उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर बैन, योगी सरकार का सख्त आदेश

उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर बैन, योगी सरकार का सख्त आदेश
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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:40 AM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया, जिसमें राज्य में जातिगत संघर्ष और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी। जाति आधारित रैलियों पर पाबंदी लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय से न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एक बेहतरीन संदेश जाएगा। उत्तर प्रदेश में लागू ये आदेश अगर पूरे देश में लागू कर दिया जाए तो लोगों के बीच बढ़ रही वैमनस्यता कम या समाप्त हो सकती है। UP News :

आदेश का विवरण

* जारी किया: कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार * लागू होगा : राज्य के सभी जिले में * जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध * सोशल मीडिया पर जातिगत प्रचार और संदेशों पर निगरानी * एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो आदि से जाति का उल्लेख हटाकर माता-पिता का नाम शामिल किया जाएगा * थानों, वाहनों और साइनबोर्ड्स से जाति-सूचक नारे और संकेत हटाए जाएंगे

राजनीतिक प्रभाव

यह आदेश जाति आधारित राजनीति करने वाली पार्टियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसका असर निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल जैसी पार्टियों पर पड़ सकता है। खासकर 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए ये कदम पार्टियों के जाति-आधारित प्रचार अभियान पर प्रभाव डाल सकता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश

* निजी और सार्वजनिक वाहनों पर जाति-आधारित नारे और चिह्नों पर स्पष्ट प्रतिबंध * सोशल मीडिया पर जाति-प्रशंसा और घृणा फैलाने वाली सामग्री की पहचान और कार्रवाई * सभी पुलिस स्टेशनों पर आरोपी के नाम के सामने मौजूद जाति कॉलम को हटाने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि जाति आधारित रैलियां सामाजिक संघर्ष और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा हैं। आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस नियमावली में भी आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। UP News
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कभी 'बीमारू' कहलाता था उत्तर प्रदेश, अब बना देश का आर्थिक सितारा

कभी 'बीमारू' कहलाता था उत्तर प्रदेश, अब बना देश का आर्थिक सितारा
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userचेतना मंच
calendar22 Sep 2025 03:43 PM
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उत्तर प्रदेश जनसँख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश की आबादी देश में सबसे ज्यादा है। उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 25 करोड़ से ज्यादा है। जनसंख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश अब आर्थिक मोर्चे पर भी सबसे आगे है। कभी 'बीमारू' राज्यों की सूची में शामिल उत्तर प्रदेश ने अपनी तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। CAG की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में राज्य ने ₹37,000 करोड़ का भव्य राजस्व अधिशेष दर्ज किया, यानी इसकी आमदनी उसके खर्चों से कहीं ज्यादा रही। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने अपने राजस्व संग्रह और वित्तीय प्रबंधन में क्रांतिकारी सुधार किए हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था अब मजबूत और संतुलित बन चुकी है। यह बदलाव यूपी के लिए सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि उसके आर्थिक उत्थान की असली कहानी भी बयान करता है।   UP News

उत्तर प्रदेश का जबरदस्त सुधार

CAG की ताज़ा रिपोर्ट में साफ़ हुआ है कि देश के 16 राज्य अब अपने खर्चों के बाद भी राजस्व बचा पा रहे हैं। इस सूची में सबसे चमकता सितारा उत्तर प्रदेश है, जिसने ₹37,000 करोड़ के भव्य राजस्व अधिशेष के साथ सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया। यूपी के बाद गुजरात ₹19,865 करोड़, ओडिशा ₹19,456 करोड़, झारखंड ₹13,564 करोड़, कर्नाटक ₹13,496 करोड़, छत्तीसगढ़ ₹8,592 करोड़, तेलंगाना ₹5,944 करोड़, उत्तराखंड ₹5,310 करोड़, मध्य प्रदेश ₹4,091 करोड़ और गोवा ₹2,399 करोड़ के साथ शामिल हैं। इसके अलावा, पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम ने भी आर्थिक मजबूती दिखाते हुए अपनी जगह बनाई है। यह रिपोर्ट यूपी की आर्थिक सफलता को देश के अन्य राज्यों की तुलना में और भी स्पष्ट करती है और बताती है कि अब राज्य वित्तीय प्रबंधन और राजस्व संग्रह में मिसाल कायम कर रहा है।  UP News

