News Update : अब तक की सुर्खियां, वो खबरें जिन पर रहेंगी हमारी नजर

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The headlines so far, the news that we will keep our eyes on
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 07:25 PM
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News Update :

  राष्ट्रीय: 1. गुजरात विधानसभा चुनावों का आज एलान हो सकता है। सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग द्वारा आज दोपहर तक गुजरात में चुनाव की तारीखों की घोषणा की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो यह चुनाव दो चरणों में हो सकता है। दिसंबर को पहले सप्ताह में वोटिंग कराई जा सकती है। अभी तक सामने आई जानकारी के मुताबिक एक से दो दिसंबर को पहले चरण और चार से पांच दिसंबर को दूसरे चरण के मतदान हो सकते हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश के साथ ही साथ गुजरात चुनाव के नतीजे भी आठ दिसंबर को घोषित किए जा सकते हैं। 2. गुजरात के मोरबी जिले में केबल ब्रिज गिरने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इसको लेकर एक याचिका दायर की गई है। याचिका में मामले की जांच शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में एक न्यायिक आयोग के गठन का तुरंत निर्देश देने की मांग की गई है। 3. पिछले सप्ताह 25 अक्टूबर को देश-दुनिया में सूर्य ग्रहण 2022 लगा था और अब चंद्र ग्रहण 2022 की तैयारी शुरू हो गई है। देश-दुनिया के खगोलशास्त्रियों, पुजारियों और ज्योतिषियों के साथ आम लोगों में भी चंद्र ग्रहण को लेकर अभी से खासा उत्साह है। दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में साल का अंतिम चंद्र ग्रहण अगले सप्ताह लगेगा। चंद्र ग्रहण लगने की तारीख होगी 8 नवंबर और दिन होगा मंगलवार। यह ग्रहण शाम को 5 बजे के बाद लगेगा। साल का दूसरी और अंतिम चंद्र ग्रहण 2022 मंगलवार 8 नवंबर को लगेगा और यह कुल 1 घंटा और 95 मिनट का होगा। 8 नवंबर को लगने चंद्र गहण इस साल का अंतिम ग्रहण होगा। ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण का भी व्यापक असर होता है। पूर्णिमा की रात को सूर्य, चंद्रमा व पृथ्वी परिक्रमा करते-करते एक सीध में आ जाते हैं, पृथ्वी के मध्य में होने की वजह से इसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिसकी वजह से चंद्रग्रहण होता है। चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया कभी-कभी आकर्षक लाल रंग की नजर आती है तो कभी यह चंद्रमा को पूरी तरह से कवर कर लेती है। 4. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोरबी में हुए पुल हादसे को लेकर गांधीनगर में अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक के दौरान उन्होंने हादसे के बारे में जानकारी ली और घायलों की पूरी मदद करने का निर्देश दिया। पीएम मोदी ने बैठक में दो नवंबर को प्रदेश में राजकीय शोक घोषित करने का भी निर्णय लिया। उन्होंने बचाव एवं राहत प्रयासों में कोई ढिलाई न बरतने का निर्देश दिया। 5. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद के असारवा स्टेशन से और राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने उदयपुर सिटी स्टेशन से उदयपुर-हिम्मतनगर-असारवा गेज परिवर्तन का उद्घाटन करते हुए रेल सेवा को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। असारवा में आयोजित समारोह में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे। असारवा, अहमदाबाद में आयोजित शुभारंभ समारोह के साथ-साथ उदयपुर से भी इस आमान परिवर्तित रेल लाइन पर नई रेल सेवा का शुभारंभ किया गया। असारवा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज इस परियोजना के पूर्ण होने एवं रेल सेवा के प्रारंभ होने से लाखों लोगों को राहत मिलने जा रही है। दशकों बीत जाने के बाद गेज परिवर्तन का यह कार्य पूर्ण हुआ है। गेज परिवर्तन करने से यह क्षेत्र से संपूर्ण भारत से सीधे जुड़ गया है। ब्रॉड गेज लाइन होने से सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन होते हैं, जिससे सभी को लाभ प्राप्त होता है। अहमदाबाद-हिम्मतनगर- उदयपुर ब्रॉड गेज लाइन प्रारंभ होने से अहमदाबाद-दिल्ली के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा एवं यह क्षेत्र सीधे उत्तर भारत से जुड़ गया है। 6. गुजरात के मोरबी में झूला पुल के टूटने से 134 लोगों की मौत के बाद देश के अन्य राज्यों में बने झूला पुलों के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है। ओडिशा में तो कटक जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आठगढ़ के प्रसिद्ध शैव पीठ जाने के लिए बने धवलेश्वर झूला पुल को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है। उत्तराखंड में भी जिन झूला पुलों की स्थिति अच्छी नहीं है, उन पर प्रशासन पहले से ही लगातार नजर रखे हुए हैं। इसी सतर्कता का नतीजा है कि विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल को दो वर्ष ही बंद किया जा चुका है। ओडिशा के कटक जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आठगढ़ के प्रसिद्ध शैव पीठ जाने के लिए बने धवलेश्वर झूला पुल को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है। इस अवधि में यहां जांच व मरम्मत के काम होंगे। इसके साथ ही शैव पीठ परिसर में प्रशासन ने अनिश्चित काल के लिए धारा 144 लगा दी है। आठगढ़ के तहसीलदार प्रियव्रत दास ने बताया कि कोलकाता से आए विशेषज्ञों की टीम ने सोमवार को झूला पुल का अध्ययन किया है। उन्होंने पुल की मरम्मत करने की आवश्यकता बताई है।

