UP News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नाम बहुत तेजी के साथ उभर रहा है। उत्तर प्रदेश में यह उभरता हुआ नाम है आजाद समाज पार्टी (असपा) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का। चंद्रशेखर आजाद को चंद्रशेखर रावण के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रशेखर आजाद ने हाल ही में एक बड़ा दांव चला है। उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण जिले के रूप में विख्यात गौतमबुद्धनगर में प्रधान सुशील नागर को असपा का अध्यक्ष बनाया है। प्रधान सुशील नागर को अध्यक्ष बनाने से असपा को ना केवल गौतमबुद्धनगर जिले में बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा फायदा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश में बड़ी उम्मीद है असपा से
आपको बता दें कि आजाद समाज पार्टी (असपा) से उत्तर प्रदेश के नागरिकों को बहुत बड़ी उम्मीद है। एक जमाने में जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का विस्तार हुआ था। ठीक उसी प्रकार उत्तर प्रदेश में असपा का विस्तार हो रहा है। असपा के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद बहुत सोच-समझकर संगठन खड़ा कर रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित तथा गुर्जर समाज की एकता का ताना-बाना बुनते हुए उन्होंने गुर्जर समाज के मजबूत युवा कंधों पर गौतमबुद्धनगर जिले के संगठन का भार डाला है। प्रधान सुशील नागर को उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जिले गौतमबुद्धनगर में असपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
प्रसिद्ध नाम है सुशील नागर का UP News
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले में असपा के अध्यक्ष बनाए गए सुशील नागर का नाम प्रसिद्ध आंदोलनकारी के रूप में स्थापित है। सुशील नागर के विषय में पत्रकार आकाश नागर ने बताया है कि 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में देहात मोर्चा नामक अराजनीतिक संगठन के नाम से ही भ्रष्टाचारियों की नींद हराम हो जाती थी। उस समय उत्तर प्रदेश के गांव-गांव आंदोलनकारियों की एक फसल बोई जा रही थी। जिसमें राजकुमार भाटी, बाबू सिंह आर्य, अजीत दौला, वीरेंद्र डाढा, और मा. मौजीराम नागर गांव-गांव में ऐसे जमीनी कार्यकर्ता तैयार कर रहे थे जो भविष्य में जनहित के मुद्दों पर गरीबों, वंचितों और असहाय लोगों की आवाज को गूंगी-बहरी सरकार के समक्ष न केवल उठा सकें बल्कि उनके अधिकारों की लड़ाई लड सकें।
आज तीस साल बाद देहात मोर्चा की वह उपज गांव-गांव में मानवाधिकारों का अलख जगाकर उन्हें जागरूक कर रही है। देहात मोर्चा के नेतृत्व में तराशी गई ऐसी ही टीम के सक्रिय सदस्य रहे सुशील नागर को आजाद समाज पार्टी का जिला गौतमबुद्धनगर का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। आकाश नागर बताते हैं कि कभी अंधेरा महादीप कहा जाने वाले गांव कचैड़ा वारसाबाद निवासी सुशील नागर वर्ष 1999 से 2002 तक वेदपुरा इंटर कॉलेज में आईटीआई के अध्यापक रह चुके हैं। इस दौरान वह गांव में ही एक एसटीडी बूथ भी चलाया करते थे। तब एसटीडी बूथ पर फोन करने आने वाले लोग उनके सामने अपनी दुख भरी दास्तां भी बयां करते थे। ऐसे में उनका मन पिघला और वे अध्यापक की नौकरी छोड़ समाजसेवा के मैदान में कूद पड़े। उस समयकाल में उत्तर प्रदेश में देहात मोर्चा ही एक ऐसा सामाजिक संगठन हुआ करता था जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों और मजदूरों के साथ ही मजलूमों की आवाज उठाया करता था।
देहात मोर्चा की टैगलाइन भी इसकी तस्दीक करती थी। जिसमें लिखा गया था कि ” उनकी आवाज, जो बोलते नहीं “।सुशील नागर ने तब देहात मोर्चा की सदस्यता ग्रहण कर अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू किया। इस दौरान वह निखर कर सामने आए। सबसे पहले वह प्रखर वक्ता बने। इसके बाद आंदोलनकारी नेता के रूप में जाने गए। किसी भी कंपनी में स्थानीय युवकों को रोजगार की लड़ाई में अक्सर सुशील नागर सबसे आगे रहा करते थे। चाहे सपा सरकार में बझेड़ा का रिलायंस प्रोजेक्ट हो या मायावती सरकार में बादलपुर की जमीनों का जबरन अधिग्रहण हो या फिर भाजपा के कार्यकाल में कचैडा और आसपास के 18 गांवों की वेव सिटी बिल्डर से लड़ाई सुशील नागर की सक्रियता बढ़ती गई।
वह आज भी किसानों के मुद्दों पर मोर्चा संभाले हुए हैं। इसका नतीजा यह निकला कि वर्ष 2010 में गांव कचैड़ा के बाशिंदों ने सुशील नागर को सर्वाधिक वोट देकर प्रधान पद पर जिताया। गांव का प्रधान रहते ही वेव सिटी बिल्डर से गांव के विकास के लिए समझौता कराया। जिसमें सडक़, बिजली, पेयजल आपूर्ति के साथ ही सामुदायिक भवनों का उच्चीकरण के साथ ही सौंदर्यीकरण कराया। कचैड़ा गांव की गली-गली में लगें आरसीसी से गांव की पहचान ही बदल गई। वेव सिटी बिल्डर कचैडा गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत डेवलपमेंट कर रहा है।
चन्द्रशेखर का बड़ा दांव
सुशील नागर के परिचय से साफ जाहिर है कि यह एक बड़ा नाम है। सभी राजनीतिक दल सुशील नागर को अपने साथ मिलाने के लिए आतुर थे। सुशील नागर ने चन्द्रशेखर आजाद का नेतृत्व स्वीकार किया। अब चन्द्रशेखर की पार्टी असपा की कमान गौतमबुद्धनगर जिले में सुशील नागर के हाथ में है। अधिकतर राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि चन्द्रशेखर आजाद ने सुशील नागर को असपा का अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव चला है। सुशील नागर की नियुक्ति से दलित-गुर्जर एकता का नया समीकरण बना है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह नया समीकरण बड़ी भूमिका निभा सकता है। सुशील नागर ने चेतना मंच को बताया कि उनकी पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश में किसान, मजदूर, दलित, पीडि़त तथा शोषितों की आवाज उठा रही है। इस आवाज को जल्दी ही और अधिक बुलंद किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक वर्ग को असपा के साथ जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में उनकी पार्टी सडक़ से संसद तक सभी वर्गों की लड़ाई लड़ेगी। UP News
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