Thursday, 28 November 2024

Noida News : यूं ही कोई आरके सिंह से ‘राम किंकर’ नहीं हो जाता

Noida : नोएडा । कोई आरके सिंह यूं ही राम किंकर सिंह नहीं बन जाता है। ऐसा होने में सम्पूर्ण…

Noida News : यूं ही कोई आरके सिंह से ‘राम किंकर’ नहीं हो जाता

Noida : नोएडा । कोई आरके सिंह यूं ही राम किंकर सिंह नहीं बन जाता है। ऐसा होने में सम्पूर्ण समर्पण का भाव व शब्दों की व्यापक अभिव्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है। उक्त उद्गार मंगलवार (कल) की शाम को सेक्टर-6 स्थित एनईए के सभागार में सुनने को मिले। अवसर था पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आर.के. सिंह द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘दीपक जलाना ही भाता रहे’ के विमोचन समारोह का। इस विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि भारत सरकार में सचिव रहे अनिल स्वरूप थे। श्री स्वरूप स्वयं भी एक कवि व लेखक हैं। उनके साथ विकास पुरूष के नाम से प्रसिद्ध यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डा. अरूणवीर सिंह, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के सदस्य पूर्व आई.जी. आर.के. चतुर्वेदी, प्रसिद्ध पत्रकार विनोद अग्निहोत्री एवं एनईए के अध्यक्ष विपिन मल्हन का संबोधन विशेष रूप से उल्लेखनीय था।

‘दीपक जलाना ही भाता रहे’ काव्य संग्रह का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन समूह ने किया है। इस संग्रह में आर.के. सिंह द्वारा रचित कुल 75 कविताओं को संग्रहित किया गया है। दरअसल आर.के. सिंह का पूरा नाम राम किंकर सिंह है। उनका यह नाम साहित्यकार के रूप में ही उद्घाटित हुआ है। इसी नाम के इर्द-गिर्द विमोचन समारोह में संबोधन होते रहे। अधिकतर वक्ताओं का कथन था कि कविता कोई साधारण विषय नहीं है। कविता तो मानव चेतना की गहनतम अनुभूति और उसकी अत्यंत समर्थ प्रस्तुति होती है। इस क्षमता के लिए कवि को शब्द-यात्रा के जीवन अंतराल से गुजरना पड़ता है, जिन शब्दों के साथ जीवन प्रवाह के गहरे तादात्म्य जुड़ जाते हैं, वे कविता के लिए उतने ही सार्थक हो उठते हैं। वस्तुत: शब्द का अर्थ देना उतना कविता नहीं है, जितना जीवन के अर्थ को शब्द देना होता है।
वक्ताओं ने साफ कहा कि आर.के. सिंह से राम किंकर सिंह होने तक का सफर बेहद मुश्किलों भरा शानदार सफर रहा है।  इस विमोचन समारोह के अंत में समारोह में आए हुए तमाम अतिथियों व श्रोताओं का आभार चेतना मंच के संपादक आर.पी. रघुवंशी ने व्यक्त किया। जाने माने साहित्यकार अरविंद श्रीवास्तव ने काव्य संग्रह की व्यापक समीक्षा करके श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। समारोह का भावपूर्ण संचालन प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव ने किया। समारोह अपराहन 4.00 बजे शुरू होकर शाम 7.30 बजे तक चला।

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