UP Election: पंचायत चुनाव में ही हो गया था इशारा, यूपी में कौन सा दल बना रहा सरकार

UP Election 2017 चुनाव के नतीजे.[/caption]
अगर विपक्ष का अच्छा गठबंधन जोर लगा देता है तो भाजपा की हार भी विशेषज्ञ देख रहे हैं. इनमें अहम रोल सपा का हो सकता है. यह भी कहा जा रहा था कि अगर सपा यूपी में अकेले चुनाव लड़ती तो इसकी जीत की सीटों की संख्या कम रह सकती थी. 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 15 मई तक है. 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे. उस चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया। अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन 54 सीटें जीत सका था. सपा को 47 सीट और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं. इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती की बीएसपी 19 सीटों पर सिमट गई थी. इस बार सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है.
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वहीं पंचायत चुनाव के आधार पर यह साफ तौर पर सपा की जीत की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है क्योंकि वो चुनाव सपा ने अपने चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा था. उसने उम्मीदवारों को समर्थन दिया था. पंचायत चुनाव में उम्मीदवार को निजी छवि के आधार पर वोट मिलते हैं, ना कि पार्टी को देखकर. ऐसे में समाजवादी पार्टी को और मजबूत होना था. इसके लिए बड़े ओबीसी वोटबैंक समर्थित स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों को अखिलेश यादव भाजपा से सपा में लाने में सफल रहे हैं. इसके अलावा उनके पास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर का भी साथ है. पिछले चुनाव में उन्होंने 4 सीटें जीती थीं. वहीं आजाद समाज पार्टी के दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की भी अखिलेश से मुलाकात की खबरें हैं. ऐसे में सपा के पास इन चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने का चांस है.
वहीं कांग्रेस की बात करें तो पिछले उत्तर प्रदेश चुनावों, लोकसभा चुनावों और पंचायत चुनावों में यह बात साफ हो गई थी कि पार्टी ने अपना बड़ा मतदाता खो दिया है. इस बार कांग्रेस ने सपा से गठबंधन भी नहीं किया है. ऐसे में उसे कम ही सीटें मिलने के आसार लगाए जा रहे हैं. हालांकि वो सपा की सीटों पर प्रभाव डाल सकती है.अगली खबर पढ़ें
UP Election 2017 चुनाव के नतीजे.[/caption]
अगर विपक्ष का अच्छा गठबंधन जोर लगा देता है तो भाजपा की हार भी विशेषज्ञ देख रहे हैं. इनमें अहम रोल सपा का हो सकता है. यह भी कहा जा रहा था कि अगर सपा यूपी में अकेले चुनाव लड़ती तो इसकी जीत की सीटों की संख्या कम रह सकती थी. 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 15 मई तक है. 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे. उस चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया। अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन 54 सीटें जीत सका था. सपा को 47 सीट और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं. इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती की बीएसपी 19 सीटों पर सिमट गई थी. इस बार सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है.
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वहीं पंचायत चुनाव के आधार पर यह साफ तौर पर सपा की जीत की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है क्योंकि वो चुनाव सपा ने अपने चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा था. उसने उम्मीदवारों को समर्थन दिया था. पंचायत चुनाव में उम्मीदवार को निजी छवि के आधार पर वोट मिलते हैं, ना कि पार्टी को देखकर. ऐसे में समाजवादी पार्टी को और मजबूत होना था. इसके लिए बड़े ओबीसी वोटबैंक समर्थित स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों को अखिलेश यादव भाजपा से सपा में लाने में सफल रहे हैं. इसके अलावा उनके पास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर का भी साथ है. पिछले चुनाव में उन्होंने 4 सीटें जीती थीं. वहीं आजाद समाज पार्टी के दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की भी अखिलेश से मुलाकात की खबरें हैं. ऐसे में सपा के पास इन चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने का चांस है.
वहीं कांग्रेस की बात करें तो पिछले उत्तर प्रदेश चुनावों, लोकसभा चुनावों और पंचायत चुनावों में यह बात साफ हो गई थी कि पार्टी ने अपना बड़ा मतदाता खो दिया है. इस बार कांग्रेस ने सपा से गठबंधन भी नहीं किया है. ऐसे में उसे कम ही सीटें मिलने के आसार लगाए जा रहे हैं. हालांकि वो सपा की सीटों पर प्रभाव डाल सकती है.संबंधित खबरें
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