Delhi : सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर आज आ सकता है फैसला




Dr. Nurima Yasmin Shastri : गुवाहाटी। संस्कृत को आमतौर पर हिंदू धर्म के लोगों की भाषा माना जाता है। इसकी शिक्षा लेने वाले अधिकतर छात्र हिंदू होते हैं। दूसरी ओर ज्यादातर मुस्लिम छात्र अरबी, फारसी और उर्दू की पढ़ाई करते हैं। गुवाहाटी में रहने वाली मुस्लिम महिला डॉ. नूरिमा यास्मीन शास्त्री ने इस धारणा को तोड़ा है।
डॉ. नूरिमा यास्मीन संस्कृत में विद्वान हैं। उन्होंने वेद-पुराणों का भी अध्ययन किया है। उन्होंने स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक संस्कृत में पढ़ाई की है। यास्मीन, कुमार भास्कर बर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय, नलबाड़ी में संस्कृत की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। यास्मीन ने बताया कि संस्कृत हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की पवित्र भाषा है। प्री क्लासिकल फॉर्म में संस्कृत को वैदिक संस्कृत के रूप में जाना जाता है। यह प्राचीन भाषा है। हिंदू धर्म के सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद को संस्कृत में लिखा गया था। हिंदू धर्म के सभी पवित्र ग्रंथ और मंत्र संस्कृत में लिखे गए हैं।
डॉ. नूरिमा यास्मीन पश्चिमी असम के रंगिया में रहने वाले दिवंगत अली बर्दी खान और शमीना खातून की सबसे छोटी बेटी हैं। उनके पिता रंगिया हायर सेकेंडरी स्कूल में अंग्रेजी के टीचर थे। यास्मीन ने रंगिया हायर सेकेंडरी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद कॉटन कॉलेज (अब कॉटन यूनिवर्सिटी) में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से संस्कृत में स्नातक किया। यास्मीन ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एमए और एमफिल की डिग्री प्राप्त की। यास्मीन ने 2008 में शास्त्री डिग्री और 2015 में Ph.D. डिग्री ली। वह 2008 से प्रोफेसर के रूप में संस्कृत पढ़ा रहीं हैं।
यास्मीन ने कहा कि संस्कृत गहन और गंभीर विषय है। यह सिर्फ एक धर्म के संबंधित नहीं है। संस्कृत दिव्य भाषा है। यह सभी भाषाओं की जड़ है। संस्कृत पढ़ने से अन्य भाषाएं सीखने में आसानी होती है। सभी को संस्कृत पढ़ना चाहिए। यास्मीन ने बताया कि वह बचपन से ही संस्कृत पढ़ना चाहती थी। उन्होंने आठवीं क्लास से इसकी पढ़ाई शुरू की थी। किसी ने उन्हें स्कूल में यह भाषा पढ़ने से नहीं रोका। वह संस्कृत की क्लास में इकलौती मुस्लिम छात्रा होती थी।
यास्मीन ने कहा, "मैं सोचती हूं कि हर किसी को संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इसके बारे में जानने के लिए बहुत सी बातें हैं। जिस विश्वविद्यालय में मैं वर्तमान में संस्कृत साहित्य, संस्कृत वेद अध्ययन विभाग और सर्वदर्शन विभाग में काम करती हूं वहां कई मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं। आजकल हम अपने चारों ओर धर्म के नाम पर अलग-अलग राय सुनते हैं। लेकिन पवित्र कुरान और वेदों में अन्य धर्मों से नफरत करने के लिए नहीं कहा गया है। मैंने कुरान और वेद दोनों को पढ़ा है।"
Dr. Nurima Yasmin Shastri : गुवाहाटी। संस्कृत को आमतौर पर हिंदू धर्म के लोगों की भाषा माना जाता है। इसकी शिक्षा लेने वाले अधिकतर छात्र हिंदू होते हैं। दूसरी ओर ज्यादातर मुस्लिम छात्र अरबी, फारसी और उर्दू की पढ़ाई करते हैं। गुवाहाटी में रहने वाली मुस्लिम महिला डॉ. नूरिमा यास्मीन शास्त्री ने इस धारणा को तोड़ा है।