News Update :

  अंतर्राष्ट्रीय: 1. यूरोपीय यूनियन ने रूस से अनुरोध किया है कि वह यूक्रेन से खाद्यान्न निर्यात का समझौता तोड़ने के निर्णय को बदले। इस निर्णय से विश्व में खाद्यान्न संकट का खतरा पैदा हो जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के निर्णय को पूरी तरह से क्रूरतापूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से विश्व में भुखमरी की समस्या बढ़ेगी। जबकि यूक्रेन ने कहा है कि खाद्यान्न निर्यात के समझौते से अलग होने का रूस का निर्णय पूर्व नियोजित है। बता दें कि काला सागर में शनिवार को रूसी नौसेना पर यूक्रेन के ड्रोन हमले के बाद रूस ने संयुक्त राष्ट्र के प्रयास से जुलाई में हुआ खाद्यान्न निर्यात समझौता तोड़ने की घोषणा की थी। इसके कारण काला सागर के जरिये यूक्रेनी खाद्यान्न का निर्यात एक बार फिर से रुक गया है। यूक्रेन का समुद्री यातायात केवल काला सागर के जरिये होता है और फरवरी से ही रूसी नौसेना ने पूरे जल क्षेत्र में नाकेबंदी कर रखी है। 2. पिछले दिनों अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी के पति पॉल पेलोसी पर एक घुसपैठिए ने हथौड़े से हमला किया। यह हमलावर पेलोसी की तलाश कर रहा था और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हमलावर की पहचान 42 वर्षीय डेविड डेपेप के रूप में हुई। इस हमले के दौरान वह स्पीकर पेलोसी को सैन फ्रांसिस्को घर में अपहरण करने के प्रयास में था। जिला अटॉर्नी बु्रक जेनकिंस ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सैन फ्रांसिस्को सुपीरियर कोर्ट में हमलावर पर कई अलग-अलग मामलों पर आरोप दायर किए गए हैं। इनमें हत्या का प्रयास, घातक हथियार से हमला, चोरी, दुर्व्यवहार और एक सार्वजनिक अधिकारी को धमकी देना शामिल है। 3. अफगानिस्तान में जबसे तालिबान का कब्जा हुआ है, तभी से महिलाओं की आजादी पर प्रतिबंध लग चुका है। तालिबान के राज में महिलाओं के मूल अधिकारों पर प्रतिबंध एक वैश्विक चिंता बन गई है। अफगान महिलाओं ने काबुल में अपने अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। टोलो न्यूज के मुताबिक, महिलाएं छठी कक्षा से अधिक लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी के लिए काबुल के सड़कों पर निकलकर आजादी की मांग कर रही है। महिला प्रदर्शनकारियों ने तालिबान से महिलाओं के लिए काम करने और कक्षा 6 से ऊपर की लड़कियों की शिक्षा की अनुमति देने का आह्वान किया है। गृह मंत्रालय के एक पूर्व कर्मचारी, मारघलारे ने कहा, हम संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हम पर ध्यान देने और महिलाओं को उनके अधिकारों के उल्लंघन से बचाने का आह्वान करते हैं। 4. रूस ने उत्तरपूर्वी यूक्रेनी शहर खार्किव और चर्कासी में मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमले किए हैं, जिससे कीव की 80 प्रतिशत आबादी को सोमवार को बिजली और पानी की कटौती का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेनी अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बता दें कि यह हमला रूस द्वारा अपने काला सागर बेड़े पर ड्रोन हमले के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराए जाने के कुछ दिनों बाद हुआ है। राजधानी के मेयर विटाली क्लिट्स्को ने टेलीग्राम पर कहा कि सोमवार को तड़के कीव में धमाकों और हवाई हमले के सायरन की आवाज सुनी गई, जिसके बाद 80 प्रतिशत लोग बिजली और पानी से वंचित हो गए। सीएनएन ने क्लिट्स्को का हवाला देते हुए कहा कि यूक्रेन के लोगों को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य: 1. कोरोना महामारी से अब भी ऐसे कई देश हैं, जो उबर नहीं पाए हैं। चीन भी उसी देश में से एक है। यहां अब तक सख्त लॉकडाउन लागू है और लोगों को घरों में कैद रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा