Mahakumbh 2025 : विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मेला महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बेहद जल्द होने वाला है। बता दें कि महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होता है और इसे एक विशाल आध्यात्मिक समागम माना जाता है। यहां पर लाखों लोग विभिन्न धर्मों, जातियों और क्षेत्रों से एक साथ आकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होता है, जो संगम के तट पर स्थित है। साल 2025 के महाकुंभ मेले में सैकड़ों लोग एकजुट होने वाले हैं। जिसे लेकर खूब जोरों-शोरों से तैयारियां कर रहे हैं।
भंडारे का आयोजन शुरू
महाकुंभ की शुरुआत में अभी कुछ दिन का समय बाकी है लेकिन भंडारों का आयोजन पहले से ही बड़े स्तर पर शुरू हो चुका है। इन भंडारों का आयोजन श्रद्धालुओं और सभी सेवक कर्मचारियों की सेवा के लिए किया जा रहा है। मेला क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में विशाल कड़ाहियां और चूल्हे लगाकर दिन-रात भोजन पकाया जा रहा है ताकि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे। इसके लिए कई संगठन और बाबा खुद भी अन्नदान करने के साथ-साथ श्रमदान भी कर रहे हैं, ताकि भंडारे का आयोजन सफल और व्यवस्थित रूप से हो सके। विशेष रूप से ‘ओम नमः शिवाय’ नाम के बाबा ने पिछले 15 दिनों से भंडारे का आयोजन किया है। जिसमें उन्होंने न केवल खाद्य सामग्री दान की है बल्कि श्रमदान भी किया है।
अन्नदान का महत्व क्या है?
बता दें कि, सनातन धर्म में भंडारे का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है और यह धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। भारतीय संस्कृति में भंडारे का उद्देश्य बिना भेदभाव के, प्रेम और सम्मान के साथ सभी लोगों को भोजन प्रदान करना है। इसे ‘अन्नदान’ कहा जाता है और यह सबसे श्रेष्ठ दान माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, अन्नदान से पुण्य की प्राप्ति होती है और यह मानवता की सेवा का सर्वोत्तम तरीका है। इसीलिए महाकुंभ जैसे आयोजन में अन्नदान का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और उनकी सेवा करना एक पुण्य कार्य माना जाता है।
महाकुंभ में क्या है सबसे बड़ा बदलाव?
महाकुंभ में केवल आध्यात्मिकता का ही नहीं, बल्कि तकनीक का भी प्रभाव देखने को मिलता है। सरकार और अन्य संस्थाएं महाकुंभ की व्यवस्थाओं को हाईटेक बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। विशेष रूप से इस बार महाकुंभ में आधुनिक तकनीकी उपकरणों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है ताकि मेले की व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और सुसंगत बनाया जा सके। इसमें सबसे बड़ा बदलाव वॉकी-टॉकी का उपयोग है जो पहले कभी इस स्तर पर नहीं देखा गया था।
सटीक तरीके से किया जा रहा निर्देशों का पालन
संगम क्षेत्र में 4,000 हेक्टेयर से ज्यादा का मेला क्षेत्र फैला हुआ है, और यहां तक कि कई बार मोबाइल नेटवर्क भी कमजोर हो जाता है। ऐसे में वॉकी-टॉकी को संचार का प्राथमिक माध्यम बना दिया गया है। अखाड़ों के प्रमुख साधु-संत और अन्य बाबा अब वॉकी-टॉकी के माध्यम से एक-दूसरे से संवाद करते हैं, ताकि किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके। इस व्यवस्था से न केवल सुरक्षा मजबूत हुई है बल्कि आदेश और निर्देशों का पालन भी सटीक और त्वरित तरीके से किया जा रहा है।
पूरी समर्पण के साथ करते हैं लोगों की सेवा
महाकुंभ का आयोजन केवल आध्यात्मिक साधना का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सेवा और सामूहिकता का भी एक महान उदाहरण प्रस्तुत करता है। लाखों लोग, विभिन्न पृष्ठभूमियों और आस्थाओं के बावजूद एक ही उद्देश्य से एकत्रित होते हैं और उनका उद्देश्य केवल स्नान करना या पूजा करना नहीं, बल्कि एक-दूसरे की मदद करना और समर्पण की भावना से सेवा करना भी है। इसके उदाहरण के रूप में हम देख सकते हैं कि विभिन्न अखाड़े और अन्य संगठन, जो भंडारे का आयोजन करते हैं वे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ लोगों की सेवा करते हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा का रखा जा रहा खास ख्याल
महाकुंभ के दौरान, बड़ी संख्या में श्रद्धालु और यात्री यहां आते हैं। ऐसे में सुरक्षा, चिकित्सा सुविधा, यातायात व्यवस्था और जनसुविधाओं को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए इस बार कई प्रकार की तकनीकी सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरों, सीसीटीवी कैमरों और स्मार्ट सिटी की तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि पूरी मेला क्षेत्र की निगरानी की जा सके। साथ ही, ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इस बार ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करने के लिए स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल और हाई-टेक व्यवस्थाओं को लागू किया गया है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपनी यात्रा पूरी कर सकें। Mahakumbh 2025
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