गिरफ्तारी के बाद देवरिया लाए गए पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर, जानिए क्या है मामला?

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा इलाके में रहने वाले संजय शर्मा ने सितंबर महीने में तालकटोरा थाने में इस संबंध में तहरीर दी, जिसके बाद केस दर्ज हुआ और पुरानी जमीन डील उत्तर प्रदेश की नई कानूनी सिरदर्द बन गई।

पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर
पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar10 Dec 2025 01:03 PM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश की सियासत से लेकर पुलिस महकमे तक लगातार सुर्खियों में रहने वाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को मंगलवार देर रात शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर चलती ट्रेन से फिल्मी अंदाज में गिरफ्तार किया गया। उत्तर प्रदेश में चलती ट्रेन पर हुए इस ड्रामाई ऑपरेशन के महज कुछ घंटे बाद ही लखनऊ की टीम उन्हें कड़े सुरक्षा घेरे के साथ देवरिया लेकर पहुँची। यहां देवरिया सदर कोतवाली में जमीन खरीद–फरोख्त से जुड़े सालों पुराने केस पर करीब एक घंटे तक उनका प्वाइंट–टू–प्वाइंट ‘क्रॉस एग्ज़ाम’ किया गया। सूत्रों की मानें तो पूछताछ खत्म होते ही यूपी पुलिस उन्हें बिना किसी शोर–शराबे और मीडिया हलचल के चुपचाप दूसरी लोकेशन के लिए रवाना कर ले गई। उधर, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की पुलिस अफसरशाही इस हाई–प्रोफाइल कार्रवाई पर फिलहाल सख्त चुप्पी ओढ़े हुए है और किसी भी आधिकारिक टिप्पणी से साफ तौर पर बच रही है।

क्या है मामला?

आरोपों की जिस फाइल ने पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को घेरा है, उसकी जड़ें तकरीबन दो दशक पहले के उत्तर प्रदेश में जाकर जुड़ती हैं। बताया जाता है कि साल 1999 में जब अमिताभ ठाकुर देवरिया के एसपी थे, तभी जिले के औद्योगिक क्षेत्र में उनकी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम पर एक प्लॉट खरीदा गया था। मामला यहीं तक सीमित नहीं रहा। आरोप है कि बाद में इसी प्लॉट की बिक्री के दौरान कागजी खेल और कथित गड़बड़ियों ने पूरा विवाद खड़ा कर दिया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा इलाके में रहने वाले संजय शर्मा ने सितंबर महीने में तालकटोरा थाने में इस संबंध में तहरीर दी, जिसके बाद केस दर्ज हुआ और पुरानी जमीन डील उत्तर प्रदेश की नई कानूनी सिरदर्द बन गई।

पद का दुरुपयोग और फर्जी ब्योरे के आरोप

FIR के मुताबिक यह पूरा मामला सिर्फ जमीन के एक टुकड़े का नहीं, बल्कि 1999 के उत्तर प्रदेश की अफसरशाही पर उठते सवालों का है। आरोप है कि उस दौर में देवरिया के एसपी रहे अमिताभ ठाकुर ने अपने पद का प्रभाव इस्तेमाल करते हुए औद्योगिक क्षेत्र में प्लॉट आवंटित कराया। शिकायत में दावा किया गया है कि कागजों में उनकी पत्नी का नाम ‘नूतन देवी’ दर्ज करवाया गया, जबकि पति के नाम की जगह ‘अभिजात ठाकुर/अभिताप ठाकुर’ लिखा गया। इतना ही नहीं, पता कॉलम में उत्तर प्रदेश की बजाय खैरा, जिला सीतामढ़ी, बिहार दर्ज दिखाया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि बाद में जब यही संपत्ति बेची गई, तो विक्रय दस्तावेज वास्तविक नाम और सही पते के आधार पर तैयार किए गए, जिससे सरकारी विभागों, बैंकों और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को गलत जानकारी देकर गुमराह किया गया और पूरा सिस्टम अंधेरे में रखा गया।

शाहजहांपुर में चलती ट्रेन से की गई गिरफ्तारी

इस पूरे मामले ने तब नया मोड़ लिया, जब मंगलवार देर रात पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर एक चलती ट्रेन से गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के अनुसार, वह लखनऊ से नई दिल्ली जा रहे थे। रात करीब सवा एक बजे जैसे ही ट्रेन शाहजहांपुर पहुंचने वाली थी, लखनऊ पुलिस की टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर ऑपरेशन चलाया। कोच में पहुंचकर सो रहे अमिताभ को जगाया गया और फिर उन्हें ट्रेन से उतारकर हिरासत में ले लिया गया।गिरफ्तारी के बाद बुधवार सुबह पुलिस उन्हें देवरिया लेकर पहुंची, जहां देवरिया सदर कोतवाली में उनसे पूछताछ हुई। करीब साढ़े 11 बजे के आसपास पुलिस टीम उन्हें वहां से किसी अन्य स्थान पर ले गई। UP News