ही हाल कुछ मकाऊ देश का भी हो रखा है। पिछले हफ्ते कोरोना के मामले बढ़ने के बाद मंगलवार को 700,000 निवासियों का कोरोना टेस्ट कराया गया। अधिकारियों को देश के प्रमुख कैसीनों को भी सील करने का आदेश दे दिया है, जिसमें 1500 लोग अंदर ही बंद रहने को मजबूर हैं। मकाऊ, दुनिया का सबसे बड़ा जुआ केंद्र है और मंगलवार को यहां के निवासियों को पीसीआर टेस्ट कराने और प्रतिदिन रेपिड एनटीजेन टेस्ट कराने का आदेश दिया है। अधिकारियों को यकीन है कि एक दिन निवासियों का कोरोना टेस्ट पूरा किया जा सकता है। अधिकारियों ने एमजीएम चीन के कोटाई कैसीनों को बंद कर दिया है। इसके अलावा कैसीनों में मौजूद स्टाफ और मेहमानों को तीन दिन तक अंदर रहने का आदेश सुनाया गया है। इन्हें कब बाहर निकाला जाएगा, इसकी जानकारी अब तक नहीं दी गई है। मौसम: 1. देशभर के मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। पहाड़ी इलाकों में ठंड के बीच बारिश के आसार हैं। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में तापमान में गिरावट देखने को मिल रही है। मौसम विभाग के मुताबिक आज एक नवंबर को तमिलनाडु, केरल सहित 5 राज्यों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना है। भारी बारिश को देखते हुए तमिलनाडु के कई जिलों में स्कूल कालेज बंद कर दिए गए है। राज्य में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। कारोबार: 1. एलपीजी उपभोक्ताओं को राहत देते हुए सरकार ने कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम में एक बार फिर कटौती की है। कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर आज से 115 रुपये तक सस्ता हो गया है। घरेलू सिलेंडर के दामों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है। इंडियन ऑयल द्वारा मंगलवार 1 नवंबर को एलपीजी के नए रेट जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक आज से दिल्ली में इंडेन के 19 किलो के कमर्शियल सिलेंडर के दाम 115.5 रुपये, कोलकाता में 113 रुपये, मुंबई में 115.5 रुपये और चेन्नई में 116.5 रुपये की कटौती की गई है। घरेलू सिलेंडर की कीमतों में 6 जुलाई 2022 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। खेल/खिलाड़ी: 1. टी-20 विश्व कप 2022 में टीम इंडिया अब तक तीन ग्रुप मैच खेल चुकी है, जिसमें उसे दो में हार तो एक में जीत मिली है। दो मैचों मे जीत दर्ज करते हुए भारतीय टीम इस वक्त 4 अंक के साथ अंकतालिका में दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर अभी 5 अंक के साथ साउथ अफ्रीका मौजूद है। वहीं, इस वक्त बांग्लादेश के भी 4 अंक हैं और ये टीम भी सेमीफाइनल की होड़ में बनी हुई है। ऐसे में बांग्लादेश की टीम की कोशिश होगी कि वो भारतीय टीम को चौंकाने का प्रयास करे। वहीं, भारत इस मैच में कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा। मैच को जीतकर अंकतालिका में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेंगे। 2. बांग्लादेश के खिलाफ मैच से पहले टीम इंडिया के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा कि अगले मैच में केएल राहुल और रविचंद्रन अश्विन की जगह रिषभ पंत और युजवेंद्र सिंह चहल को मौका दिया जाए। अगर दिनेश कार्तिक मैच के लिए फिट नहीं है तो टीम दीपक हुड्डा के साथ भी जा सकती है। युजवेंद्र चहल विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं, अगर वह दो-तीन विकेट निकालकर कुछ रन खर्च भी करते हैं तो टीम को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। टीम को कुछ कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं। टीम को आगे बढ़ने के बारे में सोचना होगा।
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MP News : जरूर पढ़िये, एक मासूम के दिल की दर्द भरी दास्तान

