम्मीद है। सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की मिली मंजूरी : भारत के लिए हवाई युद्ध में अहम रोल अदा करने वाले लड़ाकू विमानों में तेजी से अपग्रेड किया जा रहा है। बीते दिनों हवाई सुरक्षा के मद्देनजर आधुनिक तकनीक से लैस न्यू जेनेरेसन की ‘राफेल फाइटर प्लेन’ को भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किया गया। राफेल फाइटर प्लेन के वायु सेना में शामिल होने से जहां वायु सेना की ताकत में इजाफा हुआ, वहीं भारतीय सेनाओं को भी सुरक्षा की दृष्टि से वैश्विक मंच पर मजबूती मिली। सेनाओं की इसी जरूरत को देखते हुए सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस (एलसीए) एमके-2 परियोजना को मंजूरी दे दी है। वायु सेना 210 से अधिक विमानों का दे सकती है ऑर्डर: लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके-2 के आधुनिक तकनीक और क्षमताओं को देखते हुए भारतीय वायु सेना इस हल्के लड़ाकू विमानों में दिलचस्पी दिखाई है। केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने से दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 के शुरुआती तैयारियों के बाद उड़ान परीक्षण के लिए रास्ता साफ हो गया है। एलसीए तेजस एमके-2 के खूबियों को देखने के बाद वायु सेना 210 से अधिक एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकती है। 2028-29 तक उत्पादन शुरू करेगा एचएएल: सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की मंजूरी मिलने के बाद एलसीए मार्क-2 का प्रोटोटाइप वर्जन अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरेगा। व्यापक उड़ान परीक्षणों के बाद यह परियोजना वर्ष 2027 तक पूरी होगी। दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 (एलसीए) का उत्पादन 2028-29 तक शुरू करेगा। इस आधुनिक एयरक्राफ्ट की खूबियों को देखते हुए वायु सेना 210 से अधिक एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकती है। इसके बाद हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) मार्क-2 (एलसीए) का उत्पादन 2028-29 तक शुरू करेगा।

Fighter Plane :

  आधुनिक स्वदेशी तकनीक से बढ़ी तेजस की शक्ति: एलसीए तेजस एमके-2 की निर्माता कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के मुताबिक 17.5 टन वजनी इस लड़ाकू विमान को उच्च थ्रस्ट वाले जीई एफ 414-आईएनएस 6 इंजन के साथ संचालित किया जाएगा, जबकि पहले एलसीए वेरिएंट में एफ 404 इंजन लगाया गया है। तेजस मार्क-2 की गति मैक 2 यानी 3457 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इसकी मारक रेंज 2500 किलोमीटर होगी। यह 56 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसमें 23 मिलीमीटर की जीएसएच-23 गन होगी। इस विमान में प्रीसिशन गाइडेड बम, लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर बम, अनगाइडेड बम और स्वार्म बम लगाए जा सकते हैं। इन खूबियों से लैस तेजस का दूसरा पार्ट दोगुनी शक्ति के साथ दो दो हाथ करने के लिए तैयार है। मिसाइल लगाने की क्षमता में भी दोगुना इजाफा: नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में मिसाइलों को लगाने की क्षमता दोगुना तक बढ़ाई गई है। पहले 4 टन युद्धक सामग्री ही ले जा सकते थे, लेकिन अब 7 टन तक क्षमता बढ़ा दी गई है। इसमें मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम लगाया गया है। इसलिए पीछे से मिसाइल अटैक होने पर विमान बैक साइड में इतना घना धुआं छोड़ देगा कि दुश्मन की मिसाइल कंफ्यूज होकर निशाने से चूक जाएगी। तेजस मार्क-2 के कॉकपिट में वायस कमांड भी दिया गया है, ताकि पायलट को बटन पुश करने का समय न होने पर वह आवाज देकर ही मिसाइल अटैक कर सकता है। इस तरह के अटैक में राफेल फाइटर प्लेन से ज्यादा प्रभावी होगा। सबसे बड़ी बात ये है कि तेजस का नया वर्जन मार्क-2 वायु सेना में मिग-29, जगुआर और मिराज फाइटर प्लेन की जगह लेगा।