12 राज्य अभी भी घाटे में

जब देश के 16 राज्य राजस्व अधिशेष के साथ आगे बढ़ रहे हैं, वहीं 12 राज्य अब भी राजस्व घाटे की चुनौती झेल रहे हैं। इस सूची में आंध्र प्रदेश (-₹43,488 करोड़) सबसे ऊपर है, इसके बाद तमिलनाडु (-₹36,215 करोड़), राजस्थान (-₹31,491 करोड़), पश्चिम बंगाल (-₹27,295 करोड़), पंजाब (-₹26,045 करोड़), हरियाणा (-₹17,212 करोड़), असम (-₹12,072 करोड़), बिहार (-₹11,288 करोड़), केरल (-₹9,226 करोड़), हिमाचल प्रदेश (-₹6,336 करोड़), महाराष्ट्र (-₹1,936 करोड़) और मेघालय (-₹44 करोड़) शामिल हैं। इन राज्यों की आमदनी उनके खर्चों को पूरा नहीं कर पा रही है और ये अभी भी आर्थिक रूप से केंद्र पर निर्भर हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश ने ₹37,000 करोड़ के राजस्व अधिशेष के साथ इस चुनौती को पीछे छोड़ते हुए साबित कर दिया है कि सही नीतियों और वित्तीय सुधारों से किसी भी राज्य की आर्थिक ताकत बढ़ाई जा सकती है।

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केंद्र पर निर्भरता कमी

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कुछ राज्य, जैसे पश्चिम बंगाल, केरल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब, अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अभी भी केंद्र सरकार से मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grants) पर काफी हद तक निर्भर हैं। वित्त वर्ष 2023 में पश्चिम बंगाल को कुल अनुदान का 16% हिस्सा, केरल को 15%, आंध्र प्रदेश को 12%, हिमाचल प्रदेश को 11% और पंजाब को 10% मिला। इन आंकड़ों से साफ़ होता है कि ये राज्य अपनी आर्थिक मजबूती के लिए केंद्र पर भरोसा किए बिना नहीं रह सकते। वहीं, उत्तर प्रदेश ने ₹37,000 करोड़ के राजस्व अधिशेष के साथ यह चुनौती पीछे छोड़ते हुए साबित कर दिया है कि स्मार्ट वित्तीय प्रबंधन और राजस्व सुधार से कोई भी राज्य आत्मनिर्भर और मजबूत बन सकता है।  UP News

खुद की कमाई बढ़ाकर मजबूती ला रहे राज्य

सीएजी की रिपोर्ट में कुछ ऐसे राज्य भी सामने आए हैं जिन्होंने अपनी टैक्स और गैर-टैक्स आय को मजबूत कर आर्थिक आत्मनिर्भरता साबित की है। इस सूची में हरियाणा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जहां राज्य की कुल आय का 80% हिस्सा उसकी खुद की कमाई से आता है। इसके बाद तेलंगाना 79%, महाराष्ट्र 73%, गुजरात 72%, कर्नाटक और तमिलनाडु 69% और गोवा 68% के साथ शामिल हैं। लेकिन सबसे बड़ा चौंकाने वाला नाम है उत्तर प्रदेश, जिसने ₹37,000 करोड़ के राजस्व अधिशेष के साथ यह दिखा दिया कि बड़े राज्यों के लिए भी आर्थिक आत्मनिर्भरता संभव है। उत्तर प्रदेशकी यह उपलब्धि बताती है कि स्मार्ट वित्तीय प्रबंधन और राजस्व सुधार के दम पर कोई भी राज्य न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल भी कायम कर सकता है।   UP News