Chiedl 1
Must read, the painful story of an innocent heart
locationभारत
userचेतना मंच
calendar31 Oct 2022 10:30 PM
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Bhopal : भोपाल। मध्य प्रदेश के कोटा शहर से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने हर मां बाप को बच्चों के प्रति अपने बर्ताव के बारे में नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। मध्य प्रदेश के कोटा शहर में 10 साल के एक बच्चे ने अपनी अफसर मां को संक्षिप्त पत्र लिखा और घर छोड़कर चला गया। पत्र में लिखा है, ‘डियर मॉम, आई एम लिविंग दिस हाउस, बिकॉज यू ऑल आर टेकिंग केयर ऑफ (छोटे भाई का नाम), यू ऑल आर नॉट टेकिंग केयर टू मी, आई केन लिव ऑन मी’, 10 साल के बच्चे ने जीएसटी अधिकारी मां से नाराज होकर घर छोड़ दिया। उसने मां के नाम इंग्लिश में चार लाइन का खत लिखा। [caption id="attachment_39223" align="aligncenter" width="944"] letter to mom[/caption] पत्र में छोटे भाई से ही ज्यादा प्यार करने की शिकायत की गई है। बच्चे के लापता होने की सूचना पर पुलिस व जीआरपी अलर्ट हो गई। करीब 12 घंटे में पुलिस की टीमों ने उसे रतलाम से ढूंढ निकाला। ये पूरा मामला कोटा के आरके पुरम थाना क्षेत्र का है। पुलिस ने मासूम को कोटा लाकर परिजनों को सुपुर्द किया। जैसे ही बच्चे ने मां को देखा, दोनों लिपटकर फफक पड़े।

MP News :

