उत्तर प्रदेश 2025: विकास, राजनीति और जनजीवन - क्या बदला, क्या बिगड़ा?

सरकार विकास और कानून-व्यवस्था को लेकर आत्मविश्वास में दिखी, वहीं आम जनता रोजगार, महंगाई और सामाजिक संतुलन को लेकर सवाल पूछती रही।

उत्तर प्रदेश 2025 रिपोर्ट कार्ड
उत्तर प्रदेश 2025 रिपोर्ट कार्ड
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar31 Dec 2025 01:05 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के लिए वर्ष 2025 सिर्फ कैलेंडर का एक पन्ना नहीं था, बल्कि यह उम्मीदों, फैसलों और असंतोष का साल रहा। सरकार विकास और कानून-व्यवस्था को लेकर आत्मविश्वास में दिखी, वहीं आम जनता रोजगार, महंगाई और सामाजिक संतुलन को लेकर सवाल पूछती रही।

2025 में उत्तर प्रदेश ने क्या पाया?

इंफ्रास्ट्रक्चर की रफ्तार

  • एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और मेट्रो परियोजनाओं ने विकास की तस्वीर बदली
  • नोएडा, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, वाराणसी और अयोध्या में निर्माण कार्य तेज
  • पर्यटन और निवेश को मिला बढ़ावा

यूपी अब सिर्फ “बड़ा राज्य” नहीं, बल्कि “तेज़ी से बढ़ता राज्य” बनने की ओर बढ़ा।

राजनीतिक स्थिरता

  • सरकार ने निर्णय लेने में सख्ती दिखाई
  • संगठनात्मक मजबूती और प्रशासनिक नियंत्रण

राजनीतिक स्थिरता ने नीतियों को लागू करने में सहूलियत दी।

शिक्षा और स्वास्थ्य में विस्तार

  • डिजिटल शिक्षा की पहुंच गांवों तक
  • नए मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य योजनाएं

बुनियादी ढांचे में सुधार की कोशिशें साफ नजर आईं।

2025 में उत्तर प्रदेश ने क्या खोया?

रोजगार का भरोसा

  • रोजगार के दावों के बावजूद युवाओं की चिंता बनी रही
  • भर्ती प्रक्रियाएं और परीक्षाएं विवादों में

आंकड़ों से आगे, नौकरी की ज़मीनी सच्चाई ने निराश किया।

कानून-व्यवस्था पर सवाल

  • अपराध पर सख्ती, लेकिन निष्पक्षता पर बहस
  • आम नागरिकों में भय और असंतोष

सख्ती के साथ संवेदनशीलता की कमी महसूस हुई।

सामाजिक सौहार्द

  • सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों में बढ़ोतरी
  • समाज में बढ़ता ध्रुवीकरण

पहचान मजबूत हुई, पर आपसी दूरी भी बढ़ी। UP News


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‘पूजा करना गलत’ नुसरत भरूचा के मंदिर दर्शन पर मौलाना रजवी ने जताई आपत्ति

कुछ लोगों ने इसे व्यक्ति की निजी आस्था और पसंद का मामला कहा, तो कुछ ने धार्मिक मर्यादाओं का सवाल उठाया। अब बरेली, उत्तर प्रदेश से आया यह बयान चर्चा को केवल एक सेलिब्रिटी विज़िट तक सीमित नहीं रहने दे रहा, बल्कि पहचान, आस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस के केंद्र में ला खड़ा कर रहा है।

‘पूजा करना गलत’ मौलाना रजवी की टिप्पणी से गरमाई बहस
‘पूजा करना गलत’ मौलाना रजवी की टिप्पणी से गरमाई बहस
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar31 Dec 2025 12:03 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के बरेली से उठी एक टिप्पणी ने फिर से सियासी-धार्मिक बहस को हवा दे दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत भरूचा के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन पर आपत्ति जताते हुए इसे शरिया और इस्लामी सिद्धांतों के विपरीत बताया। विवाद की चिंगारी तब भड़की जब महाकाल मंदिर में नुसरत की मौजूदगी, जलाभिषेक और पूजा से जुड़ी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इसके बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब उमड़ पड़ा कुछ लोगों ने इसे व्यक्ति की निजी आस्था और पसंद का मामला कहा, तो कुछ ने धार्मिक मर्यादाओं का सवाल उठाया। अब बरेली, उत्तर प्रदेश से आया यह बयान चर्चा को केवल एक सेलिब्रिटी विज़िट तक सीमित नहीं रहने दे रहा, बल्कि पहचान, आस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस के केंद्र में ला खड़ा कर रहा है।

