Saturday, 15 June 2024

मुरादाबाद, काशीपुर तथा मुजफ्फरनगर मील के पत्थर हैं राम मंदिर के आंदोलन में

Ram Mandir Andolan : अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बन गया है। क्या आपको पता है…

मुरादाबाद, काशीपुर तथा मुजफ्फरनगर मील के पत्थर हैं राम मंदिर के आंदोलन में

Ram Mandir Andolan : अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बन गया है। क्या आपको पता है कि राम मंदिर बनने की नींव कैसे पड़ी ? वास्तव में कहां से शुरू हुआ था यह राम मंदिर बनाने वाला आंदोलन। इस विषय में आपने बहुत कुछ पढ़ा और सुना होगा। हम आपको बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण के आंदोलन के शुरूआत की पूरी कहानी। देश के जाने माने स्वतंत्र पत्रकार सर्वेश कुमार सिंह ने यह आलेख लिखा है। तो जानिए राम मंदिर के उन पलों को जो मुरादाबाद, काशीपुर तथा मुजफ्फरनगर में लिखे गए थे।

Ram Mandir Andolan

हिन्दू पुनर्जागरण का प्र​तीक

भगवान श्रीराम के नवनिर्मित भव्य दिव्य मन्दिर में 22 जनवरी को उनके नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्थापना हो जाएगी। मन्दिर निर्माण के लिए 496 साल के लम्बे संघर्ष और प्रतीक्षा के बाद यह दिन सम्पूर्ण विश्व का हिन्दू समाज देखने जा रहा है। दैवीय संयोग से हर्ष और उल्लास का पल आज की सनातन पीढ़ी देखने का सौभाग्य प्राप्त कर रही है। इस दिन को देखने के लिए हिन्दू समाज ने 76 संघर्ष किये और अंत में 40 साल के राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन तथा न्यायिक प्रक्रिया के बाद सफलता मिली।

श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति का आंदोलन के रूप में संघर्ष कई पड़ाव और चरणों में होकर आगे बढ़ा। इसके प्रमुख पड़ावों में धर्म संसदों की भूमिका, कार सेवा, हिन्दू सम्मेलन, राम ज्योति यात्राएं, राम जानकी रथ यात्राएं, एकात्मता यात्रा शामिल हैं। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुआ यह आंदोलन समग्र हिन्दू समाज की चेतना का जाग्रत केन्द्र बनकर उभरा। 21वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध राम जन्मभूमि की मुक्ति और विजय के रूप में उपस्थित हुआ है। एक तरह से कहा जाए कि 20वीं और 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा हिन्दू पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर यह आंदोलन उभरा।

कैसे शुरू हुआ आंदोलन

यह आंदोलन प्रारंभ कैसे हुआ और किसने किया ? यूं तो हम सभी यह भली भांति जानते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति का आंदोलन विश्व हिन्दू परिषद् ने चलाया और उसे परिणाम की परिणति तक पहुंचाया। लेकिन इसके पीछे की प्रेरणा और आरंभ का इतिहास यदि जानना हो तो हमें पश्चिम उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद में आना होगा। यही वह स्थान है, जहां से आंदोलन का सूत्रपात हुआ। समूची दुनिया में चर्चा और ख्याति का विषय बने राम जन्मभूमि आंदोलन की नींव इसी नगर में पड़ी थी। आंदोलन के सूत्रधार भी इस नगर से जुड़े रहे। इनमें एक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्कालीन विभाग प्रचारक दिनेश चन्द्र त्यागी और दूसरे कांग्रेस के नेता दाऊ दयाल खन्ना थे। अगर यह कहा जाए कि श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का आंदोलन मुरादाबाद की देन है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

आंदोलन का सूत्रपात

वर्ष 1980 में दो प्रमुख घटनाएं हुईं, एक राष्ट्रीय और दूसरी मुरादाबाद की स्थानीय घटना थी। राष्ट्रीय घटनाक्रम भारत के दक्षिण में घटित हुआ, जब मीनाक्षीपुरम् में हिन्दुओं का सामूहिक धर्मांतरण कराया गया। धर्मांतरण के लिए बाकायदा सभा की गई थी और लाउडस्पीकर लगाकर सैकड़ों हिन्दू परिवारों को इस्लाम में धर्मांतरित किया गया था। दूसरी घटना मुरादाबाद में ही घटित हुई थी। यहां अगस्त 1980 में भीषण दंगा हुआ था।