10 वर्षीय बच्चा कक्षा 4 में पढ़ता है। शनिवार की सुबह करीब 10 बजे वह घर से निकल गया था। घर से निकलने से पहले मासूम ने खत छोड़ा था, जिसमें इंग्लिश में लिखा था, ‘डियर मॉम, आई एम लिविंग दिस हाउस, बिकॉज यू ऑल आर टेकिंग केयर ऑफ (छोटे भाई का नाम), यू ऑल आर नॉट टेकिंग केयर टू मी, आई केन लिव ऑन मी।’ पुलिस की जांच में पता चला है कि बच्चे की मां जीएसटी में अधिकारी हैं और छोटा भाई पांच साल का है। पिता सेना में थे और कुछ महीने पहले ही उनका देहांत हुआ था।

MP News :

इन दिनों बच्चे हद से ज्यादा नाजुक होते जा रहे हैं। छोटी सी बात पर वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, आखिर क्यों? इस सवाल का जवाब हमें अपने बचपन और हमारे बच्चों के बचपन के अंतर को जानने से ही मिलेगा। शिक्षाविद् टिम्सी राय बताती हैं कि हम संयुक्त परिवारों में रहते थे। माता-पिता के प्यार के अलावा हमें दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ वगैरह का प्यार मिलता था। घरों में हमेशा चहल पहल और रौनक बनी रहती थी, लेकिन आज हमारे बच्चे छोटे एकल परिवारों में रह रहे हैं, जहां पिता के साथ-साथ मां भी दिनभर बाहर काम करती है। खाली घरों में बच्चों की देखभाल आया कर रही है। हमारे घरों पर बहुत से रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहता था। उनके लिए घर के साथ-साथ हमें अपने दिल में भी जगह बनानी पड़ती थी। सुख सुविधा के अभाव में हम अनजाने में ही सही, मेहनती और जिम्मेदार बनते चले गए। अब बच्चों को न तो मेहमान दिखते हैं और न ही अभाव। उनके लिए हर चीज एक ऑर्डर पर हाजिर होती है।

MP News :

वह कहती हैं कि भाई-बहनों के साथ जब भी हमें डांट या मार पड़ती थी तो हमें कभी भी दुख या अपमान का एहसास नहीं होता था, क्योंकि जब अपनों का साथ होता है तो दर्द का पता ही नहीं चलता। सजा भी मजेदार लगती है, लेकिन आज अकेलेपन में छोटी सी डांट भी बच्चों को चुभने लगी है। उन्हें लगता है कि बहुत बड़ी बेइज्जती हो गई है। उन दिनों परिवार में कोई न कोई बड़ा जरूर होता था, जैस चाचू, बड़ी मम्मी, भाभी आदि, जिनके साथ हम अपने दिल की हर बात बेझिझक कह सकते थे। जो बात हम माता-पिता से भी कहने में डरते, उनसे बिना हिचकिचाहट कह पाते, लेकिन आज इस सूने से घर में ऐसा कोई नहीं है, जिसके पास बच्चों को समझने या सुनने की फुर्सत हो, जिससे वो अकेलापन महसूस करता है। जब भी हम बोर होते, आसानी से बाहर जा सकते थे और ताजी हवा में घंटों खेल सकते थे। लेकिन, अब ज्यादातर वक्त बच्चे गैजेट्स से चिपके रहते हैं। पैरेंट्स भी डर के कारण बच्चों को अकेले बाहर नहीं भेजते। तुलनात्मक रूप से हम सुरक्षित वातावरण में पले-बढ़े थे, पर हमारे बच्चे प्रदूषण और मिलावट के वातावरण में रह रहे हैं। इससे उनमें नकारात्मक विचार पैदा होते हैं।
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Chetna Manch Special : पहले सरदार, फिर लौह पुरुष बने बल्लभ भाई पटेल

