धर्मांतरण पर विहिप की चेतावनी, मंदिर-दान के उपयोग पर भी उठाए सवाल

संगठन पदाधिकारियों के मुताबिक 17 दिसंबर से शुरू होने वाली मुख्य बैठक में देशभर से करीब 450 प्रन्यासी और कार्यकर्ता हस्तिनापुर पहुंचेंगे, जहां आगामी रणनीति और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

विश्व हिन्दू परिषद
विश्व हिन्दू परिषद
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 09:36 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के ऐतिहासिक हस्तिनापुर में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की वार्षिक प्रन्यासी मंडल बैठक से पहले मंगलवार को प्रबंध समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई। संगठन ने संकेत दिए कि इस बार विमर्श का फोकस सिर्फ संगठनात्मक फैसलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश सहित देशभर में चर्चा में रहे मुद्दों धर्मांतरण, मंदिरों की संपत्तियों/दानराशि के उपयोग में पारदर्शिता और “अल्पसंख्यक” की परिभाषा पर भी मंथन होगा। विहिप के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने कहा कि धर्मांतरण से जुड़ी चुनौतियों पर गंभीर विचार जरूरी है और मंदिरों के दान का उपयोग “धर्महित” के अनुरूप, स्पष्ट नीति व जवाबदेही के साथ होना चाहिए। बैठक में विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय की मौजूदगी ने चर्चा को और वजन दिया। संगठन पदाधिकारियों के मुताबिक 17 दिसंबर से शुरू होने वाली मुख्य बैठक में देशभर से करीब 450 प्रन्यासी और कार्यकर्ता हस्तिनापुर पहुंचेंगे, जहां आगामी रणनीति और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

मंदिर-दान और संस्थानों में उपयोग पर सवाल

बातचीत के दौरान विहिप के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने एक उदाहरण पेश करते हुए दावा किया कि श्री वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से जुड़े एक मेडिकल कॉलेज में छात्र-चयन के अनुपात को लेकर सवाल उठते हैं। उनका कहना था कि जिस ढांचे को देशभर और खासकर उत्तर प्रदेश के लाखों श्रद्धालुओं सहित हिन्दू भक्तों की आस्था और दान से बल मिलता है, वहां संसाधनों के इस्तेमाल में पारदर्शिता और उद्देश्य की स्पष्टता होना जरूरी है। बांगड़ा ने जोर देकर कहा कि दानराशि और संस्थागत सुविधाओं का उपयोग “धर्महित” और “हिन्दू हित” के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए व्यापक स्तर पर नीति-आधारित विमर्श किया जाना चाहिए।

“अल्पसंख्यक” की परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग

विहिप के केंद्रीय महामंत्री ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और विशेष अधिकारों को लेकर समय-समय पर व्यापक विमर्श होता रहा है, लेकिन उनके मुताबिक कुछ मामलों में इन प्रावधानों की व्याख्या और लागू करने के तरीके पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने दावा किया कि कहीं-कहीं “गलत विवेचना” या “दुरुपयोग” जैसी स्थितियां भी उभरती हैं, जिससे व्यवस्था में असंतुलन की आशंका पैदा होती है। इसी पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राष्ट्र स्तर पर “अल्पसंख्यक” की परिभाषा पर दोबारा गंभीरता से विचार किया जाए, ताकि अधिकारों और जिम्मेदारियों का ढांचा अधिक स्पष्ट, संतुलित और न्यायोचित बन सके।

“जिहाद” और आतंकवाद पर संगठन का दावा

बजरंग लाल बांगड़ा ने यह भी कहा कि देश में “जिहाद के नाम पर आतंकवाद” जैसी गतिविधियों को लेकर सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कुछ जांच-पड़ताल के संदर्भों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि ऐसे मामलों में उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी शामिल पाए गए हैं। (यह संगठन का पक्ष है, जिस पर अलग-अलग मत हो सकते हैं।)

बैठक में यह भी कहा गया कि ‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150वें वर्ष को देशभर में मनाया जाना गौरव की बात है और इससे राष्ट्रीय भावना को बल मिला है।

विदेशी प्रतिनिधियों की भागीदारी का दावा

संगठन के अनुसार वार्षिक प्रन्यासी मंडल बैठक में भारत के विभिन्न प्रांतों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, श्रीलंका सहित कई देशों से जुड़े हिन्दू संगठनों/मंचों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। UP News

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उत्तर प्रदेश में किसान के बेटे ने कर दिया कमाल

वर्तमान में परिवार मेरठ शहर में छावनी स्थित रेड क्वार्टर में रहता है। परिवार में सेना में अधिकारी बनने वाले वे पहले सदस्य हैं। शांतनु की इस उपलब्धि के पीछे उनकी 85 वर्षीय दादी का वर्षों पुराना सपना था कि उनका पोता सेना में अफसर बने। पोते की पीओपी के साथ दादी का यह सपना आखिरकार साकार हो गया।

