निठारी कांड में चौंकाने वाला फैसला, सवाल कायम

निठारी कांड में फिर उठ खड़ा हुआ सबसे बड़ा सवाल
बुधवार को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड में चौंकाने वाला फैसला सुनाया। निठारी कांड का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली बैंच ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नर पिशाच के नाम से चर्चित रह चुके निठारी कांड के आरोपी सुरेन्द्र कोली तथा मनिंदर सिंह पंढेर को एक प्रकार से निर्दोष मान लिया। एक प्रकार से निर्दोष इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड में CBI की उस अपील को खारिज कर दिया है जिस अपील में CBI ने निठारी कांड पर उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। CBI की अपील को खारिज करने का सीधा सा नतीजा यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के नर पिशाच दोनों आरोपियों को निर्दोष मान लिया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भी इस सवाल का जवाब नहीं दिया था कि यदि निठारी कांड के दोनों आरोपी निर्दोष हैं तो निठारी में दर्जनों निर्दोष बेटियों की हत्या का हत्यारा कौन है? इस प्रश्न का सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई उत्तर नहीं दिया है।निठारी कांड पर क्या फैसला दिया है सुप्रीम कोर्ट ने
आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट भारत की सबसे बड़ी अदालत है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में निठारी कांड को लेकर CBI की अपील पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CBI की अपील को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की तीन सदस्यीय पीठ ने सीबीआई की अपीलों को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों में बरी कर दिया था।निठारी कांड में निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
आपको बता दें कि, निठारी कांड में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2023 को दोनों दोषियों को कई मामलों में बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया था। यह फैसला गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दिया गया था, जिसने दोनों को निठारी कांड में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएचए रिजवी शामिल थे, ने 14 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी गवाहों की अनुपस्थिति और केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता। कोर्ट में क्या रखा गया था बचाव पक्ष का पक्ष। सुप्रीम कोर्ट की वकील मनीषा भंडारी ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की ओर से कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि मामले में न तो कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह मौजूद है और न ही मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्य जो फांसी जैसी सजा को सही ठहरा सकें। उन्होंने यह भी दलील दी कि बिना पर्याप्त सबूतों के फांसी की सजा देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।निठारी कांड का काला सच
आपको यदि याद नहीं है तो हम आपको निठारी कांड का काला सच याद दिला देते हैं। उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में निठारी नाम का एक गांव है। निठारी कांड इसी निठारी गांव से जुड़ा हुआ है। निठारी गांव की जिस कोठी के अंदर तथा बाहर यह कांड हुआ था उसे खूनी कोठी कहा जाता है। इस खूनी कोठी में सैकड़ों मासूम बच्चियों के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया गया। रेप की वारदातों पर पर्दा डालने के लिए आरोपी पंढेर और कोहली ने इन मासूम बच्चियों की हत्या कर दी। यह मामला 2006 में तब खुला जब निठारी के नाले से सैकड़ों नरकंकाल मिले थे। यहां जानिए निठारी की खूनी कोठी का पूरा सच… साल-2005 से 2006 के बीच हुए इस कांड ने दुनिया भर के लोगों को हिलाकर कर दिया था। दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पास नाले में कंकाल मिले थे। इसके बाद पुलिस ने जांच की तो कई बच्चों के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या की दर्दनाक कहानियां सामने आई थी। सीबीआई ने इस मामले में कुल 16 केस दर्ज किए थे। सभी मामलों में मोनिंदर के नौकर कोली पर हत्या, अपहरण और दुष्कर्म के अलावा सबूत मिटाने का भी आरोप लगा जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर पर एक मामले में अनैतिक तस्करी का आरोप लगाया गया था।नोएडा के सेक्टर 30 स्थित ग्राम निठारी में कोठी नंबर डी 5 में रहने वाले उद्योगपति मोहिंदर सिंह पंढेर और उनके नौकर सुरेंद्र कोहली को महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ रेप के बाद उनकी हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े करके नाले में फेंक देने और कोठी में ही दफन किए जाने का मामला सामने आया था। इस कांड ने पूरी दुनिया को हिला दिया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी। इस मामले में नोएडा पुलिस द्वारा पकड़े गए मोहिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोहली को गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। Nithari Hatyakandअगली खबर पढ़ें