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First Sardar, then Vallabhbhai Patel became Iron Man
locationभारत
userचेतना मंच
calendar31 Oct 2022 04:53 PM
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भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री, प्रथम गृह मंत्री तथा रियासती मामलों के प्रभारी सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले के नाडियाड नामक कस्बे में हुआ था। तब यह जगह मुंबई प्रेसिडेंसी में आती थी। इनके पिता का नाम झावर भाई पटेल व माता का नाम लाडवा बाई था। सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्राथमिक शिक्षा गुजरात में और कानून की पढ़ाई मिडल टेंपल लंदन में हुई थी। शुरुआत में वल्लभ भाई पटेल गांधी जी की विचारधारा से सहमत नहीं थे। वह मानते थे कि संडास साफ कर व ब्रम्हचर्य व्रत का पालन कर आजादी हासिल नहीं हो सकती है, किंतु जब गांधी जी ने किसानों के हित में चंपारण से सत्याग्रह शुरू किया तथा आंदोलन में बड़ी संख्या में किसान उनसे जुड़े तब वल्लभभाई पटेल गांधी जी से बड़े प्रभावित हुए। मुंबई प्रेसिडेंसी पॉलिटिकल कान्फ्रेंस में गांधी जी द्वारा रेजोल्यूशन आफ लॉयल्टी टू ब्रिटिश किंग का प्रस्ताव फाड़े जाने पर सरदार वल्लभभाई पटेल उनके साथ हो गए। उन्होंने अपनी कोट पैंट की वेशभूषा त्याग दी और धोती कुर्ता पहनना शुरू कर दिया। मातृ भाषा में बातचीत करना शुरू कर दिया और पूरी तरह से आजादी के आंदोलन से जुड़ गए। उनका मानना था कि वह वकालत के पेशे से धन तो बहुत कमा सकते हैं, किंतु आजादी नहीं प्राप्त की जा सकती है।

Chetna Manch Special :

