नवरात्रि में क्यों की जाती है घट स्थापना, जानना है ज़रूरी

Kalsh
Navratri Ghat Sthapana
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:11 PM
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Navratri Ghat Sthapana : नवरात्र कहें या फिर नवरात्रि कहे। नवदुर्गा शब्द भले ही अलग-अलग हो लेकिन सब का अर्थ एक ही है। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों- शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता कात्यायनी ,कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री की पूजा, अर्चना एवं उपासना होने के कारण इसे नवदुर्गा एवं नौ दिनों तक अनुष्ठान चलने के कारण इसे नवरात्रि कहा जाता है ।

नवरात्रि के प्रथम दिन होती है घट स्थापना

नवदुर्गा/ नवरात्रि के इस अनुष्ठान में प्रथम दिन,जिसे प्रतिपदा कहा जाता है। इसी दिन घट स्थापना की जाती है। घट शब्द का अर्थ है कलश अथवा घड़ा या कुंभ होता है। लेकिन इस शब्द का एक और अर्थ काया या शरीर भी है। नवरात्रि के पूजन में कलश या घट स्थापना अत्यंत विधि-विधान से की जाती है । कलश संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है। कहा जाता है कि कलश के मुख में विष्णु, गले में रुद्र, मूल भाग में ब्रह्मा, मध्य भाग में समस्त देवियां, कोख में समस्त समुद्र, पर्वत, पृथ्वी के सभी सात महाद्वीप निवास करते है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद अपने 6 वेदांगों (जिन्हें कल्प, निरुक्त ,छन्द ,ज्योतिष ,शिक्षा एवं व्याकरण कहते हैं ) सहित कलश में निवास करते है। इस प्रकार कलश रूपी पिंड में संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक माध्यम, एक ही केंद्र में समस्त ब्रह्मांड व समस्त देवताओं के दर्शन के लिए कलश की स्थापना की जाती है। कलश को सभी देव शक्तियों, सभी तीर्थो, सभी नदियों, समुद्रो, महाद्वीपों, समस्त वेदों, समस्त प्राणियों का संयुक्त प्रतीक मानकर विधिपूर्वक उसकी स्थापना की जाती है और पूजन किया जाता है।

कैसे हुई घट यानी कलश की उत्पत्ति

समुद्र मंथन का जो आख्यान (वर्णन) है, वह हमें बताता है कि कुंभ यानी कलश की उत्पत्ति देवों एवं दानवों  द्वारा किए गए समुद्र मंथन से हुई है। जिसे साक्षात भगवान विष्णु ने धारण किया। यह अमृत कलश है जो कि हमारी जिजीविषा (जीने की इच्छा) का प्रतीक है। आत्मा की अमृता का प्रतीक है। घट की स्थापना हमेशा जल से आपूर्ति करके ही की जाती है क्योंकि घट शरीर है और उसमें भरा जल आत्मा है। जो की विराट ब्रह्म अर्थात परमात्मा का ही अंश है। इसके जल में समस्त तीर्थ, समस्त देवता, समस्त प्राणी, प्राण आदि स्थित रहते है। कुंभ साक्षात शिव,विष्णु और ब्रह्मा है। आदित्य ,वसु ,रूद्र, सपैतृक, विश्व देव आदि समस्त कार्यों के फलदाता देवता इसके जल में सदैव स्थित रहते हैं।

कलश के आधार है जल देवता

जल के देवता वरुण को घट जल का आधार माना जाता है। वेदों में वरुण देव को बंधनों से मुक्ति प्रदान करने वाले देवता के रूप में माना गया है। इसलिए केवल नवरात्रि में ही नहीं बल्कि सभी मांगलिक कार्यों में घट स्थापना कर वरुण देव का आवाहन किया जाता है कि वह सभी देवताओं के साथ पधार कर कार्य की विघ्न बाधाएं समाप्त कर मंगल करे।

घट किसका प्रतीक है

जलापूरित घट आत्मा की उज्ज्वलता एवं उसकी निरंतरता का प्रतीक है। कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियों क्यों ना हो, जीवन की कामना का परित्याग ना हो। प्राणी निरंतर प्रयासरत रहे कि जीवन निर्बाध गति से आगे बढ़ता रहे। घट कों शरीर और जल को परमपिता परमात्मा का अंश आत्मा मानकर रची गई कबीर दास की यह साखी भी आत्मा एवं परमात्मा के संबंध को इसी प्रकार व्याख्यायित करती है- जल में कुंभ कुंभ में जल है बाहर भीतर पानी फूटा कुंभ जल जलहि समाना यह तथ कह्यो गियानी घट में जो जल है वह जल घट के आकार का है‌। जिस प्रकार अनुष्ठान के संपूर्ण होने पर उसे नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाएगा तो वह उसी का रूप ले लेगा। उसी प्रकार मनुष्य के शरीर का अनुष्ठान पूर्ण हो जाने पर उसकी आत्मा भी शरीर रूपी घट को त्याग कर परमात्मा में विलीन हो जाती है।

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हरियाणा में नायब सैनी फिर से बनेंगे मुख्यमंत्री, जल्द होगा शपथ ग्रहण का आयोजन