डॉ. नूरिमा यास्मीन संस्कृत में विद्वान हैं। उन्होंने वेद-पुराणों का भी अध्ययन किया है। उन्होंने स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक संस्कृत में पढ़ाई की है। यास्मीन, कुमार भास्कर बर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय, नलबाड़ी में संस्कृत की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। यास्मीन ने बताया कि संस्कृत हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की पवित्र भाषा है। प्री क्लासिकल फॉर्म में संस्कृत को वैदिक संस्कृत के रूप में जाना जाता है। यह प्राचीन भाषा है। हिंदू धर्म के सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद को संस्कृत में लिखा गया था। हिंदू धर्म के सभी पवित्र ग्रंथ और मंत्र संस्कृत में लिखे गए हैं।
डॉ. नूरिमा यास्मीन पश्चिमी असम के रंगिया में रहने वाले दिवंगत अली बर्दी खान और शमीना खातून की सबसे छोटी बेटी हैं। उनके पिता रंगिया हायर सेकेंडरी स्कूल में अंग्रेजी के टीचर थे। यास्मीन ने रंगिया हायर सेकेंडरी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद कॉटन कॉलेज (अब कॉटन यूनिवर्सिटी) में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से संस्कृत में स्नातक किया। यास्मीन ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एमए और एमफिल की डिग्री प्राप्त की। यास्मीन ने 2008 में शास्त्री डिग्री और 2015 में Ph.D. डिग्री ली। वह 2008 से प्रोफेसर के रूप में संस्कृत पढ़ा रहीं हैं।
यास्मीन ने कहा कि संस्कृत गहन और गंभीर विषय है। यह सिर्फ एक धर्म के संबंधित नहीं है। संस्कृत दिव्य भाषा है। यह सभी भाषाओं की जड़ है। संस्कृत पढ़ने से अन्य भाषाएं सीखने में आसानी होती है। सभी को संस्कृत पढ़ना चाहिए। यास्मीन ने बताया कि वह बचपन से ही संस्कृत पढ़ना चाहती थी। उन्होंने आठवीं क्लास से इसकी पढ़ाई शुरू की थी। किसी ने उन्हें स्कूल में यह भाषा पढ़ने से नहीं रोका। वह संस्कृत की क्लास में इकलौती मुस्लिम छात्रा होती थी।
यास्मीन ने कहा, "मैं सोचती हूं कि हर किसी को संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इसके बारे में जानने के लिए बहुत सी बातें हैं। जिस विश्वविद्यालय में मैं वर्तमान में संस्कृत साहित्य, संस्कृत वेद अध्ययन विभाग और सर्वदर्शन विभाग में काम करती हूं वहां कई मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं। आजकल हम अपने चारों ओर धर्म के नाम पर अलग-अलग राय सुनते हैं। लेकिन पवित्र कुरान और वेदों में अन्य धर्मों से नफरत करने के लिए नहीं कहा गया है। मैंने कुरान और वेद दोनों को पढ़ा है।"

Bihar News / पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाजपा के बिहार में सत्ता में आने पर दंगाईयों को उल्टा लटका दिए जाने संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को कहा कि यह प्रदेश लोगों को सीधा करने के लिए जाना जाता है।
राजद नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा के कई सांसद हंगामा करने में शामिल थे, लेकिन पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार शाह ने उनके व्यवहार के लिए उनकी खिंचाई नहीं की।
तेजस्वी ने कहा कि यह बिहार है। यहां के लोग जानते हैं कि जिन्हें इस तरह के इलाज की जरूरत है, उन्हें कैसे ठीक करना है। गुजरात के लोगों के लिये, बिहार में अपने प्रवचन के दौरान यह याद रखना अच्छा होगा कि यह वही भूमि है जहां गांधी महात्मा बने थे।
उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को नवादा जिले की एक रैली में शाह के उग्र भाषण जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में भाजपा के सत्ता में आने पर दंगाइयों को उल्टा लटका दिया जाएगा।
दिल्ली से लौटने के बाद पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजद के युवा नेता ने यह भी कहा कि शाह ने सांप्रदायिक स्थिति का जायजा लेने के लिए बिहार के राज्यपाल को फोन करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, और यह ‘संघवाद’’ की भावना के खिलाफ है । उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार के अधिकार को कमजोर करने जैसा था।
