गिरफ्तारी के बाद देवरिया लाए गए पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर, जानिए क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा इलाके में रहने वाले संजय शर्मा ने सितंबर महीने में तालकटोरा थाने में इस संबंध में तहरीर दी, जिसके बाद केस दर्ज हुआ और पुरानी जमीन डील उत्तर प्रदेश की नई कानूनी सिरदर्द बन गई।

UP News : उत्तर प्रदेश की सियासत से लेकर पुलिस महकमे तक लगातार सुर्खियों में रहने वाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को मंगलवार देर रात शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर चलती ट्रेन से फिल्मी अंदाज में गिरफ्तार किया गया। उत्तर प्रदेश में चलती ट्रेन पर हुए इस ड्रामाई ऑपरेशन के महज कुछ घंटे बाद ही लखनऊ की टीम उन्हें कड़े सुरक्षा घेरे के साथ देवरिया लेकर पहुँची। यहां देवरिया सदर कोतवाली में जमीन खरीद–फरोख्त से जुड़े सालों पुराने केस पर करीब एक घंटे तक उनका प्वाइंट–टू–प्वाइंट ‘क्रॉस एग्ज़ाम’ किया गया। सूत्रों की मानें तो पूछताछ खत्म होते ही यूपी पुलिस उन्हें बिना किसी शोर–शराबे और मीडिया हलचल के चुपचाप दूसरी लोकेशन के लिए रवाना कर ले गई। उधर, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की पुलिस अफसरशाही इस हाई–प्रोफाइल कार्रवाई पर फिलहाल सख्त चुप्पी ओढ़े हुए है और किसी भी आधिकारिक टिप्पणी से साफ तौर पर बच रही है।
क्या है मामला?
आरोपों की जिस फाइल ने पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को घेरा है, उसकी जड़ें तकरीबन दो दशक पहले के उत्तर प्रदेश में जाकर जुड़ती हैं। बताया जाता है कि साल 1999 में जब अमिताभ ठाकुर देवरिया के एसपी थे, तभी जिले के औद्योगिक क्षेत्र में उनकी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम पर एक प्लॉट खरीदा गया था। मामला यहीं तक सीमित नहीं रहा। आरोप है कि बाद में इसी प्लॉट की बिक्री के दौरान कागजी खेल और कथित गड़बड़ियों ने पूरा विवाद खड़ा कर दिया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा इलाके में रहने वाले संजय शर्मा ने सितंबर महीने में तालकटोरा थाने में इस संबंध में तहरीर दी, जिसके बाद केस दर्ज हुआ और पुरानी जमीन डील उत्तर प्रदेश की नई कानूनी सिरदर्द बन गई।
पद का दुरुपयोग और फर्जी ब्योरे के आरोप
FIR के मुताबिक यह पूरा मामला सिर्फ जमीन के एक टुकड़े का नहीं, बल्कि 1999 के उत्तर प्रदेश की अफसरशाही पर उठते सवालों का है। आरोप है कि उस दौर में देवरिया के एसपी रहे अमिताभ ठाकुर ने अपने पद का प्रभाव इस्तेमाल करते हुए औद्योगिक क्षेत्र में प्लॉट आवंटित कराया। शिकायत में दावा किया गया है कि कागजों में उनकी पत्नी का नाम ‘नूतन देवी’ दर्ज करवाया गया, जबकि पति के नाम की जगह ‘अभिजात ठाकुर/अभिताप ठाकुर’ लिखा गया। इतना ही नहीं, पता कॉलम में उत्तर प्रदेश की बजाय खैरा, जिला सीतामढ़ी, बिहार दर्ज दिखाया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि बाद में जब यही संपत्ति बेची गई, तो विक्रय दस्तावेज वास्तविक नाम और सही पते के आधार पर तैयार किए गए, जिससे सरकारी विभागों, बैंकों और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को गलत जानकारी देकर गुमराह किया गया और पूरा सिस्टम अंधेरे में रखा गया।
शाहजहांपुर में चलती ट्रेन से की गई गिरफ्तारी
इस पूरे मामले ने तब नया मोड़ लिया, जब मंगलवार देर रात पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर एक चलती ट्रेन से गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के अनुसार, वह लखनऊ से नई दिल्ली जा रहे थे। रात करीब सवा एक बजे जैसे ही ट्रेन शाहजहांपुर पहुंचने वाली थी, लखनऊ पुलिस की टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर ऑपरेशन चलाया। कोच में पहुंचकर सो रहे अमिताभ को जगाया गया और फिर उन्हें ट्रेन से उतारकर हिरासत में ले लिया गया।