Supreme Court :
शीर्ष अदालत ने नागपुर नगर निगम को निर्देश दिया कि वह इस बात के उपाय करे कि आम जनता चिह्नित स्थानों पर आवारा कुत्तों को खिला सके। अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, “आप इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि जो लोग उन्हें खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें उन आवारा कुत्तों को गोद ले लेना चाहिए।” न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने जनता से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से किसी अन्य व्यक्ति को कोई परेशानी न हो।
पीठ ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक उच्च न्यायालय के 20 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने इस मामले में हर बार उल्लंघन किये जाने को लेकर 200 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया था। पीठ बम्बई उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि नागपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों का कोई भी नागरिक सार्वजनिक स्थानों, बगीचों आदि में आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिलाएगा या खिलाने का प्रयास नहीं करेगा। शीर्ष अदालत ने नगर निगम और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) से अपना जवाब दाखिल करने और 20 अक्टूबर के आदेश में दिए गए निर्देशों पर रुख लेने को कहा था।
पीठ ने कहा, “सुनवाई की अगली तारीख तक, हम (उच्च न्यायालय के) निम्नलिखित अवलोकन पर रोक लगाना उचित समझते हैं:- ‘यदि आवारा कुत्तों के ये तथाकथित दोस्त वास्तव में आवारा कुत्तों के संरक्षण और कल्याण में रुचि रखते हैं, तो उन्हें आवारा कुत्तों को गोद लेना चाहिए, या अपने घर ले जाना चाहिए, या कम से कम उन्हें कुछ अच्छे आश्रय गृहों में रखना चाहिए तथा निकाय अधिकारियों के साथ उनके पंजीकरण एवं रखरखाव, स्वास्थ्य और टीकाकरण से संबंधित सभी खर्चों को वहन करना चाहिए’।’’
शीर्ष अदालत ने नागपुर नगर निगम की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या आवारा कुत्तों को खिलाने और गोद लेने के पहलू पर उच्च न्यायालय का आदेश व्यावहारिक है।वकील ने कहा कि वह निर्देश लेंगी और आवारा कुत्तों को खिलाने के पहलू पर एक हलफनामा देना चाहेंगी। पीठ ने स्पष्ट किया कि मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही जारी रहेगी। न्यायालय ने कहा कि याचिकाओं की सुनवाई एक लंबित याचिका के साथ अगले साल फरवरी में होगी।
Supreme Court : नयी दिल्ली, 16 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी पर रोक लगा दी कि नागपुर में आवारा कुत्तों के संरक्षण और कल्याण में दिलचस्पी रखने वालों को उन्हें गोद लेना चाहिए या उन्हें आश्रय गृहों में रखना चाहिए तथा उनके रखरखाव के लिए खर्च वहन करना चाहिए।