अगली खबर पढ़ें

उत्तर प्रदेश पुलिस का बड़ा एक्शन, पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर गिरफ्तार

देर रात चल रही इस पुलिस गतिविधि को देखकर कोच के यात्रियों और प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोगों के बीच कुछ देर तक अफरा–तफरी जैसा माहौल बना रहा। कई लोग मोबाइल पर वीडियो और फोटो भी बनाते नजर आए।

उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर
उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar10 Dec 2025 12:29 PM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश की सियासत और खुद पुलिस महकमे में लंबे समय से चर्चा में रहे पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को मंगलवार देर रात एक फिल्मी अंदाज में शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर चलती ट्रेन से गिरफ्तार किया गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से नई दिल्ली जा रही इस ट्रेन में सवार अमिताभ ठाकुर की लोकेशन लखनऊ पुलिस ने सर्विलांस के ज़रिए ट्रेस की और फिर शाहजहांपुर पुलिस के साथ मिलकर पूरा ऑपरेशन खड़ा कर दिया। रात करीब सवा एक बजे जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर रुकने लगी, उत्तर प्रदेश की टीमें चुपचाप उस कोच में चढ़ गईं, जहां पूर्व आईपीएस अपनी बर्थ पर सो रहे थे। ।

आधी रात सोते हुए यात्री से पूछताछ फिर नीचे उतारा गया

मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात करीब 1:52 बजे जैसे ही लखनऊ से दिल्ली जा रही ट्रेन शाहजहांपुर स्टेशन पर रुकी, वहां उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सुनियोजित ऑपरेशन अचानक सक्रिय हो उठा। प्लेटफॉर्म के दोनों सिरों से दो टीमें तेजी से उस कोच की ओर बढ़ीं, जहां पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर यात्रा कर रहे थे। कोच का दरवाजा खुलते ही उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी अंदर दाखिल हुए और उस बर्थ तक पहुंचे, जहां ठाकुर गहरी नींद में थे। टीम ने उन्हें जगाकर पहचान की तस्दीक की और फिर शांत लेकिन सख्त अंदाज में सामान समेटने को कहा। आधी रात हुए इस हाईप्रोफाइल एक्शन से कोच में बैठे यात्री और प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोग अवाक रह गए। कुछ पल की खामोशी के बाद वहां अफरा–तफरी जैसा माहौल बन गया—लोग मोबाइल कैमरे ऑन कर इस गिरफ्तारी के हर पल को कैद करने में जुट गए। उत्तर प्रदेश पुलिस की ये आधी रात की कार्रवाई स्टेशन पर मौजूद हर किसी के लिए किसी लाइव ऑपरेशन से कम नहीं दिख रही थी।

देवरिया की जमीन पर धोखाधड़ी के केस में गिरफ़्तारी

उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की यह गिरफ़्तारी देवरिया जिले में दर्ज उस मुकदमे के सिलसिले में हुई है, जो कथित तौर पर जमीन के लेन–देन और धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि जब अमिताभ ठाकुर उत्तर प्रदेश के देवरिया में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे, उस समय एक जमीन खरीद से जुड़े प्रकरण में उनके खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए। बाद में उसी मामले में धोखाधड़ी समेत कई धाराओं के तहत देवरिया में एफआईआर दर्ज की गई और जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित की गई। इसी SIT ने लखनऊ पुलिस के साथ समन्वय कर सर्विलांस की मदद से उनकी लोकेशन ट्रेस की और सीतापुर–शाहजहांपुर बॉर्डर बेल्ट में ट्रेन को ट्रैक करते हुए यह कार्रवाई की।

लखनऊ के तालकटोरा थाने में भी दर्ज है केस

देवरिया के मामले के अलावा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा थाने में भी पूर्व आईपीएस के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज है। यहां भी धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में केस दर्ज हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार रात जब अमिताभ ठाकुर लखनऊ से दिल्ली के लिए रवाना हुए, उसी दौरान SIT और तालकटोरा थाना पुलिस को उनके सफर की जानकारी मिली। इसके बाद दोनों टीमों ने मिलकर ट्रेन की रूट मॉनिटर की और शाहजहांपुर स्टेशन पर उतरवाकर उन्हें गिरफ्तार किया। फिलहाल SIT द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है।