“इस्तगफ़ार और कलमा पढ़ने” की बात कही

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपने बयान में नुसरत भरूचा के महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन को लेकर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि अभिनेत्री का मंदिर जाकर पूजा करना और जल चढ़ाना शरिया की कसौटी पर “गलत” है। मौलाना ने आगे यह भी कहा कि नुसरत को अपने इस कदम पर पछतावा जताते हुए इस्तगफ़ार करना चाहिए और कलमा पढ़ना चाहिए। उनका तर्क है कि इस तरह की धार्मिक रस्मों में हिस्सा लेना “इस्लामिक उसूलों” के अनुरूप नहीं माना जा सकता। बयान सामने आते ही मामला फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर समर्थन-विरोध की बहस तेज हो गई है।

बरेली से पहले भी आ चुके हैं ऐसे बयान

उत्तर प्रदेश के बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी पहले भी अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं और इस बार भी उनकी टिप्पणी ने नई बहस छेड़ दी है। नुसरत भरूचा के मामले से पहले उन्होंने नए साल के जश्न को लेकर मुस्लिम समाज से अपील की थी कि 31 दिसंबर/1 जनवरी की रात होने वाले उत्सव को “यूरोपीय संस्कृति” की नकल समझकर न मनाया जाए। मौलाना ने इसे फिजूलखर्ची और दिखावे से जोड़ते हुए कहा था कि शरीयत की रोशनी में ऐसे आयोजनों को उचित नहीं माना जाता। बरेली, उत्तर प्रदेश से आई यह अपील भी सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा में रही, जहां कुछ लोगों ने इसे धार्मिक अनुशासन की सलाह बताया तो कुछ ने इसे निजी पसंद-नापसंद पर टिप्पणी करार दिया।

सोशल मीडिया पर बहस जारी

नुसरत भरूचा के महाकाल मंदिर दर्शन और बरेली से आए बयान दोनों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस जारी है। एक पक्ष इसे व्यक्ति की निजी आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इसे धार्मिक नियमों के नजरिए से परख रहा है। फिलहाल, इस पूरे विवाद पर अभिनेत्री की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। UP News

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नाम हट गया? घबराएं नहीं पंचायत चुनाव से पहले ऐसे बचाएं अपना वोट

ऐसे में अगर आपका नाम कट गया है या सत्यापन से जुड़ा नोटिस मिला है, तो घबराइए नहीं उत्तर प्रदेश में तय प्रक्रिया के तहत सही प्रपत्र (फॉर्म) भरकर और जरूरी दस्तावेज लगाकर आप अपना नाम दोबारा सूची में जुड़वा सकते हैं।

पंचायत चुनाव से पहले वोटर लिस्ट अपडेट बना बड़ा मुद्दा
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले वोटर लिस्ट अपडेट बना बड़ा मुद्दा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar31 Dec 2025 11:04 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही मतदाता सूची सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है। अनंतिम सूची जारी होते ही सूबे के कई जिलों में तहसील, ब्लॉक कार्यालय और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण केंद्रों पर दावा-आपत्ति दर्ज कराने वालों की लंबी कतारें दिखीं। वजह भी साफ है कई जगहों से शिकायतें आई हैं कि जिनका नाम पिछली मतदाता सूची में था, उनका नाम इस बार अनंतिम सूची से गायब हो गया। ऐसे में अगर आपका नाम कट गया है या सत्यापन से जुड़ा नोटिस मिला है, तो घबराइए नहीं उत्तर प्रदेश में तय प्रक्रिया के तहत सही प्रपत्र (फॉर्म) भरकर और जरूरी दस्तावेज लगाकर आप अपना नाम दोबारा सूची में जुड़वा सकते हैं। बस देरी न करें, क्योंकि मतदाता सूची में नाम ही पंचायत चुनाव में आपकी भागीदारी की पहली शर्त है।

