आसमान छू रहा सोना-चांदी का ग्राफ, निवेशकों के लिए क्या है संकेत?

सोना और चांदी की कीमतों में भारी तेजी देखने को मिल रहा है। बीते 5 दिनों में सोना 5,744 रुपये और चांदी 32,000 रुपये महंगी हुई। यहां जानिए MCX और घरेलू मार्केट रेट, सोने-चांदी में निवेश के सही समय और तेजी के मुख्य कारण।

Gold silver rate update
सोना-चांदी में लगातार बढ़ोतरी
locationभारत
userअसमीना
calendar28 Dec 2025 02:32 PM
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सोना और चांदी की कीमतें साल 2025 के अंत में लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं। निवेशक और ज्वेलरी खरीदने वाले इस समय कीमतों पर पैनी नजर रखे हुए हैं। बीते पांच कारोबारी दिनों में 1 किलो चांदी का भाव 32,000 रुपये और 10 ग्राम सोने का भाव 5,744 रुपये बढ़ गया है। इस तेजी के पीछे अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कीमतों का बढ़ना, डॉलर की कमजोरी और इंडस्ट्रियल डिमांड जैसे कारण हैं।

चांदी ने निवेशकों को चौंकाया

इस सप्ताह चांदी ने निवेशकों को चौंका दिया। MCX वायदा कारोबार में 19 दिसंबर को 1 किलो चांदी 2,08,439 रुपये थी, जो शुक्रवार तक बढ़कर 2,40,935 रुपये पर पहुंच गई। यानी सिर्फ पांच कारोबारी दिनों में 32,496 रुपये की बढ़ोतरी हुई। इंडस्ट्रियल डिमांड और वैश्विक मार्केट की तेजी के कारण चांदी के रेट लगातार ऊपर जा रहे हैं। यह निवेशकों और ज्वेलर्स दोनों के लिए महत्वपूर्ण संकेत है कि चांदी में निवेश अभी लाभकारी साबित हो सकता है।

सोना भी नहीं रहा पीछे

सोना भी पीछे नहीं है। MCX पर 19 दिसंबर को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का रेट 1,34,196 रुपये था जो शुक्रवार तक बढ़कर 1,39,940 रुपये पर पहुंच गया। घरेलू मार्केट में भी यही रुझान देखने को मिला। IBJA के अनुसार 24 कैरेट सोना 19 दिसंबर को 1,31,779 रुपये प्रति 10 ग्राम था जबकि शुक्रवार को 1,37,956 रुपये पर बंद हुआ। अलग-अलग क्वालिटी के सोने के रेट भी हफ्तेभर में बढ़े हैं।

कैसा है सोने-चांदी का हाल?

IBJA के मुताबिक 19 दिसंबर को 1 किलो चांदी 2,00,067 रुपये थी जो शुक्रवार को बढ़कर 2,28,107 रुपये पर पहुंच गई। हफ्तेभर में यह 28,040 रुपये की बढ़ोतरी दर्शाती है। ज्वेलरी खरीदते समय सोने-चांदी के रेट में 3% GST और मेकिंग चार्ज भी जोड़ना पड़ता है जिससे कुल खर्च बढ़ जाता है।

सोना-चांदी में तेजी के पीछे कई कारण

सोना-चांदी में तेजी के पीछे कई कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में उछाल, अमेरिका में डॉलर की कमजोरी और FED Rate Cut की उम्मीदों ने निवेशकों को सुरक्षित संपत्ति की ओर मोड़ा है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल डिमांड, खासकर चांदी की उद्योग में जरूरत, और वैश्विक मार्केट में सप्लाई-डिमांड असंतुलन ने कीमतों को और बढ़ावा दिया है। इस समय सोना और चांदी में निवेशक और ज्वेलर्स दोनों को सावधानी बरतनी चाहिए। वर्तमान में यह तेजी निवेशकों के लिए लाभकारी हो सकती है लेकिन खरीदारी करते समय GST और मेकिंग चार्ज को ध्यान में रखना जरूरी है।

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लॉजिस्टिक्स सेक्टर की यह कंपनी लाएगी बड़ा पब्लिक इश्यू, जानिए पूरी डिटेल