राजद नेता ने आरोप लगाया कि राज्य में 100 से अधिक स्थानों पर रामनवमी उत्सव के दौरान जुलूस निकाले गए पर सासाराम और बिहारशरीफ में सांप्रदायिक गड़बड़ी पैदा करने के गंभीर प्रयास किए गए।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि दंगे एक साजिश का नतीजा थे, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी तरह से।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दो महीने से भी कम समय पहले पूर्णिया जिले में सत्ताधारी महागठबंधन की सफल रैली के बाद से विपक्षी भाजपा बौखला गई है।
तेजस्वी ने राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए आरोप लगाया, ‘‘तमिलनाडु में प्रवासियों पर हमलों के झूठे आरोपों के साथ उपद्रव करने का प्रयास भी विफल रहा इसलिए अब दंगे करवाए गए।’’
उन्होंनें कहा कि सत्ता रहे न रहे, भाईचारा रहना चाहिए। तेजस्वी ने पूछा कि अमित शाह दंगाइयों को उल्टा लटकाने की बात करते हैं। वह कई सांसदों से घिरे हुए हैं, जो खुले तौर पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काते हैं। उन्होंने उनमें से कितनों को सीधा किया है।
Bihar News / पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाजपा के बिहार में सत्ता में आने पर दंगाईयों को उल्टा लटका दिए जाने संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को कहा कि यह प्रदेश लोगों को सीधा करने के लिए जाना जाता है।
राजद नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा के कई सांसद हंगामा करने में शामिल थे, लेकिन पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार शाह ने उनके व्यवहार के लिए उनकी खिंचाई नहीं की।
तेजस्वी ने कहा कि यह बिहार है। यहां के लोग जानते हैं कि जिन्हें इस तरह के इलाज की जरूरत है, उन्हें कैसे ठीक करना है। गुजरात के लोगों के लिये, बिहार में अपने प्रवचन के दौरान यह याद रखना अच्छा होगा कि यह वही भूमि है जहां गांधी महात्मा बने थे।
उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को नवादा जिले की एक रैली में शाह के उग्र भाषण जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में भाजपा के सत्ता में आने पर दंगाइयों को उल्टा लटका दिया जाएगा।
दिल्ली से लौटने के बाद पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजद के युवा नेता ने यह भी कहा कि शाह ने सांप्रदायिक स्थिति का जायजा लेने के लिए बिहार के राज्यपाल को फोन करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, और यह ‘संघवाद’’ की भावना के खिलाफ है । उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार के अधिकार को कमजोर करने जैसा था।
राजद नेता ने आरोप लगाया कि राज्य में 100 से अधिक स्थानों पर रामनवमी उत्सव के दौरान जुलूस निकाले गए पर सासाराम और बिहारशरीफ में सांप्रदायिक गड़बड़ी पैदा करने के गंभीर प्रयास किए गए।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि दंगे एक साजिश का नतीजा थे, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी तरह से।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दो महीने से भी कम समय पहले पूर्णिया जिले में सत्ताधारी महागठबंधन की सफल रैली के बाद से विपक्षी भाजपा बौखला गई है।
तेजस्वी ने राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए आरोप लगाया, ‘‘तमिलनाडु में प्रवासियों पर हमलों के झूठे आरोपों के साथ उपद्रव करने का प्रयास भी विफल रहा इसलिए अब दंगे करवाए गए।’’
उन्होंनें कहा कि सत्ता रहे न रहे, भाईचारा रहना चाहिए। तेजस्वी ने पूछा कि अमित शाह दंगाइयों को उल्टा लटकाने की बात करते हैं। वह कई सांसदों से घिरे हुए हैं, जो खुले तौर पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काते हैं। उन्होंने उनमें से कितनों को सीधा किया है।