पत्नी नूतन ठाकुर को फोन पर दी गई सूचना

गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने नियमानुसार परिवार को सूचित भी किया। तालकटोरा थानाध्यक्ष कुलदीप कुमार दुबे ने बुधवार सुबह फोन पर अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर को पूरी जानकारी दी। जैसे ही यह खबर सामने आई, कुछ ही देर में उत्तर प्रदेश की इस हाईप्रोफाइल गिरफ्तारी की खबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल होने लगी। कई लोग देवरिया और लखनऊ के मुकदमों से जुड़े पुराने घटनाक्रम खंगालते दिखे, तो कुछ ने आधी रात ट्रेन से गिरफ्तार किए जाने के तरीके पर सवाल उठाए। फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच दल अमिताभ ठाकुर से देवरिया की जमीन से जुड़े कथित घोटाले पर लगातार पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसी दोनों मुकदमों देवरिया और लखनऊ तालकटोरा के दस्तावेज, जमीन से जुड़े कागजात और पुराने आधिकारिक रिकॉर्ड खंगाल रही है। अधिकारियों का कहना है कि SIT की रिपोर्ट और पूछताछ के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी। चूंकि मामला उत्तर प्रदेश के दो अलग–अलग जिलों देवरिया और लखनऊ से जुड़ा है, इसलिए पूरे प्रकरण को राज्य स्तर पर भी बेहद गंभीरता से देखा जा रहा है। UP News

अगली खबर पढ़ें

अवैध घुसपैठियों पर योगी सरकार का कड़ा प्रहार, बायोमैट्रिक लिस्ट से होगी पहचान

उत्तर प्रदेश गृह विभाग की योजना है कि ऐसे हर व्यक्ति को एक विशेष “निगेटिव लिस्ट” में दर्ज किया जाए, जिसे उत्तर प्रदेश के दायरे से बाहर ले जाकर केंद्र सरकार और देश के तमाम राज्यों की एजेंसियों के साथ भी शेयर किया जाएगा।

योगी सरकार का हाईटेक एक्शन मोड, हर घुसपैठिए की बनेगी बायोमैट्रिक प्रोफाइल
योगी सरकार का हाईटेक एक्शन मोड, हर घुसपैठिए की बनेगी बायोमैट्रिक प्रोफाइल
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar10 Dec 2025 11:10 AM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अवैध घुसपैठ के खिलाफ कड़ा प्लान तैयार किया है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध घुसपैठ को लेकर अब सबसे कड़ा और फुल प्रूफ प्लान तैयार किया है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अवैध घुसपैठ के खिलाफ अबकी बार ऐसा मास्टर प्लान तैयार किया है, जिसे राज्य की सुरक्षा रणनीति का सबसे कड़ा और हाईटेक अध्याय माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश अब सिर्फ कागजी सख्ती तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि जमीन पर ऐसा डिजिटल घेरा खड़ा करने की दिशा में बढ़ चुका है, जिसमें पकड़े गए हर घुसपैठिए की पहचान, मूवमेंट और पूरा रिकॉर्ड बायोमैट्रिक निगरानी से जकड़ा रहेगा। मंशा साफ है – एक बार अगर कोई अवैध घुसपैठिया उत्तर प्रदेश की पकड़ में आ गया, तो उसके लिए दुबारा भारतीय सीमा, खासकर उत्तर प्रदेश की जमीन पर कदम रख पाना लगभग नामुमकिन कर दिया जाए।।

यूपी में हर घुसपैठिए की होगी बायोमैट्रिक पहचान

उत्तर प्रदेश में अब किसी भी अवैध घुसपैठिए का रिकॉर्ड सिर्फ कागज पर लिखे नाम–पते तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसकी पूरी बायोमैट्रिक पहचान उत्तर प्रदेश के हाईटेक सिस्टम में लॉक कर दी जाएगी। चेहरे की बायोमैट्रिक डिटेल, उंगलियों के निशान और जरूरी सूचनाओं का पूरा डेटा एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश गृह विभाग की योजना है कि ऐसे हर व्यक्ति को एक विशेष “निगेटिव लिस्ट” में दर्ज किया जाए, जिसे उत्तर प्रदेश के दायरे से बाहर ले जाकर केंद्र सरकार और देश के तमाम राज्यों की एजेंसियों के साथ भी शेयर किया जाएगा। मकसद साफ है अगर वही घुसपैठिया दोबारा किसी दूसरे राज्य की सीमा पर या किसी ज़िले में पकड़ा जाए, तो यूपी में तैयार यह डिजिटल प्रोफाइल उसकी पहचान तुरंत बेनकाब कर सके।