Yatayat Corporation India IPO की पूरी जानकारी पढ़ें। कंपनी ने SEBI के पास DRHP जमा किया है। IPO का साइज, 77 लाख नए शेयर, OFS डिटेल्स, बिजनेस मॉडल, भारत-बांग्लादेश क्रॉस-बॉर्डर लॉजिस्टिक्स, फाइनेंशियल परफॉर्मेंस और निवेश से जुड़ी अहम बातें जानिए।

Yatayat Corporation India ipo
Yatayat Corporation India ipo
locationभारत
userअसमीना
calendar26 Dec 2025 03:06 PM
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भारत के तेजी से बढ़ते लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर से जुड़ी कंपनी यातायात कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड अब शेयर बाजार में उतरने की तैयारी कर चुकी है। गुजरात की यह कंपनी ट्रक मालढुलाई और क्रॉस-बॉर्डर लॉजिस्टिक्स सेवाओं में मजबूत पहचान रखती है। कंपनी ने अपने इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO के लिए कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस जमा कर दिया है। इस IPO के जरिए कंपनी निवेशकों से पूंजी जुटाकर अपने कारोबार को और मजबूत करना चाहती है।

कुल 1.33 करोड़ इक्विटी शेयर होंगे शामिल

ड्राफ्ट दस्तावेजों के मुताबिक, यातायात कॉरपोरेशन इंडिया के IPO में कुल 1.33 करोड़ इक्विटी शेयर शामिल होंगे। इसमें 77 लाख नए शेयर जारी किए जाएंगे, जबकि प्रमोटर्स की ओर से 56 लाख इक्विटी शेयर ऑफर फॉर सेल के तहत बेचे जाएंगे। नए शेयरों के जरिए जुटाई गई राशि सीधे कंपनी को मिलेगी जबकि OFS से होने वाली रकम प्रमोटर्स को प्राप्त होगी। कंपनी प्री-IPO प्लेसमेंट के जरिए 100 करोड़ रुपये तक जुटाने की संभावना भी तलाश रही है जिससे IPO का आकार घटाया जा सकता है।

समय पर होती है सुरक्षित डिलीवरी

यातायात कॉरपोरेशन इंडिया का मुख्य कारोबार ट्रक आधारित फ्रेट ट्रांसपोर्टेशन पर केंद्रित है। कंपनी भारत के 12 राज्यों में फैली 34 शाखाओं और एक वेयरहाउस के माध्यम से अपने ऑपरेशंस संचालित करती है। इसका नेटवर्क और ऑपरेशनल स्ट्रेंथ इसे लॉजिस्टिक्स सेक्टर में एक मजबूत खिलाड़ी बनाता है जिससे समय पर और सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित होती है।

कंपनी की सबसे बड़ी खासियत

कंपनी की सबसे बड़ी खासियत इसकी क्रॉस-बॉर्डर एक्सपोर्ट क्षमता है, खासकर भारत और बांग्लादेश के बीच। यह विशेषता इसे अन्य लॉजिस्टिक्स कंपनियों से अलग बनाती है। यातायात का सर्विस पोर्टफोलियो काफी व्यापक है, जिसमें पार्ट ट्रक लोड कार्गो, एक्सप्रेस फ्रेट, ओवर डाइमेंशनल कार्गो और मल्टीमॉडल फ्रेट सर्विस शामिल हैं। इसके अलावा कंपनी अपनी 100 प्रतिशत मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी के जरिए कस्टम हाउस एजेंट और फ्रेट फॉरवर्डिंग सेवाएं भी प्रदान करती है।

अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े हैं क्लाइंट्स

यातायात कॉरपोरेशन इंडिया के क्लाइंट्स कई अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े हुए हैं जिनमें एग्रीकल्चर और एग्री-इनपुट्स, बिल्डिंग मैटीरियल और कंस्ट्रक्शन, केमिकल्स, एनर्जी और पावर, इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग, आईटी और टेक्नोलॉजी, मेटल्स और माइनिंग, टेक्सटाइल्स और अन्य इंडस्ट्रियल व कंज्यूमर सेगमेंट शामिल हैं। इस तरह का विविध क्लाइंट बेस कंपनी को बिजनेस में स्थिरता और निरंतर ग्रोथ प्रदान करता है। IPO से मिलने वाली राशि का उपयोग कंपनी अपनी वर्किंग कैपिटल जरूरतों को पूरा करने और सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी। इस पब्लिक इश्यू के लिए यूनिस्टोन कैपिटल को एकमात्र बुक रनिंग लीड मैनेजर नियुक्त किया गया है जो IPO प्रक्रिया को मैनेज करेगा।

