Friday, 22 November 2024

साहिरा सिंह के कुचिपुड़ी नृत्य ने लोगों को भाव विभोर किया

Delhi News : साहिरा सिंह ने हाल ही में कमानी ऑडिटोरियम में अपने ‘रंगप्रवेशम’ कार्यक्रम के साथ कुचिपुड़ी नृत्य के…

साहिरा सिंह के कुचिपुड़ी नृत्य ने लोगों को भाव विभोर किया

Delhi News : साहिरा सिंह ने हाल ही में कमानी ऑडिटोरियम में अपने ‘रंगप्रवेशम’ कार्यक्रम के साथ कुचिपुड़ी नृत्य के क्षेत्र में अपनी एकल कलाकार के रूप में शानदार शुरुआत की। यह कार्यक्रम प्रसिद्ध पद्म भूषण गुरु डॉ. राजा राधा रेड्डी और श्रीमती कौशल्या रेड्डी द्वारा स्थापित नृत्य संस्थान “नाट्य तरंगिणी” द्वारा आयोजित किया गया था। साहिरा केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयन्त सिंह चौधरी और श्रीमती चारु सिंह की पुत्री हैं और उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया।

‘रंगप्रवेशम’ कार्यक्रम का आयोजन

प्रसिद्ध पद्म भूषण गुरु डॉ. राजा राधा रेड्डी और श्रीमती कौशल्या रेड्डी द्वारा स्थापित नृत्य संस्थान “नाट्य तरंगिणी” द्वारा साहिरा सिंह का ‘रंगप्रवेशम’ कार्यक्रम कमानी ऑडिटोरियम में प्रस्तुत किया गया। साहिरा, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयन्त सिंह चौधरी और श्रीमती चारु सिंह की पुत्री हैं। रंगप्रवेशम की यह प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्य के क्षेत्र में साहिरा का एकल कलाकार के रूप में पदार्पण था, जिसमें उन्होंने प्रतिष्ठित दर्शकों के सामने कुचिपुड़ी नृत्य में अपनी कला का प्रदर्शन किया।रंगप्रवेशम, जिसका अर्थ है “कलरफुल एंट्रेंस” एक नृत्यांगना के पेशेवर (प्रोफेशनल) कलाकार के रूप में परिवर्तन का प्रतीक है। साहिरा के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसमें उन्होंने कुचिपुड़ी नृत्य की अपनी तकनीकी निपुणता और कलात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाया।

गणपति वंदना से कार्यक्रम की हुई शुरुआत

साहिरा सिंह के रंगप्रवेशम कार्यक्रम की शुरुआत गणपति वंदना के साथ हुई। विघ्नहर्ता भगवान गणेश का आह्वान, शाम के लिए एक शुभ स्वर निर्धारित करता है। आह्वान के बाद, साहिरा ने दशावतार के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जो भगवान विष्णु के दस अवतारों का एक नाटकीय चित्रण था, जिसमें भाव (भावना) और लयबद्ध ताल (बीट्स) को एक साथ जोड़कर मत्स्य, कूर्म, नरसिम्हा और कल्कि जैसे दिव्य अवतारों की कहानियां सुनाई जाती हैं। इसके बाद, साहिरा ने अमीर खुसरो की एक भक्ति रचना ‘छाप तिलक सब छीनी’ प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने कविता के आध्यात्मिक सार को व्यक्त करते हुए अपने सुंदर नियंत्रण और भावनात्मक गहराई से दर्शकों को मोहित किया। इस गीत की आध्यात्मिक भावना को सजीव रूप से प्रस्तुत कर साहिरा ने अपनी बेहतरीन कला का मंचन किया जो उनकी महारत को दर्शाता है।

‘थाली नृत्य’ की प्रस्तुति

कार्यक्रम का आखिरी प्रदर्शन तारंगम था, जो भगवान कृष्ण की प्रशंसा में प्रस्तुत की जाने वाली कुचिपुड़ी की एक खास रचना है। इस प्रस्तुति में साहिरा ने प्रसिद्ध ‘थाली नृत्य’ किया, जिसमें उन्होंने पीतल की थाली के किनारे पर संतुलन बनाते हुए लयबद्ध कदमताल से उस सटीकता और जीवंतता को प्रदर्शित किया जिसके लिए कुचिपुड़ी जाना जाता है। उनके इस प्रदर्शन से, दर्शकों की तालियों से ऑडिटोरियम गूँज उठा।

