Ghaziabad : भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते ही सबसे पुराने जिले गाजियाबाद का 47वां जन्मदिन (स्थापना दिवस) मनाया जा रहा है। गाजियाबाद जिले की स्थापना वर्ष 1976 में 14 नवंबर को हुई थी। 14 नवंबर 1976 से पहले गाजियाबाद मेरठ जिले का हिस्सा हुआ करता था। गाजियाबाद जिले के स्थापना दिवस पर बधाईयों का तांता लगा हुआ है। UP के CM योगी आदित्यनाथ समेत लाखों लोगों ने गाजियाबाद के स्थापना दिवस पर गाजियाबाद वासियों को बधाई दी है। गाजियाबाद के सबसे पुराने पत्रकारों में गिने जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुशील शर्मा ने गाजियाबाद जिले पर विस्तार से प्रकाश डाला है।
बाल दिवस पर बना जिला
आपको बता दें कि 14 नवम्बर 1976 को गाजियाबाद जिला बना। इस वर्ष 47 वीं वर्षगांठ है। जिला बनने से पहले यह मेरठ जिले की तहसील था। 1975 में आपातकाल से पूर्व इसे सब- जिला बनाकर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर 14 नवम्बर (बाल दिवस) पर विधिवत जिला घोषित किया गया। उस समय गाजियाबाद में शामिल हापुड़ जिला , गाजियाबाद की तहसील था। वर्ष 1998 में गठित जिला गौतमबुद्धनगर भी गाजियाबाद जनपद का हिस्सा रहा। गाजियाबाद जनपद प्रारम्भ से उद्योग नगर था। 1970 के दशक में जब पश्चिम बंगाल में नक्सली आंदोलन चरम सीमा पर था कलकत्ता के बहुत से उद्योग गाजियाबाद आ गये थे। कानपुर तब अविभाजित उ.प्र. की प्रथम उद्योग नगरी थी। जहां से प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा रेवेन्यू मिलता था। यह वह समय था जब कानपुर का स्थान गाजियाबाद ने ले लिया था। उस समय गाजियाबाद के सांसद बी. पी. मौर्य थे तथा विधायक प्यारे लाल शर्मा थे। देश की राजधानी समीप होने के कारण गाजियाबाद की खबरें राजधानी के अखबारों में प्रमुखता से छपती थी। बड़े उद्योगों के आने के बाद यहां के सफेदपोश अपराधी फिरौती और अपहरण में सक्रिय हो गये, जिसका नतीजा गाजियाबाद अपराध नगरी के नाम से पूरे देश में मशहूर हो गया। उद्योग पलायन करने लगे। श्रमिक यूनियनें भी इन्हीं सफेदपोश अपराधियों के संरक्षण में थी। जिससे धड़ाधड़ उद्योग बंद होते चले गये। गाजियाबाद के चेयरमैन और बाद में महानगर बनने पर मेयर , विधायक और सांसद रहे अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने नगर और जनपद के विकास के स्थान पर अपना और अपने परिवार की सम्पत्ति का बेहिसाब विस्तार किया । आज़ सभी धनकुबेर हैं।
उन्हें भी याद करें
Ghaziabad के लोगों को जीडीए के उपाध्यक्ष रहे धर्मेंद्र देव को नहीं भूलना चाहिए जिनके कार्यकाल में यह नगर , महानगर बना। जीडीए के साथ -साथ तब वह नगर निगम के भी प्रशासक थे। तभी उन्होंने महानगर की योजना बनाई थी। गाजियाबाद की तमाम नई-नई कालौनियां भी धर्मेंद्र देव के काल में ही घोषित की गयी थी। गाजियाबाद में एक समय ऐसा रहा जब शहर में बड़े-बडे उद्यमियों की मौजूदगी के बावजूद शहर रहीस बी.बी. बिन्दल (माडर्न इंडस्ट्रीज), हरियन्त चौधरी (चौधरी सिनेमा व चौधरी भवन के मालिक) व राजेन्द्र मंगल (फिल्म फाइनेंसर) ही जाने जाते थे। राजेन्द्र मंगल की चौधरी मोड़ स्थित कोठी पर जिले के आला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चुनिंदा जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की दावतों का आयोजन होता था।