उत्तर प्रदेश में अनंतिम मतदाता सूची पर आपत्ति का अलर्ट मोड

उत्तर प्रदेश में राज्य निर्वाचन व्यवस्था के तहत 23 दिसंबर को त्रिस्तरीय पंचायतों की अनंतिम मतदाता सूची और विलोपित (कटे) मतदाताओं की सूची सार्वजनिक की गई। यह प्रकाशन मतदाता केंद्रों से लेकर क्षेत्र पंचायत कार्यालय, तहसील कार्यालय, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) कार्यालय और उप जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय तक, सभी निर्धारित स्थानों पर किया गया। इसके साथ ही आपत्तियां दर्ज कराने की समयसीमा 30 दिसंबर तक तय रही। नाम जोड़ने, सुधार कराने या कटे नाम को दोबारा शामिल कराने के लिए मतदाताओं को अपनी जरूरत के मुताबिक प्रपत्र-2, 3 या 4 भरकर संबंधित कार्यालय में जमा करना था। समयसीमा नजदीक आते ही कई जिलों में हालात ऐसे बने कि फॉर्म लेने और जमा करने वालों की लंबी कतारें लग गईं और पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर सूबे में काफ़ी हलचल साफ नजर आई।

नाम गायब होने से गांवों में बढ़ी चिंता

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर चिंता बढ़ाने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। वाराणसी (बनारस) के चिरईगांव क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम अनंतिम सूची से गायब बताए जा रहे हैं। शिकायतों के मुताबिक ग्राम पंचायत जाल्हूपुर में करीब 400, तोफापुर में 450, पूरनपट्टी में 175, तरयां में 150 और बीकापुर में लगभग 125 मतदाताओं के नाम पिछली सूची में दर्ज थे, लेकिन इस बार अनंतिम सूची में नहीं दिख रहे। यह मामला सिर्फ एक इलाके तक सीमित नहीं है सूबे के कई गांवों और ब्लॉकों से भी इसी तरह की शिकायतें सामने आने लगी हैं, जिससे चुनावी भागीदारी की तैयारी कर रहे लोगों के साथ-साथ आम मतदाताओं की बेचैनी बढ़ी है। हालांकि प्रशासन का कहना है कि पात्र मतदाताओं का नाम गलत तरीके से नहीं कटेगा। ऐसे मामलों में प्रभावित मतदाता अपने BLO या ब्लॉक कार्यालय में उचित प्रपत्र के साथ जरूरी दस्तावेज जमा कराकर नाम सुधार/पुनः दर्ज करा सकते हैं।

अगर वोटर लिस्ट से नाम कट जाए तो क्या करें?

उत्तर प्रदेश में अगर अनंतिम मतदाता सूची में आपका नाम कट गया है या गायब दिख रहा है, तो घबराइए नहीं बस ये 5 काम तुरंत कर लें। सबसे पहले अपने मतदान केंद्र की अनंतिम सूची में नाम जरूर जांचें। यह सूची आमतौर पर मतदाता केंद्र, ब्लॉक कार्यालय, तहसील, ERO (निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी) कार्यालय पर उपलब्ध रहती है। अगर नाम नहीं मिलता, तो अपनी स्थिति के मुताबिक प्रपत्र-2, 3 या 4 में से सही फॉर्म भरें और उसके साथ जरूरी सपोर्टिंग दस्तावेज (पहचान/पता/अन्य प्रमाण) जरूर लगाएं। इसके बाद फॉर्म BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) के पास या ब्लॉक कार्यालय/तहसील में जमा करें और सबसे अहम बात, जमा करते ही रसीद/प्राप्ति प्रमाण लेना न भूलें, क्योंकि यही आपका रिकॉर्ड होगा। प्रशासन के मुताबिक दावा-आपत्ति का निस्तारण 7 जनवरी तक किए जाने की प्रक्रिया है—इसलिए तय तारीख के बाद फिर से सूची चेक करके कन्फर्म कर लें कि आपका नाम अपडेट होकर जुड़ गया है।

