Saturday, 19 April 2025

महाकुंभ क्षेत्र में अनोखे संतों का जमावड़ा, अलग-अलग तरीकों से कर रहे श्रद्धालुओं की मदद

Mahakumbh 2025 : महाकुंभ मेला हमेशा से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का केंद्र रहा है लेकिन इस बार कुंभ में…

महाकुंभ क्षेत्र में अनोखे संतों का जमावड़ा, अलग-अलग तरीकों से कर रहे श्रद्धालुओं की मदद

Mahakumbh 2025 : महाकुंभ मेला हमेशा से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का केंद्र रहा है लेकिन इस बार कुंभ में एक नई चीज देखने को मिल रही है। जहां एक ओर संतों और श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक भक्ति और साधना की परंपरा बरकरार है, वहीं दूसरी ओर यह मेले डिजिटल युग से भी जुड़ चुका है। इस बार कुंभ मेले में साधु संतों की गतिविधियों में न सिर्फ पारंपरिक पूजा अर्चना, भभूत और माला जाप की झलक मिल रही है, बल्कि वे हाईटेक उपकरणों का भी उपयोग कर रहे हैं, जो इस आध्यात्मिक यात्रा को और भी समृद्ध बना रहे हैं।

खुद खाना बनाकर फ्री में करा रहे भोजन

इस महाकुंभ में कई संतों द्वारा लोगों को मुफ्त भोजन कराने की परंपरा भी चल रही है। एक बाबा, जिन्हें ‘ओम नमः शिवाय बाबा’ के नाम से जाना जाता है, मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं, सफाईकर्मियों और कर्मचारियों को मुफ्त भोजन करवा रहे हैं। बाबा ने बड़े-बड़े बर्तन लगाए हैं, जिनमें वह खुद खाना बना रहे हैं और इसे खाने के लिए तैयार कर रहे हैं। उनके समर्थक भी इस नेक कार्य में बाबा का पूरा सहयोग करते हैं। बाबा का उद्देश्य यह है कि कोई भी व्यक्ति इस महाकुंभ के दौरान भूखा न रहे और हर किसी की सेवा की जाए। उनका यह कार्य उन श्रद्धालुओं के लिए एक मिसाल बन गया है, जो परोपकार और दान के महत्व को समझते हैं।

डिजिटल युग से जुड़ रहे साधु संत

इस महाकुंभ में कुछ साधु संत डिजिटल युग से भी जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं। प्रयागराज के निरंजनी अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने अपने कई संतों को वॉकी-टॉकी दे दिए हैं। इन साधु संतों के हाथों में वॉकी-टॉकी देखकर यह साफ प्रतीत होता है कि वे भी इस डिजिटल महाकुंभ का हिस्सा बन चुके हैं। वॉकी-टॉकी की मदद से वे आपस में संवाद कर सकते हैं, चाहे वह अपनी बात एक दूसरे से साझा करना हो या मेला क्षेत्र में विभिन्न कार्यों के लिए कर्मचारियों को निर्देश देना हो।

समस्याओं को हल कर रहा वॉकी-टॉकी

महाकुंभ के विशाल क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की समस्याएं अक्सर उत्पन्न होती हैं, और कभी-कभी नेटवर्क कनेक्टिविटी की वजह से साधु संतों को एक-दूसरे से संपर्क करने में परेशानी होती है। इस समस्या को हल करने के लिए वॉकी-टॉकी एक आदर्श समाधान बनकर उभरा है। यह साधु संतों को एक दूसरे से जुड़े रहने में मदद करता है और उन्हें उनके कार्यों में अधिक सहजता प्रदान करता है। महंत रवींद्र पुरी के अनुसार, यह महाकुंभ डिजिटल महाकुंभ भी है, और इसलिए साधु संतों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को और भी प्रभावी तरीके से निभा सकें। Mahakumbh 2025

महाकुंभ से पहले ही श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे सेवादार, किया जा रहा भंडारे का आयोजन

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