फर्जी आईएएस ललित किशोर की ऐशो-आराम की जिंदगी और ठगी का बड़ा खुलासा

आरोपी का नाम ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार है। वह 200 करोड़ रुपये के सरकारी प्रोजेक्ट दिलाने का झांसा देकर लोगों को फंसाता था और इसी धोखाधड़ी से अपनी करोड़ों की लग्जरी लाइफ चलाता था।

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फर्जी आईएएस
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar11 Dec 2025 07:15 PM
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UP News : गोरखपुर पुलिस ने ऐसे शख्स का भंडाफोड़ किया है जो खुद को 2022 बैच का आईएएस अधिकारी बताकर करोड़ों रुपये की जालसाजी करता था। आरोपी का नाम ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार है। वह 200 करोड़ रुपये के सरकारी प्रोजेक्ट दिलाने का झांसा देकर लोगों को फंसाता था और इसी धोखाधड़ी से अपनी करोड़ों की लग्जरी लाइफ चलाता था।

शानदार जीवनशैली, पर सब झूठ की बुनियाद

जांच में पता चला कि ललित हर महीने लगभग 5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करता था। जहां भी जाता, अफसरों जैसा रुतबा दिखाने के लिए वह हमेशा 10-12 नकली गनरों की फौज के साथ निकलता। प्रत्येक गनर को वह 30,000 रुपये महीना देता था। एक प्राइवेट मैनेजर रखा हुआ था जिसे 60,000 रुपये महीने देता था। स्कॉर्पियो और अर्टिगा जैसी गाड़ियाँ दोनों की अलग-अगल लगभग 30,000 रुपये किराया देता था। गोरखपुर के होटलों में रहने के लिए 30,000 रुपये हर माह खर्च करता था। सरकारी काम लिखी हुई गाड़ियाँ और भारी सुरक्षा घेरा देखकर लोग बिना शक उसे असली आईएएस मान लेते थे।

शातिर की निजी जिंदगी भी चौंकाने वाली

पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपी की एक पत्नी और चार प्रेमिकाएँ थीं। इन चार में से तीन महिलाएँ गर्भवती पाई गईं। ललित इन सभी पर लाखों रुपये उड़ा देता था, महंगे मोबाइल, जेवर, कपड़े, ब्रांडेड सामान सब कुछ। ललित का मूल घर मेहसौल, सीतामढ़ी (बिहार) में है। पहले वह सुपर 100 नाम के एक कोचिंग संस्थान में गणित पढ़ाता था। 2023 में एडमिशन के नाम पर दो लाख रुपये लेने पर उसे कोचिंग से निकाल दिया गया। वह गणित में पीएचडी कर रहा था, लेकिन इसी दौरान उसने फर्जी पहचान बनाकर ठगी का रास्ता पकड़ लिया। 2016 में एक युवती को बहला-फुसला कर ले जाने का केस भी उसके खिलाफ दर्ज हुआ था वही युवती अब उसकी पत्नी है। पिछले पाँच महीनों से वह गोरखपुर के चिलुआताल क्षेत्र में किराए के घर में पत्नी, बच्चों और साले के साथ रहकर आॅनलाइन और आॅफलाइन ठगी का पूरा जाल चला रहा था।

स्कूलों में भी नकली अधिकारी बनकर पहुंचा

पिछले कुछ महीनों में वह भटहट, पीपीगंज, कैंपियरगंज समेत कई इलाकों के स्कूलों में खुद को कअर बताकर निरीक्षण करने भी पहुंच गया था। बोर्ड परीक्षा के दौरान वह दो गाड़ियों और गनरों के काफिले के साथ स्कूलों में घुसा, जिससे कोई उसे लेकर शक नहीं कर पाया। इस ठग का सबसे खतरनाक पहलू यह था कि वह एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल कर मंत्रालय के नोट, मीटिंग लेटर, नियुक्ति आदेश, सरकारी अनुमोदन, जैसे दस्तावेज तैयार कर लेता था। वह असली अधिकारियों की मीटिंग वाली तस्वीरों में से उनका चेहरा हटाकर अपना चेहरा लगा देता था। उसके पास से देवरिया जिले के एक अफसर की मीटिंग का एडिट किया हुआ फोटो भी मिला है। एसएसपी के निर्देश पर यह पता लगाया जा रहा है कि फर्जी दस्तावेज बनाने में कौन-कौन उसकी मदद करता था और अब तक कितने लोग उसकी ठगी का शिकार बने हैं।


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चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में बढ़ाई एसआईआर की समय सीमा

उत्तर प्रदेश में एसआईआर की प्रक्रिया अब 31 दिसंबर 2025 तक चलेगी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार में प्रक्रिया 18 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगी। तमिलनाडु और गुजरात में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 14 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है।

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मतदाता सूची का निरीक्षण
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar11 Dec 2025 05:54 PM
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UP News : चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कार्य को लेकर अहम निर्णय लिया है। आयोग ने पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता सूची के सत्यापन और अद्यतन की प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त समय देने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक सटीक बनाना है। उत्तर प्रदेश में एसआईआर की प्रक्रिया अब 31 दिसंबर 2025 तक चलेगी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार में प्रक्रिया 18 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगी। तमिलनाडु और गुजरात में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 14 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है।

एसआईआर क्या है?

