Sunday, 24 November 2024

पहले चरण में यूपी की इन 8 सीटों पर क्या है सियासी समीकरण? किसका पलड़ा भारी

UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 20 मार्च को लोकसभा चुनाव के…

पहले चरण में यूपी की इन 8 सीटों पर क्या है सियासी समीकरण? किसका पलड़ा भारी

UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 20 मार्च को लोकसभा चुनाव के पहले चरण की नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू हुई थी। लोकसभा चुनाव में सब की नजरे उत्‍तर प्रदेश पर टिकी हुई हैं।  80 सीटों वालें उत्तर प्रदेश के लिए कहा जाता है कि दिल्‍ली जाने का रास्‍ता इसी राज्‍य से होकर गुजरता है।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने है। पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर  लोकसभा चुनाव होंगे। 19 अप्रैल को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। उत्तर प्रदेश की जिन 8 सीटों पर पहले चरण में वोटिंग होनी है, उनमें से सबसे ज्‍यादा पीलीभीत लोकसभा सीट पर लोगों की नजरे टिकी हैं। आइए जानते है पहले चरण में उत्‍तर प्रदेश में कहां -कहां मतदान होंगे और उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट क्यों है इतनी खास…

इन आठ सीटों पर होंगे चुनाव

उत्तर प्रदेश में पहले चरण में जिन सीटों पर लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, इन लोकसभा सीटों में एक सीट को छोड़कर बाकी सभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं। पहले चरण में सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत लोकसभा सीटों पर मतदान होंगे।

पीलीभीत पर टिकी हैं सभी की नजरें

आपको बता दें कि पहले चरण में उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर लोकसभा चुनाव होने हैं, उनमें सबसे ज्यादा चर्चा पीलीभीत की सीट है। उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी लोकसभा सांसद हैं। वरुण गांधी की गिनती कभी बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में होती थी। लेकिन पिछले कुछ समय से उनके तेवर बदले हुए नजर आए थे, जिसके बाद उन्हें पीलीभीत सीट से टिकट ही नहीं दिया गया। बता दें कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत को यूपी का पंजाब भी कहा जाता है, क्योंकि विभाजन के बाद पाकिस्तान से आये सिखों ने इसे आबाद किया गया था, उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला सबसे ज्यादा बाघों की तादाद के लिए भी फेमस है।

UP Lok Sabha Election 2024

इसके अलावा गोमती नदी के उद्गम जल, जंगल, जमीन से सजा ये जिला अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। धान, गेंहू,गन्ना यहां की प्रमुख फसल है,  इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर यहां से जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। समाजवादी पार्टी ने भी यहां से कुर्मी बिरादरी पर दांव लगाया है, सपा ने भगवत शरण गंगवार को अपना प्रत्याशी बनाया है। अब देखने है की इस सीट पर कौन बाजी मार ले जाता है, क्या बीजेपी के नेता वरुण गांधी की जगह लेने वाले जितिन प्रसाद बीजेपी की साख बचा पाएंगे।

बिजनौर की सीट

वहीं उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर आरएलडी के प्रत्याशी चंदन चौहान हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने दीपक सैनी को अपना उम्मीदवार बनाकर उतारा है। बसपा ने यहां जाट प्रत्याशी चौधरी वीरेंद्र सिंह को दिया है। बीजेपी ने गुर्जर बसपा ने जाट और समाजवादी पार्टी ने ओबीसी प्रत्याशी उतारे हैं। आरएलडी को इस गठबंधन में दी गई दो सीटों में एक सीट बिजनौर की हैं।

नगीना सीट से प्रत्याशी

बता दें कि उत्तर प्रदेश की और भी खास है, क्योंकि इस जगह से चंद्रशेखर आज़ाद रावण अपनी सियासी जमीन की तलाश रहे हैं। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण नगीना सीट से पहली बार चुनाव लड़ने वाले है। इस सीट पर साल 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह ने जीता था। उनके बाद 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सांसद यशवंत सिंह ने सपा प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था। जबकि साल 2019 के चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन के चलते बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी गिरीश चंद्र इस सीट पर विजय रहे। देखने यह है की इस बार चंद्रशेखर आज़ाद रावण इस सीट पर अपना कब्जा जमा पाएंगे या नहीं।