सन् 1928 की बात है, बारदोली तालुके में कहीं वृष्टि और कहीं सूखा पड़ने के कारण फसलें अच्छी नहीं हुई, किंतु ब्रिटिश सरकार ने अपना टैक्स 6 परसेंट से बढ़ाकर 22 परसेंट तक कर दिया। किसानों द्वारा इसका विरोध किया गया और गांधी जी से इस आंदोलन का नेतृत्व करने और मदद करने का आग्रह किया गया। गांधी जी उस समय कुछ अन्य कार्यों में व्यस्त थे। अतः उन्होंने किसानों का सहयोग करने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल को बारदोली भेजा। वल्लभभाई पटेल उस समय तक सरदार नहीं बने थे। केवल वल्लभ भाई पटेल ही थे। वल्लभ भाई पटेल ने वहां पहुंचकर सारी समस्याओं का आकलन किया और यह पाया कि ब्रिटिश सरकार ने किसानों को यह धमकी दी है कि अगर वह टैक्स नहीं चुकाएंगे तो उनकी जमीन नीलाम कर दी जाएगी। बल्लभ भाई पटेल कानून की वकालत करते रहे थे। वकालत की डिग्री भी उन्होंने ली थी। वह जानते थे कि जब तक किसान किसी कागज पर अपना अंगूठा नहीं लगाएंगे या हस्ताक्षर नहीं करेंगे, ब्रिटिश सरकार उनकी जमीन नहीं ले पाएगी। उन्होंने यह पता लगाने के लिए गुप्तचरों की एक टीम गठित की कि आज ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि किस किसान के घर उसकी जमीन हड़पने आएंगे। बल्लभ भाई पटेल उस व्यक्ति को पहले ही वहां से भगा देते थे। दो-तीन महीने तक वह किसान अपने घर नहीं आता था। इस तरह से बहुत सारे किसानों को उन्होंने उनके घर से भगाकर उनकी जमीनों की रक्षा की। सरकार ने देखा कि ना तो वह किसानों से टैक्स वसूल पा रही है और ना ही वह जमीन पर कब्जा कर पा रही है, तब उसने किसानों के साथ समझौता किया और टैक्स की राशि घटाकर 6 फीसदी कर दी। किसानों के परिवारों की महिलाएं इस आंदोलन और अपनी जमीनें बच जाने से अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्होंने खुश होकर वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी। क्या गांधी जी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया : देश आजादी के मुहाने पर खड़ा था और कांग्रेस को आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री का चुनाव करना था। कांग्रेस ने यह तय किया था कि 1946 में कांग्रेस का जो भी अध्यक्ष होगा, वही अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री भी होगा। अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नियम था कि प्रांतीय कांग्रेस कमेटियां अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का नाम प्रस्तावित करती थीं। उस समय 15 प्रांतीय कमेटियों में से 12 ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम का प्रस्ताव किया था। दो कमेटियों ने आचार्य जीबी कृपलानी के नाम का प्रस्ताव किया था। आश्चर्यजनक रूप से जवाहर लाल नेहरू के नाम का प्रस्ताव किसी भी प्रांतीय कांग्रेस कमेटी ने नहीं किया था। फिर भी गांधी जी के हस्तक्षेप एवं जवाहर लाल नेहरू की महत्वाकांक्षा ने सरदार भाई वल्लभ भाई पटेल को अध्यक्ष पद से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने को मजबूर कर दिया। यहां यह भी बताना चाहूंगा कि इसके पूर्व 1929, 1936 और 1939 में गांधी जी की इच्छा का सम्मान करते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल अध्यक्ष पद से अपने कदम पीछे खींच चुके थे। बाद में गांधी जी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उनका कहना था कि अगर नेहरू प्रधानमंत्री न बनते तो शायद वह कांग्रेस को तोड़ देते जो कि उस समय देश के हित में नहीं था, क्योंकि इसका फायदा ब्रिटिश सरकार उठाती। रियासतों का एकीकरण : सरदार वल्लभ भाई पटेल को हम जिसके लिए सर्वाधिक याद करते हैं, जिसके लिए यह देश सदा उनका ऋणी रहेगा, वह है आजादी के समय भारत में स्थित लगभग 565 रियासतों को भारतीय संघ में विलय कर भारत राष्ट्र का निर्माण करना। सरकार ने भारतीय रियासतों को यह छूट दी थी कि वह चाहें तो भारत के साथ रह सकती हैं और चाहें तो पाकिस्तान में विलय कर सकती हैं या अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम रख सकती हैं। यह लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे, जिन्होंने साम दाम दंड भेद सभी तरीकों से इन सभी रियासतों का भारत संघ में विलय कर भारत को एक राष्ट्र का स्वरूप दिया।

Chetna Manch Special :

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने रियासतों के राजाओं और नवाबों को यह समझाया कि उनकी रियासतों की जनता ने आजादी के आंदोलन में जो अपना सर्वस्व त्याग किया है, आत्म बलिदान किया है। वह सिर्फ अंग्रेजों की सत्ता से मुक्ति के लिए नहीं है, बल्कि वह आपके कुशासन से भी मुक्ति चाहते हैं। अंत में केवल तीन रियासतें ही ऐसी थीं, जो पाकिस्तान में विलय चाहती थीं या अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम रखना चाहती थीं। इनमें जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान में विलय चाहता था, किंतु सरदार पटेल ने जूनागढ़ में निवास करने वाली जनता को उसके विरुद्ध खड़ा कर उसे यह स्पष्ट कर दिया कि तुम अकेले भले ही पाकिस्तान में मिलना चाहते हो, पर तुम्हारे रियासत की सारी जनता भारत के साथ रहना चाहती है। आखिर जूनागढ़ का विलय भारत के साथ हुआ। हैदराबाद के नवाब को भ्रम था कि वह अत्यंत शक्तिशाली है। उसके पास बहुत धन संपत्ति है। बड़ी सेना है। उसने पाकिस्तान की सरकार को 20 करोड़ रुपये का कर्ज भी दे दिया था। अंत में सरदार वल्लभ भाई पटेल को उसके विरुद्ध सेना उतारनी पड़ी। पुलिस एक्शन किया गया। इस प्रकार हैदराबाद जो कि भारत का मध्य भाग था, उसका भारत के साथ विलय हुआ। यहां मैं यह बताना चाहूंगा कि हैदराबाद उस समय आज के हैदराबाद जैसा नहीं था। इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश का काफी भाग शामिल था। केवल जम्मू एंड कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय से इंकार कर दिया था और उन्होंने अपने राज्य को स्वतंत्र राज्य रखने का निश्चय किया था, किंतु पाकिस्तान की सेना द्वारा कबायलियों के भेष में जम्मू कश्मीर में आक्रमण करने पर राजा हरि सिंह द्वारा 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा जम्मू कश्मीर को पाकिस्तानी आक्रमण से बचाने के लिए अपनी सेना भेजकर जम्मू कश्मीर राज्य की सुरक्षा की गई।