प्रदेश में हुए दंगों में यह दंगा अभी तक का सबसे भीषणतम हिन्दू मुस्लिम दंगा था। तीन महीने तक मुरादाबाद कर्फ्यू की चपेट में रहा था। दोनों समुदायों के अनेक लोगों की जान दंगों में चली गई थी। इन दो घटनाओं ने समूचे हिन्दू समाज को चिंतित और व्यग्र कर दिया था। इसी वातारवण में हिन्दू समाज अपनी सुरक्षा, पहचान और सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए सजग भी हुआ था। यही समय था जब मुरादाबाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस) के विभाग प्रचारक और हिन्दू जागरण मंच के पश्चिम उत्तर प्रदेश संयोजक के दायित्व का निर्वहन दिनेश चन्द्र त्यागी कर रहे थे। श्री त्यागी को रुद्रपुर (उत्तराखंड) में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शिक्षा वर्ग में हिन्दू जागरण मंच के पश्चिम उत्तर प्रदेश संयोजक की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।

मुरादाबाद के घटनाक्रम से संघ और अन्य हिन्दू विचार के लोग चिंतित थे। साथ ही कांग्रेस में भी कट्टर हिन्दू छवि रखने वाले नेताओं ने चिंता व्यक्त की थी। कांग्रेस की इसी धारा के हिन्दू हितों के संरक्षण का विचार रखने वाले प्रख्यात कांग्रेसी पूर्व मंत्री दाऊ दयाल खन्ना भी थे। खन्ना जी के मन में अपने नगर की सुरक्षा के साथ-साथ हिन्दू समाज की विरासतों के संरक्षण का भी विचार प्रबल हुआ था। उन्होंने वर्ष 1981 में ही संघ प्रचारक दिनेश चन्द्र त्यागी को आमंत्रित किया।

दोनों के मध्य मुरादाबाद की स्थानीय स्थिति के साथ-साथ अयोध्या में भगवान राम के ताले में बंद होने, उनकी मुक्ति की चिंता और काशी, मथुरा के विषयों पर भी चर्चा हुई। खन्ना जी ने दिनेश जी से आग्रह किया कि यदि संघ इन विषयों पर आगे बढ़े तो वे कांग्रेसी होने के बावजूद पूरा सहयोग करेंगे तथा संघर्ष में भी साथ देंगे। इस विषय को संघ में विलक्षण बुद्धि और मेधा संपन्न प्रचारकों में गिने जाने वाले दिनेश त्यागी ने तत्काल सहमति जता दी। उन्होंने कहा कि इस विषय पर आगे बढ़ा जाएगा और एक आंदोलन शुरु किया जाएगा। श्री खन्ना और श्री त्यागी के मध्य यह वार्तालाप होने के तत्काल बाद हिन्दू जागरण मंच ने आंदोलन की रूप रेखा बना ली।

जन्मभूमि मुक्ति की पहली बार चर्चा काशीपुर में

हिन्दू जागरण मंच ने काशीपुर (उत्तराखंड) में 22 नवंबर 1982 को पहला हिन्दू सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में तत्कालीन नैनीताल, रुद्रपुर, हल्द्वानी, मुरादाबाद, रामपुर आदि क्षेत्रों के हजारों की संख्या में हिन्दू समाज के लोग एकत्रित हुए। सम्मेलन के आयोजक पश्चिम उत्तर प्रदेश संयोजक दिनेश चन्द्र त्यागी ने कांग्रेस नेता दाऊ दयाल खन्ना को भी इस सम्मेलन में आमंत्रित किया था। भारी संख्या में उपस्थित हिन्दू समाज के समक्ष यहां दाऊ दयाल खन्ना जी ने ओजस्वी भाषण दिया। उन्होंने अयोध्या में भगवान राम के ताले में बंद होने, उनकी मुक्ति के लिये प्रयास शुरु करने के साथ-साथ काशी और मथुरा के विषय को भी उठाया। इस चर्चा पर उपस्थित हिन्दू समुदाय ने भारी उत्साह दिखाया और आंदोलन शुरू करने की मांग कर दी। यहीं से श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति के लिए आंदोलन के लिए श्री खन्ना और श्री त्यागी को बल मिल गया।

