उत्तर प्रदेश वाले नटवरलाल के नाम से प्रसिद्ध हर्षवर्धन जैन का नाम आपने जरूर सुना होगा। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहकर बड़ा साम्राज्य खड़ा करने वाला हर्षवर्धन जैन आधुनिक नटवरलाल है। उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरी दुनिया में उत्तर प्रदेश के इस नटवरलाल की चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश के ढेर सारे लोग तो हर्षवर्धन जैन को नटवरलाल का बाप बता रहे हैं। दुनिया भर में प्रसिद्ध खलीज टाइम्स अखबार की वेबसाइट पर बुधवार को हर्षवर्धन जैन के कारनामों का कच्चा चिट्ठा प्रकाशित किया गया है।
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हर्षवर्धन जैन निकला नटरवरलाल का भी बाप
आपको बता दें कि नटरवरलाल नाम के व्यक्ति को दुनिया का सबसे बड़ा ठग माना जाता है। नटरवरलाल ने जेल से भागने का रिकॉर्ड कायम किया था। इतना ही नहीं नटरवरलाल ने भारत की ऐतिहासिक धरोहर लाल किला तथा ताजमहल जैसी प्रसिद्ध इमारतों तक को बेचकर ठगी की बड़ी कहानी रच दी थी। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से पकड़ा गया हर्षवर्धन जैन नामक ठग पुराने नटरवरलाल का भी बाप साबित हुआ है। उत्तर प्रदेश पुलिस की पूछताछ में हर्षवर्धन जैन उर्फ नटरवरलाल के जो किस्से सामने आए हैं उन किस्सों ने उत्तर प्रदेश पुलिस को भी हिलाकर रख दिया है। हर्षवर्धन जैन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में वेस्ट आर्कटिक नामक देश का राजदूत बनकर बहुत बड़ा साम्राज्य स्थापित कर चुका था। हर्षवर्धन जैन ने जिस वेस्ट आर्कटिक देश का राजदूत अपने आपको घोषित कर रखा था उस नाम का कोई भी देश दुनिया में है ही नहीं।
उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष टीम ने दबोचा है हर्षवर्धन जैन को
उत्तर प्रदेश पुलिस की एक विशेष टीम ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर से हर्षवर्धन जैन उर्फ नटरवरलाल को गिरफ्तार किया है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे रिमांड पर ले रखा था। 2 अगस्त को हर्षवर्धन जैन के रिमांड का समय पूरा होने पर उसे जेल में भेजा जा चुका है। हर्षवर्धन जैन से उत्तर प्रदेश पुलिस की पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के इस नटरवरलाल ने जो खुलासे किए हैं उन्हें जानकर उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसर भी हैरान हो गए हेँ।
उत्तर प्रदेश में स्थापित कर रखी थी फर्जी एंबेसी
हर्षवर्धन जैन ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में बाकायदा फर्जी दूतावास (एबेंसी) स्थापित कर रखा था। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में कविनगर नाम का एक प्रसिद्ध मौहल्ला है। कविनगर की कोठी नम्बर KB-35 में हर्षवर्धन जैन ने फर्जी एबेंसी स्थापित कर रखी थी। उत्तर प्रदेश के रहने वालों को हर्षवर्धन जैन ने बता रखा था कि दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में एबेंसी खोलने की जगह कम पड़ गई है। इसी कारण उसने उत्तर प्रदेश के कविनगर की कोठी नम्बर KB-35 में एबेंसी स्थापित कर दी है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कविनगर में स्थापित कोठी नम्बर KB-35 के बाहर हाई प्रोफाइल नंबर प्लेट्स और बोनट के कोने पर अलग-अलग देशों के झंडे लगी एक से बढ़ कर एक चमचमाती हुई आलीशान गाड़ियां खड़ी होती थीं। जबकि कोठी में अक्सर सूटेड-बूटेड लोगों का आना-जाना भी लगा रहता था और तो और कोठी की दीवार पर बाकायदा एंबेसी ऑफ वेस्ट आर्कटिक का ब्रास बोर्ड चिपका हुआ था। ऐसे में हर किसी को लगता था कि शायद इस कोठी में किसी देश का दूतावास है, जहां से डिप्लोमेटिक एक्टिविटीज चलती हैं।
