Saturday, 27 April 2024

Teacher’s Day : शिक्षकों से कुछ सीखना है तो ये सीखिए…

शिक्षक दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं। लगभग आप सभी ने आज अपने शिक्षकों को याद किया होगा,…

Teacher’s Day : शिक्षकों से कुछ सीखना है तो ये सीखिए…
शिक्षक दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं। लगभग आप सभी ने आज अपने शिक्षकों को याद किया होगा, कुछ प्रिय शिक्षकों का अभिनंदन किया होगा, प्रथम शिक्षक माता-पिता का धन्यवाद किया होगा और भाई, बहन, दोस्त, इत्यादि जिनसे जीवन में सीखा है उन्हें बधाई दी होगी।
स्कूल के छात्रों को अक्सर वो शिक्षक पसंद होते हैं जो व्यवहार कुशल हों या काफी बुद्धिमान हों या जिन्होंने मार्गदर्शन किया चाहे समझा कर या डांट कर। परंतु वक्त के साथ शिक्षक का स्वरूप भी बदल जाता है। बड़े होते होते लोग दोस्तों और सहकर्मियों से सीखने लगते हैं। डिजिटल युग में इनफ्लुएंसर और वेब सिरीज़ सीखने का नया मध्यम बन गए हैं। कुछ लोग तो स्वयं जीवन को सबसे बड़ा शिक्षक मानते हैं।
मनुष्य ही एक ऐसा विचित्र प्राणी है जो हर व्यक्ति, हर परिस्थिति, हर घटना, से सीख लेने की क्षमता रखता है। इन अनेकों स्रोत से प्राप्त अनुभव को अपने जीवन में सम्मिलित करने से मनुष्य अपने आप को निरंतर परिवर्तित करता रहता है और एक अनोखे ज्ञान का भंडार बन जाता है। अंतर दर्शन करने पर अक्सर यही पाया जाता है कि सच्चा शिक्षक केवल आपको किताबी ज्ञान नहीं परंतु जीवन के अनेकों मूल्यों से अवगत कराता है।
ऐसे में शिक्षक चाहे जिस रूप में मिले हों और चाहे जो भी ज्ञान उन्होंने दिया हो, आज के दिन हमें शिक्षकों से जो सबसे महत्वपूर्ण बात सीखनी चाहिए वो है ‘सीख देना’। ऐसी कितनी चीजें होंगी जो हमने सीखकर, सोच-समझकर, अपना जरूर ली हैं किंतु अपने तजुर्बे से किसी अन्य की मदद करने पर विचार नहीं किया। यही एक शिक्षक का मूल है – अपने अर्जित ज्ञान को सब में बांटना ताकि सबको समान अवसर प्राप्त हो और सबका उद्धार हो।
इसका अर्थ व्यर्थ में फिज़ूल सलाह देना नही है। इसका अर्थ है की यदि आप किसी को संघर्ष करते देखें तो उसको तरफ हाथ बढ़ाएं। किसी को प्रेरित करना, उत्साह देना, प्रोत्साहन देना, आत्मविश्वास बढ़ाना, पीछे न छोड़ना, आदि यदि आपका उद्देश्य है, तो ऐसी सलाह को सराहा भी जाएगा और अपनाया भी। यदि आप के प्रयास से किसी के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो समझ लीजिए आपने जीवन का एक परम उद्देश पूर्ण कर लिया अर्थात आपने मानवता के उद्धार में योगदान किया। तभी तो कबीरदासजी ने कहा –
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोबिंद दियो बताय।।

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