Thursday, 14 November 2024

UP Assembly Election 2022 : इस बार छोटे दल तय करेंगे हार-जीत के नतीजे

लखनऊ (Chetna Manch Election Desk): इस बार 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव (UP Assembly Election 2022) में कई…

UP Assembly Election 2022 : इस बार छोटे दल तय करेंगे हार-जीत के नतीजे

लखनऊ (Chetna Manch Election Desk): इस बार 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव (UP Assembly Election 2022) में कई नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं. इन सबके बीच चुनावी नतीजों का पूरा दारोमदार छोटे दलों पर केन्द्रित होता जा रहा है. प्रदेश में लगभग डेढ़ दर्जन छोटे-छोटे राजनीतिक दल सक्रिय हैं. अचानक ये दल केन्द्रीय भूमिका में आ गए हैं. सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा (Uttar Pradesh Assembly Election Announcement) किसी भी समय हो सकती है. निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने तमाम चुनावी तैयारियों की समीक्षा कर ली है. राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि अगले सप्ताह (10 जनवरी से 18 जनवरी 2022) किसी भी दिन चुनावी कार्यक्रम (Election Program) घोषित हो जाएगा. चुनाव का पूरा प्रोग्राम घोषित होते ही राजनीतिक दल (Political Parties) अपनी पूरी ताकत चुनावी अभियान में झोंक देंगे. अभी तक के हालात पर गौर करें तो प्रदेश में नित नए समीकरणा बन रहे हैं. इन तमाम समीकरणों में एक समीकरण तो यह है कि अभी तक उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2022) में वर्तमान में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) व मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बीच सीधा मुकाबला है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) व कांग्रेस (Congress) इस मुकाबले को त्रिकोणीय अथवा चर्तुकोणीय बनाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं.

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राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजों का पूरा दारोमदार छोटे-छोटे दलों पर रहेगा. यह कड़वा सच है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव (UP Chunav) में हमेशा जातिगत समीकरण हावी रहे हैं. कुछ अवसरों पर अवश्य धार्मिक ध्रुवीकरण (Religious Polarization) जातिवादी समीकरणों पर भारी पड़ा था. इस बार के चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं. यह अलग बात है कि मतदान की तारीख तक समीकरण बनते बिगड़ते रहते हैं. अभी तक यह साफ है कि इस बार का चुनाव जातीय समीकरणों पर केन्द्रित होगा. इसी कारण छोटे-छोटे राजनीतिक दल व गुट बेहद अहम हो गए हैं.

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प्रदेश में प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा, सपा, बसपा व कांग्रेस के अलावा डेढ़ दर्जन छोटे-छोटे राजनीतिक दल हैं. जिनमें राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), भारतीय सुहेल देव समाजवादी पार्टी (सुभासपा), महान दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा), राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, गोंडवाना पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), कांशीराम बहुजन मूल निवासी पार्टी, अपना दल (एस), आजाद समाज पार्टी एवं निषाद पार्टी जैसे दल प्रमुख हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में ये दल क्या करिश्मा दिखाएंगे? यह तो भविष्य का प्रश्न है किन्तु विश्लेषक यही मान रहे हैं कि इस बार के चुनावी नतीजों में इन दलों की भूमिका निर्णायक होने वाली है.

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इन छोटे-छोटे दलों के इतिहास व वर्तमान को देखें तो यह तथ्य सामने आता है कि ये दल अकेले -अकेले अपने दम पर चुनाव में उतरते हैं तो इन्हें कुछ खास हासिल नहीं होता है. किसी बड़े राजनीतिक दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर इन छोटे दलों को तो फायदा होता ही है. अपने साथ गठबंधन करने वाले दल को भी ये दल फायदा पहुंचाते हैं. वर्ष-2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल (एस) तथा सुभासपा के साथ भाजपा के गठबंधन के नतीजे इस बात की गवाही देते हैं कि गठबंधन से इन दलों को व्यापक लाभ हुआ तो भाजपा को भी पूरा फायदा मिला था. इस बार अपना दल (एस) तो पूर्व की भांति ही भाजपा के साथ है, किन्तु ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की पार्टी सुभासपा समाजवादी पार्टी के साथ चली गयी है.

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छोटे-छोटे दलों का सबसे बड़ा गठबंधन समाजवादी पार्टी ने बनाया है. राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), सुहेलदेव समाजपार्टी (सुभासपा), महान दल प्रसपा, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, गोंडवाना पार्टी, अपना दल (के) एवं कांशीराम बहुजन मूल निवास पार्टी के साथ समाजवादी पार्टी ने चुनाव से बहुत पहले ही समझौता कर लिया है. विश्लेषक मान रहे हैं कि इन दलों से गठबंधन के कारण ही सपा पूरी ताकत के साथ भाजपा को टक्कर देती हुई नजर आ रही है. सब मान रहे हैं कि यदि इन छोटे-छोटे दलों ने अपनी-अपनी बिरादरी के पूरे वोट गठबंधन के पक्ष में एकजुट कर दिए तो उत्तर प्रदेश में चौंकाने वाले नतीजे आएंगे.

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