मेरठ के शांतनु पाराशर
मेरठ के शांतनु पाराशर
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 05:47 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के एक किसान के बेटे ने बड़ा कमाल कर दिया है। उत्तर प्रदेश के इस बेटे की हर जगह चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश के मूल निवासी किसान के बेटे ने अपने परिवार, अपने समाज, अपने गाँव, जिले तथा प्रदेश का सम्मान बढ़ाने का काम किया है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के इस लाड़ले बेटे ने अपनी 85 वर्ष की दादी का बड़ा सपना पूरा करने का भी काम किया है।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का रहने वाला है कमाल का बेटा

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का रहने वाला किसान का बेटा शांतनु पाराशर खूब तारीफ बटोर रहा है। दरअसल उत्तर प्रदेश के बेटे शांतनु पाराशर ने अपने कठिन परिश्रम और अटूट आत्मविश्वास के बल पर भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड के साथ भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त किया। यह गौरवपूर्ण क्षण न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। शांतनु मूल रूप से किसान परिवार से हैं। उनका पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में रोहटा रोड पर घसौली गाँव है। वर्तमान में परिवार मेरठ शहर में छावनी स्थित रेड क्वार्टर में रहता है। परिवार में सेना में अधिकारी बनने वाले वे पहले सदस्य हैं। शांतनु की इस उपलब्धि के पीछे उनकी 85 वर्षीय दादी का वर्षों पुराना सपना था कि उनका पोता सेना में अफसर बने। पोते की पीओपी के साथ दादी का यह सपना आखिरकार साकार हो गया।

उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई है पढ़ाई

शांतनु की शैक्षिक यात्रा में उन्होंने कक्षा 10 तक सेंट मेरीज अकादमी से प्राप्त की और 95 प्रतिशत अंक हासिल किए। इसके बाद कृष्णा पब्लिक स्कूल से कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई की, जहां विज्ञान वर्ग में 96 प्रतिशत अंकों के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कक्षा 12 में पढ़ते हुए ही उन्होंने एनडीए की लिखित परीक्षा, एसएसबी और मेडिकल, तीनों को पहले प्रयास में सफलता पूर्वक उत्तीर्ण किया। एनडीए खडक़वासला में तीन वर्षों की कठोर सैन्य प्रशिक्षण और स्नातक शिक्षा के बाद शांतनु का चयन आईएमए, देहरादून के लिए हुआ, जहां से उन्होंने अधिकारी बनकर देशसेवा की राह चुनी। शांतनु पाराशर की इस सफलता में परिवार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उनकी माता गृहिणी हैं और परिवार का मानना है कि बेटे की उपलब्धि का सम्पूर्ण श्रेय मां को जाता है, जिनके संस्कार और त्याग ने यह मुकाम दिलाया। शांतनु के ताऊ-ताई चिकित्सक हैं। ताऊजी सर्जन और ताईजी स्त्री रोग विशेषज्ञ। वहीं उनकी बहन डा. माला शर्मा ने प्रशिक्षण काल के दौरान समय-समय पर काउंसलिंग और निरंतर प्रेरणा देकर भाई का मनोबल ऊंचा बनाए रखा। डा. माला ने एमबीबीएस जुलाई में पूर्ण किया है और वर्तमान में नीट पीजी के माध्यम से स्पेशलाइजेशन की तैयारी कर रही हैं। शांतनु के पिता सतीश शर्मा वर्तमान में मेरठ के शांति पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्य हैं।

मजदूर के बेटे ने भी कर दिया कमाल

उत्तर प्रदेश के शांतनु पाराशर की तरह ही हरियाणा के एक बेटे ने भी बड़ा कमाल किया है। हमेशा कहा जाता है कि सफलता की राह में अक्सर रूकावटें तो आती ही हैं, पर यहां मंजिल भी उन्हीं को मिलती है जो हार नहीं मानते।' हरियाणा के हरदीप गिल ने इस फेमस लाइन को सच साबित करके दिखाया दिया है। बचपन में पिता को खोना, मां के साथ खेतों में मजदूरी और सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) में लगातार 8 असफलता... किसी भी इंसान का हौसला तोडऩे के लिए काफी है। लेकिन सेना में जाने का जज्बा और मां का संघर्ष ही था जिन्होंने हरदीप को सेना में अफसर बन दिया। उनकी सक्सेस स्टोरी आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं। हरियाणा के जींद जिले में उचाना के पास अलीपुर गांव के रहने वाले हरदीप का जीवन संघर्ष और मेहनत से भरा हुआ है। वह महज 2 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया। तब उनकी मां संत्रों देवी ने हरदीप और उनकी तीन बहनों को अकेले पाला। चार बच्चों की सिंगल मदर के लिए यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने बच्चों की परवरिश के लिए कड़ी मेहनत की। हरदीप गिल की मां ने बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन-रात एक कर दिया। वे सुबह जल्दी उठकर खेतों में मजदूरी और दोपहर में एक स्कूल में मिड-डे मिल वर्कर काम करतीं। उन्हें 800 रुपये महीना मिलते थे, जिससे परिवार का खर्चा चलता था। उनके पास जमीन का छोटा-सा टुकड़ा भी है, जिससे ज्यादा कुछ नहीं मिलता। जैसे-तैसे उन्होंने गांव के स्कूल में हरदीप का दाखिला कराया। खराब आर्थिक स्थिति ने छोटी-सी उम्र में ही हरदीप को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया था। उन्होंने मां के साथ खेतों में जाना शुरू कर दिया। वे दिन में खेतों में काम करते और दोपहर के बाद पढ़ाई करते। उन्होंने गांव के स्कूल से ही 10वीं और 12वीं क्लास तक पढ़ाई पूरी की।

