जाने नए साइबर नियमों के बीच संचार साथी ऐप पर घमासान—क्या है असल कहानी?
संचार साथी ऐप को लेकर फैली चिंताओं के बीच सरकार ने साफ किया है कि यह ऐप सुरक्षा बढ़ाने और साइबर फ्रॉड रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। ऐप से जुड़े सभी बड़े फीचर नागरिकों की सहायता पर केंद्रित हैं और इसे अनइंस्टॉल करने की आजादी भी यूज़र्स के पास जारी रहेगी।

भारत में मोबाइल सुरक्षा और साइबर फ्रॉड पर बढ़ती चिंता के बीच संचार मंत्रालय द्वारा मई 2023 में लॉन्च किया गया ‘संचार साथी ऐप’ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। खोए हुए फोन को ट्रेस करने से लेकर फर्जी कॉल्स की रिपोर्टिंग तक—यह ऐप अब आम नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण डिजिटल टूल बन चुका है।
भारत सरकार के आदेश के बाद अब देश में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन में संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप प्री-इंस्टॉल होकर आएगा। इस फैसले के बाद संसद से लेकर सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है—क्या यह ऐप सुरक्षित है? क्या इससे लोगों की प्राइवेसी पर खतरा हो सकता है? इसी बीच सरकार ने ऐप से जुड़े मिथकों को दूर करते हुए इसके असली फीचर्स और सुरक्षा उपायों की जानकारी साझा की है।
संचार साथी के 5 बड़े फीचर्स
सरकारी ऐप में पांच नागरिक-केंद्रित फीचर शामिल हैं, जो साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए हैं:
1. चक्षु: संदिग्ध धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग सिस्टम
अगर किसी यूज़र को ठगी वाले कॉल/SMS आते हैं तो वे ऐप के ज़रिए तुरंत रिपोर्ट कर सकते हैं।
2. खोए/चोरी हुए मोबाइल का ब्लॉक
फोन गुम या चोरी होने पर, ऐप या उसके वेब पोर्टल से IMEI नंबर को ब्लॉक किया जा सकता है। फोन मिलने पर IMEI फिर से अनब्लॉक किया जा सकता है।
3. अपने नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं—जाँचें
यूज़र यह पता कर सकते हैं कि उनके नाम पर कुल कितने सिम कार्ड जारी हुए हैं।
4. स्मार्टफोन की असलियत जांचें
नया या पुराना मोबाइल खरीदते समय IMEI दर्ज कर फोन का ‘रिपोर्ट कार्ड’ देखा जा सकता है—यानी फोन असली है या नहीं।
5. भारतीय नंबर से आने वाली इंटरनेशनल कॉल्स की रिपोर्ट
फर्जी इंटरनेशनल कॉल्स, जो भारतीय नंबर दिखाती हैं, उनकी शिकायत भी की जा सकती है।
सरकार का स्पष्टीकरण: ऐप से कोई प्राइवेसी खतरा नहीं
सवाल : क्या ऐप प्राइवेसी के लिए सुरक्षित है?
जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप कोई भी संवेदनशील डेटा इकट्ठा नहीं करता, और न ही माइक्रोफोन, ब्लूटूथ या लोकेशन डेटा लेता है।
सवाल : क्या ऐप अनिवार्य है, अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता?
जवाब : सरकार के मुताबिक यह प्री-इंस्टॉलेशन का नियम सिर्फ मोबाइल निर्माताओं पर अनिवार्य है। यूज़र चाहें तो ऐप को हटा सकते हैं, उस पर कोई रोक नहीं।
सवाल : क्या ऐप को ज्यादा परमिशन चाहिए?
जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप केवल सीमित और जरूरत-आधारित परमिशन लेता है। कॉल/SMS लॉग जैसी बेसिक परमिशन केवल तभी ली जाती है, जब कोई फ्रॉड रिपोर्ट प्रक्रिया में हो। सबूत अपलोड करने की स्थिति में कैमरा/स्टोरेज एक्सेस की जरूरत पड़ती है।
क्या है संचार साथी ऐप?
सरकार द्वारा शुरू किया गया यह ऐप एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां यूज़र खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की शिकायत दर्ज करके IMEI को तुरंत ब्लॉक करा सकते हैं। साथ ही यह संदिग्ध लिंक की रिपोर्टिंग, फ्रॉड कॉल्स की शिकायत और अपने नाम पर रजिस्टर्ड सभी मोबाइल कनेक्शन की जानकारी भी देता है। इसके अलावा, ऐप से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई स्मार्टफोन असली है या नकली और क्या वह पहले चोरी तो नहीं हुआ था।
कानूनी आधार क्या है?