हाल के वर्षों में मजबूत ग्रोथ

वित्तीय प्रदर्शन की बात करें तो यातायात कॉरपोरेशन इंडिया ने हाल के वर्षों में मजबूत ग्रोथ दिखाई है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 348.34 करोड़ रुपये रहा था, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 448.13 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वहीं, शुद्ध मुनाफा भी एक साल में दोगुना होकर 15 करोड़ रुपये से बढ़कर 30 करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़े कंपनी की बढ़ती ऑपरेशनल क्षमता और मजबूत बिजनेस मॉडल को दर्शाते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। चेतना मंच की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

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RBI का असर कम होते ही हांफने लगा रुपया, निवेशकों की बढ़ी टेंशन

RBI का असर कमजोर होने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर की मजबूत मांग के चलते रुपया एक बार फिर 90 के स्तर के करीब पहुंच गया है। जानिए डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट की असली वजहें, एक्सपर्ट्स की राय और आगे रुपया किस लेवल पर कारोबार कर सकता है।

RBI
डॉलर के सामने लड़खड़ाया रुपया
locationभारत
userअसमीना
calendar26 Dec 2025 11:42 AM
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क्रिस्मस के बाद भारतीय करेंसी मार्केट में बड़ी हलचल देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पकड़ कमजोर पड़ने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर की बढ़ती मांग के बीच रुपया एक बार फिर दबाव में आ गया है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के बेहद करीब पहुंच गया है। जानकारों का मानना है कि अगर यही दबाव बना रहा तो आने वाले कारोबारी सत्रों में रुपया 90 का स्तर भी पार कर सकता है।

क्रिस्मस के बाद क्यों टूटा रुपया?

क्रिस्मस की छुट्टियों के बाद जैसे ही बाजार खुले, रुपए पर कई नकारात्मक फैक्टर्स एक साथ हावी हो गए। आरबीआई की तरफ से डॉलर सपोर्ट कम देखने को मिला वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगीं। इसके अलावा विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना जारी रखा जिससे डॉलर की मांग बढ़ गई और रुपया कमजोर होता चला गया।

शुक्रवार को कितने लेवल पर पहुंचा रुपया?

शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर 89.94 पर पहुंच गया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 89.84 पर खुला था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले बुधवार को भी रुपया 8 पैसे गिरकर 89.71 पर बंद हुआ था। यानी लगातार दूसरे कारोबारी दिन रुपये में कमजोरी दर्ज की गई।

लगातार गिरावट के पीछे मुख्य वजहें

रुपये की कमजोरी के पीछे कई अहम कारण सामने आए हैं। घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल, इंपोर्टर्स द्वारा डॉलर की बढ़ती खरीद, अमेरिका के साथ ट्रेड डील में देरी और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है। इसके चलते डॉलर मजबूत हो रहा है और रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

आंकड़ों से समझिए रुपये की कमजोरी

डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती दिखाता है, हल्की गिरावट के बावजूद 97.89 के स्तर पर बना हुआ है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 62.34 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है जो भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए नकारात्मक संकेत है। घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी दिखी जहां सेंसेक्स 183 अंक और निफ्टी 46 अंक टूट गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ दिसंबर महीने में 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की है जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया।

जानकार क्या कह रहे हैं?

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, पिछले हफ्ते 89 के आसपास मजबूत होने के बाद कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और छुट्टियों के दौरान डॉलर की खरीद ने रुपये को फिर कमजोर कर दिया है। उन्होंने बताया कि महीने के अंत में आमतौर पर डॉलर की मांग बढ़ जाती है और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भी रुपये को कमजोर बना रहा है।

क्या 90 का लेवल पार करेगा रुपया?

बाजार विशेषज्ञों की मानें तो अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही और डॉलर की मांग इसी तरह बनी रही, तो कारोबारी सत्र के दौरान रुपया 90 के स्तर को भी पार कर सकता है। हालांकि, आगे चलकर आरबीआई का हस्तक्षेप और वैश्विक संकेत रुपये की दिशा तय करेंगे।

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