आखिर क्या होती है CAJ रिपोर्ट

सीएजी रिपोर्ट भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General - CAG) द्वारा तैयार किया गया एक आधिकारिक दस्तावेज़ है, जो सरकार के वित्तीय लेन-देन, खर्च, राजस्व और नीतियों के क्रियान्वयन का गहन ऑडिट करता है। इसमें वित्तीय अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार को उजागर करना और उनके प्रभाव का विश्लेषण करना शामिल होता है। यह रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं में पेश की जाती है, जहाँ लोक लेखा समिति (PAC) और सार्वजनिक उपक्रम समिति (COPU) इसकी विस्तार से जांच करती हैं। CAG रिपोर्ट न केवल सरकारी पारदर्शिता को बढ़ाती है, बल्कि नीति निर्धारकों और जनता को भी वास्तविक आर्थिक स्थिति का सटीक विवरण भी देती है।    UP News

CAG रिपोर्ट: जानिए इसके मुख्य पहलू और काम

सरकारी खर्चों की पूरी तस्वीर: CAG रिपोर्ट सरकार के राजस्व और व्यय का निष्पक्ष लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। यह जांचती है कि कौन सी योजना या मद में कितना पैसा खर्च हुआ और कहीं वित्तीय गड़बड़ी या अनियमितता तो नहीं हुई।

नीतियों का सटीक मूल्यांकन: रिपोर्ट सरकारी नीतियों और योजनाओं की प्रभावशीलता पर भी नजर रखती है। यह सुनिश्चित करती है कि योजनाएँ सही तरीके से लागू हो रही हैं और निर्धारित उद्देश्य पूरे हो रहे हैं।

वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा: यदि किसी भी सरकारी धन का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार या वित्तीय अनियमितता सामने आती है, तो CAG इसे उजागर करता है।

संवैधानिक अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 तक CAG को ऑडिट करने और रिपोर्ट पेश करने का अधिकार प्राप्त है।

संसदीय प्रक्रिया: CAG की रिपोर्ट संसद और राज्य विधानसभाओं में पेश की जाती है। इसके बाद लोक लेखा समिति (PAC) और सार्वजनिक उपक्रम समिति (COPU) इसकी गहन जांच करती हैं।    UP News

CAG के प्रमुख ऑडिट के प्रकार

1. नियमितता लेखापरीक्षा (Compliance Audit): यह सुनिश्चित करती है कि सभी नियम और प्रक्रियाएँ सही ढंग से पालन की गई हैं या नहीं।

2. प्रदर्शन लेखापरीक्षा (Performance Audit):  इसमें सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के प्रदर्शन और उनके वास्तविक प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।    UP News

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उत्तर प्रदेश में जाति की छुट्टी! रैलियों पर रोक, FIR में बदलाव लागू

उत्तर प्रदेश में जाति की छुट्टी! रैलियों पर रोक, FIR में बदलाव लागू
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userचेतना मंच
calendar22 Sep 2025 10:24 AM
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भारतीय समाज में जाति हमेशा से एक महत्वपूर्ण पहचान रही है और अक्सर लोगों को उनकी जाति और उपनाम के आधार पर पहचाना जाता है। लेकिन यही पहचान कई बार सामाजिक और राजनीतिक भेदभाव का कारण बन जाती है। इस परिप्रेक्ष्य में, उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जातिगत भेदभाव को खत्म करने और समाज में समानता को बढ़ावा देने के लिए अब उत्तर प्रदेश से जातिगत रैलियों और कार्यक्रमों पर पूरी तरह रोक लगा दी है।   UP News

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के पालन में मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब पुलिस रिकॉर्ड, FIR, गिरफ्तारी मेमो और अन्य सरकारी दस्तावेजों में किसी की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों और सरकारी साइनबोर्ड्स से भी जाति आधारित संकेत हटाए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की जाति राजनीति और सामाजिक भेदभाव को चुनौती देने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। हालांकि, एससी/एसटी एक्ट जैसे मामलों में जहां कानूनी कारणों से जाति का उल्लेख जरूरी है, वहां इस फैसले से छूट रहेगी।  UP News

