बाराबंकी की बेटी ने बदली मड़ाई की तस्वीर, पीएम बाल पुरस्कार से होगी सम्मानित

पूजा पाल ने फसल की मड़ाई के दौरान उठने वाली धूल को नियंत्रित करने वाला थ्रेसर मॉडल तैयार किया है। यह नवाचार किसानों को धूल से होने वाली श्वसन संबंधी परेशानियों से बचाने में मदद करता है और खेत-खलिहान में काम करने वाले लोगों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन सकता है।

उत्तर प्रदेश की बेटी पूजा पाल
उत्तर प्रदेश की बेटी पूजा पाल
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 01:28 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो गांव की मिट्टी से निकलकर देश के मंच तक पहुंची प्रतिभा का भरोसा बढ़ाती है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के अगेहरा गांव की 8वीं कक्षा की छात्रा और बाल वैज्ञानिक पूजा पाल को किसानों के हित में विकसित किए गए धूल-रहित थ्रेसर मॉडल के लिए प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पूजा को यह पुरस्कार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में 26 दिसंबर को प्रदान किया जाएगा। खबर सामने आते ही उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में परिवार से लेकर गांव और जिले तक उत्साह का माहौल है। पूजा पाल ने फसल की मड़ाई के दौरान उठने वाली धूल को नियंत्रित करने वाला थ्रेसर मॉडल तैयार किया है। यह नवाचार किसानों को धूल से होने वाली श्वसन संबंधी परेशानियों से बचाने में मदद करता है और खेत-खलिहान में काम करने वाले लोगों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन सकता है।

उत्तर प्रदेश का गौरव बनी बाराबंकी की बेटी

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के छोटे से गांव अगेहरा से निकली पूजा पाल ने अपनी लगन और नवोन्मेषी सोच से यह साबित कर दिया कि सपनों की ऊंचाई संसाधनों से नहीं, हौसले से नापी जाती है। अपने इनोवेशन के जरिए पूजा पहले भी पहचान हासिल कर चुकी हैं, और अब प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार की उपलब्धि ने उन्हें उत्तर प्रदेश की बेटियों के लिए एक नई प्रेरक मिसाल बना दिया है। जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी के अनुसार, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद तहसील सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के ग्राम अगेहरा की रहने वाली पूजा पाल को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। गांव की मिट्टी से उठी यह सफलता की कहानी आज पूरे यूपी को यह संदेश दे रही है कि मेहनत और आइडिया मिल जाएं, तो मंज़िलें खुद रास्ता दे देती हैं।

धूल-रहित थ्रेसर कैसे बना पहचान

उत्तर प्रदेश की बाल वैज्ञानिक पूजा पाल तब सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने किसानों की सेहत को केंद्र में रखकर धूल-रहित थ्रेसर का मॉडल तैयार किया। खेतों में मड़ाई के दौरान उड़ने वाली धूल अक्सर मजदूरों और किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन जाती है आंखों में जलन, सांस फूलना और समय के साथ फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। पूजा का मॉडल इसी जोखिम को कम करने का व्यावहारिक रास्ता दिखाता है, जिससे खेत-खलिहान में काम करने वाले लोगों को ज्यादा सुरक्षित माहौल मिल सकता है। बताया जाता है कि 7वीं कक्षा में ही पूजा ने राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में अपना यह मॉडल प्रस्तुत किया था, जहां उनके नवाचार को उपयोगी और प्रभावशाली मानते हुए सराहना मिली। यह उपलब्धि दिखाती है कि यूपी की नई पीढ़ी अब सिर्फ सपने नहीं देख रही, बल्कि खेती और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर समाधान भी गढ़ रही है।

मजदूर पिता, रसोइया मां… फिर भी हौसला ऊंचा

उत्तर प्रदेश के एक सामान्य ग्रामीण परिवार से आने वाली पूजा पाल की कहानी संघर्ष और संकल्प का आईना है। सीमित संसाधनों के बीच उनके पिता पुत्ती लाल मजदूरी कर घर चलाते हैं, जबकि मां सुनीला देवी सरकारी स्कूल में रसोइया के तौर पर काम करती हैं। पूजा अपने घर में तीन बहनों और दो भाइयों के साथ रहती हैं जहां सपनों की पूंजी बड़े साधन नहीं, परिवार की मेहनत और बेटी की लगन रही। परिवार लंबे समय तक छप्परनुमा घर में रहा, लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की स्वीकृति मिलना उनके लिए नई शुरुआत जैसा है। बाराबंकी के इस घर से उठी पूजा की उड़ान बताती है कि यूपी की मिट्टी में मेहनत की जड़ें जितनी गहरी हों, सफलता की छांव उतनी ही बड़ी होती है।