जवाब देने के लिए उम्र/जन्म से जुड़े दस्तावेज तैयार रखें

अगर आपको मतदाता सूची सत्यापन से जुड़ा नोटिस मिला है, तो घबराने की जरूरत नहीं उत्तर प्रदेश में दस्तावेजों की मांग अक्सर आपकी जन्म-तिथि/जन्म-स्थान की श्रेणी के आधार पर तय होती है। नियम साफ है: आप किस दौर में पैदा हुए हैं, उसी हिसाब से आपसे प्रमाण मांगे जा सकते हैं।

(1) 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे मतदाता - यदि आपका नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है, तो आपको अपनी जन्म-तिथि या जन्म-स्थान साबित करने के लिए सरकार द्वारा मान्य दस्तावेजों में से कोई एक प्रमाण देना होगा।

(2) 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाता- इस श्रेणी में आपको अपना और माता/पिता में से किसी एक का जन्म-तिथि/जन्म-स्थान प्रमाणित करने वाले दस्तावेज लगाने पड़ सकते हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि यदि मां या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज है, तो आम तौर पर अलग से अतिरिक्त कागज़ात नहीं मांगे जाते ।

(3) 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाता- इन मतदाताओं से सामान्यतः अपना जन्म प्रमाण पत्र/जन्म से जुड़ा वैध प्रमाण और साथ में माता या पिता में से एक के जन्म-तिथि/जन्म-स्थान से संबंधित दस्तावेज मांगे जा सकते हैं। यहां भी वही छूट लागू होती है यदि माता या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज है, तो कई मामलों में उसी को साक्ष्य मानकर अतिरिक्त दस्तावेजों से राहत मिल सकती है।

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव: ये दस्तावेज मान्य माने जा सकते हैं

मतदाता सत्यापन, नाम जोड़ने या हटाने जैसी प्रक्रियाओं में जब पहचान/जन्म/निवास से जुड़े प्रमाण मांगे जाते हैं, तो आमतौर पर मान्य दस्तावेजों की एक तय सूची मानी जाती है। इनमें सबसे भरोसेमंद वे कागज़ात होते हैं जो किसी सरकारी/अर्ध-सरकारी संस्था या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए हों। उदाहरण के तौर पर केंद्रीय/राज्य सरकार या पीएसयू के नियमित कर्मचारी/पेंशनभोगी का आईडी कार्ड या पेंशन भुगतान आदेश (PPO), तथा सरकार, स्थानीय निकाय, बैंक, डाकघर, LIC या पीएसयू की ओर से 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई पहचान पत्र/प्रमाण पत्र भी स्वीकार्य माने जाते हैं। इसी तरह जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मान्यता प्राप्त बोर्ड का मैट्रिकुलेशन/शैक्षिक प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, और सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी OBC/SC-ST/जाति प्रमाण पत्र भी मान्य सूची में शामिल बताए जाते हैं। कई मामलों में परिवार रजिस्टर की प्रति और सरकार से आवंटित भूमि/मकान का प्रमाण पत्र भी मजबूत साक्ष्य के तौर पर काम आते हैं

पंचायत चुनाव से पहले क्यों जरूरी है सतर्कता

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची का सुधार अभियान सिर्फ औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आपके मताधिकार की “फाइनल एंट्री” है। अगर सूची में आपका नाम नहीं रहा, तो न सिर्फ वोट डालने का अधिकार प्रभावित होगा, बल्कि चुनावी माहौल में समर्थन जुटाने, दावेदारी मजबूत करने और कई जरूरी कदम भी बीच रास्ते अटक सकते हैं। इसलिए लापरवाही की बिल्कुल गुंजाइश नहीं अपने दस्तावेज पहले से तैयार रखें, समय रहते BLO/ब्लॉक कार्यालय में सही फॉर्म जमा करें, और जमा करते ही रसीद/प्राप्ति प्रमाण लेना न भूलें। इसके बाद जब दावा-आपत्ति का निस्तारण हो जाए, तो अंतिम सूची जारी होते ही अपना नाम दोबारा जरूर चेक करें क्योंकि यही छोटा-सा कदम चुनाव के दिन आपकी आवाज़ और अधिकार दोनों को सुरक्षित करता है। UP News

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