Tuesday, 23 April 2024

शिक्षक पर्व : वास्तविक परिवर्तन या पुरानी योजनाओं का नया चेहरा?

शिक्षा मंत्रालय द्वारा 5 से 17 सितंबर, 2021 के दौरान मनाए जा रहे ‘शिक्षक पर्व’ के प्रथम सम्मेलन में आज…

शिक्षक पर्व : वास्तविक परिवर्तन या पुरानी योजनाओं का नया चेहरा?
शिक्षा मंत्रालय द्वारा 5 से 17 सितंबर, 2021 के दौरान मनाए जा रहे ‘शिक्षक पर्व’ के प्रथम सम्मेलन में आज प्रधान मंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा 5 नई पहलों की घोषणा की। इनमें एसक्यूएएएफ (स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन और मान्यता ढांचा), विद्यांजलि पोर्टल (स्वयंसेवकों और योगदानकर्ताओं की सुविधा के लिए), निष्ठा (शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम), 10,000 शब्दों का भारतीय संकेतिक भाषा शब्दकोश और बोलने वाली किताबें (दृष्टिहीनों के लिए ऑडियोबुक) शामिल हैं।
परंतु इनके बारे में अधिक जानने पर प्रश्न यह उठता है कि क्या वास्तव में इन्हे ‘पहल’ कहा जा सकता है?
एसक्यूएएएफ स्कूलों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई द्वारा कईं वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। इसका प्रयोग तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम में 2009 से वर्णित है तो ज़ाहिर है ये कोई नया विचार तो नहीं है।
विद्यांजली पोर्टल भी शिक्षा के क्षेत्र में नागरिक सहभागिता, स्वयंसेवा और आर्थिक योगदान बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा 2016 में शुरू कर दी गई थी।
निष्ठा योजना को प्रारंभिक स्तर पर परिणामों में सुधार करने के लिए 2019 में ही शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रारंभ कर दिया गया था। यह योजना पहले से ही समग्र शिक्षा अभियान का अंग है।
भारतीय संकेतिक भाषा के शब्दकोश में अकादमिक, चिकित्सा, कानूनी, तकनीकी और नियमित बातचीत में उपयुक्त 7000 शब्द तो 2017 से मौजूद हैं जब इस भाषा को संहिताबद्ध करने का प्रथम प्रयास किया गया।
डिजिटल युग में ऑडियोबुक समय की कमी में भी किताबों से जोड़े रखती हैं। दृष्टिहीनों के लिया तो समझिए रामबाण के समान हैं। असल में तो अधिकतर दृष्टिहीन जो शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं, वो पहले से ही टेक्स्ट–टू–स्पीच सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर ही रहे थे। तो इस कदम से समावेश की ओर पहल मानी जा सकती है।
नई शिक्षा नीति काफी महत्त्वाकांक्षी और भविष्यवादी नीति है तो कदम छोटे होने पर भी प्रभावकारी हो सकते हैं। फिर सोच या इरादे की दृष्टि से देखा जाए तो ये कार्य अवश्य सराहनीय है और निरंतर आगे बढ़ने के प्रयास से सफलता के मार्ग को ज़रूर पाया जा सकता है। लेकिन वो प्रयास केवल नाम मात्र नही होना चाहिए। आशा यही की जा सकती है की अब इन योजनाओं पर पुन: ध्यान केंद्रित हुआ है तो इनका उद्देश्य भी पूर्ण हो।

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