पढ़ाई के वक्त ही देख लिया था बड़ा सपना 

12वीं क्लास के बाद हरदीप के सिर सेना में जाने का जुनून सवार हो गया। उन्होंने इंडियन एयर फोर्स (IAF) एयरमैन की नौकरी के लिए अप्लाई किया। लेकिन चयन प्रक्रिया के दौरान छोटी-छोटी कमियों के चलते सेलेक्शन नहीं हो पाया। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। इंडियन एक्स्प्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मैंने उन कमियों को ठीक किया और फिर से कोशिश की। जब एयरमैन पद के लिए करीब 3000 युवाओं का सेलेक्शन हुआ तो मैं ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 59वें नंबर पर था। तभी अग्निपथ योजना के चलते सबकुछ बदल गया और ज्वॉइनिंग लेटर नहीं आया।' निराश-हताश हरदीप ने आगे की पढ़ाई IGNOU से करने का मन बनाया, फिर भी उनका एक लक्ष्य था सेना में जाने का। IGNOU से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने फिर से कोशिश की। उन्होंने कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) एग्जाम दिया। हरदीप 9वीं बार में सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (SSB) एग्जाम में सफल हुए। ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 54वां स्थान पाकर साल 2024 में भारतीय सैन्य अकादमी ((IMA)) में शामिल हुए। दिसंबर 2025 में अपनी गर्वित मां की मौजूदगी में पासिंग आउट परेड में मार्च किया। लेफ्टिनेंट हरदीप गिल सिख लाइट इन्फैंट्री की 14वीं बटालियन में शामिल होंगे। UP News


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उत्तर प्रदेश के सात लाख बच्चे पढ़ेंगे फ्री में

अगले शिक्षण सत्र के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जल्दी ही आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार RTE पोर्टल को मजबूत करने का काम कर रही है।

योगी सरकार का बड़ा फैसला RTE के तहत बढ़ीं मुफ्त सीटें
योगी सरकार का बड़ा फैसला: RTE के तहत बढ़ीं मुफ्त सीटें
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 05:31 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत बड़ा बदलाव होने वाला है। अगले शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश के सात लाख बच्चों को RTE के तहत फ्री में पढ़ाने की योजना है। उत्तर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत की जाती है। उत्तर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को 25 प्रतिशत बच्चे RTE के तहत पढ़ाने अनिवार्य हैं।

उत्तर प्रदेश में RTE के तहत बढ़ेंगी 50 हजार सीटें

आपको बता दें कि वर्तमान शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश में RTE के तहत 6 लाख 20 हजार बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। अगले शिक्षा सत्र में RTE के तहत 50 हजार सीट बढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है। इस प्रकार अगले शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश में RTE के तहत लगभग सात लाख बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। अगले शिक्षण सत्र के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जल्दी ही आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार RTE पोर्टल को मजबूत करने का काम कर रही है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने बढ़ा दिया है RTE का दायरा

आपको बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी RTE के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाता है। RTE के तहत 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। इस साल सरकार ने इस योजना का दायरा और बढ़ा दिया है. उत्तर प्रदेश में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में जल्द ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इससे पहले RTE पोर्टल को भी अपडेट किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश के 67 हजार निजी स्कूलों की मैपिंग भी कराई गई है।  गौरतलब है कि पिछले साल यह संख्या 62 हजार थी। इसी वजह से इस बार करीब 50 हजार सीटें बढ़ाई जा रही हैं। गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर मुफ्त दाखिला मिलेगा। इसके लिए जल्द ही ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस बार प्रवेश के लिए बच्चे और अभिभावक दोनों का आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। आधार से सत्यापन के बाद ही दाखिला दिया जाएगा। ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके। पात्र बच्चों को ही दाखिला मिल सके। इस बार उत्तर प्रदेश में RTE की प्रवेश प्रक्रिया को छह चरणों में पूरा किया जाएगा। अगर किसी वार्ड में सीट खाली नहीं होती है, तो पास के वार्ड में भी बच्चे को दाखिला दिया जाएगा। सरकार ने सभी जिलों के खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने ब्लॉक के सभी निजी स्कूलों को सूचीबद्ध करें।अगर कोई निजी स्कूल आरटीई के तहत दाखिले से मना करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

क्या है RTE की व्यवस्था ?

दरअसल, गरीब बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE) लाया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा की गारंटी दी जाती है. 4 अगस्त 2009 को संसद में RTE एक्ट को लाया गया था और एक अप्रैल 2010 को लागू कर दिया गया था। इसके तहत 14 साल तक के बच्चों को अपने आसपास के किसी भी निजी स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार है। भारत सरकार द्वारा संसद में बनाए गए RTE एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। UP News

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