यह आदेश Telecom Cybersecurity Rules 2024 और Telecommunications Act 2023 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है, इसलिए यह कानूनन वैध है।
भारत में मोबाइल सुरक्षा और साइबर फ्रॉड पर बढ़ती चिंता के बीच संचार मंत्रालय द्वारा मई 2023 में लॉन्च किया गया ‘संचार साथी ऐप’ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। खोए हुए फोन को ट्रेस करने से लेकर फर्जी कॉल्स की रिपोर्टिंग तक—यह ऐप अब आम नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण डिजिटल टूल बन चुका है।
भारत सरकार के आदेश के बाद अब देश में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन में संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप प्री-इंस्टॉल होकर आएगा। इस फैसले के बाद संसद से लेकर सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है—क्या यह ऐप सुरक्षित है? क्या इससे लोगों की प्राइवेसी पर खतरा हो सकता है? इसी बीच सरकार ने ऐप से जुड़े मिथकों को दूर करते हुए इसके असली फीचर्स और सुरक्षा उपायों की जानकारी साझा की है।
संचार साथी के 5 बड़े फीचर्स
सरकारी ऐप में पांच नागरिक-केंद्रित फीचर शामिल हैं, जो साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए हैं:
1. चक्षु: संदिग्ध धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग सिस्टम
अगर किसी यूज़र को ठगी वाले कॉल/SMS आते हैं तो वे ऐप के ज़रिए तुरंत रिपोर्ट कर सकते हैं।
2. खोए/चोरी हुए मोबाइल का ब्लॉक
फोन गुम या चोरी होने पर, ऐप या उसके वेब पोर्टल से IMEI नंबर को ब्लॉक किया जा सकता है। फोन मिलने पर IMEI फिर से अनब्लॉक किया जा सकता है।
3. अपने नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं—जाँचें
यूज़र यह पता कर सकते हैं कि उनके नाम पर कुल कितने सिम कार्ड जारी हुए हैं।
4. स्मार्टफोन की असलियत जांचें
नया या पुराना मोबाइल खरीदते समय IMEI दर्ज कर फोन का ‘रिपोर्ट कार्ड’ देखा जा सकता है—यानी फोन असली है या नहीं।
5. भारतीय नंबर से आने वाली इंटरनेशनल कॉल्स की रिपोर्ट
फर्जी इंटरनेशनल कॉल्स, जो भारतीय नंबर दिखाती हैं, उनकी शिकायत भी की जा सकती है।
सरकार का स्पष्टीकरण: ऐप से कोई प्राइवेसी खतरा नहीं
सवाल : क्या ऐप प्राइवेसी के लिए सुरक्षित है?
जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप कोई भी संवेदनशील डेटा इकट्ठा नहीं करता, और न ही माइक्रोफोन, ब्लूटूथ या लोकेशन डेटा लेता है।
सवाल : क्या ऐप अनिवार्य है, अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता?
जवाब : सरकार के मुताबिक यह प्री-इंस्टॉलेशन का नियम सिर्फ मोबाइल निर्माताओं पर अनिवार्य है। यूज़र चाहें तो ऐप को हटा सकते हैं, उस पर कोई रोक नहीं।
सवाल : क्या ऐप को ज्यादा परमिशन चाहिए?
जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप केवल सीमित और जरूरत-आधारित परमिशन लेता है। कॉल/SMS लॉग जैसी बेसिक परमिशन केवल तभी ली जाती है, जब कोई फ्रॉड रिपोर्ट प्रक्रिया में हो। सबूत अपलोड करने की स्थिति में कैमरा/स्टोरेज एक्सेस की जरूरत पड़ती है।
क्या है संचार साथी ऐप?
सरकार द्वारा शुरू किया गया यह ऐप एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां यूज़र खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की शिकायत दर्ज करके IMEI को तुरंत ब्लॉक करा सकते हैं। साथ ही यह संदिग्ध लिंक की रिपोर्टिंग, फ्रॉड कॉल्स की शिकायत और अपने नाम पर रजिस्टर्ड सभी मोबाइल कनेक्शन की जानकारी भी देता है। इसके अलावा, ऐप से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई स्मार्टफोन असली है या नकली और क्या वह पहले चोरी तो नहीं हुआ था।
कानूनी आधार क्या है?
यह आदेश Telecom Cybersecurity Rules 2024 और Telecommunications Act 2023 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है, इसलिए यह कानूनन वैध है।