मुजफ्फरनगर के सम्मेलन में संघ की सहमति

हिन्दू जागरण मंच ने इसी विषय को आगे बढ़ाने के लिए 6 मार्च 1983 को मुजफ्फरनगर में हिन्दू सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्कालीन सर कार्यवाह श्री रज्जू भैया (प्रो.राजेन्द्र सिंह), जो बाद में संघ के सर संघचालक बने, को आमंत्रित किया गया। साथ ही यहां देश के भूतपूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता गुलजारी लाल नंदा भी आमंत्रित किये गए थे। सम्मेलन में संयोजक दिनेश चन्द्र त्यागी ने मुरादाबाद के कांग्रेस नेता दाऊ दयाल खन्ना को यहां राम जन्मभूमि का विषय प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया था।

सम्मेलन में श्री खन्ना ने श्री राम जन्मभूमि की मुक्ति और काशी तथा मथुरा की मुक्ति के प्रश्न यहां प्रस्तुत किये। संघ के सरकार्यवाह श्री रज्जू भैया ने इन विषयों से सहमति प्रकट की। किन्तु जब तीनों स्थानों की मुक्ति का प्रस्ताव दाऊ दयाल खन्ना ने प्रस्तुत किया तो पूर्व प्रधानमंत्री (कार्यवाहक) गुलजारी लाल नंदा ने असहमति जता दी। उन्होंने कहा उन्हें यह नहीं बताया गया था कि यहां ये प्रस्ताव आएगा। लेकिन, बाद में रज्जू भैया के समझाने पर नंदा जी मान गए और तीनों धर्म स्थानों की मुक्ति का प्रस्ताव सर्व सम्ममति से पारित हो गया।

प्रथम धर्म संसद में विहिप ने स्वीकारा आंदोलन

काशीपुर, मुजफ्फरनगर के बाद हिन्दू जागरण मंच ने अमरोहा, बरेली, सीतापुर, लखीमपुर, कानपुर में कई हिन्दू सम्मेलन किये। सभी सम्मेलनों में राम जन्मभूमि की मुक्ति का मामला उठता रहा। यह मुद्दा दिल्ली के विज्ञान भवन में 7 और 8 अप्रैल 1984 को आयोजित प्रथम धर्म संसद में विश्व हिन्दू परिषद् ने आंदोलन के लिए स्वीकार कर लिया। दो दिवसीय धर्म संसद में सनातन परंपरा के 76 मत,पंथ, सम्प्रदायों के 558 संत, महात्मा, धर्माचार्य उपस्थित हुए थे। धर्म संसद का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद ने किया था। यहां भी मुरादाबाद से पधारे दाऊ दयाल खन्ना ने श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति, काशी और मथुरा के धर्म स्थलों का मुद्दा प्रस्तुत किया।

इस विषय पर चर्चा के बाद 8 अप्रैल को धर्म संसद ने सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित करके तीनों धर्म स्थल हिन्दू समाज को सौंपने का प्रस्ताव पारित कर दिया। आगे की रणनीति के लिए विश्व हिन्दू परिषद को धर्माचार्यों ने अधिकृत किया तथा आश्वासन दिया कि धर्म स्थलों की मुक्ति के लिए जो भी आंदोलन होगा और सहयोग की आवश्यकता होगी उसमें संत समाज सहभागी होगा। विज्ञान भवन में आयोजित धर्म संसद के बाद राम जन्मभूमि का मुद्दा देश भर की निगाह में आया और जन चर्चा का विषय बन गया। धर्म संसद के बाद श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन करके भगवान राम को ताले से मुक्त कराने के लिए आंदोलन आरंभ हो गया था।

Ram Mandir Andolan

इस तरह सफलता की परिणति तक पहुंचा आंदोलन मुरादाबाद से शुरु होकर काशीपुर, मुजफ्फरनगर और नई दिल्ली के अहम पड़ाव के बाद अनेक संघर्ष बाधाओं को पार करते हुए अब मन्दिर निर्माण के लक्ष्य पर पहुंचा है।

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