जापान तक पहुंचा उत्तर प्रदेश की बेटी का इनोवेशन

पूजा पाल के इस नवाचार ने उन्हें न सिर्फ उत्तर प्रदेश और देश में पहचान नहीं दिलाई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचने का रास्ता भी खोल दिया। जानकारी के मुताबिक, पूजा को जापान समेत विदेशों में भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला, जहां उनके मॉडल ने सबका ध्यान खींचा। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें बाल वैज्ञानिक के तौर पर सम्मानित कर चुकी है और एक लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जा चुकी है। प्रशासन ने भी पूजा की उपलब्धि को मिशन शक्ति के तहत महिला सशक्तिकरण अभियान से जोड़ते हुए उन्हें जिले में रोल मॉडल के रूप में चिन्हित किया है। पूजा का कहना है कि अगर मेहनत में निरंतरता हो और सोच को सही दिशा मिले, तो छोटा सा गांव भी बड़ी पहचान की शुरुआत बन जाता है और यही संदेश आज बाराबंकी से पूरे उत्तर प्रदेश तक गूंज रहा है। UP News

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उत्तर प्रदेश में घरौनी कानून का रास्ता साफ, गांव में घर बनाना होगा सरल

इसका सीधा फायदा यह होगा कि होम लोन/निर्माण ऋण, नामांतरण, खरीद-बिक्री और संपत्ति प्रबंधन की प्रक्रिया सरल होगी। सरकार का दावा है कि इससे गांवों में निवेश और निर्माण गतिविधियां बढ़ेंगी, योजनाबद्ध विकास को रफ्तार मिलेगी और ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकेंगे।

योगी
सीएम योगी
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userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 01:08 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में गांवों की संपत्तियों से जुड़े दशकों पुराने झगड़ों पर अब “कानूनी ताला” लगाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक–2025 पेश कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का संकेत दिया है। इस कानून के लागू होते ही गांवों में बनी ‘घरौनी’ को स्थायी कानूनी पहचान मिलेगी यानी अब ग्रामीण परिवारों की संपत्ति सिर्फ कागज़ नहीं, बैंक के भरोसे वाली वैध संपत्ति बनेगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि होम लोन/निर्माण ऋण, नामांतरण, खरीद-बिक्री और संपत्ति प्रबंधन की प्रक्रिया सरल होगी। सरकार का दावा है कि इससे गांवों में निवेश और निर्माण गतिविधियां बढ़ेंगी, योजनाबद्ध विकास को रफ्तार मिलेगी और ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकेंगे।

ड्रोन सर्वे से तैयार ‘घरौनी’ को मिलेगा वैधानिक संरक्षण

केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वे से तैयार की गई ‘घरौनी’ अब उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि कानूनी ताकत बनने जा रही है। प्रस्तावित विधेयक के जरिए घरौनी के संरक्षण, नियमित अपडेट और उसके कानूनी प्रबंधन का साफ ढांचा तय किया गया है, ताकि दस्तावेज़ की वैधता और भरोसे पर कोई सवाल न रहे। इसका सबसे बड़ा फायदा गांव के उन परिवारों को मिलेगा, जिन्हें पहली बार अपनी आबादी की जमीन और मकान का पक्का प्रमाणपत्र मिलेगा और यही प्रमाणपत्र आगे चलकर बैंक लोन, निर्माण, नामांतरण और संपत्ति के सुरक्षित लेन-देन का रास्ता खोलेगा। सरकार के मुताबिक यह पहल ग्रामीण संपत्ति को “कागज़ से अधिकार” में बदलकर आर्थिक सशक्तिकरण की मजबूत नींव रखेगी।

बैंक लोन, कर निर्धारण और पंचायत योजनाएं सब होगा आसान

उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि घरौनी मिलते ही ग्रामीणों की संपत्ति पहली बार आर्थिक ताकत में बदल सकेगी क्योंकि इसी दस्तावेज के आधार पर वे बैंक से ऋण लेकर घर निर्माण, व्यवसाय या खेती-किसानी में निवेश कर पाएंगे। साथ ही संपत्ति कर का निर्धारण अधिक तर्कसंगत होगा, भूमि रिकॉर्ड की शुद्धता बढ़ेगी और ग्राम पंचायतों की विकास योजनाएं “अनुमान” नहीं, बल्कि सटीक डेटा पर तैयार होंगी। जीआईएस आधारित आबादी मानचित्र गांव की गलियों से लेकर बस्तियों की सीमाओं तक स्पष्ट तस्वीर देंगे, जिससे सड़क, नाली, बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं की प्लानिंग ज्यादा पारदर्शी, सरल और भरोसेमंद बन सकेगी।