Chetna Manch Special :

अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल न होते तो आज भारत में बहुत सारे देश होते। हम दिल्ली से केरल तक जाते तो हमें रास्ते में दस जगह वीजा लगवाना होता। दस जगह स्टांप लगवाते और कहते हैं कि मैं बहुत बड़ा फॉरेन टूर करके आया हूं। यह देखो मेरा पासपोर्ट। दिल्ली से त्रिवेंद्रम के बीच जो ट्रेन चलती है न, वह अंतरराष्ट्रीय ट्रेन होती, जिसमें हर कुछ किलोमीटर के बाद हम एक नए देश में प्रवेश करते और एक नए देश से बाहर निकलते। मेरे मन में अक्सर यह सवाल आता है कि गांधी जी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को 1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने हेतु क्यों विवश किया, क्या बात सिर्फ इतनी थी जैसा कि बाद में गांधी जी ने कहा था कि जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस में दो नंबर की पोजीशन पर नहीं रहना चाहते थे और यदि उन्हें अध्यक्ष ना बनाया जाता तो वह कांग्रेस को तोड़ देते, जिससे ब्रिटिश सरकार को बहुत फायदा होता। लेकिन, गांधी जी का तो खुद ही यह विचार था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कांग्रेस को भंग कर दिया जाना चाहिए। तब फिर बात क्या कुछ और थी, क्या गांधी जी एक ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, जिसकी डोर उनके हाथ में थी, जो कांग्रेस पार्टी के समर्थन से नहीं, बल्कि गांधीजी के समर्थन से प्रधानमंत्री बनने जा रहा था। क्या कांग्रेस का आज का चरित्र उस समय ही नहीं गढ़ा गया था। एक बात और आपसे शेयर करना चाहता हूं। भारत-पाकिस्तान की संपत्तियों के विभाजन के समय यह तय हुआ था कि भारत सरकार 75 करोड़ रुपये पाकिस्तान को देगी, जिसमें से सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह भी निश्चय किया था कि 20 करोड़ तत्काल एवं 55 करोड़ बाद में दिए जाएंगे। सरदार सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा पाकिस्तान सरकार को धन अदायगी न किए जाने पर महात्मा गांधी द्वारा अनशन शुरू कर दिया गया था। इससे क्या साबित होता है, एक ऐसा व्यक्ति जिसके लिए राष्ट्र सबसे ऊपर था, जो स्वयं कठोर निर्णय ले सकता था, उसे स्वतंत्र भारत का प्रथम प्रधानमंत्री क्यों नहीं होना चाहिए था, यह निर्णय मैं पाठकों पर छोड़ता हूं। जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा पाकिस्तान सरकार द्वारा भारत के विरुद्ध की जा रही कार्रवाइयों और छद्म युद्ध के कारण ही यह धनराशि रोकी गई थी।