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  अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल: लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एलसीए मार्क-2 भारत में निर्मित होने वाला सबसे उन्नत युद्धक विमान है। एलसीए मार्क-2 का निर्माण होने के बाद तेजस डिफेंसिव एयरक्राफ्ट का तमगा खोकर अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से विकसित किए जा रहे नए विमान में 6.5 टन की पेलोड क्षमता होगी और यह कई मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा। साथ ही इसमें हवा से हवा में मार करने वाली सात मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली चार मिसाइलें, एक एंटी रेडिएशन मिसाइल, पांच बम लगाए जा सकते हैं। तेजस मार्क-2 में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकती है। इसके अलावा निर्भय, स्टॉर्म शैडो, अस्त्र, मीटियोर, असराम और क्रिस्टल जैसी मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं।
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Noida News : जर्जर इमारतों स्ट्रक्चरल ऑडिट और इमारतों के मेंटेनेंस नियम बनाएगा प्राधिकरण : ऋतु महेश्वरी

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IAS Ritu Maheshwari
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calendar29 Nov 2025 09:00 PM
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Noida News :  सेक्टर-21 स्थित जलवायु विहार की बाउंड्री वॉल गिरने से हुई 4 लोगों की मौत से हड़कंप मच गया है। यह बाउंड्री वॉल नाले के सफाई के दौरान गिरी, जिसको नोएडा प्राधिकरण कॉन्ट्रैक्ट लेबर द्वारा करा रहा था। सूचना मिलते ही नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी मौका मुआयना किया और अस्पताल पहुंचकर घायलों का हालचाल पूछा। ऋतु माहेश्वरी ने मीडिया को बताया कि प्राधिकरण एक स्ट्रक्चरल ऑडिट की प्रक्रिया बनाने जा रहा है। बिल्डिंग ज्यादा पुरानी हो गई है, उसके मेंटेनेंस नियम बनाने जा रहे हैं। ऋतु महेश्वरी ने बताया कि मंगलवार की सुबह लगभग साढ़े नौ के सेक्टर 21 के जलवायु विहार, जो नेवी एयरफोर्स के एंप्लॉइज और ऑफिसर्स की पुरानी हाउसिंग सोसाइटी है, उसकी बाउंड्री वॉल एकदम से गिर गई। बाउंड्री वॉल के साथ एक नाली थी, जिसके रखरखाव का कार्य चल रहा था, जो सोसाइटी के अनुरोध पर अथॉरिटी, कांटेªक्ट के माध्यम से करा रही थी। एकदम से बाउंड्री वॉल गिरने से जो लेबर वहां काम कर रही थी, वह उसके नीचे दब गई। चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी लोग सब रेस्क्यू कर लिए गया।

Noida News :

ऋतु महेश्वरी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने घायल और मृतकों के लिए मुआवजे का एलान कर दिया है। बाकी जो भी मदद अथॉरिटी के नियमानुसार और कांट्रेक्ट के प्रावधानों में है, घायल और जिनकी मौत हुई है, उनके फैमिली को दी जाएगी। नोएडा प्राधिकरण की ओर से इस हादसे के कारणों जानने के लिए एक इंटरनल जांच कराई जा रही है और प्रशासन द्वारा भी जांच कराई जा रही है, जिससे यह स्पष्ट हो जाए कि दीवार गिरने का क्या कारण था। यह तो कंफर्म है कि पुरानी दीवार थी, जो गिरी है, लेकिन असल में क्या कारण रहा इस दीवार के गिरने का, वह जांच के बाद पता चल पायेगा।

Jalvayu Vihar Case : घोटाले की जद में है जलवायु विहार

सीईओ ऋतु माहेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari )   ने कहा कि नोएडा में दो तरह के बिल्डिंग है। कुछ तो बिल्डर्स ने बनाया है और कुछ अथॉरिटी की भी बनाई हुई है। बिल्डर जब बिल्डिंग को बनाकर आरडब्ल्यूओ को हैंडओवर कर देता है, रेजिडेंस एसोसिएशन की मेंटेनेंस जिम्मेदारी होती है, जब तक हैंडओवर नहीं होती, तब तक बनाने वाले बिल्डर की जिम्मेदारी होती है।