एसआईआर का मकसद मतदाता सूची की सफाई और अपडेट करना है। इसमें शामिल मुख्य गतिविधियाँ हैं, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना तथा डुप्लीकेट प्रविष्टियों को निकालना और नए योग्य मतदाताओं (18 वर्ष से ऊपर) को सूची में जोड़ना है। इस प्रक्रिया से न केवल सूची सटीक होती है, बल्कि फर्जी मतदान की संभावनाओं में भी कमी आती है। वर्तमान में देश में यह प्रक्रिया दूसरे चरण में है, जिसमें बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर सत्यापन कर रहे हैं। कई बीएलओ सरकारी कर्मचारी या शिक्षक हैं, इसलिए सीमित समय में पूरी सूची का सत्यापन करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है।उत्तर प्रदेश में विस्तार का कारण

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने दो सप्ताह का समय बढ़ाने का अनुरोध किया। इसका कारण मृत और स्थानांतरित मतदाताओं की प्रविष्टियों का पुन: सत्यापन है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 99.24% जनगणना प्रपत्र डिजिटलीकृत हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में यह अभ्यास 4 नवंबर 2025 से चल रहा है।पश्चिम बंगाल में संशोधन

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के एसआईआर की अंतिम प्रकाशन तिथि को 14 फरवरी 2026 कर दिया है। यह विस्तार बड़े पैमाने पर जनगणना कार्य और मतदान केंद्रों के सत्यापन को ध्यान में रखकर दिया गया। 11 दिसंबर 2025 से घर-घर जनगणना समाप्त हो गई। अब 31 दिसंबर तक तारीख बढ़ाई गई है। 14 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इस तरह चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को और अधिक विश्वसनीय और सटीक बनाने के लिए समय बढ़ाया है, ताकि आगामी चुनाव में त्रुटियों और फर्जी मतदान की संभावना न्यूनतम हो।



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बड़ी खबर: जेल में बंद आजम खां को 8 साल पुराने केस में कोर्ट से राहत

हालांकि इस अहम फैसले के बाद भी आजम खां की जेल यात्रा फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही, क्योंकि दो पैन कार्ड और दस्तावेजी गड़बड़ी से जुड़े एक अन्य मामले में वे और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म अभी भी रामपुर जेल में न्यायिक हिरासत में बंद हैं।

उत्तर प्रदेश के  पूर्व सांसद आजम खां
उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद आजम खां
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar11 Dec 2025 03:23 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की सियासत में लंबे समय से चर्चा के केंद्र बने समाजवादी पार्टी के कद्दावर चेहरा और रामपुर से पूर्व सांसद आजम खां के लिए रामपुर की एमपी–एमएलए स्पेशल कोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई है। सेना के जवानों पर कथित विवादित टिप्पणी से जुड़े आठ साल पुराने मामले में विशेष अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया और दोषमुक्त घोषित कर दिया। हालांकि इस अहम फैसले के बाद भी आजम खां की जेल यात्रा फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही, क्योंकि दो पैन कार्ड और दस्तावेजी गड़बड़ी से जुड़े एक अन्य मामले में वे और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म अभी भी रामपुर जेल में न्यायिक हिरासत में बंद हैं।

किस मामले में मिली राहत?

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में दर्ज इस पुराने मुकदमे की जड़ें साल 2017 के चुनावी माहौल से जुड़ी हैं। 30 जून 2017 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने आजम खां के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि चुनाव प्रचार के दौरान आज़म खां ने भारतीय सेना के जवानों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जो सेना की गरिमा और अनुशासन के खिलाफ है। इसी शिकायत के आधार पर उत्तर प्रदेश की एमपी–एमएलए अदालत में उनके खिलाफ मामला चला। करीब आठ साल तक गवाही, जिरह और सुनवाई के बाद रामपुर की इस विशेष अदालत ने गुरुवार, 11 दिसंबर 2025 को अपना अंतिम फैसला सुना दिया।

अदालत ने क्या कहा?

रामपुर एमपी–एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज ने आदेश में कहा कि इस पूरे केस में अभियोजन पक्ष पर्याप्त और ठोस साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा। अदालत की नजर में न तो ऐसे दस्तावेज और न ही ऐसी गवाही सामने आ सकी, जिनके आधार पर यह सिद्ध हो सके कि आजम खां ने सेना के जवानों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी। इसी आधार पर अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में आज़म खां को सभी आरोपों से बरी कर दिया और उन्हें इस केस में पूरी तरह दोषमुक्त घोषित कर दिया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह फैसला एक अहम मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि यह वही रामपुर है, जहां आज़म खां की सियासी पकड़ सालों तक चर्चा में रही है।

फिर भी जेल से बाहर क्यों नहीं आएंगे आजम खां?

अदालत से यह राहत मिल जाने के बावजूद आज़म खां की रिहाई फिलहाल संभव नहीं दिख रही। उत्तर प्रदेश की ही अदालत ने कुछ समय पहले दो पैन कार्ड रखने और उससे जुड़े दस्तावेजी गड़बड़ी के मामले में आज़म खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दोषी ठहराया था। इसी सजा के सिलसिले में दोनों इन दिनों रामपुर जेल में बंद हैं और वही मामला उनकी रिहाई के रास्ते में सबसे बड़ी कानूनी बाधा बना हुआ है।

यूपी में राजनीतिक संकेत क्या हैं?

रामपुर की इस स्पेशल कोर्ट के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं में स्पष्ट रूप से राहत और उत्साह देखा जा रहा है। अदालत में सुनवाई के दिन कोर्ट परिसर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों की तैनाती की गई, ताकि किसी तरह की अफरा–तफरी या कानून-व्यवस्था की समस्या न खड़ी हो। फैसला आज़म खां के पक्ष में आते ही रामपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी गलियारों में नई चर्चाओं की शुरुआत हो गई है। समर्थक इसे आज़म खां के लिए “मोरल विक्ट्री” बता रहे हैं, जबकि विरोधी अब भी उनके खिलाफ चल रहे दूसरे मामलों का हवाला दे रहे हैं। UP News

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