समय के साथ गाजियाबाद का स्वरुप तेजी से बदला
Ghaziabad में माल,मल्टीफ्लेक्स ,फलाई ओवरों, मैट्रो, रेपिड रेल,एलिवेटिड रोड, बाई पास, आकाश छूती 26 वीं मंजिलें तथा इससे भी ऊंची बनती इमारतों में गाजियाबाद से ज्यादा दिल्ली में नौकरी और अपना रोजगार कर रहे लोगों का बसेरा है। दिल्ली से सटी कालौनियों में रहने वालों का गाजियाबाद शहर से कम दिल्ली आवागमन ज्यादा रहता है। गाजियाबाद निवासी देश के ख्यातिप्राप्त कथाकार से रा यात्री, देश के ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप तलवार, दिवंगत ओज के राष्ट्रीय कवि कृष्ण मित्र, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गज़लकार दिवंगत डॉ कुंअर बेचैन ऐसी शख्सियत हैं। जिन्होंने गाजियाबाद का नाम रोशन किया है। गाजियाबाद पहले भी और अब भी पत्रकार व हिन्दी सेवी गोपाल कृष्ण कौल, गुरशरण लाल अदीब, मेंहदी नज्मी, शम्स गाजियाबादी,इशरतकिरतपुरी, रामेश्वर उपाध्याय, चन्द्र दत्त इन्दू , हर प्रसाद शास्त्री, चन्द्र भान गर्ग, श्याम सुन्दर वैद्य (मेरे पिता जो तडक वैद्य के नाम से मशहूर थे), चिरंजी लाल पाराशर,योगेन्द्र पाल बागी, कैलाश आजाद, मधू सुदन दयाल सम्पादक, ब्रह्मा नंद पंत,शिव कुमार गोयल , तेलूराम काम्बोज, डॉ श्याम निर्मम, प्रेम किशोर पटाखा, विनय संकोची,मासूम गाजियाबादी, जमील हापुडी, धनंजय सिंह, गोविंद गुलशन,रमा सिंह,जकी तारीक व सुभाष चन्दर के कारण प्रसिद्ध है।
वर्तमान में प्रमोद शर्मा, विद्या शंकर तिवारी, अशोक निर्वाण , गगन सेठी राष्ट्रीय चैनल और राष्ट्रीय अखबारों में गाजियाबाद का नाम रोशन कर रहे हैं। गाजियाबाद के महाविद्यालयों के प्राचार्य रहे दिवंगत गुरूदेव बी. एस. माथुर, आर. बी. एल. गोस्वामी व बी. एस. गोयल चौधरी चरणसिंह विश्व विद्यालय के उपकुलपति रहे हैं। वर्तमान में अनेक साहित्यिक संस्थाएं महानगर, हिन्डनपार व लाइनपार में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
राष्ट्रपति पुरस्कार एवं फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त संगीतज्ञ पंडित हरिदत्त शर्मा, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निर्देशक रहे दिनेश खन्ना, प्रख्यात रंगकर्मी व अभिनेता आभूषण, सुरेन्द्र पाल सिंह,निशी कान्त दीक्षित, प्रेम प्रकाश कुमार के कारण भी गाजियाबाद का नाम रोशन है।
Ghaziabad के 47वें स्थापना दिवस पर उप्र के CM योगी आदित्यनाथ, अनेक सांसदों तथा विधायकों ने गाजियाबाद के नागरिकों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। Ghaziabad के नागरिकों को दी जा रही शुभकामनाओं में जिले का स्वरूप बनाये रखने व सांस्कृतिक विरासत तथा धरोहर को आगे बढ़ाने की कामना की जा रही है।