नोएडा। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कई रंग देखने को मिल रहे हैं। समाजवादी पार्टी से रूठकर अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव अब खटास भरे माहौल से निकलकर मिठास भरी बातें कर रहे हैं। यह भी कह सकते हैं अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के रिश्तों में पड़ी दरार को समय के अंतराल ने स्वयं ही भर दिया है। राज योग से विमुख रहकर दोनों ही अब नजदीक आ रहे हैं। चाचा-भतीजे की जोड़ी और जयंत का साथ उत्तर प्रदेश में क्या वाकई गुल खिला सकता है, यह कहना जल्दबाजी होगी, इसके लिए तो अभी इंतजार करना पड़ेगा। सत्तारुढ़ भाजपा को परास्त करने के लिए अखिलेश यादव ने चुनावी बिसात बिछा दी है। वे सहयोगियों दलों को साथ लेकर चुनावी रण में उतरने जा रहे हैं। सपा से अलग होकर शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया और प्रत्येक जिले में संगठन को खड़ा करने का काम किया। यह बात अलग है कि प्रसपा में अधिकांश कार्यकर्ता सपा से ही टूटकर आए। शिवपाल यादव के प्रति कार्यकर्ताओं की आस्था का ही कमाल है कि भाजपा सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में प्रसपा ने अपने बलबूते पर खूब विरोध प्रदर्शन किए। हाल ही में शिवपाल यादव लोनी के मंडोला में पांच साल से आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचे और उनका साथ देने का ऐलान किया। शिवपाल यादव ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि यह किसानों पर अन्याय किया जा रहा है। काफी कुरेदने पर भी उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश के बारे में कुछ नहीं कहा। लेकिन उनकी मुस्कराहट बता रही थी कि चाचा-भतीजे में सुलह हो गई है और वे एकसाथ चुनाव लड़ेंगे।
दूसरी तरफ दिल्ली के मुहाने पर आंदोलनरत किसानों को पूर्ण समर्थन देने वाली रालोद का वेस्ट यूपी में कद बढ़ता जा रहा है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत को हौसला और मजबूती देने वाले अजित सिंह के निधन के बाद से तो किसानों की जयंत चौधरी के लिए अलग ही दिल में जगह हो गई है। जयंत चौधरी जहां-जहां जाते हैं वहां-वहां उनके साथ युवा, किसान, मजदूर जुड़ता चला जाता है। वेस्ट यूपी के कई बड़े नेता चाहे भाजपा के सोमपाल शास्त्री हों या फिर बसपा के राष्टÑीय महासचिव रहे मोहम्मद इस्लाम आदि रालोद में आ गए हैं। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, आगरा, अलीगढ़ मंडलों में रालोद ने अपने आपको काफी मजबूत करने का काम किया है। इन छह मंडलों की 136 विधानसभा सीटों पर ही सपा से सहमाति बनने जा रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव व शिवपाल यादव जहां पूर्वी व मध्य यूपी में पसीना बहाएंगे तो वेस्ट यूपी में जयंत उनके लिए मददगार साबित होंगे। रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी कह भी चुके हैं किसान आंदोलन में जयंत चौधरी किसानों के बीच हैं, उनकी आवाज को बुलंद किया है, भाजपा सरकार की ज्यादतियों का विरोध किया है, पुलिस की लाठियां खाई हैं, इसी को लेकर जनता का रालोद में विश्वास बढ़ा है। समाजवादी पार्टी को भी पता है कि वेस्ट यूपी में रालोद काफी मजबूत हो चुकी है। 2022 के चुनाव में रालोद के खाते में जो सीटें आएंगे उन पर न केवल मजबूत प्रत्याशी उतारे जाएंगे बल्कि चुनाव को मजबूती से लड़ा जाएगा।
जयंत चौधरी छपरौली या नूरपुर से लड़ सकते हैं चुनाव
2017 के चुनाव में रालोद का सूपड़ा साफ हो गया था। लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं। किसानों के मिल रहे जनसमर्थन और युवाओं में जयंत का क्रेज इस बार के चुनाव में कुछ अलग ही इबारत लिख सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जयंत चौधरी खुद चौधरियों के गढ़ कहे जाने वाले बागपत के छपरौली से या फिर अपने दादा चौधरी चरण सिंह के नूरपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। बताया जा रहा है जयंत चौधरी को छपरौली से ही चुनाव लड़ाने की तैयारी हो रही है।
सात अक्टूबर को जयंत निकलेंगे आशीर्वाद पथ पर