गिरफ्तारी के बाद बुधवार सुबह पुलिस उन्हें देवरिया लेकर पहुंची, जहां देवरिया सदर कोतवाली में उनसे पूछताछ हुई। करीब साढ़े 11 बजे के आसपास पुलिस टीम उन्हें वहां से किसी अन्य स्थान पर ले गई। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश की सियासत से लेकर पुलिस महकमे तक लगातार सुर्खियों में रहने वाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को मंगलवार देर रात शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर चलती ट्रेन से फिल्मी अंदाज में गिरफ्तार किया गया। उत्तर प्रदेश में चलती ट्रेन पर हुए इस ड्रामाई ऑपरेशन के महज कुछ घंटे बाद ही लखनऊ की टीम उन्हें कड़े सुरक्षा घेरे के साथ देवरिया लेकर पहुँची। यहां देवरिया सदर कोतवाली में जमीन खरीद–फरोख्त से जुड़े सालों पुराने केस पर करीब एक घंटे तक उनका प्वाइंट–टू–प्वाइंट ‘क्रॉस एग्ज़ाम’ किया गया। सूत्रों की मानें तो पूछताछ खत्म होते ही यूपी पुलिस उन्हें बिना किसी शोर–शराबे और मीडिया हलचल के चुपचाप दूसरी लोकेशन के लिए रवाना कर ले गई। उधर, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की पुलिस अफसरशाही इस हाई–प्रोफाइल कार्रवाई पर फिलहाल सख्त चुप्पी ओढ़े हुए है और किसी भी आधिकारिक टिप्पणी से साफ तौर पर बच रही है।
क्या है मामला?
आरोपों की जिस फाइल ने पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को घेरा है, उसकी जड़ें तकरीबन दो दशक पहले के उत्तर प्रदेश में जाकर जुड़ती हैं। बताया जाता है कि साल 1999 में जब अमिताभ ठाकुर देवरिया के एसपी थे, तभी जिले के औद्योगिक क्षेत्र में उनकी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम पर एक प्लॉट खरीदा गया था। मामला यहीं तक सीमित नहीं रहा। आरोप है कि बाद में इसी प्लॉट की बिक्री के दौरान कागजी खेल और कथित गड़बड़ियों ने पूरा विवाद खड़ा कर दिया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा इलाके में रहने वाले संजय शर्मा ने सितंबर महीने में तालकटोरा थाने में इस संबंध में तहरीर दी, जिसके बाद केस दर्ज हुआ और पुरानी जमीन डील उत्तर प्रदेश की नई कानूनी सिरदर्द बन गई।
पद का दुरुपयोग और फर्जी ब्योरे के आरोप
FIR के मुताबिक यह पूरा मामला सिर्फ जमीन के एक टुकड़े का नहीं, बल्कि 1999 के उत्तर प्रदेश की अफसरशाही पर उठते सवालों का है। आरोप है कि उस दौर में देवरिया के एसपी रहे अमिताभ ठाकुर ने अपने पद का प्रभाव इस्तेमाल करते हुए औद्योगिक क्षेत्र में प्लॉट आवंटित कराया। शिकायत में दावा किया गया है कि कागजों में उनकी पत्नी का नाम ‘नूतन देवी’ दर्ज करवाया गया, जबकि पति के नाम की जगह ‘अभिजात ठाकुर/अभिताप ठाकुर’ लिखा गया। इतना ही नहीं, पता कॉलम में उत्तर प्रदेश की बजाय खैरा, जिला सीतामढ़ी, बिहार दर्ज दिखाया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि बाद में जब यही संपत्ति बेची गई, तो विक्रय दस्तावेज वास्तविक नाम और सही पते के आधार पर तैयार किए गए, जिससे सरकारी विभागों, बैंकों और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को गलत जानकारी देकर गुमराह किया गया और पूरा सिस्टम अंधेरे में रखा गया।
शाहजहांपुर में चलती ट्रेन से की गई गिरफ्तारी
इस पूरे मामले ने तब नया मोड़ लिया, जब मंगलवार देर रात पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर एक चलती ट्रेन से गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के अनुसार, वह लखनऊ से नई दिल्ली जा रहे थे। रात करीब सवा एक बजे जैसे ही ट्रेन शाहजहांपुर पहुंचने वाली थी, लखनऊ पुलिस की टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर ऑपरेशन चलाया। कोच में पहुंचकर सो रहे अमिताभ को जगाया गया और फिर उन्हें ट्रेन से उतारकर हिरासत में ले लिया गया।गिरफ्तारी के बाद बुधवार सुबह पुलिस उन्हें देवरिया लेकर पहुंची, जहां देवरिया सदर कोतवाली में उनसे पूछताछ हुई। करीब साढ़े 11 बजे के आसपास पुलिस टीम उन्हें वहां से किसी अन्य स्थान पर ले गई। UP News