मंगलवार 22 जुलाई 2025 की शाम को जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने यहां पर दबिश डाली, तो दूतावास के फर्जी ताम-झाम के पीछे ठगी का एक ऐसा काला साम्राज्य निकल कर सामने आया कि उत्तर प्रदेश में रहने वाले सारे के सारे लोग हैरत में पड़ गए। उत्तर प्रदेश पुलिस को यहां ठगी के साम्राज्य का पता तो चला ही, साथ में ही नकली पासपोर्ट, विदेशी करंसी, नकली आई कार्ड, पैन कार्ड, प्रेस कार्ड सरीखी एक से बढ़कर एक आपत्तिजनक चीजें भी उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथ लगी, इतना ही नहीं 47 साल का वो शख्स भी उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथ लगा, जो यहां से इस सारे खेल का संचालन कर रहा था। उसका नाम है-हर्षवर्धन जैन। हर्षवर्धन जैन लोगों को अलग-अलग देशों का राजदूत या फिर काउंसल बताकर उन्हें प्रभाव में लेता था, उन्हें अपने साथ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत दूसरे बड़े लोगों की तस्वीरें दिखाता और फिर किसी को विदेश में सेटल करवा देने का किसी को कोई बड़ा कांट्रैक्ट दिलाने का, तो किसी को उनकी ब्लैक मनी व्हाइट करा देने का झांसा देता था और अपनी जेब गर्म कर लेता था। उत्तर प्रदेश पुलिस की मानें तो असल में इस सारे गोरखधंधे की आड़ में वो शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट का संचालन कर रहा था।
सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की नोएडा SFT को मिली थी हर्षवर्धन की जानकारी
उत्तर प्रदेश के नटरवरलाल के नाम से कुख्यात हर्षवर्धन जैन के कारनामे अचानक उजागर नहीं हुए। सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की नोएडा में सक्रिय SFT टीम को हर्षवर्धन जैन के कारनामा की भनक लगी थी। यह भनक लगने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने यहां पर छापेमारी की। असल में नोएडा एसटीएफ को गाजियाबाद और आस-पास के इलाके से कुछ शेल कंपनियों के जरिए हवाला कारोबार की खबर मिली थी और इसी हवाला के धंधे का पीछा करती हुई उत्तर प्रदेश पुलिस इस कोठी तक आ पहुंची, जहां पर ये फर्जी दूतावास चल रहा था। फिर तो हवाला के साथ-साथ लोगों को ठगने और हर तरह के सही गलत धंधों के लिए लाइजनिंग करने के पूरे के पूरे रैकेट का खुलासा हो गया। छापेमारी में बाहर लगी गाड़ियों के काफिले के बाद कोठी के अंदर का मंजर देख कर खुद उत्तर प्रदेश पुलिस भी चौंक गई। अलग-अलग देशों की करंसी, 44 लाख 70 हजार रुपये कैश, विदेश मंत्रालय के नकली मुहर लगे दस्तावेज, 20 जोड़े डिप्लोमेटिक गाड़ियों के नंबर प्लेट्स, गैरकानूनी तरीके से बनाए गए 12 फर्जी पासपोर्ट, हर्षवर्धन जैन के नाम पर बने 2 पैन कार्ड, 34 अलग-अलग सील मुहर, 12 महंगी घडिय़ों का एक बॉक्स, 1 लैपटॉप, 1 मोबाइल फोन और आधार कार्ड, वोर्ट आईकार्ड, डिप्लोमेटिक कार्ड यहां तक कि गैरकानूनी प्रेस कार्ड तक हाथ लगे। इस फर्जी दूतावास से एक नहीं बल्कि चार-चार ऐसे देशों के राजनायिक ऑफिसेज का संचालन किए जाने की बात सामने आई है।