इन दिग्गजों ने की शिरकत

Jagdeep Dhankhar
Jagdeep Dhankhar

इस कार्यक्रम में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ और श्रीमती सुदेश धनखड़ सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित हुए। साथ ही माननीय केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल, माननीय केंद्रीय मंत्री सुश्री अनुप्रिया पटेल, पूर्व लोकसभा सांसद श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राजीव प्रताप रूडी, दिल्ली से सांसद श्री मनोज तिवारी और परिवार के कई अन्य शुभचिंतक भी उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला और भारत की शास्त्रीय नृत्य विरासत को संरक्षित करने के लिए साहिरा के समर्पण का उत्सव मनाया।

भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ इस समारोह के मुख्य अतिथि थे और उनकी प्रस्तुति देखने के बाद उन्होंने रंगप्रवेशम पर साहिरा सिंह को बधाई दी। उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए इस कला रूप को जीवंत बनाए रखने के लिए उनके समर्पण और उनके गुरुओं के योगदान की भी सराहना की। माननीय उपराष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर अपनी टिप्पणी साझा करते हुए कहा कि, “आज कमानी ऑडिटोरियम में सुश्री साहिरा सिंह द्वारा भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक सुखद, उत्कृष्ट प्रदर्शन देखने को मिला। हमारे पारंपरिक कला रूप का यह प्रदर्शन न केवल हमारे लिए आनंददायक है बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत लोकाचार का भी प्रतिबिंब है।”

रंगप्रवेशम हमारे लिए बहुत गर्व का क्षण- डॉ. राजा राधा रेड्डी

साहिरा के गुरु पद्म भूषण डॉ. राजा राधा रेड्डी ने कहा, “साहिरा का रंगप्रवेशम हमारे लिए बहुत गर्व का क्षण है। उन्होंने कुचिपुड़ी के प्रति उल्लेखनीय अनुशासन, कलात्मकता और समर्पण दिखाया है। उनके गुरु के रूप में, हमने वर्षों से उनको आगे बढ़ते हुए देखा है और आज, उन्होंने वास्तव में इस प्राचीन कला रूप के सार को मूर्त रूप दिया है। यह नृत्य के क्षेत्र में उनके उज्ज्वल भविष्य की शुरुआत मात्र है।”

साहिरा ने जताया आभार

साहिरा ने कहा, “मैं अपने गुरुओं, गुरु राजा राधा रेड्डी और कौशल्या रेड्डी के मार्गदर्शन और अपने परिवार और दोस्तों के सहयोग के साथ इस यात्रा को पूरा करने पर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ।” “यह रंगप्रवेशम वर्षों के जुनून और कड़ी मेहनत का प्रमाण है और मैं अपने नृत्य करियर में नए अवसर तलाशने के लिए उत्सुक हूँ।

श्री जयन्त चौधरी ने सब का धन्यवाद किया

माननीय केंद्रीय मंत्री और साहिरा के पिता श्री जयन्त चौधरी ने समारोह में धन्यवाद देते हुए कहा, “एक अभिभावक के रूप में, मैं साहिरा को अपनी नृत्य यात्रा में यह महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाते हुए देखकर खुशी और गर्व से अभिभूत हूँ। यह शाम साहिरा के समर्पण, उसके असाधारण गुरुओं के मार्गदर्शन तथा उसका सहयोग करने वाले सभी लोगों के प्रेम और प्रोत्साहन का प्रतिबिंब है। मुझे विश्वास है कि वह कुचिपुड़ी की परंपराओं का सम्मान करना जारी रखेगी और साथ ही नृत्य की दुनिया में अपनी एक नई पहचान भी बनाएगी।” उन्होंने आगे कहा कि, “मैं सचमुच मानता हूँ कि कला में भाषा और भूगोल की बाधाओं को पार करने की अद्वितीय क्षमता है, जो व्यक्तियों को अपनी सच्ची अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।”

साहिरा का नृत्य प्रदर्शन न केवल उनकी नृत्य यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि कुचिपुड़ी की शाश्वत सुंदरता का भी उत्सव बनकर सामने आया। जिसने अपने जटिल पदचिह्नों, जीवंत कहानी और भावनात्मक गूँज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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