Cm
Haryana Cabinet Formation
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:16 AM
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Haryana Cabinet Formation: हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें हासिल की। इसमें दो बार बीजेपी ने अपने दम पर सरकार बनाई। वहीं 2019 में उसे जेजेपी का साथ लेना पड़ा था। इस बार बीजेपी मंत्रिमंडल में किसको जगह देगी ये देखने वाली बात होगी।

CM नायब सैनी ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात

हरियाणा में बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। बुधवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के सीनियर नेताओं से मुलाकात की। बीजेपी पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली भी शामिल हुए। उन्होनें कहा कि नायब सैनी और उनकी पार्टी के सीनियर नेताओं से मुलाकात शिष्टाचार मुलाकात है। सूत्रों के मुताबिक, उनके तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दे दी गई है। हरियाणा में 12 अक्टूबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण होने जा रहा है। समारोह को लेकर हलचल तेज हो गई है।

कब होगा शपथ ग्रहण समारोह

हरियाणा सरकार के परिवहन निदेशक की तरफ से सभी जिलों के रोडवेज महाप्रबंधकों को पत्र जारी किया गया है। चिट्ठी में लिखा गया है कि 12 अक्टूबर को पंचकूला में हरियाणा के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस समारोह में पूरे प्रदेश से बड़ी संख्या में लोगों को लाने के लिए हरियाणा रोडवेज द्वारा बसें उपलब्ध कराई जानी है। सीएम नायब सानी के शपथ ग्रहण में बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने के मद्देनजर सभी जिला रोडवेज महाप्रबंधक जरूरत के अनुसार बसें उपलब्ध कराएं। हरियाणा में तीसरी बार सरकार के शपथ ग्रहण से पहले विधायकों की बैठक आयोजित की जाएगी। राज्य के जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा। बीजेपी के 48 नवनिर्वाचित विधायकों की आज बैठक हो सकती है।

नई कैबिनेट में किसे मिलेगी जगह

हरियाणा की नई सरकार में नायब सिंह सैनी समेत अधिकतम 14 मंत्री हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, नायब सैनी फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने बुधवार को दिल्ली में पीएम मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की थी। इसे लेकर सभी की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं। बता दें कि हरियाणा में 13 पद खाली हैं, जिनके लिए बीजेपी 11 नए चेहरे तलाश रही है, क्यों कि सिर्फ महिपाल ढांडा और मूलचंद शर्मा ही अपनी सीटें बचाने में कामयाब हो सके, बाकी सभी मंत्री चुनाव हार गए।

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क्या एक ही दिन है अष्टमी और नवमी? जानिए व्रत और पूजा की सही तिथि

Navami
Shardiya Navratri 2024
locationभारत
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calendar10 Oct 2024 08:58 PM
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Shardiya Navratri 2024: देशभर में नवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। नौ दिनों का व्रत रखने के बाद नवें दिन भक्तजन घर पर कन्या पूजन करते हैं। नवरात्रि का व्रत बिना कन्या पूजन के बिना अधूरा माना जाता है बता दें कि कन्या भोज कराने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन नौ कन्याएं मां का नौ स्वरूप मानी जाती हैं। बता दें कि इस बार अष्टमी और नवमी की तिथि एक ही दिन पड़ रही है। शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि अष्टमी और नवमी एक ही तिथि में होना बेहद शुभ माना जाता है।

किस दिन करें कन्या पूजन

उदयातिथि के अनुसार इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा। इस अनुसार कन्या पूजन 11 अक्टूबर को किया जाना चाहिए। आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी।  इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा।

कन्या पूजन में बनाए ये चीजें

नौ दिनों का व्रत रखने के बाद नवें दिन भक्तजन घर पर कन्या पूजन करते हैं और उनको खिलाने के बाद ही व्रत का पारण करते हैं। इस दिन विशेषतौर पर पूरी और काले चने की सब्जी बना सकते हैं। आटे की पूरी, रवे का हलवा और सात्विक तरीके से बनाए गए काले चने की सब्जी को भोग माता को लगाकर ही कन्या पूजन सफल माना जाता है।

व्रत पारण का समय

पंचांग के अनुसार 11 अक्तूबर 2024 को अष्टमी और नवमी एक दिन है। ऐसे में 11 अक्तूबर को मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा भी कर सकते हैं। इस दौरान 11 अक्तूबर को दोपहर 12.06 तक अष्टमी तिथि है। इसलिए अष्टमी को व्रत का पारण करने वाले लोग इस मुहूर्त में उपवास खोल सकते हैं। इसके बाद की तिथि नवमी है।

नवरात्रि व्रत का कैसे करें पारण ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत रख रहे साधकों को व्रत का पारण कन्या पूजन के बाद ही करना चाहिए। माना जाता है कि जो भोग माता के प्रसाद में बना हो, उसी से व्रत का पारण करना चाहिए। इससे उपवास को पूर्ण फल मिलता है। इस दौरान कन्या पूजन के लिए पहले मां दुर्गा की आराधना करें। फिर उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं। इसके बाद कन्याओं को भरपेट भोजन कराकर दक्षिणा दें। इसके बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं।

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