पुलिस रिकॉर्ड और कानूनी दस्तावेजों में बदलाव

मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब पुलिस और सरकारी रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। FIR, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट और अन्य दस्तावेजों से जाति के कॉलम हटा दिए जाएंगे, जबकि आरोपी और गवाह की पहचान के लिए पिता और माता दोनों का नाम अनिवार्य होगा। एनसीआरबी के CCTNS सिस्टम में भी जाति का कॉलम खाली छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं और पुलिस विभाग इसे हटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपील करेगा।

साथ ही, राज्य के सभी थानों, वाहनों, साइनबोर्ड और सार्वजनिक स्थानों से जाति आधारित प्रतीक, नारे और संकेत हटाए जाएंगे। केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर वाहनों पर जाति आधारित नारों पर भी सख्त प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों और कार्यक्रमों पर पूर्ण रोक रहेगी, और सोशल मीडिया तथा इंटरनेट पर जाति के नाम पर महिमामंडन या नफरत फैलाने वाले कंटेंट के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

जाति आधारित पहचान की अब कोई जरूरत नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजीपी के हलफनामे में दिए गए तर्कों को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि पहचान के लिए जाति का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि फिंगरप्रिंट, आधार, मोबाइल नंबर और माता-पिता के विवरण जैसे आधुनिक साधन पर्याप्त हैं और जाति आधारित पहचान की जरूरत खत्म हो गई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर 2025 को मुख्य सचिव के आदेशों में 10 बिंदु लागू किए, जिनका उद्देश्य राज्य में जातिगत भेदभाव को जड़ से खत्म करना है। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • पुलिस रिकॉर्ड और FIR में बदलाव: अब FIR, गिरफ्तारी मेमो और चार्जशीट से जाति का उल्लेख पूरी तरह हटाया जाएगा। आरोपी और गवाह की पहचान के लिए पिता और माता दोनों का नाम अनिवार्य होगा।

  • एनसीआरबी और CCTNS सिस्टम में सुधार: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के क्राइम ट्रैकिंग नेटवर्क में जाति भरने वाले कॉलम को खाली रखा जाएगा। पुलिस विभाग इसे हटाने के लिए एनसीआरबी को पत्र भेजेगा।

  • सार्वजनिक स्थलों से जातीय संकेत हटाना: थानों, वाहनों, साइनबोर्ड और अन्य सार्वजनिक स्थानों से जाति आधारित प्रतीक और नारे हटाए जाएंगे। केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर वाहनों पर जाति-आधारित नारों पर स्पष्ट प्रतिबंध लागू किया जाएगा।

  • जाति आधारित रैलियों और सोशल मीडिया पर सख्ती: अब उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों और कार्यक्रमों पर पूर्ण रोक रहेगी। सोशल मीडिया और इंटरनेट पर जाति का महिमामंडन या नफरत फैलाने वाले कंटेंट के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होगी।

  • विशेष छूट: एससी/एसटी एक्ट या अन्य कानूनी मामलों में जहां जाति का उल्लेख आवश्यक है, वहां इस आदेश से छूट दी जाएगी।    UP News

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अदालत का ऐतिहासिक फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने 19 सितंबर 2025 को प्रवीण छेत्री बनाम राज्य मामले में यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। याचिकाकर्ता ने अपनी गिरफ्तारी के दौरान FIR और गिरफ्तारी मेमो में अपनी जाति का उल्लेख करने पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने इसे संवैधानिक दृष्टि से अनुचित करार दिया और कहा कि जाति का महिमामंडन राष्ट्र-विरोधी है। कोर्ट ने डीजीपी द्वारा दिए गए तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि फिंगरप्रिंट, आधार, मोबाइल नंबर और माता-पिता के विवरण जैसे आधुनिक साधनों से जाति आधारित पहचान की आवश्यकता नहीं है।      UP News