दोबारा घुसपैठ की कोशिश पर सीधे जेल का रास्ता

उत्तर प्रदेश सरकार की इस सख्त व्यवस्था का सीधा संदेश साफ है जो घुसपैठिया एक बार उत्तर प्रदेश की गिरफ्त में आया, उसकी पूरी डिटेल ‘निगेटिव लिस्ट’ में लॉक होगी, डिपोर्ट भी किया जाएगा और अगर उसके बाद उसने दोबारा भारतीय सीमा, खासकर उत्तर प्रदेश की धरती पर लौटने की जुर्रत की, तो उसे कहीं भी न तो “राहत” मिलेगी, न “शरण”। अगला ठिकाना सीधे जेल और उसके साथ तेज रफ्तार कानूनी कार्रवाई होगी। अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से तैयार यह हाईटेक डेटाबेस रियल टाइम में अपडेट रहेगा और इंटेलिजेंस नेटवर्क, केंद्रीय एजेंसियों और देश के दूसरे राज्यों की पुलिस से लगातार जुड़ा रहेगा। यही वजह है कि अवैध घुसपैठ के खिलाफ शुरू हुआ यह यूपी मॉडल, आने वाले समय में राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे की एक मजबूत ढाल के रूप में देखा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में बन रहे हाई सिक्योरिटी डिटेंशन सेंटर

योगी सरकार की योजना है कि ऐसे हर संदिग्ध को सुनियोजित और सुरक्षित निगरानी में रखने के लिए प्रदेश में आधुनिक डिटेंशन सेंटर विकसित किए जाएँ, जो किसी हाई सिक्योरिटी ज़ोन से कम न हों। इन सेंटरों में हाई रेज़ोल्यूशन सीसीटीवी नेटवर्क, बायोमैट्रिक एक्सेस कंट्रोल, 24×7 सशस्त्र सुरक्षा घेरा और मूवमेंट की रियल टाइम मॉनिटरिंग जैसी व्यवस्थाएँ प्रस्तावित हैं, ताकि उत्तर प्रदेश की सीमा के भीतर होने वाली हर संदिग्ध हलचल तुरंत रिकॉर्ड हो सके। अधिकारियों का दावा है कि सुरक्षा के इस बहुस्तरीय इंतज़ाम के बाद इन डिटेंशन सेंटरों से ‘फरार’ होने की गुंजाइश लगभग शून्य रह जाएगी और उत्तर प्रदेश अवैध घुसपैठ के खिलाफ देशभर में एक सख्त और व्यवस्थित मॉडल के तौर पर सामने आएगा।

नेपाल–बांग्लादेश बॉर्डर से घुसपैठ पर खास फोकस

उत्तर प्रदेश की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को देखते हुए नेपाल और बांग्लादेश से आने वाले रूट्स पर सरकार की नजर पहले से कहीं ज्यादा पैनी हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में यूपी के कई जिलों खासकर सीमा और महानगरों के आसपास ऐसे लोगों की बड़ी संख्या पकड़ी गई है, जो फर्जी दस्तावेज, बदले हुए नाम या नकली पते के सहारे उत्तर प्रदेश में चुपचाप बसने की कोशिश कर रहे थे। इन्हीं मामलों ने उत्तर प्रदेश पुलिस और इंटेलिजेंस यूनिट्स को एक साझा, हाईटेक रणनीति पर काम करने के लिए मजबूर किया। अब SIR यानी विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण, आधार सत्यापन और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की क्रॉस–वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को तेज किया गया है, ताकि कोई भी अवैध घुसपैठिया उत्तर प्रदेश के सिस्टम में ‘लोकल नागरिक’ बनकर घुसने की कोशिश करे, तो उसकी पहचान तुरंत बेनकाब हो जाए।

यूपी से बनेगा राष्ट्रीय सुरक्षा का नया मॉडल

गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में तैयार हो रहा यह “बायोमैट्रिक निगेटिव प्रोफाइल” सिस्टम सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर का रूटीन कदम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के ढांचे में बड़ा स्ट्रक्चरल रिफॉर्म है, जिसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश की धरती से हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि जिन जिलों में डिटेंशन सेंटर के लिए जमीन चिह्नित हो चुकी है, वहां चरणबद्ध तरीके से निर्माण शुरू कर तय समयसीमा में इन्हें ऑपरेशनल किया जाए और समानांतर रूप से उत्तर प्रदेश में तैयार हो रहा यह विशाल डेटाबेस पूरे देश के लिए रेफरेंस मॉडल बन सके। सरकारी हलकों में यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाने के साथ–साथ उत्तर प्रदेश की यह सख्त नीति फर्जी दस्तावेज, हवाला नेटवर्क, मानव तस्करी और संगठित अपराध जैसी गतिविधियों पर भी ऐसा ब्रेक लगाएगी, जिसकी गूंज लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सुनी जाएगी। UP News