निठारी कांड में फिर उठ खड़ा हुआ सबसे बड़ा सवाल
बुधवार को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड में चौंकाने वाला फैसला सुनाया। निठारी कांड का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली बैंच ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नर पिशाच के नाम से चर्चित रह चुके निठारी कांड के आरोपी सुरेन्द्र कोली तथा मनिंदर सिंह पंढेर को एक प्रकार से निर्दोष मान लिया। एक प्रकार से निर्दोष इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड में CBI की उस अपील को खारिज कर दिया है जिस अपील में CBI ने निठारी कांड पर उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। CBI की अपील को खारिज करने का सीधा सा नतीजा यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के नर पिशाच दोनों आरोपियों को निर्दोष मान लिया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भी इस सवाल का जवाब नहीं दिया था कि यदि निठारी कांड के दोनों आरोपी निर्दोष हैं तो निठारी में दर्जनों निर्दोष बेटियों की हत्या का हत्यारा कौन है? इस प्रश्न का सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई उत्तर नहीं दिया है।निठारी कांड पर क्या फैसला दिया है सुप्रीम कोर्ट ने
आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट भारत की सबसे बड़ी अदालत है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में निठारी कांड को लेकर CBI की अपील पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CBI की अपील को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की तीन सदस्यीय पीठ ने सीबीआई की अपीलों को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों में बरी कर दिया था।निठारी कांड में निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
आपको बता दें कि, निठारी कांड में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2023 को दोनों दोषियों को कई मामलों में बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया था। यह फैसला गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दिया गया था, जिसने दोनों को निठारी कांड में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएचए रिजवी शामिल थे, ने 14 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी गवाहों की अनुपस्थिति और केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता। कोर्ट में क्या रखा गया था बचाव पक्ष का पक्ष। सुप्रीम कोर्ट की वकील मनीषा भंडारी ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की ओर से कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि मामले में न तो कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह मौजूद है और न ही मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्य जो फांसी जैसी सजा को सही ठहरा सकें। उन्होंने यह भी दलील दी कि बिना पर्याप्त सबूतों के फांसी की सजा देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।निठारी कांड का काला सच
आपको यदि याद नहीं है तो हम आपको निठारी कांड का काला सच याद दिला देते हैं। उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में निठारी नाम का एक गांव है। निठारी कांड इसी निठारी गांव से जुड़ा हुआ है। निठारी गांव की जिस कोठी के अंदर तथा बाहर यह कांड हुआ था उसे खूनी कोठी कहा जाता है। इस खूनी कोठी में सैकड़ों मासूम बच्चियों के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया गया। रेप की वारदातों पर पर्दा डालने के लिए आरोपी पंढेर और कोहली ने इन मासूम बच्चियों की हत्या कर दी। यह मामला 2006 में तब खुला जब निठारी के नाले से सैकड़ों नरकंकाल मिले थे। यहां जानिए निठारी की खूनी कोठी का पूरा सच… साल-2005 से 2006 के बीच हुए इस कांड ने दुनिया भर के लोगों को हिलाकर कर दिया था। दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पास नाले में कंकाल मिले थे। इसके बाद पुलिस ने जांच की तो कई बच्चों के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या की दर्दनाक कहानियां सामने आई थी। सीबीआई ने इस मामले में कुल 16 केस दर्ज किए थे। सभी मामलों में मोनिंदर के नौकर कोली पर हत्या, अपहरण और दुष्कर्म के अलावा सबूत मिटाने का भी आरोप लगा जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर पर एक मामले में अनैतिक तस्करी का आरोप लगाया गया था।नोएडा के सेक्टर 30 स्थित ग्राम निठारी में कोठी नंबर डी 5 में रहने वाले उद्योगपति मोहिंदर सिंह पंढेर और उनके नौकर सुरेंद्र कोहली को महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ रेप के बाद उनकी हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े करके नाले में फेंक देने और कोठी में ही दफन किए जाने का मामला सामने आया था। इस कांड ने पूरी दुनिया को हिला दिया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी। इस मामले में नोएडा पुलिस द्वारा पकड़े गए मोहिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोहली को गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। Nithari Hatyakandसंबंधित खबरें
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