प्रदेश भर में ड्रोन सर्वे पूरा

स्वामित्व योजना पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच हुए एमओयू के बाद राज्य में 1,10,344 गांव अधिसूचित किए गए हैं। गैर-आबाद गांवों को छोड़ दें तो 90,573 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है। सरकार के मुताबिक 9 मई 2025 तक लगभग 1.06 करोड़ घरौनियां तैयार की गईं और इनमें से 1.01 करोड़ से ज्यादा घरौनियां ग्रामीणों के हाथों तक पहुंच चुकी हैं जो योजना की व्यापकता और तेज़ अमल दोनों को रेखांकित करता है। हालांकि अब तक घरौनी में विरासत, उत्तराधिकार, बिक्री या अन्य कारणों से नाम बदलने/संशोधन को लेकर स्पष्ट नियम नहीं थे, जिससे कई जगह उलझन और विवाद की गुंजाइश बनी रहती थी। प्रस्तावित विधेयक इसी खालीपन को भरने जा रहा है अब नामांतरण और संशोधन की तय प्रक्रिया होगी, जिससे रिकॉर्ड समय पर अपडेट रहेंगे और गांवों में संपत्ति विवादों पर भी प्रभावी लगाम लगेगी।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण आबादी का आधिकारिक रिकॉर्ड अब ‘घरौनी’ के नाम से पहचाना जाएगा, जिसमें स्वामी का नाम-पता, भूखंड का विवरण, क्षेत्रफल, रेखाचित्र और स्थानिक (लोकेशन) जानकारी दर्ज होगी। किसी भी गांव की सभी घरौनियों का एक व्यवस्थित संकलन ‘घरौनी रजिस्टर’ में रखा जाएगा और इसके साथ अलग से आबादी मानचित्र भी तैयार होगा, ताकि जमीन-सीमा और बस्ती का रिकॉर्ड पूरी तरह स्पष्ट रहे। विधेयक में सर्वेक्षण अधिकारी, अभिलेख अधिकारी और अधिसूचना जारी करने तक की पूरी प्रक्रिया भी तय की जा रही है यानी रिकॉर्ड बनाने से लेकर उसे वैध रूप देने तक की चेन अब नियमों के दायरे में होगी। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में संपत्ति विवाद घटेंगे, अभिलेखों में पारदर्शिता आएगी और कराधान व्यवस्था ज्यादा प्रभावी बनेगी। योगी सरकार इसे ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के लिए दूरगामी और ऐतिहासिक सुधार बता रही है, जो उत्तर प्रदेश के गांवों को योजनाबद्ध विकास और आर्थिक मजबूती की दिशा में आगे बढ़ाएगा। UP News

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पूर्वांचल को मिलेगा हाई-स्पीड बूस्ट: गोरखपुर–पानीपत एक्सप्रेसवे प्रगति पर

माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेसवे यूपी के पूर्वांचल को राष्ट्रीय हाईवे नेटवर्क से सीधे जोड़कर व्यापार, आवागमन और निवेश के नए रास्ते खोलेगा और क्षेत्र के विकास को एक नई दिशा देगा।

गोरखपुर–पानीपत एक्सप्रेसवे
गोरखपुर–पानीपत एक्सप्रेसवे
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 12:13 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की कनेक्टिविटी को नई रफ्तार देने वाली एक और मेगा सड़क परियोजना अब कागज से निकलकर जमीन पर उतरने की ओर बढ़ गई है। 747 किमी लंबे पानीपत–गोरखपुर एक्सप्रेसवे के लिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बस्ती मंडल के 133 से अधिक गांवों में भूमि अधिग्रहण की शुरुआती तैयारी शुरू कर दी गई है। एनएचएआई ने इस संबंध में चार जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया तेज़ करने को कहा है। माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेसवे यूपी के पूर्वांचल को राष्ट्रीय हाईवे नेटवर्क से सीधे जोड़कर व्यापार, आवागमन और निवेश के नए रास्ते खोलेगा और क्षेत्र के विकास को एक नई दिशा देगा।

यूपी में कहां से गुजरेगा एक्सप्रेसवे?

प्रस्तावित अलाइनमेंट के मुताबिक यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में सिद्धार्थनगर के बांसी इलाके से एंट्री करेगा और फिर संतकबीरनगर के मेंहदावल, गोरखपुर के सदर व कैंपियरगंज और कुशीनगर के हाटा से गुजरते हुए आगे बढ़ेगा। अधिकारियों के अनुसार गोरखपुर मंडल में इसकी कुल लंबाई करीब 86.24 किमी रखी गई है। एनएचएआई की टीम ने गोरखपुर–बस्ती मंडल में रूट फाइनल करने के लिए अलाइनमेंट आधारित सर्वे शुरू कर दिया है, जिसमें गांवों और दूरी का प्राथमिक खाका भी सामने आया है। शुरुआती आकलन के मुताबिक बांसी क्षेत्र में 37 गांवों में लगभग 16.69 किमी, मेंहदावल में 29 गांवों में करीब 22.5 किमी, गोरखपुर सदर व कैंपियरगंज में 46 गांवों में लगभग 34.22 किमी और हाटा क्षेत्र में 21 गांवों में करीब 12.8 किमी का हिस्सा प्रस्तावित है। संकेत हैं कि यह कॉरिडोर यूपी के पूर्वांचल में आवागमन, व्यापार और निवेश के लिए एक नया “फास्ट ट्रैक” खोल सकता है।

