नई दिल्ली: दिल्ली और मेरठ (Delhi-Meerut Train) की बात करें तो रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) बनाने का कार्य जारी है। ट्रैक की डिजाइन को लेकर बात करें तो स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा और औसत गति 100 किमी प्रति घंटा पर बनी रहेगी। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के लिए ट्रेन गुजरात के सावली में बनाई जा रही है।
आरामदायक सफर वाले अनुभव (Delhi-Meerut Train) को लेकर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है ट्रेनसेट (Train Set) अत्याधुनिक, अगली पीढ़ी की तकनीक का उपयोग करने के साथ मदद मिल रही है। 40 ट्रेनों का उत्पादन जारी है। इसमें 6 कोच वाली 30 आरआरटीएस ट्रेन और 3 कोच की 10 एमआरटीएस ट्रेन की (मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) मेरठ में लोकल ट्रांजिट को लेकर बन चुकी है।
क्या होता है आरआरटीएस
-आरआरटीएस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की बात करें तो इसके अंतर्गत आने वाले कई क्षेत्रों को जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। इसमें यात्री सुविधाजनक सफर कर सकते हैं।
-यह पारंपरिक रेल सेवा से काफी अलग होने वाला है। यह विश्वसनीय और तेज गति में यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाने वाली क्षेत्रीय सेवा होने जा रही है।
-मेट्रो सेवा और आरआरटीएस में काफी अंतर होता है। यह हाई स्पीड से के साथ कुछ स्टेशन पर रुकती हैं जिसके चलते मुसाफिरों को अपेक्षाकृत लंबी दूरी तय करने में मदद पहुंच जाती है।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) का काम जोरों पर चल रहा है। रैपिड ट्रेन का पहला लुक सामने आया है। ट्रेन बेहद खूबसूरत दिख रही है। pic.twitter.com/FQSXlrjPer
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) March 16, 2022
NCRTC देश में पहला आरआरटीएस बनाने जा रहा है। इसकी बात करें तो ये रेल आधारित, हाई स्पीड, उच्च आवृत्ति वाला रीजनल कंप्यूटर ट्रांजिट सिस्टम बन चुका है। इसकी डिजाइन स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा और औसत गति 100 किमी प्रति घंटा रखी जाएकी जिसकी वजह से यात्रियों का समय बचेगा।
बिजली से चल रहे आरआरटीएस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हिसाब से परिवहन के ग्रीन मोड के रूप में काम करना शुरु करता है। इससे एनसीआर में वाहनों की बढ़ रही भीड़भाड़ और वायु प्रदूषण में भी कमी आना शुरु हो जाएगी।
आरआरटीएस नेटवर्क (IRTS Network) के पहले चरण को लेकर लगभग 3 काॅरिडोर का निर्माण होने जा रहा है। वहीं दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर (82 किमी) काफी तेज गति से प्रगति पर पहुंच रहे हैं। दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर (164 किमी) कॉरिडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर (103 किमी) को लेकर भी रुपरेखा को तैयार किया जा रहा है।