Saturday, 23 November 2024

Sawan Special: क्या है शिव साधना में सोमवार का महत्व?

Sawan Special – देखते ही देखते सावन (sawan) मास का अंतिम सोमवार भी आ ही गया। वैसे तो संपूर्ण श्रावण…

Sawan Special: क्या है शिव साधना में सोमवार का महत्व?

Sawan Special – देखते ही देखते सावन (sawan) मास का अंतिम सोमवार भी आ ही गया। वैसे तो संपूर्ण श्रावण मास ही शिव आराधना को समर्पित होता है पर सोमवार का दिन शिव पूजन के लिए अति उत्तम माना गया है। केवल सावन में ही नही अपितु किसी भी सोमवार को शिव का ध्यान करने से लोगों के बिगड़े काम बन जाते है, सुख समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आखिर ऐसा क्या खास होता है सोमवार को? आइए जानते हैं…

शिव पुराण में वर्णन है की सृष्टि के प्रारंभ में चंद्रमा का प्रकाश हर रात पूर्ण गोलाकार में नजर आता था। सभी रात पूर्णिमा समान हुआ करती थी, किंतु अपनी पत्नियों में पक्षपात करने के कारण उनके पिता प्रजापति दक्ष ने चंद्र देव को क्षय होने का श्राप दे दिया था। श्राप से मुक्ति हेतु ब्रह्मदेव ने चंद्रमा को शिव की तपस्या का उपाय बताया।

चंद्रमा ने एक विशेष स्थान पर कठोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ वहां प्रकट हुए। चंद्रमा ने गलती तो की थी इसलिए भगवान शिव उन्हें पूर्णतः श्रापमुक्त नही कर सकते थे लेकिन अपने शीश पर स्थान देकर चंद्रमा को पुनः उदय होने का अवसर जरूर प्रदान कर सकते थे।

तभी से सभी मासों के कृष्ण पक्ष में दक्ष के श्राप के प्रभाव से चंद्रमा का आकार निरंतर घटता है और अंततः अमावस्या में वे अदृश्य हो जाते हैं जिसके पश्चात शुक्ला पक्ष में शिव के वरदान के कारण उनका आकार फिर से बढ़ता है और पूर्णिमा को संपूर्ण रूप में नजर आते हैं।

तो क्या है सोमवार की अहमियत?

इस कथा में यह तथ्य काम ज्ञात है की चंद्रमा का ही एक नाम ‘सोम’ भी है। उन्हे अपने शीश पर स्थान देने के कारण शिव को ‘चंद्रशेखर’ के नाम से भी जाना जाता है। जिस स्थान पर चंद्रमा ने तप किया, वह ‘सोमनाथ’ के नाम से प्रसिद्ध एक ज्योतिर्लिंग भी है। और ‘सोम’ के वार सोमवार को शिव अपने भक्तों की प्रार्थना जरूर स्वीकार करते हैं। यही कारण है कि मनुष्य श्रेणी में जन्मी देवी पार्वती ने शिव के योग्य होने के लिए सोलह सोमवार कठोर व्रत किया जो आज भी विवाह संबंधी बाधाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय माना जाता है।

सावन (sawan) के सोमवार जरूर अंत हो रहे हैं परंतु आने वाले अनेकों सोमवार में भगवान शिव को याद करना उतना ही लाभकारी हो सकता है। भोले भंडारी सदैव भक्तों का उद्धार करते हैं और उनको प्रसन्न करना तो बहुत सरल है क्योंकि उनकी आराधना में कोई नियम अनिवार्य नही है।

जिनको ना सम्मान का मोह है और ना अपमान का भय, उनपर सादा जल भी सच्ची निष्ठा से अर्पण किया जाए तो वे प्रसन्न अवश्य होते हैं। वो तो असुरों को भी वरदान दे देते हैं अगर साधना में श्रद्धा सच्ची हो तो। अच्छाई और बुराई में भेदभाव ना करके लगन और निष्ठा को देखने वाले हैं महादेव। जिनके आशीर्वाद से पापियों को भी सत्कर्म का मार्ग मिल जाए, वे सभी कष्टों का निवारण कर सकते हैं बस देर है तो सच्चे मन से पुकारने की।

Related Post