हिन्दू, मुसलमान गुजर बहुल इलाका कैराना

उत्तर प्रदेश का कैराना इलाका हिन्दू और मुसलमान गुजर बहुल इलाका माना जाता है,  इस जगह से लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने इकरा हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को। दोनों गुजर हैं, लेकिन अब यहां की सियासत में बिरादरी से बड़ा धर्म का झोल है। कैराना लोकसभा में पांच विधानसभा मौजूद है। जिसमें कैराना, शामली, थाना भवन नुकुड और गंगोह विधानसभा सीट शामिल है। वैसे तो उत्तर प्रदेश का कैराना में मुस्लिम वोटर ज्यादा है। यहां साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा कैंडिडेट ने करीब 75000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।

सहारनपुर सीट रही खास

बता दें कि सहारनपुर लोकसभा सीट का सफर बहुत दिलचस्‍प रहा है, यहां से समाजवादी पार्टी ने इमरान मसूद को तो बीजेपी ने राघवलखन पाल को टिकट दिया है। यह सीट कई मायनों में सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम मानी जाती है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर सीट पर सबसे पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था और तभी से यह सीट कांग्रेस का गढ़ बनी हुई है। 1952 से लेकर 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा रखा था। 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव से लेकर 1996 तक इस सीट पर जनता दल या जनता पार्टी ने कब्जा जमा लिया। दो बार की हार के बाद 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर यंहा पर बाज़ी मारी थी।

इसके अलावा 1996 के बाद सहारनपुर सीट दो बार भारतीय जनता पार्टी ने राज किया। फिर दोबार बसपा ने, एक बार सपा पार्टी ने और फिर साल 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद ये सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी। पहले भाजपा 1998 में इस सीट से चुनाव जीती थी। लेकिन 2019 के चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर बसपा का कब्जा हो गया था। साल 2019 में सहारनपुर लोकसभा सीट से महागठबंधन से प्रत्याशी बने बसपा के हाजी फजलुर्रहमान ने 514139 वोट पाकर जीत दर्ज की।

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मुरादाबाद की सीट

उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट एक महत्वपूर्ण सीट है। मुरादाबाद लोकसभा की बात करें तो उसमे कुल 5 विधानसभा आती हैं। उत्तर प्रदेश के मुराबाद का इतिहास रहा है यहां हर लोकसभा चुनावों में अलग पार्टी का सांसद बनता है। साल 2019 में सपा के डॉ एसटी हसन, 2014 में भाजपा से सांसद कुंवर सर्वेश सिंह, 2009 में कांग्रेस से क्रिकेटर मोहम्मद अजरूद्दीन यहां के सांसद रह चुके है। इस बार सपा ने रुचिवीरा को अपना उम्मीदवार बनाने का प्लान बनाए है, तो वहीं बीजेपी ने फिर कुंवर सर्वेश सिंह पर अपना दाँव लगाया है।

मुजफ्फरनगर की सीट

उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सी साल 2013 दंगे होने के बाद मुख्य सीटों में गिनी जाती है। क्योंकि साल 2013 में दंगों के बाद लोकसभी चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी ने सभी पार्टी का पत्ता काट दिया था। उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीजेपी ने अपने जाट चेहरे संजीव बालियान को तीसरी बार मैदान में उतारा है तो सपा ने कांग्रेस से आये जाट नेता चौधरी हरेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया।

रामपुर लोकसभा सीट का दिलचस्प इतिहास

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान सितंबर 1774 ईस्वी में रामपुर रियासत का उदय हुआ, उत्तर प्रदेश के रामपुर 1949 तक कुल 10 नवाबों ने राज किया है। साल 1952 में आजादी के बाद आम चुनाव में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद यहीं से चुनकर संसद तक पहुंचे थे। उत्तर प्रदेश के रामपुर में नवाब खानदान के अलावा भाजपा कि मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी अभिनेत्री जयाप्रदा और सपा के फायर ब्रांड नेता आज़म खान जीत हासिल कर चुके हैं। साप के नेता आजम खान का रामपुर चुनावी गढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के रामपुर से  10 बार कांग्रेस, चार बार भाजपा, तीन बार सपा और एक बार भारतीय लोकदल पार्टी के सांसद बन चुके है।

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