पूर्वांचल को “लॉजिस्टिक ताकत” देने की तैयारी

यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के लिए सिर्फ एक नई सड़क नहीं, बल्कि पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था को हाई-स्पीड देने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर दांव माना जा रहा है। एक्सप्रेसवे के जरिए गोरखपुर, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर और कुशीनगर जैसे जिलों को लंबी दूरी की तेज़ और निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे माल ढुलाई का समय और लागत दोनों घटने की उम्मीद है। इसका सीधा फायदा कृषि उत्पादों के तेज़ परिवहन, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के विस्तार, और औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने में दिख सकता है। माना जा रहा है कि बेहतर कनेक्टिविटी के साथ गोदाम, ट्रांसपोर्ट हब, सर्विस सेक्टर और निर्माण गतिविधियां भी बढ़ेंगी यानी रोजगार के नए अवसर पूर्वांचल के गांवों-कस्बों तक पहुंच सकते हैं।

हाईवे क्रॉसिंग और तकनीकी पॉइंट्स

प्रस्तावित लेआउट के अनुसार यह एक्सप्रेसवे नयनसर क्षेत्र के पास गोरखपुर–सोनौली हाईवे को क्रॉस करेगा, जिससे उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मौजूदा सड़क नेटवर्क के साथ इसकी सीधी कड़ी बनेगी। वहीं संतकबीरनगर–गोरखपुर की सीमा पर कुछ हिस्सों में जिला-सीमा की वजह से मीटर और किलोमीटर के छोटे-छोटे पैच शामिल किए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पूरा रूट तकनीकी मानकों, सुरक्षा और डिज़ाइन अलाइनमेंट के अनुरूप रहे। यह सूक्ष्म योजना बताती है कि एक्सप्रेसवे को सिर्फ दूरी नहीं, बल्कि यूपी की जमीनी हकीकत और प्रशासनिक सीमाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है।

अधिग्रहण अधिकारी जल्द नामित होंगे - डीएम

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रशासनिक स्तर पर इस परियोजना को लेकर तैयारियां तेज़ होती दिख रही हैं। जिलाधिकारी दीपक मीणा के मुताबिक एक्सप्रेसवे का अलाइनमेंट तय कर लिया गया है और यह रूट जिले के 46 गांवों से गुजरते हुए आगे बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि एनएचएआई के प्रस्ताव के आधार पर जल्द ही भूमि अधिग्रहण अधिकारी की नियुक्ति कर दी जाएगी, ताकि अधिग्रहण की प्रक्रिया को निर्धारित समय-सीमा में आगे बढ़ाया जा सके। प्रशासन का संकेत साफ है गोरखपुर सेक्शन में काम अब योजना से निकलकर क्रियान्वयन के चरण में प्रवेश कर रहा है।

किन इलाकों में भू-अधिग्रहण की तैयारी?

अधिसूचना के दायरे में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के कई प्रमुख इलाकों के गांव आ गए हैं। सूची के मुताबिक गोरखपुर के कैंपियरगंज और सदर तहसील, सिद्धार्थनगर के बांसी, संतकबीरनगर के मेंहदावल और कुशीनगर के हाटा क्षेत्र के गांवों को चिन्हित किया गया है। यानी यह कॉरिडोर पूर्वांचल की कई तहसीलों और गांवों से होकर गुजरेगा, जहां भूमि अधिग्रहण की औपचारिक प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाई जाएगी।

यूपी एंगल (स्मार्ट) इस प्रोजेक्ट का मतलब क्या है?

यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को हरियाणा के औद्योगिक बेल्ट से जोड़ने वाला एक लंबा और रणनीतिक कॉरिडोर बनने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के जिन-जिन जिलों से यह गुजरने का प्रस्ताव है, वहां भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के बाद मुआवजा वितरण, सर्विस रोड, इंटरचेंज और सहायक सड़क नेटवर्क के जरिए विकास की नई परतें खुल सकती हैं। साथ ही एक्सप्रेसवे के आसपास ट्रांसपोर्ट-हब, गोदाम, ढाबे, पेट्रोल पंप, छोटे बाजार और सर्विस सेक्टर जैसी गतिविधियों के फैलने की संभावना भी बढ़ेगी। UP News

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