फर्जी देश यानी वेस्ट आर्कटिक, सबोरगा, पौलविया और लोडोनिया। जबकि हकीकत ये है कि ये सारे के सारे देश दुनिया के नक्शे पर कहीं हैं ही नहीं। उदाहरण के लिए वेस्ट आर्कटिक नाम के इस देश को ही लीजिए, जिसका एंबेंसी होने का बोर्ड इस कोठी की दीवार पर चिपका था। जब इस नाम को गूगल पर सर्च किया गया, तो पता चला कि ये वेस्ट आर्कटिक दरअसल एक ऐसा एनजीओ है, जो पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम करता है। लेकिन कमाल ये है कि यहां एनजीओ को ही मुल्क का नाम देकर उसका दूतावास खोल कर ठगी का धंधा बदस्तूर चल रहा था।
प्राइवेट गाड़ियों पर लगा रखी थी दूतावास वाली फर्जी नंबर प्लेट
हर्षवर्धन जैन का प्रत्येक कारनामा चौंकाने वाला है। उसने फर्जी दूतावास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गाडिय़ों पर दूतावास की फर्जी नम्बर प्लेट लगा रखी थी। गाडिय़ों के नंबर को प्रॉपर प्लेट की जगह ब्लू कलर की प्लेट पर लिखा गया था ताकि लोगों को देखते ही ये गुमान हो जाए कि ये गाड़ियां किसी दूतावास की हैं और तो और असर गहरा हो, इसलिए गाड़ियों में अलग-अलग फर्जी देशों के झंडे भी लगे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की मानें तो एक बार जब शिकार हर्षवर्धन जैन की इन्हीं ताम-झाम को देख कर उसके झांसे में फंस जाता था, तो फिर उसे लूटना उसके लिए आसान हो जाता था। हर्षवर्धन ने फर्जी दूतावास वाली इस कोठी को किराये पर ले रखा था, जबकि वो इसी कविनगर इलाके में थोड़ी ही दूरी पर एक दूसरी कोठी में रहता है। पुलिस को छापेमारी के दौरान अंदर से जो चीजें मिली, उसने इसका इशारा दे दिया कि आखिर वो यहां से कर क्या रहा था। कोठी से जो 20 जोड़ी फर्जी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट मिले, उससे साबित होता है कि वो इन नंबर प्लेट्स को जरूरत के मुताबिक किसी भी गाड़ी में लगा कर उसका इस्तेमाल लोगों पर प्रभाव डालने के लिए करता था। ठीक इसी तरह जब जहां जैसी जरूरत होती फर्जी कार्ड्स, दस्तावेज और मार्फ की गई तस्वीरों के जरिए वैसे ही लोगों को प्रभाव में ले लिया जाता था। यानी साफ सीधे शब्दों में कहें तो ये ठगी की वो प्राइवेट लिमिडेट कंपनी थी, जिसमें हर्षवर्धन जैन जब जैसा जी चाहे, करता था।
इज्जतदार परिवार का बेटा है हर्षवर्धन जैन
वैसे हर्षवर्धन जैन काम बेशक ठगी का कर रहा हो लेकिन उसका ताल्लुक एक अच्छे परिवार से है। उसके पिता जेडी जैन एक जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट रहे हैं, जो गाजियाबाद के जैन रोलिंग मिल के मालिक थे। जैन परिवार का राजस्थान समेत कई राज्यों में मार्बल और माइनिंग का भी काम था। खुद हर्षवर्धन जैन ने लंदन के कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज से एमबीए की पढ़ाई की। लेकिन हर्षवर्धन जैन का ट्रैक तब चेंज हो गया, जब उसकी मुलाकात विवादास्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी से हुई। वो चंद्रास्वामी से साल 2000 में मिला, जिसने उसकी मुलाकात आर्म्स डीलर अदनान खागोशी और लंदन के रहने वाले एहसान अली सैयद से करवाई। जिसके साथ मिलकर हर्षवर्धन जैन ने लंदन में 12 फर्जी कंपनियां बनाई और लाइजनिंग यानी दलाली का काम शुरू कर दिया। आपको बता दें कि एसटीएफ ने बताया है कि इसके बाद वो ऐसे ही संदिग्ध लोगों के साथ मिलता-जुलता रहा और दलाली के जरिए पैसे कमाता रहा। साल 2012 में उसके पास से पुलिस ने एक सैटेलाइट फोन बरामद किया था। तभी उसने खुद को एक सबोरगा नाम के फर्जी देश का एडवाइजर और वेस्ट आर्कटिक समेत कई ऐसे ही काल्पनिक देशों का एबेंसेडर बता कर दलाली का कारोबार करता रहा और फिलहाल गाजियाबाद के इसी फर्जी दूतावास से चीटिंग, दलाली और हवाला का रैकेट चला रहा था।